ऋग्वेद और सर्वानुक्रमणी के बीच समानता
ऋग्वेद और सर्वानुक्रमणी आम में 6 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): देवता, भाष्य, शतपथ ब्राह्मण, शौनक, कात्यायन, ऋचा।
देवता
अंकोरवाट के मन्दिर में चित्रित समुद्र मन्थन का दृश्य, जिसमें देवता और दैत्य बासुकी नाग को रस्सी बनाकर मन्दराचल की मथनी से समुद्र मथ रहे हैं। देवता, दिव् धातु, जिसका अर्थ प्रकाशमान होना है, से निकलता है। अर्थ है कोई भी परालौकिक शक्ति का पात्र, जो अमर और पराप्राकृतिक है और इसलिये पूजनीय है। देवता अथवा देव इस तरह के पुरुषों के लिये प्रयुक्त होता है और देवी इस तरह की स्त्रियों के लिये। हिन्दू धर्म में देवताओं को या तो परमेश्वर (ब्रह्म) का लौकिक रूप माना जाता है, या तो उन्हें ईश्वर का सगुण रूप माना जाता है। बृहदारण्य उपनिषद में एक बहुत सुन्दर संवाद है जिसमें यह प्रश्न है कि कितने देव हैं। उत्तर यह है कि वास्तव में केवल एक है जिसके कई रूप हैं। पहला उत्तर है ३३ करोड़; और पूछने पर ३३३९; और पूछने पर ३३; और पूछने पर ३ और अन्त में डेढ और फिर केवल एक। वेद मन्त्रों के विभिन्न देवता है। प्रत्येक मन्त्र का ऋषि, कीलक और देवता होता है। .
ऋग्वेद और देवता · देवता और सर्वानुक्रमणी ·
भाष्य
संस्कृत साहित्य की परम्परा में उन ग्रन्थों को भाष्य (शाब्दिक अर्थ - व्याख्या के योग्य), कहते हैं जो दूसरे ग्रन्थों के अर्थ की वृहद व्याख्या या टीका प्रस्तुत करते हैं। मुख्य रूप से सूत्र ग्रन्थों पर भाष्य लिखे गये हैं। भाष्य, मोक्ष की प्राप्ति हेतु अविद्या (ignorance) का नाश करने के साधन के रूप में जाने जाते हैं। पाणिनि के अष्टाध्यायी पर पतंजलि का व्याकरणमहाभाष्य और ब्रह्मसूत्रों पर शांकरभाष्य आदि कुछ प्रसिद्ध भाष्य हैं। .
ऋग्वेद और भाष्य · भाष्य और सर्वानुक्रमणी ·
शतपथ ब्राह्मण
शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मणग्रन्थ है। ब्राह्मण ग्रन्थों में इसे सर्वाधिक प्रमाणिक माना जाता है। .
ऋग्वेद और शतपथ ब्राह्मण · शतपथ ब्राह्मण और सर्वानुक्रमणी ·
शौनक
शौनक एक संस्कृत वैयाकरण तथा ऋग्वेद प्रतिशाख्य, बृहद्देवता, चरणव्यूह तथा ऋग्वेद की छः अनुक्रमणिकाओं के रचयिता ऋषि हैं। वे कात्यायन और अश्वलायन के के गुरु माने जाते हैं। उन्होने ऋग्वेद की बश्कला और शाकला शाखाओं का एकीकरण किया। विष्णुपुराण के अनुसार शौनक गृतसमद के पुत्र थे। .
ऋग्वेद और शौनक · शौनक और सर्वानुक्रमणी ·
कात्यायन
धर्मग्रंथों से जिन कात्यायनों का परिचय मिलता है, उनमें तीन प्रधान हैं-.
ऋग्वेद और कात्यायन · कात्यायन और सर्वानुक्रमणी ·
ऋचा
वेद के श्लोकों (मंत्रों) को ऋचा कहते हैं। 'ऋचा' की व्युत्पत्ति 'ऋक्' से हुई है जिसका अर्थ 'प्रशंसा करना' है। श्रेणी:वेद.
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या ऋग्वेद और सर्वानुक्रमणी लगती में
- यह आम ऋग्वेद और सर्वानुक्रमणी में है क्या
- ऋग्वेद और सर्वानुक्रमणी के बीच समानता
ऋग्वेद और सर्वानुक्रमणी के बीच तुलना
ऋग्वेद 32 संबंध है और सर्वानुक्रमणी 19 है। वे आम 6 में है, समानता सूचकांक 11.76% है = 6 / (32 + 19)।
संदर्भ
यह लेख ऋग्वेद और सर्वानुक्रमणी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: