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एस्कारियासिस और टीका (वैक्सीन)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

एस्कारियासिस और टीका (वैक्सीन) के बीच अंतर

एस्कारियासिस vs. टीका (वैक्सीन)

एस्कारियासिस गोल कृमिएस्कारिस लम्ब्रीकॉइड्स परजीवी के कारण होने वाली बीमारी है। 85% से अधिक मामलों में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं होते हैं, विशेष रूप से यदि कृमि का आकार छोटा हो। कृमियों की संख्या के साथ ही लक्षण भी बढ़ जाते हैं और बीमारी की शुरुआत में सांस की तकलीफ तथा बुखार हो सकता है। इनके पश्चात पेट की सूजन, पेट दर्द तथा डायरिया के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। बच्चे इनसे सर्वाधिक प्रभावित हो जाते हैं, तथा इस आयुवर्ग में संक्रमण के कारण उचित रूप से वज़न न बढ़ना, कुपोषण तथा सीखने की क्षमता में कमी आ जाती है। संक्रमण ‘'एस्केरिस'’ के 'अंडे', जो मल द्वारा आते हैं, से दूषित भोजन या पेय खाने से होता है। अण्डों से कृमि आँतों में निकलते हैं, पेट की दीवार के माध्यम से छिद्र करके निकलते हैं, तथा रक्त के माध्यम से फेफड़ों की और बढ़ जाते हैं। वहाँ वे ऐल्वेली में प्रविष्ट हो कर ट्रेकीआ की और बढ़ जाते हैं, जहाँ से खांसने के कारण वे मुंह में आकर पुनः निगल लिए जाते हैं। इसके पश्चात लार्वा पेट से होते हुए पुनः आँतों में पहुँच जाते हैं, जहाँ वे वयस्क कृमि बन जाते हैं। रोकथाम के लिए स्वच्छता के स्तर को बढ़ाना आवश्यक है, जिसमें शौचालयों की संख्या तथा उन तक पहुँच को बढ़ाना तथा मल का उचित निस्तारण शामिल है। साबुन से हाथ धोना भी सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसे क्षेत्रों में जहाँ 20% से अधिक जनसँख्या प्रभावित है, प्रत्येक व्यक्ति को निश्चित अवधि पर उपचारित करने की संस्तुति की जाती है। संक्रमण की पुनरावृत्ति सामान्य है। इसके लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाई गयी दवाएं हैं एल्बेन्डोज़ोल, मीबेंडाज़ोल, लेवामीसोल अथवा पाईरैन्टेल पैमोट. Edward Jenner was the person who developed first vaccine टीका (vaccine) एक जीवों के शरीर का उपयोग करके बनाया गया द्रब्य है जिसके प्रयोग से शरीर की किसी रोग विशेष से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। .

एस्कारियासिस और टीका (वैक्सीन) के बीच समानता

एस्कारियासिस और टीका (वैक्सीन) आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): रक्त

रक्त

मानव शरीर में लहू का संचरण लाल - शुद्ध लहू नीला - अशु्द्ध लहू लहू या रक्त या खून एक शारीरिक तरल (द्रव) है जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित ऊतक है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है। प्लाज़मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं। प्लाज़मा के सहारे ही ये कण सारे शरीर में पहुंच पाते हैं और वह प्लाज़मा ही है जो आंतों से शोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है और पाचन क्रिया के बाद बने हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगो तक ले जा कर उन्हें फिर साफ़ होने का मौका देता है। रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं, लाल रक्त कणिका, श्वेत रक्त कणिका और प्लैटलैट्स। लाल रक्त कणिका श्वसन अंगों से आक्सीजन ले कर सारे शरीर में पहुंचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करता है। इनकी कमी से रक्ताल्पता (अनिमिया) का रोग हो जाता है। श्वैत रक्त कणिका हानीकारक तत्वों तथा बिमारी पैदा करने वाले जिवाणुओं से शरीर की रक्षा करते हैं। प्लेटलेट्स रक्त वाहिनियों की सुरक्षा तथा खून बनाने में सहायक होते हैं। मनुष्य-शरीर में करीब पाँच लिटर लहू विद्यमान रहता है। लाल रक्त कणिका की आयु कुछ दिनों से लेकर १२० दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी कोशिकाएं तिल्ली (Phagocytosis) में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है (In 7 steps)। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती। मनुष्यों में लहू ही सबसे आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। एटीजंस से लहू को विभिन्न वर्गों में बांटा गया है और रक्तदान करते समय इसी का ध्यान रखा जाता है। महत्वपूर्ण एटीजंस को दो भागों में बांटा गया है। पहला ए, बी, ओ तथा दुसरा आर-एच व एच-आर। जिन लोगों का रक्त जिस एटीजंस वाला होता है उसे उसी एटीजंस वाला रक्त देते हैं। जिन पर कोई एटीजंस नहीं होता उनका ग्रुप "ओ" कहलाता है। जिनके रक्त कण पर आर-एच एटीजंस पाया जाता है वे आर-एच पाजिटिव और जिनपर नहीं पाया जाता वे आर-एच नेगेटिव कहलाते हैं। ओ-वर्ग वाले व्यक्ति को सर्वदाता तथा एबी वाले को सर्वग्राही कहा जाता है। परन्तु एबी रक्त वाले को एबी रक्त ही दिया जाता है। जहां स्वस्थ व्यक्ति का रक्त किसी की जान बचा सकता है, वहीं रोगी, अस्वस्थ व्यक्ति का खून किसी के लिये जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसीलिए खून लेने-देने में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है। लहू का pH मान 7.4 होता है कार्य.

एस्कारियासिस और रक्त · टीका (वैक्सीन) और रक्त · और देखें »

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एस्कारियासिस और टीका (वैक्सीन) के बीच तुलना

एस्कारियासिस 9 संबंध है और टीका (वैक्सीन) 17 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.85% है = 1 / (9 + 17)।

संदर्भ

यह लेख एस्कारियासिस और टीका (वैक्सीन) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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