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वेनिस

सूची वेनिस

यह इटली का एक प्रमुख नगर है। सुदूर देशों में स्थित इटली में एक छोटा सा शहर हैं वैनिस, मान्यता है कि इसकी प्राकृतिक खूबसूरती एक कलाचित्र के समान दिखाई देती है, यह शहर सांस्कृतिक एवं व्यापारिक केंद्र है। नहर पर गॉनडोला नाव में सवार होकर सैलानी घूमते हैं। हर साल वैनिस में 120 रैगाटा आयोजित किए जाते हैं। रोमांचित कर देने वाला रैगाटा खेल वैनिस में पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। हजारों लोग इस खेल में भाग लेते हैं। इस दौरान दर्शकों में उत्साह एवं तालियों की गूँज दूर तक सुनाई देती है। वैनिस के इतिहास एवं संस्कृति से परिपूर्ण कार्निवाल के भिन्न-भिन्न प्रकार के रंग इस पर्व में उभर कर आते हैं जहाँ पर सैलानियों एवं दर्शकों के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता हैं एवं यह त्योहार सेंट मार्क स्क्वेयर में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। देश-विदेश से पर्यटक इस स्थान पर आते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं। कार्निवाल का प्रारम्भ 5 अक्टूबर से होता है और क्रिसमस तक चलता है। इस त्योहार को विशेष रूप से मनाया जाता है। यहाँ पर रंग बिरंगे मास्क पहनते हैं। रंगमंच पर नाटक में कलाकार मास्क पहने रहते हैं। सेनसा का पर्व रेनडेनटोर के पर्व यहाँ पर मनाए जाते हैं। इन पर्वों में यहाँ की संस्कृति, धर्म, मान्यता बुनी हुई है। अप्रैल से लेकर सितम्बर तक यहाँ पर नौकाओं आदि का भी आनंद उठा सकते हैं। यदि पयर्टक यहाँ के अन्य प्रसिद्ध स्थलों का भ्रमण करना चाहते हैं तो वे अकादमिया गैलरी में सजाए गए छायाचित्रों को देख सकते हैं। यह गैलरी वैनिस के प्रसिद्ध संग्रहालयों में से एक है। वैनिस के अठारहवीं शताब्दी के कलाचित्र यहाँ पर प्रदर्शित किए गए हैं। सैलानी भ्रमण के दौरान रीयाल्टो पुल पर शहर नजर आता है। यह पुल ग्रैंड कनाल पर बनाया गया है जिससे यात्रियों को सफर करने में आसानी हो। स्थानीय लोग ईसाई धर्म को मानते हैं एवं गिरजाघरों में भगवान की आराधना करते हैं। धार्मिक पर्वों के दौरान गिरजाघरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मार्बल गिरजाघर या सेंटा मारिया वैनिस में स्थित है। शिल्पकारों ने इसे बहुत सुंदर प्रकार से इसे सुसज्जित किया है। क्रिसमस त्योहार के समय इस भव्य गिरजाघर को सजाया जाता है एवं एकत्रित व्यक्ति शांति की कामना करते हैं। वैनिस लोगों की शादियाँ यहाँ पर धूमधाम से मनाई जाती हैं। रंगमंच पर नाट्य कार्यक्रम हर साल रंगमंच प्रेमियों के लिए आयोजित किए जाते हैं। पर्यटक स्काला कॉट्रावीनी बोवोलो महल के विशेषता को देखने के लिए आते हैं जहाँ पर अनगिनत वृत्तखण्ड एवं सीढ़ियों को देखने के लिए यहाँ पर दर्शक आते हैं। वैनिस के प्रसिद्ध बंदरगाहों में से एक हैं वेनीशियन आर्सनल। प्राचीनकाल से यह जलसेना का केंद्र था। मनपसंद व्यंजनों में से मुख्य पिज्ज़ा एवं पास्ता यहाँ मिलते हैं। मांसाहारी व्यंजन के विभिन्न प्रकार के भोजन एवं सूप मिलते हैं। यदि यहाँ के स्थानीय व्यंजन को ढूँढ रहे हैं तब शहर के प्रसिद्ध मार्गों पर स्थित दुकानों पर सजाए गए लुभावने व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं। बोली जाने वाली प्रमुख भाषा हैं वेनीशीयन एवं स्पेनिश। नवंबर से लेकर जनवरी तक यहाँ का मौसम सामान्य रहता है एवं भ्रमण करने के सिए उपयुक्त हैं। श्रेणी:इटली के नगर श्रेणी:इटली में विश्व धरोहर स्थल.

54 संबंधों: चेसिंग लिबर्टी, ऐम्स्टर्डैम, तपन सिन्हा, द शेप ऑफ़ वाटर, दीपक संधू, निकोलाओ मानुची, पश्चिमी संस्कृति, पिशाच, पिंक फ़्लॉइड, फ़ैशन डिज़ाइनर, फ्रांस का सैन्य इतिहास, फैंटास्टिक फोर (१९९४), बचना ऐ हसीनो, ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था, भारत में पर्यटन, मध्ययुग, मामूट्टी, मार्दी ग्रा, मार्को पोलो, मिलानो, मैनहटन, मेटरनिख, यूरोप में विश्व धरोहर स्थलों की सूची, राजनयिक इतिहास, रिचर्ड गेयर, रॉबर्ट ब्राउनिंग, लेखांकन का इतिहास, सत्यजित राय, सलमा हायेक, हार्ड रॉक कैफे, हावड़ा, जहाजरानी का इतिहास, ज़ीनो मानचित्र, जायफल, जॉनी डेप, वाणिज्यिक क्रांति, वाशिंगटन ऐल्स्टन, वास्को द गामा, विश्व देवालय (पैन्थियन), रोम, विश्व धरोहर, विक्टर इमानुएल द्वितीय, विक्टोरिया बेखम, खोज का युग, गजट, गूगल मानचित्र, गोल्ड कोस्ट, क्वींसलैंड, आधुनिक कला, आइजक डिज़रेली, इटली, इन दिनों, ..., कार्निवल, क्रूसेड, अमेदिओ मोदिग्लिआनी, अहमद प्रथम सूचकांक विस्तार (4 अधिक) »

चेसिंग लिबर्टी

चेसिंग लिबर्टी 2004 में अमेरिकन राष्ट्रपति की बेटी के विषय में बनी हुई एक रूमानी हास्य प्रधान फ़िल्मी कहानी है। इस फिल्म का निर्देशन एंडी केडिफ ने किया है और मैंडी मूर और मैथ्यू गुड ने अभिनय किया है। .

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ऐम्स्टर्डैम

right एम्सटर्डम (डच: Amsterdam) नीदरलैंड की राजधानी है। इस नगर की स्थापना १२वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में एम्स्टल नदी के मुहाने पर एक मछली पकड़ने के केन्द्र के रूप में हुई थी। एम्सटर्डम नाम एम्स्टल नदी के नाम से उपगमित है। १ जनवरी, २००६ को एम्सटर्डम की आबादी ७४३,०२७ थी। यह नीदरलैंड का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। एम्स्टर्डम की नहरें विश्वविख्यात हैं, इनमें से कई नगर के बीचोबीच हैं। इस कारण से इसकी तुलना वेनिस से की जाती है। एम्स्टर्डम (/ æmstərdæm, ˌæmstərdæm /; डच: (इस ध्वनि के बारे में सुनो)) नीदरलैंड्स के राज्य की राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाला नगरपालिका है। राजधानी के रूप में इसका दर्जा नीदरलैंड के संविधान द्वारा अनिवार्य है, हालांकि यह सरकार की सीट नहीं है, जो द हेग है। एम्स्टर्डम में 851,373 की आबादी उचित शहर के भीतर है, शहरी क्षेत्र में 1,351,587, और एम्स्टर्डम महानगरीय क्षेत्र में 2,410, 9 60 है। यह शहर देश के पश्चिम में उत्तर हॉलैंड प्रांत में स्थित है। मेट्रोपॉलिटन एरिया में रैंडस्टैड के उत्तरी हिस्से का अधिक हिस्सा शामिल है, जो कि यूरोप में लगभग 7 मिलियन की जनसंख्या वाले एक बड़े कस्बों में से एक है। एम्स्टर्डम का नाम अमस्टेल्रेडम से निकला है, शहर की उत्पत्ति का एक नदी Amstel में बांध के आसपास का संकेत है। 12 वीं शताब्दी के अंत में एक छोटे से मछली पकड़ने के गांव के रूप में उत्पत्ति, एम्स्टर्डम, डच सुवर्ण युग (17 वीं शताब्दी) के दौरान दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक बन गया, जो व्यापार में अपने अभिनव विकास का नतीजा था। उस समय के दौरान, शहर वित्त और हीरे के लिए अग्रणी केंद्र था। 1 9वीं और 20 वीं शताब्दी में शहर का विस्तार हुआ, और कई नए पड़ोस और उपनगरों की योजना बनाई गई और निर्माण किया गया। एम्स्टर्डम की 17 वीं शताब्दी की नहरों और 1 9 -20 वीं शताब्दी की एम्स्टर्डम की रक्षा रेखा यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची पर हैं। एम्स्टर्डम की नगर पालिका द्वारा 1 9 21 में नगरपालिका स्लॉटन के कब्जे के बाद से, शहर का सबसे पुराना ऐतिहासिक हिस्सा स्लॉटन (9वीं सदी) में है। नीदरलैंड की वाणिज्यिक राजधानी और यूरोप में शीर्ष वित्तीय केंद्रों में से एक के रूप में, एम्स्टर्डम को वैश्वीकरण और विश्व शहरों (GaWC) अध्ययन समूह द्वारा एक अल्फा विश्व शहर माना जाता है यह शहर नीदरलैंड की सांस्कृतिक राजधानी भी है। कई बड़े डच संस्थानों का मुख्यालय है, और फिलिप्स और आईएनजी सहित दुनिया की 500 सबसे बड़ी कंपनियों में से सात, शहर में स्थित हैं। 2012 में, एम्स्टर्डम को इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) और 12 वें विश्व स्तर पर मर्सर द्वारा पर्यावरण और बुनियादी ढांचे के लिए रहने की गुणवत्ता पर रहने के लिए दूसरा सबसे अच्छा शहर का दर्जा दिया गया था। आस्ट्रेलियाई नवाचार एजेंसी 2 थिंकनो द्वारा उनके इनोवेशन सिटीज इंडेक्स 200 9 में इनोवेशन में शहर का तीसरा स्थान था। इस दिन एम्स्टर्डम बंदरगाह देश में दूसरा और यूरोप में पांचवां सबसे बड़ा बंदरगाह है। प्रसिद्ध एम्स्टर्डम निवासियों में डायरी फ्रैंक, कलाकारों रिब्रांडेंट वैन रियंज और विन्सेन्ट वैन गाग और दार्शनिक बारूच स्पिनोजा शामिल हैं। एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज, दुनिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज, शहर के केंद्र में स्थित है। एम्सटर्डम के ऐतिहासिक आकर्षण, रिजक्सम्यूजियम, वान गॉग म्यूजियम, स्टैडेलिस्क म्यूजियम, हेर्मिटेज एम्स्टर्डम, ऐनी फ्रैंक हाउस, एम्स्टर्डम संग्रहालय, इसकी लाल-प्रकाश जिला और इसके कई कैनबिस कॉफी की दुकानों में सालाना 5 मिलियन से अधिक अंतरराष्ट्रीय आगंतुक हैं। विषय वस्तु 1 व्युत्पत्ति 2 इतिहास 2.1 संस्थापक और मध्य युग 2.2 स्पेन के साथ संघर्ष 2.3 डच स्वर्ण युग का केंद्र 2.4 अस्वीकार और आधुनिकीकरण 2.5 20 वीं शताब्दी 2.6 21 वीं सदी 3 भूगोल 3.1 नहरें 3.2 जलवायु 4 जनसांख्यिकी 4.1 ऐतिहासिक जनसंख्या 4.2 आप्रवासन 4.3 धर्म 4.4 सहनशीलता और जातीय तनाव 5 शहरी परिदृश्य और वास्तुकला 5.1 नहरें 5.2 विस्तार 5.3 वास्तुकला 5.4 पार्क और मनोरंजन क्षेत्र 6 अर्थव्यवस्था 6.1 एम्स्टर्डम का पोर्ट 6.2 पर्यटन 6.2.1 रेड लाइट जिला 6.3 खुदरा 6.4 फैशन 7 संस्कृति 7.1 संग्रहालय 7.2 संगीत 7.3 कला प्रदर्शन 7.4 नाइटलाइफ़ 7.5 समारोह 7.6 खेल 8 सरकार 8.1 शहर सरकार 8.2 महानगर क्षेत्र 8.3 राष्ट्रीय राजधानी 8.4 चिह्न 9 परिवहन 9.1 मेट्रो, ट्राम, बस 9.2 कार 9.3 राष्ट्रीय रेल 9.4 हवाई अड्डे 9.5 सायक्लिंग 10 शिक्षा 11 उल्लेखनीय लोग 11.1 मनोरंजन 11.2 स्पोर्ट 11.3 कहीं और से उत्पत्ति 12 मीडिया 13 आवास 14 भी देखें 15 नोट्स और संदर्भ 15.1 साहित्य 15.2 रोपण 16 आगे पढ़ने 17 बाहरी लिंक व्युत्पत्ति यह भी देखें एम्स्टर्डम के अन्य नाम ओउड केर्क को 1306 में पवित्रा किया गया था। 1170 और 1173 की बाढ़ के बाद, अम्स्टल नदी के पास स्थानीय लोगों ने नदी के ऊपर एक पुल बनाया और इसे भर दिया, गांव को अपना नाम देकर: "एमेस्स्टेलडेम" उस नाम का सबसे पहले इस्तेमाल किया गया रिकॉर्ड 27 अक्टूबर 1275 के एक दस्तावेज में है, जिसने गांव के निवासियों को पुल टोल का भुगतान करने के लिए फ्लोरिस वी गिनने से छूट दी। इसने एस्मस्टेलदेमे गांव के निवासियों को हॉलैंड काउंटी के माध्यम से स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की इजाजत दी, पुलों, ताले और बांधों पर कोई टैल नहीं दे रहे थे। प्रमाण पत्र में निवासियों के बारे में बताते हैं कि मैनेंट्स एपीड अमेस्टेलाईआम्मे (अमेलेस्टेलाईममे के पास रहने वाले लोग)। 1327 तक, नाम एम्स्टर्डम में विकसित हुआ था। 1544 के रूप में एम्स्टर्डम को चित्रित करने वाला एक वुडकट। प्रसिद्ध Grachtengordel अभी तक स्थापित नहीं किया गया था। इतिहास मुख्य लेख: एम्स्टर्डम का इतिहास और एम्स्टर्डम की टाइमलाइन संस्थापक और मध्य युग इमॅन्यूएल डे विट्टे, 1653 द्वारा एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज के आंगन। एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सकेन .

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तपन सिन्हा

तपन सिन्हा (তপন সিন্‌হা)(२ अक्टूबर १९२४ – १५ जनवरी २००९) बांग्ला चलचित्र एवं हिन्दी चलचित्र के प्रसिद्ध निर्देशक थे। इन्हें २००६ का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भी मिला था। तपन सिन्हा की फिल्में भारत के अलावा बर्लिन, वेनिस, लंदन, मास्को जैसे अंतरराष्ट्रीय ‍फिल्म समारोहों में भी सराही गई थीं। इन्होंने भौतिकी विषय में स्नातकोत्तर किया था। ये सबसे अधिक गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के कार्यो से प्रभावित थे। तपन सिन्हा ने बांग्ला फ़िल्म अभिनेत्री अरुंधती देवी से विवाह किया था। इनके पुत्र अनिन्द्य सिन्हा भारतीय वैज्ञानिक हैं। तपन जी अपने जीवन की संध्या में हृदय रोग से पीड़ित हो गये थे और अन्ततः १५ जनवरी, २००९ को परलोक सिधार गये। इनकी पत्नी की मृत्यु १९९० में ही हो चुकी थी। सगीना महतो और सफेद हाथी जैसी उल्लेखनीय फिल्में बनाने वाले सिन्हा विभिन्न श्रेणियों में अभी तक १९ राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं। स्वतंत्रता की ६०वीं जयंती पर भारत सरकार ने उन्हें फिल्म जगत में अद्वितीय योगदान के लिए अवार्ड फॉर लाइफ टाइम अचीवमेंट से सम्मानित किय़ा था। तपन जी की पहली फिल्म उपहार थी जो १९५५ में रिलीज़ हुई थी। १९५६ मे रिलीज़ हुई फिल्म काबुलीवाला दूसरी फिल्म थी। इसके अलावा एक डॉक्टर की मौत, सगीना और आदमी और औरत इनकी बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती हैँ। इन्होंने बावर्ची जैसी कई फिल्मों की कहानी भी लिखी है। .

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द शेप ऑफ़ वाटर

द शेप ऑफ़ वाटर (The Shape of Water), 2017 की एक अमेरिकी कल्पनिक, ड्रामा फिल्म है। इस फ़िल्म का निर्देशन गुइलेर्मो डेल तोरो एवं कहानी गुइलेर्मो डेल तोरो और वैनेसा टेलर द्वारा लिखा गया है। इस फिल्म को बाल्टीमोर में 1962 के परिदृश्य में फ़िल्माया गया है। यह फ़िल्म उच्च सुरक्षा वाले सरकारी प्रयोगशाला के एक मूक अभिरक्षक के बारे में है, जिसे एक पकड़े गये, मनुष्य कि तरह दिखने वाले एम्फीबियन प्राणी से प्यार हो जाता है। इस फिल्म में सैली हॉकिन्स, माइकल शैनन, रिचर्ड जेनकिंस, डग जोन्स, माइकल स्टुब्लबर्ग और ऑक्टेविया स्पेन्सर ने अभिनय किया है। इस फिल्म का प्रदर्शन 74वें वेनिस अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह, मे 31 अगस्त 2017 को किया था, जहाँ इसने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिये गोल्डन लाइन पुरस्कार जीता था। इसे 2017 के टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में भी प्रदर्शित किया गया था। फिल्म के अभिनय, पटकथा, दिशा, उत्पादन डिजाइन, और संगीत स्कोर को लेकर कई विषयों में इसकी सराहना की गई है। 8 दिसम्बर को वैश्विक प्रदर्शन से पहले इस फिल्म का आशिंक प्रदर्शन संयुक्त राज्य में 1 दिसम्बर को किया गया था। इस फिल्म का वैश्विक कारोबार 91 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है। 90वें अकादमी पुरस्कार पर, फ़िल्म को सबसे अधिक 13 नामांकन प्राप्त हुए, जिसमें इसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ ओरिजिनल स्कोर, सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन डिज़ाइन में चार पुरस्कार प्राप्त हुए। ब्रिटिश अकादमी फ़िल्म पुरस्कार में इसे सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सहित तीन पुरस्कार प्राप्त हुए। .

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दीपक संधू

दीपक संधू (जन्म 19 दिसम्बर 1948) भारत की पहली महिला मुख्य सूचना आयुक्त रह चुकी हैं। 5 सितंबर 2013 को इस पद पर उनकी नियुक्ति हुई थी और दिसंबर 2013 के अंत में वे इस पद से सेवानिवृत हो रही हैं। 1971 बैच की भारतीय सूचना सेवा की पूर्व अधिकारी संधू कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुकी हैं जिसमें पीआईबी की प्रधान महानिदेशक, मीडिया एवं संचार,डीडी न्यूज की महानिदेशक और 2009 में सूचना आयुक्त बनने से पहले ऑल इंडिया रेडियो, न्यूज की महानिदेशक रह चुकी हैं। वे कान, बर्लिन, वेनिस और टोक्यो में अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों, रूस के ग्लेनक्षीक और साइप्रस में आतंकवाद एवं इलेक्ट्रानिक मास मीडिया पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अलावा अटलांटा, अमेरिका एवं बीजिंग में समाचार प्रमुखों के सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। .

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निकोलाओ मानुची

बिब्लोतिक़ नाशियोनाले दे फ्रांस में लिकोलाओ मानुची का एक चित्र निकोलाओ मानुची (इतालवी: Niccolò Manucci, 1639-1717) एक इतालवी लेखक और यात्री था। उसने मुग़ल दरबार में काम किया। इसके अतिरिक्त उसने दारा शूकोह, शाह आलम, राजा जयसिंह और कीरत सिंह की सेवा में काम किया। .

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पश्चिमी संस्कृति

पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.

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पिशाच

फिलिप बर्न-जोन्स द्वारा पिशाच, 1897 पिशाच कल्पित प्राणी है जो जीवित प्राणियों के जीवन-सार खाकर जीवित रहते हैं आमतौर पर उनका खून पीकर.

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पिंक फ़्लॉइड

पिंक फ़्लॉइड एक अंग्रेज़ी रॉक बैंड था, जिसने 1960 के दशक के उत्तरार्ध में, अपने साइकेडेलिक और स्पेस रॉक संगीत के लिए और 1970 के दशक में, जब उन्होंने विकास किया, अपने प्रगतिशील रॉक संगीत के लिए पहचान बनाई। पिंक फ़्लॉइड का काम, दार्शनिक गीत, ध्वनि के प्रयोगों, नवीन एल्बम कवर कला और विशाल लाइव शो द्वारा अंकित हैं। रॉक संगीत में आलोचनात्मक रूप से सर्वाधिक प्रशंसित और व्यावसायिक रूप से सफल प्रदर्शनों सहित, इस समूह ने दुनिया भर में 200 मिलियन एल्बम बेचे हैं, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका में 74.5 मिलियन प्रमाणित इकाइयां शामिल हैं। पिंक फ़्लॉइड ने नाइन इंच नेल्स और ड्रीम थियेटर जैसे समकालीन कलाकारों को प्रभावित किया। पिंक फ़्लॉइड के 1965 में गठन के तुरंत बाद सिड बैरेट, द टी सेट में शामिल हो गए, एक समूह जो वास्तुकला के छात्र, निक मेसन, रोजर वाटर्स, रिचर्ड राइट और बॉब क्लोज़ से निर्मित था। क्लोज़ ने शीघ्र ही इसे छोड़ दिया, लेकिन समूह को मुख्यधारा में औसत दर्जे की सफलता मिली और लंदन के भूमिगत संगीत परिदृश्य पर जम कर ये चहेते बने रहे। बैरेट के अनियमित व्यवहार ने उनके सहयोगियों को गिटार वादक और गायक डेविड गिल्मर को जोड़ने के लिये विवश किया। बैरेट के प्रस्थान के बाद, गायक और बैस वादक रोजर वाटर्स, बैंड के गीतकार और एक प्रभावकारी व्यक्ति बन गए, जिसे आगे चलकर, अवधारणा एल्बम द डार्क साइड ऑफ़ द मून, विष यू वर हिअर, एनिमल्स और रॉक ओपेरा द वॉल से विश्व भर में महत्वपूर्ण और व्यावसायिक सफलता हासिल हुई। राइट ने 1979 में बैंड छोड़ दिया और वाटर्स ने 1985 में, लेकिन गिल्मर और मेसन (राइट के साथ) ने पिंक फ़्लॉइड नाम के तहत रिकॉर्डिंग और दौरा जारी रखा। वाटर्स ने उन्हें नाम का उपयोग करने से रोकने के लिए, कानूनी सहारा लिया। उन्होंने पिंक फ़्लॉइड को एक भुक्तशेष शक्ति घोषित किया, लेकिन इन पक्षों ने न्यायालय से बाहर समझौता किया, जिसके तहत गिल्मर, मेसन और राइट को पिंक फ़्लॉइड के रूप में आगे बढ़ने की अनुमति मिल गई। बैंड को एक बार फिर अ मोमेंट्री लैप्स ऑफ़ रीज़न (1987) और द डिविज़न बेल (1994) से विश्वभर में सफलता मिली और वाटर्स ने एक एकल संगीतकार के रूप में अपना सफ़र जारी रखा और तीन स्टूडियो एल्बम जारी किए। यद्यपि कुछ वर्षों तक वाटर्स और शेष तीन सदस्यों के बीच संबंधों में खटास रही, इस बैंड ने Live-8 पर वन-ऑफ़ प्रदर्शन के लिए पुनर्गठन किया। .

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फ़ैशन डिज़ाइनर

फैशन शो, 2009 का समापन फैशन डिज़ाइन कपड़ों और एक्सेसरीज् पर डिज़ाइन और सौंदर्य को साकार करने की कला है। फैशन डिज़ाइन सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवहार से प्रभावित होते हैं और समय और जगह के साथ बदलते रहे हैं।.

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फ्रांस का सैन्य इतिहास

फ्रांस के सैन्य इतिहास में आधुनिक फ्रांस, यूरोपीय महाद्वीप और दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में 2,000 से अधिक वर्षों तक चले संघर्षों का एक विशाल काल शामिल है। आज आधुनिक फ्रांस के क्षेत्र में सबसे पहला बड़ा युद्ध गैलो-रोमन संघर्ष था, जो कि 60 ईसा पूर्व से 50 ईसा पूर्व तक लड़ा गया। अंततः रोमन,जूलियस सीज़र के अभियानों के माध्यम से विजयी हुए। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद, एक जर्मनिक जनजाति,जिसे फ्रैंक्स के नाम से जाना जाता था, ने प्रतिस्पर्धा वाले जनजातियों को हराकर गॉल पर नियंत्रण कर लिया। "फ्रांसीया की भूमि", जिस से फ्रांस को अपना नाम मिला है, को राजा 'क्लोविस मैं' और 'शारलेमेन' ने विस्तरित किया। इन्होंने भविष्य के फ्रांसीसी राज्य के केंद्र का निर्माण किया था। मध्य युग में, इंग्लैंड के साथ प्रतिद्वंद्विता ने 'नोर्मन विजय' और;सौ साल के युद्ध' जैसे प्रमुख संघर्षों को प्रेरित किया। केंद्रीकृत राजतंत्र के साथ, रोमन काल के बाद पहली बड़ी पैदल सेना और तोपखाने का इस्तेमाल कर, फ्रांस ने अपने क्षेत्र से अंग्रेजो को निष्कासित कर दिया और मध्य युग में यूरोप के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में जाना गया। ये स्थिति रोमन साम्राज्य और 'स्पेन इतालवी युद्धों' में हार के बाद बदली। 16 वीं शताब्दी के अंत में धर्मयुद्धों ने फ्रांस को कमजोर किया, लेकिन 'तीस साल के युद्ध' में स्पेन पर एक बड़ी जीत ने फ्रांस को एक बार फिर महाद्वीप पर सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाया। समानांतर में, फ्रांस ने अपना पहला औपनिवेशिक साम्राज्य एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में विकसित किया। फ्रांस ने,लुई XIV के तहत अपने प्रतिद्वंद्वियों पर सैन्य वर्चस्व हासिल किया, लेकिन तेजी से शक्तिशाली होते दुश्मन गठबंधनों और बढ़ते संघर्ष ने फ़्रांसिसी महत्वाकांक्षाओं को रोका और 18 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में राज्य को दिवालिया कर दिया। फ्रांसीसी सेनाओं ने स्पेनिश, पोलिश और ऑस्ट्रियाई राजशाही के खिलाफ वंशवादी संघर्षों में जीत हासिल की। इसी समय, फ़्रांस अपनी उपनिवेशों पर हो रहे दुश्मनो के हमलों को रोक रहा था। 18 वीं शताब्दी में, ग्रेट ब्रिटेन के साथ वैश्विक प्रतिस्पर्धा ने सात साल के युद्ध की शुरुआत की, जहां फ्रांस ने अपने उत्तरी अमेरिकी हिस्सेदारी खो दी। यूरोप और अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध में प्रभुत्व के रूप में फ्रांस को सफलता मिली, जहां धन और हथियारों के रूप में व्यापक फ्रेंच सहायता और अपनी सेना और नौसेना की प्रत्यक्ष भागीदारी ने अमेरिका की आजादी का नेतृत्व किया। अंततः आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल और फ्रांसीसी क्रांतिकारी युद्धों और नेपोलियन युद्धों में निरंतर संघर्ष के 23 साल गुजर गए। फ्रांस इस अवधि के दौरान अपनी शक्ति के चरम पर पहुंच गया, नेपोलियन बोनापार्ट के शासन काल में, एक अभूतपूर्व शक्ति के रूप में यूरोपीय महाद्वीप पर हावी रहा। हालांकि, 1815 तक, इसे उसी सीमा तक सीमित कर दिया गया था जो क्रांति से पहले नियंत्रित था। शेष 1 9वीं शताब्दी में दूसरी फ्रांसीसी औपनिवेशिक साम्राज्य के विकास के साथ ही बेल्जियम, स्पेन और मेक्सिको में फ्रांसीसी हस्तक्षेप हुआ। अन्य प्रमुख युद्ध,रूस के खिलाफ क्रिमिया में,इटली के खिलाफ ऑस्ट्रिया में और फ्रांस के भीतर प्रशिया के खिलाफ लड़े गए। फ्रेंको-प्रुसीयन युद्ध में हार के बाद, प्रथम विश्व युद्ध में फिर से फ्रेंको-जर्मन प्रतिद्वंद्विता उभर आयी। फ्रांस और उसके सहयोगी इस बार विजयी रहे थे। संघर्ष के मद्देनजर सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल द्वितीय विश्व युद्ध के रूप में परिणीत हुआ, जिसमें फ्रांस ने लड़ाई में एक्सिस राष्ट्रों को हराया गया और फ्रांसीसी सरकार ने जर्मनी के साथ एक युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए। निर्वासन में एक मुक्त फ्रांसीसी सैनिक सरकार की अगुआई वाली मित्र राष्ट्रों की सेना ने अंततः एक्सिस पॉवर्स के ऊपर विजयी प्राप्त की। नतीजतन, फ्रांस ने जर्मनी में एक व्यवसाय क्षेत्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट हासिल की। पहले दो विश्व युद्धों के पैमाने पर तीसरे फ्रेंको-जर्मन संघर्ष से बचने की अनिवार्यता ने 1950 के दशक में शुरू होने वाले यूरोपीय एकीकरण के लिए मार्ग प्रशस्त किया। फ्रांस एक परमाणु शक्ति बन गया और 20 वीं शताब्दी के अंत तक, नाटो और उसके यूरोपीय सहयोगियों के साथ मिलकर सहयोग किया गया है। जुलाई में 1453 में फ्रांसीसी सेना ने अपने ब्रितानी विरोधियों को कैस्टिलो की लड़ाई में पराजित किया .

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फैंटास्टिक फोर (१९९४)

फैंटास्टिक फोर (अंग्रेजी: The Fantastic Four) १९९४ में पूर्ण एक स्वतंत्र श्रेष्ठ-नायक चलचित्र है। इस चलचित्र का कार्यकारी उत्पादित कम बजट विशेषज्ञ और में किया था। (जो कि बाद में २००५ में बनाने के लिए भी जाने गए थे।) यह चलचित्र मार्वल की लम्बे समय तक चलने वाली चित्रकथाओ पर आधारित थी। शानदार चार की उत्पत्ति और श्रेष्ठ-नायक टीम का के साथ पहली बार लड़ना, शानदार चार के #१ और वार्षिक #२ पर आधारित था। १९९४ में प्रदर्शन की तारीख रखने के बावजूद, इस चलचित्र को आधिकारिक रूप से कभी भी प्रदर्शत नहीं किया गया था। .

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बचना ऐ हसीनो

बचना ऐ हसीनों (Beware, ye beauties, बचना ऐ हसीनो, 15 अगस्त 2008 को जारी एक बॉलीवुड फ़िल्म है। इसके कलाकार हैं रणबीर कपूर, बिपाशा बसु, मिनीषा लांबा और दीपिका पादुकोण. इस फ़िल्म को निर्देशित किया था सिद्धार्थ आनंद ने, जिनकी पिछली फ़िल्मों में शामिल हैं सलाम नमस्ते (2005) और ता रा रम पम (2007). .

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ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था

१८९० में मुम्बई के कल्बादेवी रोड का एक दृष्य १९०९ में भारतीय रेलवे का मानचित्र १९४५ में हुगली का दृष्य बहुत प्राचीन काल से भारतवर्ष का विदेशों से व्यापार हुआ करता था। यह व्यापार स्थल मार्ग और जल मार्ग दोनों से होता था। इन मार्गों पर एकाधिकार प्राप्त करने के लिए विविध राष्ट्रों में समय-समय पर संघर्ष हुआ करता था। जब इस्लाम का उदय हुआ और अरब, फारस मिस्र और मध्य एशिया के विविध देशों में इस्लाम का प्रसार हुआ, तब धीरे-धीरे इन मार्गों पर मुसलमानों का अधिकार हो गया और भारत का व्यापार अरब निवासियों के हाथ में चला गया। अफ्रीका के पूर्वी किनारे से लेकर चीन समुद्र तक समुद्र तट पर अरब व्यापारियों की कोठियां स्थापित हो गईं। यूरोप में भारत का जो माल जाता था वह इटली के दो नगर जिनोआ और वेनिस से जाता था। ये नगर भारतीय व्यापार से मालामाल हो गए। वे भारत का माल कुस्तुन्तुनिया की मंडी में खरीदते थे। इन नगरों की धन समृद्धि को देखकर यूरोप के अन्य राष्ट्रों को भारतीय व्यापार से लाभ उठाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न इस इच्छा की पूर्ति में सफल न हो सके। बहुत प्राचीन काल से यूरोप के लोगों का अनुमान था कि अफ्रीका होकर भारतवर्ष तक समुद्र द्वारा पहुंचने का कोई न कोई मार्ग अवश्य है। चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में एक नए युग का प्रारंभ हुआ। नए-नए भौगोलिक प्रदेशों की खोज आरंभ हुई। कोलम्बस ने सन् 1492 ईस्वी में अमेरिका का पता लगाया और यह प्रमाणित कर दिया कि अटलांटिक के उस पार भी भूमि है। पुर्तगाल की ओर से बहुत दिनों से भारतवर्ष के आने के मार्ग का पता लगाया जा रहा था। अंत में, अनेक वर्षों के प्रयास के अनंतर सन् 1498 ई. में वास्कोडिगामा शुभाशा अंतरीप (cape of good hope) को पार कर अफ्रीका के पूर्वी किनारे पर आया; और वहाँ से एक गुजराती नियामक को लेकर मालाबार में कालीकट पहुंचा। पुर्तगालवासियों ने धीरे-धीरे पूर्वी व्यापार को अरब के व्यापारियों से छीन लिया। इस व्यापार से पुर्तगाल की बहुत श्री-वृद्धि हुई। देखा -देखी, डच अंग्रेज और फ्रांसीसियों ने भी भारत से व्यापार करना शुरू किया। इन विदेशी व्यापारियों में भारत के लिए आपस में प्रतिद्वंद्विता चलती थी और इनमें से हर एक का यह इरादा था कि दूसरों को हटाकर अपना अक्षुण्य अधिकार स्थापित करें। व्यापार की रक्षा तथा वृद्धि के लिए इनको यह आवश्यक प्रतीत हुआ कि अपनी राजनीतिक सत्ता कायम करें। यह संघर्ष बहुत दिनों तक चलता रहा और अंग्रेजों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर विजय प्राप्त की और सन् 1763 के बाद से उनका कोई प्रबल प्रतिद्वंदी नहीं रह गया। इस बीच में अंग्रेजों ने कुछ प्रदेश भी हस्तगत कर लिए थे और बंगाल, बिहार उड़ीसा और कर्नाटक में जो नवाब राज्य करते थे वे अंग्रेजों के हाथ की कठपुतली थे। उन पर यह बात अच्छी तरह जाहिर हो गई थी कि अंग्रेजों ने कुछ प्रदेश भी हस्तगत कर लिए थे और बंगाल, बिहार उड़ीसा और कर्नाटक में जो नवाब राज्य करते थे वे अंग्रेजों के हाथ की कठपुतली थे। उन पर यह बात अच्छी तरह जाहिर हो गई थी कि अंग्रेजों का विरोध करने से पदच्युत कर दिए जाएंगे। यह विदेशी व्यापारी भारत से मसाला, मोती, जवाहरात, हाथी दांत की बनी चीजें, ढाके की मलमल और आबेरवां, मुर्शीदाबाद का रेशम, लखनऊ की छींट, अहमदाबाद के दुपट्टे, नील आदि पदार्थ ले जाया करते थे और वहां से शीशे का सामान, मखमल साटन और लोहे के औजार भारतवर्ष में बेचने के लिए लाते थे। हमें इस ऐतिहासिक तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि भारत में ब्रिटिश सत्ता का आरंभ एक व्यापारिक कंपनी की स्थापना से हुआ। अंग्रेजों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा तथा चेष्टा भी इसी व्यापार की रक्षा और वृद्धि के लिए हुई थी। उन्नीसवीं शताब्दी के पहले इंग्लैंड का भारत पर बहुत कम अधिकार था और पश्चिमी सभ्यता तथा संस्थाओं का प्रभाव यहां नहीं के बराबर था। सन् 1750 से पूर्व इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति भी नहीं आरंभ हुई थी। उसके पहले भारत वर्ष की तरह इंग्लैंड भी एक कृषिप्रधान देश था। उस समय इंग्लैंड को आज की तरह अपने माल के लिए विदेशों में बाजार की खोज नहीं करनी पड़ती थी। उस समय गमनागमन की सुविधाएं न होने के कारण सिर्फ हल्की-हल्की चीजें ही बाहर भेजी जा सकती थीं। भारतवर्ष से जो व्यापार उस समय विदेशों से होता था, उससे भारत को कोई आर्थिक क्षति भी नहीं थी। सन् 1765 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी को मुगल बादशाह शाह आलम से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई, तब से वह इन प्रांतों में जमीन का बंदोबस्त और मालगुजारी वसूल करने लगी। इस प्रकार सबसे पहले अंग्रेजों ने यहां की मालगुजारी की प्रथा में हेर-फेर किया। इसको उस समय पत्र व्यवहार की भाषा फारसी थी। कंपनी के नौकर देशी राजाओं से फारसी में ही पत्र व्यवहार करते थे। फौजदारी अदालतों में काजी और मौलवी मुसलमानी कानून के अनुसार अपने निर्णय देते थे। दीवानी की अदालतों में धर्म शास्त्र और शहर अनुसार पंडितों और मौलवियों की सलाह से अंग्रेज कलेक्टर मुकदमों का फैसला करते थे। जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने शिक्षा पर कुछ व्यय करने का निश्चय किया, तो उनका पहला निर्णय अरबी, फारसी और संस्कृत शिक्षा के पक्ष में ही हुआ। बनारस में संस्कृत कालेज और कलकत्ते में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की गई। पंडितों और मौलवियों को पुरस्कार देकर प्राचीन पुस्तकों के मुद्रित कराने और नवीन पुस्तकों के लिखने का आयोजन किया गया। उस समय ईसाइयों को कंपनी के राज में अपने धर्म के प्रचार करने किया गया। उस समय ईसाइयों को कंपनी के राज में अपने धर्म के प्रचार करने की स्वतंत्रता नहीं प्राप्त थी। बिना कंपनी से लाइसेंस प्राप्त किए कोई अंग्रेज न भारतवर्ष में आकर बस सकता था और न जायदाद खरीद सकता था। कंपनी के अफसरों का कहना था कि यदि यहां अंग्रेजों को बसने की आम इजाजत दे दी जाएगी तो उससे विद्रोह की आशंका है; क्योंकि विदेशियों के भारतीय धर्म और रस्म-रिवाज से भली -भांति परिचित न होने के कारण इस बात का बहुत भय है कि वे भारतीयों के भावों का उचित आदर न करेंगे। देशकी पुरानी प्रथा के अनुसार कंपनी अपने राज्य के हिंदू और मुसलमान धर्म स्थानों का प्रबंध और निरीक्षण करती थी। मंदिर, मस्जिद, इमामबाड़े और खानकाह के आय-व्यय का हिसाब रखना, इमारतों की मरम्मत कराना और पूजा का प्रबंध, यह सब कंपनी के जिम्मे था। अठारहवीं शताब्दी के अंत से इंग्लैंड के पादरियों ने इस व्यवस्था का विरोध करना शुरू किया। उनका कहना था कि ईसाई होने के नाते कंपनी विधर्मियों के धर्म स्थानों का प्रबंध अपने हाथ में नहीं ले सकती। वे इस बात की भी कोशिश कर रहे थे कि ईसाई धर्म के प्रचार में कंपनी की ओर से कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। उस समय देशी ईसाइयों की अवस्था बहुत शोचनीय थी। यदि कोई हिंदू या मुसलमान ईसाई हो जाता था तो उसका अपनी जायदाद और बीवी एवं बच्चों पर कोई हक नहीं रह जाता था। मद्रास के अहाते में देशी ईसाइयों को बड़ी-बड़ी नौकरियां नहीं मिल सकती थीं। इनको भी हिंदुओं के धार्मिक कृत्यों के लिए टैक्स देना पड़ता था। जगन्नाथ जी का रथ खींचने के लिए रथ यात्रा के अवसर पर जो लोग बेगार में पकड़े जाते थे उनमें कभी-कभी ईसाई भी होते थे। यदि वे इस बेगार से इनकार करते थे तो उनको बेंत लगाए जाते थे। इंग्लैंड के पादरियों का कहना था कि ईसाइयों को उनके धार्मिक विश्वास के प्रतिकूल किसी काम के करने के लिए विवश नहीं करना चाहिए और यदि उनके साथ कोई रियायत नहीं की जा सकती तो कम से कम उनके साथ वहीं व्यवहार होना चाहिए जो अन्य धर्माबलंबियों के साथ होता है। धीरे-धीरे इस दल का प्रभाव बढ़ने लगा और अंत में ईसाई पादरियों की मांग को बहुत कुछ अंश में पूरा करना पड़ा। उसके फलस्वरूप अपनी जायदाद से हाथ नहीं धोना पड़ेगा। ईसाइयों को धर्म प्रचार की भी स्वतंत्रता मिल गई। अब राज दरबार की भाषा अंग्रेजी हो गई और अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन देने का निश्चय हुआ। धर्म-शास्त्र और शरह का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया और एक ‘ला कमीश’ नियुक्त कर एक नया दंड़ विधान और अन्य नए कानून तैयार किए गए। सन् 1853 ई. में धर्म स्थानों का प्रबंध स्थानीय समितियां बनाकर उनके सुपुर्द कर दिया गया। सन् 1854 में अदालतों में जो थोड़े बहुत पंडित और मौलवी बच गए थे वे भी हटा दिए गए। इस प्रकार देश की पुरानी संस्थाएं नष्ट हो गईं और हिंदू और मुसलमानों की यह धारणा होने लगी कि अंग्रेज उन्हें ईसाई बनाना चाहते हैं। इन्हीं परिवर्तनों का और डलहौजी की हड़पने की नीति का यह फल हुआ कि सन् 1857 में एक बड़ी क्रांति हुई जिसे सिपाही विद्रोह कहते हैं। सन् 1857 के पहले ही यूरोप में औद्योगिक क्रांति हो चुकी थी। इस क्रांति में इंग्लैंड सबका अगुआ था; क्योंकि उसको बहुत-सी ऐसी सुविधाएं थीं जो अन्य देशों को प्राप्त नहीं थी। इंग्लैंड ने ही वाष्प यंत्र का आविष्कार किया। भारत के व्यापार से इंग्लैंड की पूंजी बहुत बढ़ गई थी। उसके पास लोहे और कोयले की इफरात थी। कुशल कारीगरों की भी कमी न थी। इस नानाविध कारणों से इंग्लैंड इस क्रांति में अग्रणी बना। इंग्लैंड के उत्तरी हिस्से में जहां लोहा तथा कोयला निकलता था वहां कल कारखाने स्थापित होने लगे। कारखानों के पास शहर बसने लगे। इंग्लैंड के घरेलू उद्योग-धंधे नष्ट हो गए। मशीनों से बड़े पैमाने पर माल तैयार होने लगा। इस माल की खपत यूरोप के अन्य देशों में होने लगी। देखा-देखी यूरोप के अन्य देशों में भी मशीन के युग का आरंभ हुआ। ज्यों-ज्यों यूरोप के अन्य देशों में नई प्रथा के अनुसार उद्योग व्यवसाय की वृद्धि होने लगी, त्यों-त्यों इंग्लैंड को अपने माल के लिए यूरोप के बाहर बाजार तलाश करने की आवश्यकता प्रतीत होने लगी। भारतवर्ष इंग्लैंड के अधीन था, इसलिए राजनीतिक शक्ति के सहारे भारतवर्ष को सुगमता के साथ अंग्रेजी माल का एक अच्छा-खासा बाजार बना दिया गया। अंग्रेजी शिक्षा के कारण धीरे-धीरे लोगों की अभिरुचि बदल रही थी। यूरोपीय वेशभूषा और यूरोपीय रहन-सहन अंग्रेजी शिक्षित वर्ग को प्रलोभित करने लगा। भारत एक सभ्य देश था, इसलिए यहां अंग्रेजी माल की खपत में वह कठिनाई नहीं प्रतीत हुई जो अफ्रीका के असभ्य या अर्द्धसभ्य प्रदेशों में अनुभूत हुई थी। सबसे पहले इस नवीन नीति का प्रभाव भारत के वस्त्र व्यापार पर पड़ा। मशीन से तैयार किए हुए माल का मुकाबला करना करघों पर तैयार किए हुए माल के लिए असंभव था। धीरे-धीरे भारत की विविध कलाएं और उद्योग नष्ट होने लगे। भारत के भीतरी प्रदेशों में दूर-दूर माल पहुंचाने के लिए जगह-जगह रेल की सड़कें निकाली गईं। भारत के प्रधान बंदरगाह कलकत्ता, बंबई और मद्रास भारत के बड़े-बड़े नगरों से संबद्ध कर दिए गए विदेशी व्यापार की सुविधा की दृष्टि से डलहौजी के समय में पहली रेल की सड़कें बनी थीं। इंगलैंड को भारत के कच्चे माल की आवश्यकता थी। जो कच्चा माल इन बंदरगाहों को रवाना किया जाता था, उस पर रेल का महसूल रियायती था। आंतरिक व्यापार की वृद्धि की सर्वथा उपेक्षा की जाती थी। इस नीति के अनुसार इंग्लैंड को यह अभीष्ट न था कि नए-नए आविष्कारों से लाभ उठाकर भारतवर्ष के उद्योग व्यवसाय का नवीन पद्धति से पुनः संगठन किया जाए। वह भारत को कृषि प्रधान देश ही बनाए रखना चाहता था, जिसमें भारत से उसे हर तरह का कच्चा माल मिले और उसका तैयार किया माल भारत खरीदे। जब कभी भारतीय सरकार ने देशी व्यवसाय को प्रोत्साहन देने का निश्चय किया, तब तब इंग्लैंड की सरकार ने उसके इस निश्चय का विरोध किया और उसको हर प्रकार से निरुत्साहित किया। जब भारत में कपड़े की मिलें खुलने लगीं और भारतीय सरकार को इंग्लैंड से आनेवाले कपड़े पर चुंगी लगाने की आवश्यकता हुई, तब इस चुंगी का लंकाशायर ने घोर विरोध किया और जब उन्होंने यह देखा कि हमारी वह बात मानी न जाएगी तो उन्होंने भारत सरकार को इस बात पर विवश किया कि भारतीय मिल में तैयार हुए कपड़े पर भी चुंगी लगाई जाए, जिसमें देशी मिलों के लिए प्रतिस्पर्द्धा करना संभव न हो। पब्लिक वर्क्स विभाग खोलकर बहुत-सी सड़के भी बनाई गईं जिसका फल यह हुआ कि विदेशी माल छोटे-छोटे कस्बों तथा गांवों के बाजारों में भी पहुंचने लगा। रेल और सड़कों के निर्माण से भारत के कच्चे माल के निर्यात में वृद्धि हो गई और चीजों की कीमत में जो अंतर पाया जाता था। वह कम होने लगा। खेती पर भी इसका प्रभाव पड़ा और लोग ज्यादातर ऐसी ही फसल बोने लगे जिनका विदेश में निर्यात था। यूरोपीय व्यापारी हिंदुस्तानी मजदूरों की सहायता से हिंदुस्तान में चाय, कहवा, जूट और नील की काश्त करने लगे। बीसवीं शताब्दी के पाँचवे दशक में भारतवर्ष में अग्रेजों की बहुत बड़ी पूँजी लगी हुई थी। पिछले पचास-साठ वर्षों में इस पूँजी में बहुत तेजी के साथ वृद्धि हुई। 634 विदेशी कंपनियां भारत में इस समय कारोबार कर रही थीं। इनकी वसूल हुई पूंजी लगभग साढ़े सात खरब रुपया थी और 5194 कंपनियां ऐसी थीं जिनकी रजिस्ट्री भारत में हुई थी और जिनकी पूंजी 3 खरब रुपया थी। इनमें से अधिकतर अंग्रेजी कंपनियां थीं। इंग्लैंड से जो विदेशों को जाता था उसका दशमांश प्रतिवर्ष भारत में आता था। वस्त्र और लोहे के व्यवसाय ही इंग्लैंड के प्रधान व्यवसाय थे और ब्रिटिश राजनीति में इनका प्रभाव सबसे अधिक था। भारत पर इंग्लैंड का अधिकार बनाए रखने में इन व्यवसायों का सबसे बड़ा स्वार्थ था; क्योंकि जो माल ये बाहर रवाना करते थे उसके लगभग पंचमांश की खपत भारतवर्ष में होती थी। भारत का जो माल विलायत जाता था उसकी कीमत भी कुछ कम नहीं थी। इंग्लैंड प्रतिवर्ष चाय, जूट, रुई, तिलहन, ऊन और चमड़ा भारत से खरीदता था। यदि केवल चाय का विचार किया जाए तो 36 करोड़ रुपया होगा। इन बातों पर विचार करने से यह स्पष्ट है कि ज्यों-ज्यों इंग्लैंड का भारत में आर्थिक लाभ बढ़ता गया त्यों-त्यों उसका राजनीतिक स्वार्थ भी बढ़ता गया। .

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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मध्ययुग

रोमन साम्राज्य के पतन के उपरांत, पाश्चात्य सभ्यता एक हजार वर्षों के लिये उस युग में प्रविष्ट हुई, जो साधारणतया मध्ययुग (मिडिल एजेज) के नाम से विख्यात है। ऐतिहासिक रीति से यह कहना कठिन है कि किस किस काल अथवा घटना से इस युग का प्रारंभ और अंत होता है। मोटे तौर से मध्ययुग का काल पश्चिमी यूरोप में पाँचवीं शताब्दी के प्रारंभ से पंद्रहवीं तक कहा जा सकता है। तथाकथित मध्ययुग में एकरूपता नहीं है और इसका विभाजन दो निश्चित एवं पृथक् युगों में किया जा सकता है। 11वीं शताब्दी के पहले का युग सतत संघर्षों, अनुशासनहीनता, तथा निरक्षरता के कारण 'अंधयुग' कहलाया, यद्यपि इसमें भी यूरोप को रूपांतरित करने के कदम उठाए गए। इस युग का प्रारंभ रोमन साम्राज्य के पश्यिमी यूरोप के प्रदेशों में, बर्बर गोथ फ्रैंक्स वैंडल तथा वरगंडियन के द्वारा स्थापित जर्मन साम्राज्य से होता है। यहाँ तक कि शक्तिशाली शार्लमेन (742-814) भी थोड़े ही समय के लिये व्यवस्था ला सका। शार्लमेन के प्रपौलों की कलह तथा उत्तरी स्लाव और सूरासेन के आक्रमणों से पश्चिमी यूरोप एक बार फिर उसी अराजकता को पहुँचा जो सातवीं और आठवीं शताब्दी में थी। अतएव सातवीं और आठवीं शताब्दी का ईसाई संसार, प्रथम शताब्दी के लगभग के ग्रीक रोम जगत् की अपेक्षा सभ्यता एवं संस्कृति की निम्न श्रेणी पर था। गृहनिर्माण विद्या के अतिरिक्त, शिक्षा, विज्ञान तथा कला किसी भी क्षेत्र में उन्नति नहीं हुई थी। फिर भी अंधयुग उतना अंध नहीं था, जितना बताया जाता है। ईसाई भिक्षु एवं पादरियों ने ज्ञानदीप को प्रज्वलित रखा। 11वीं शताब्दी के अंत से 15वीं शताब्दी तक के उत्तर मध्य युग में मानव प्रत्येक दिशा में उन्नतिशील रहा। राष्ट्रीय एकता की भावना इंग्लैंड में 11वीं शताब्दी में, तथा फ्रांस में 12वीं शताब्दी में आई। शार्लमैन के उत्तराधिकारियों की शिथिलता तथा ईसाई चर्च के अभ्युदय ने, पोप को ईसाई समाज का एकमात्र अधिष्टाता बनने का अवसर दिया। अतएव, पोप तथा रोमन सम्राट् की प्रतिस्पर्धा, पावन धर्मयुद्ध, विद्या का नियंत्रण तथा रोमन केथोलिक धर्म के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप इत्यादि में इस प्रतिद्वंद्विता का आभास मिलता है। 13वीं शताब्दी के अंत तक राष्ट्रीय राज्य इतने शक्तिशाली हो गए थे कि चर्च की शक्ति का ह्रास निश्चित प्रतीत होने लगा। नवीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी तक, पश्चिमी यूरोप का भौतिक, राजनीतिक तथा सामाजिक आधार सामंतवाद था, जिसके उदय का कारण राजा की शक्तियों का क्षीण होना था। समाज का यह संगठन भूमिव्यवस्था के माध्यम से पैदा हुआ। भूमिपति सामंत को अपने राज्य के अंतर्गत सारी जनता का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्राप्त था। मध्ययुग नागरिक जीवन के विकास के लिये उल्लेखनीय है। अधिकांश मध्ययुगीन नगर सामंतों की गढ़ियों, मठों तथा वाणिज्य केंद्रों के आस पास विकसित हुए। 12वीं तथा 13वीं शताब्दी में यूरोप में व्यापार की उन्नति हुई। इटली के नगर विशेषतया वेनिस तथा जेनोआ पूर्वी व्यापार के केंद्र बने। इनके द्वारा यूरोप में रूई, रेशम, बहुमूल्य रत्न, स्वर्ण तथा मसाले मँगाए जाते थे। पुरोहित तथा सामंत वर्ग के समानांतर ही व्यापारिक वर्ग का ख्याति प्राप्त करना मध्ययुग की विशेषताओं में है। इन्हीं में से आधुनिक मध्यवर्ग प्रस्फुटित हुआ। मध्ययुग की कला तथा बौद्धिक जीवन अपनी विशेष सफलताओं के लिये प्रसिद्ध है। मध्ययुग में लैटिन अंतरराष्ट्रीय भाषा थी, किंतु 11वीं शताब्दी के उपरांत वर्नाक्यूलर भाषाओं के उदय ने इस प्राचीन भाषा की प्राथमिकता को समाप्त कर दिया। विद्या पर से पादरियों का स्वामित्व भी शीघ्रता से समाप्त होने लगा। 12वीं और 13वीं शताब्दी से विश्वविद्यालयों का उदय हुआ। अरस्तू की रचनाओं के साथ साथ, कानून, दर्शन, तथा धर्मशास्त्रों का अध्ययन सर्वप्रिय होने लगा। किंतु वैज्ञानिक साहित्य का सर्वथा अभाव था। भवन-निर्माण-कला की प्रधानता थी, जैसा वैभवशाली चर्च, गिरजाघरों तथा नगर भवनों से स्पष्ट है। भवननिर्माण की रोमन पद्धति के स्थान पर गोथिक पद्धति विकसित हुई। आधुनिक युग की अधिकांश विशेषताएँ उत्तर मध्ययुग के प्रवाहों की प्रगाढ़ता है। .

