9 संबंधों: टीका, मल, रक्त, लातिनी अमरीका, सूत्रकृमि, विश्व स्वास्थ्य संगठन, आंत, कुपोषण, अतिसार।
टीका
टीका का हिन्दी में दो अर्थों में प्रयोग किया जाता है- १) भाष्य (commentary) २) टीकाकरण (vaccination) श्रेणी:बहुविकल्पी शब्द.
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मल
घोड़े की लीद (मल) एवं घोड़ा मल (Feces, faeces, or fæces) वह वर्ज्य पदार्थ (waste product) है जिसे जानवर अपने पाचन नली से मलद्वार के रास्ते निकलते हैं। .
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रक्त
मानव शरीर में लहू का संचरण लाल - शुद्ध लहू नीला - अशु्द्ध लहू लहू या रक्त या खून एक शारीरिक तरल (द्रव) है जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित ऊतक है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है। प्लाज़मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं। प्लाज़मा के सहारे ही ये कण सारे शरीर में पहुंच पाते हैं और वह प्लाज़मा ही है जो आंतों से शोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है और पाचन क्रिया के बाद बने हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगो तक ले जा कर उन्हें फिर साफ़ होने का मौका देता है। रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं, लाल रक्त कणिका, श्वेत रक्त कणिका और प्लैटलैट्स। लाल रक्त कणिका श्वसन अंगों से आक्सीजन ले कर सारे शरीर में पहुंचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करता है। इनकी कमी से रक्ताल्पता (अनिमिया) का रोग हो जाता है। श्वैत रक्त कणिका हानीकारक तत्वों तथा बिमारी पैदा करने वाले जिवाणुओं से शरीर की रक्षा करते हैं। प्लेटलेट्स रक्त वाहिनियों की सुरक्षा तथा खून बनाने में सहायक होते हैं। मनुष्य-शरीर में करीब पाँच लिटर लहू विद्यमान रहता है। लाल रक्त कणिका की आयु कुछ दिनों से लेकर १२० दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी कोशिकाएं तिल्ली (Phagocytosis) में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है (In 7 steps)। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती। मनुष्यों में लहू ही सबसे आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। एटीजंस से लहू को विभिन्न वर्गों में बांटा गया है और रक्तदान करते समय इसी का ध्यान रखा जाता है। महत्वपूर्ण एटीजंस को दो भागों में बांटा गया है। पहला ए, बी, ओ तथा दुसरा आर-एच व एच-आर। जिन लोगों का रक्त जिस एटीजंस वाला होता है उसे उसी एटीजंस वाला रक्त देते हैं। जिन पर कोई एटीजंस नहीं होता उनका ग्रुप "ओ" कहलाता है। जिनके रक्त कण पर आर-एच एटीजंस पाया जाता है वे आर-एच पाजिटिव और जिनपर नहीं पाया जाता वे आर-एच नेगेटिव कहलाते हैं। ओ-वर्ग वाले व्यक्ति को सर्वदाता तथा एबी वाले को सर्वग्राही कहा जाता है। परन्तु एबी रक्त वाले को एबी रक्त ही दिया जाता है। जहां स्वस्थ व्यक्ति का रक्त किसी की जान बचा सकता है, वहीं रोगी, अस्वस्थ व्यक्ति का खून किसी के लिये जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसीलिए खून लेने-देने में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है। लहू का pH मान 7.4 होता है कार्य.
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लातिनी अमरीका
लातिनी अमरीका अथवा लातिन अमेरिका अथवा लैटिन अमेरिका (स्पेनिश: América Latina, पुर्तगाली: América Latina, फ़्रांसीसी: Amérique latine) एक क्षेत्र है महाअमेरिका में जहाँ मुख्य रूप से रोमांस भाषाएँ – ख़ास तौर से स्पेनिश और पुर्तगाली और थोडा फ़्रांसीसी – बोली जाती हैं। उसका क्षेत्रफल लगभग २१,०६९,५०० कि॰मी॰² (७,८८०,००० मील²) है जो पृथ्वी का क़रीब ३.९% हिस्सा है और पृथ्वी का भूमि से १४.1% है। २०१० में उसका आबादी ५.९ करोड़ से अधिक था और उसका संयुक्त गी॰ डी॰ पी॰ ५१.६ खरब अमेरिकी डॉलर था। लातिनी अमरीका का अपेक्षित आर्थिक विकास दर है लगभग ५.७% २०१० के लिए और ४% २०११ के लिए। .
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सूत्रकृमि
एक प्रकार का गोल कृमि सूत्रकृमि या गोल कृमि (नेमैटोड) अपृष्ठवंशी, जलीय, स्थलीय या पराश्रयी प्राणी है। ये सूदूर अन्टार्कटिक तथा महासागरों के गर्तों में भी देखें गएं हैं। इनका शरीर अखंडित, लम्बे पतले धागे जैसा तथा बेलनाकार होता है, इसलिए इसे राउण्डवर्म कहा जाता है। इनको प्राणि जगत में एक संघ की मर्यादा प्राप्त हैं। इनकी लगभग ८०,००० जातियाँ हैं जिसमें से १५,००० से अधिक परजीवी है। इस जन्तु में नर तथा मादा अलग-अलग होते हैं जिसमें नर छोटा तथा पीछे का भाग मुड़ा़ हुआ रहता है किन्तु मादा का शरीर सीधा होता है। नर का जनन अंग क्लोयका के पास होता है किन्तु मादा का जनन अंग वल्वा के रूप में बाहर की ओर खुलता है। इनमें रक्त-परिवहन तंत्र और श्वसन तंत्र नहीं पाये जाते हैं इसलिए श्वसन का कार्य विसरण के द्वारा होता है। .
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विश्व स्वास्थ्य संगठन
विश्व स्वास्थ्य संगठन का ध्वज विश्व स्वास्थ्य संगठन (वि॰ स्वा॰ सं॰) (WHO) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के १९३ सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। इस संस्था की स्थापना ७ अप्रैल १९४८ को की गयी थी। इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। डब्ल्यूएचओ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है। इथियोपिया के डॉक्टर टैड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नए महानिदेशक निर्वाचित हुए हैं। वो डॉक्टर मार्गरेट चैन का स्थान लेंगे जो पाँच-पाँच साल के दो कार्यकाल यानी दस वर्षों तक काम करने के बाद इस पद से रिटायर हो रही हैं।। भारत भी विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। .
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आंत
मानव शरीर रचना विज्ञान में, आंत (या अंतड़ी) आहार नली का हिस्सा होती है जो पेट से गुदा तक फैली होती है, तथा मनुष्य और अन्य स्तनधारियों में, यह दो भागों में, छोटी आंत और बड़ी आंत के रूप में होती है। मनुष्यों में, छोटी आंत को आगे फिर पाचनांत्र, मध्यांत्र और क्षुद्रांत्र में विभाजित किया गया है, जबकि बड़ी आंत को अंधात्र और बृहदान्त्र में विभाजित किया गया है। .
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कुपोषण
अतिशय कुपोषण से ग्रसित एक बालक शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। अत: कुपोषण की जानकारियाँ होना अत्यन्त जरूरी है। कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहाँ तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। इसके अलावा ऐसे पचासों रोग हैं जिनका कारण अपर्याप्त या असन्तुलित भोजन होता है। .
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अतिसार
अतिसार या डायरिया (अग्रेज़ी:Diarrhea) में या तो बार-बार मल त्याग करना पड़ता है या मल बहुत पतले होते हैं या दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं। पतले दस्त, जिनमें जल का भाग अधिक होता है, थोड़े-थोड़े समय के अंतर से आते रहते हैं। .
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