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मामूट्टी

मामूट्टी (मलयालम: മമ്മൂട്ടി) (जन्म नाम मोहम्मद कुट्टी, जन्म - 7 सितंबर,1948) एक पुरस्कृत भारतीय अभिनेता हैं जो मुख्य रूप से मलयालम सिनेमा में अभिनय करते हैं। अपने पच्चीस वर्षों से भी अधिक के कैरियर के दौरान, उन्होंने शीर्ष अभिनेता के रूप में 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है और ^ MusicIndiaOnLine.com. 11 अप्रैल 2007.

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मार्दी ग्रा

अंग्रेज़ी के "मार्दी ग्रा ", "मार्दी ग्रा सीज़न " एवं "कार्निवल सीज़न " अंग्रेज़ी में आदि शब्दों का अभिप्राय कार्निवल समारोहों के कार्यक्रमों से है जो क्रिसमस के बारह दिन बाद एपीफैनी को या उसके बाद शुरू होते हैं और ईस्टर से पहले सातवें बुधवार, ऐश वेन्ज़्डे को समाप्त होते हैं। मार्दी ग्रा "फैट ट्यूजडे" के लिए एक फ़्रांसिसी शब्द है (सामुदायिक अंग्रेज़ी परंपरा में श्रोव ट्यूजडे शब्द), जो ऐश वेन्ज़्डे को शुरू होने वाले लेनटेन मौसम के रिवाज़ी उपवास के पहले आखिरी रात को मसालेदार, वसायुक्त भोजन करने की परंपरा को सन्दर्भित करता है। संबंधित लोकप्रिय प्रथाएं उपवास के पहले होने वाले उत्सवों से एवं धार्मिक दायित्व लेंट के शोकसूचक मौसम से संबद्ध थे। लोकप्रिय प्रथाओं में मुखौटे और परिधान पहनना, सामाजिक सम्मेलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लेना, नाचना, खेल प्रतियोगिताएं, परेड वगैरह शामिल हैं। मार्दी ग्रा के प्रति इसी तरह की अभिव्यक्ति ईसाई परम्पराओं को मानने वाली अन्यान्य यूरोपीय भाषाओं में भी देखने को मिलती है। अंग्रेजी में इस दिन को श्रोव ट्यूजडे कहा जाता है, जो लेंट के शुरू होने से पहले स्वीकारोक्ति की धार्मिक अपेक्षा से जुड़ा हुआ है। कई क्षेत्रों में "मार्दी ग्रा" शब्द का तात्पर्य उत्सव से संबंधित कार्यक्रमों से जुड़ी क्रियाकलापों की पूरी अवधि से होता है, न कि केवल एक दिन से.

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मार्को पोलो

मार्को पोलो (वेनिस १५ सितंबर, १२५४ - वेनिस, २९ जनवरी, १३२४) एक इतालवी व्यापारी, खोजकर्ता और राजदूत था। उसका जन्म वेनिस गणराज्य में मध्य युग के अंत में हुआ था। अपने पिता, निकोलस पोलो (Niccolò) और अपने चाचा, मातेयो (Matteo), के साथ वह रेशम मार्ग की यात्रा करने वाले सर्वप्रथम यूरोपियनों में से एक था। उसने अपनी यात्रा १२७२ में लाइआसुस बंदरगाह (आर्मेनिया) से प्रारंभ की थी। उनकी चीन समेत, पूर्व की यात्रा का विस्तृत प्रतिवेदन ही लंबे समय तक पश्चिम में एशिया के बारे में जानकारी देने वाला स्रोत रहा है।मार्कोपोलो (1292-93ईं) वेनिस निवासी इतालवी यात्री था जिस ’ मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार' की उपाधि दी गई । इसका वृतांत ’द बुक ऑफ सर-मार्कोपोलो’ के नाम से हैं, जो तत्कालीन भारत के अर्थिक इतिहास की द्ष्टि से महत्वपूर्ण हैं। उनका यात्रा मार्ग इस प्रकार था: आर्मेनिया से होते हुए वे तुर्की के उत्तर में गए। .

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मिलानो

मिलान (Milano,; पश्चिमी लोम्बार्ड: मिलान) इटली का एक शहर और लोम्बार्डी क्षेत्र और मिलान प्रान्त की राजधानी है। मूल शहर की जनसंख्या लगभग 1,300,000 है, जबकि शहरी क्षेत्र 4,300,000 की अनुमानित जनसंख्या के साथ यूरोपीय संघ में पांचवा सबसे बड़ा है। इटली में सबसे बड़े, मिलान महानगरीय क्षेत्र की आबादी, OECD द्वारा अनुमानित तौर पर 7,400,000 है। शहर की स्थापना मीडियोलेनम नाम के तहत केल्टिक लोग इनसबरेस द्वारा की गई थी। इसे बाद में ई.पू.

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मैनहटन

न्यू जर्सी के हैमिल्टन पार्क से मैनहटन. मैनहटन न्यूयॉर्क शहर के नगरों में से एक है। हडसन नदी के मुंहाने पर मुख्य रूप से मैनहटन द्वीप पर स्थित, इस नगर की सीमाएं न्यूयॉर्क राज्य के न्यूयॉर्क प्रान्त नामक एक मूल प्रान्त की सीमाओं के समान हैं। इसमें मैनहटन द्वीप और कई छोटे-छोटे समीपवर्ती द्वीप: रूज़वेल्ट द्वीप, रंडाल्स द्वीप, वार्ड्स द्वीप, गवर्नर्स द्वीप, लिबर्टी द्वीप, एलिस द्वीप, 523 यू.एस.

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मेटरनिख

मेटरनिख मेटरनिख (Prince Klemens Wenzel von Metternich (जर्मन में पूरा नाम: Klemens Wenzel Nepomuk Lothar, Fürst von Metternich-Winneburg zu Beilstein, अंग्रेजी रूपान्तरण: Clement Wenceslas Lothar von Metternich-Winneburg-Beilstein; 15 मई 1773 – 11 जून 1859) राजनेता व राजनयज्ञ था। वह १८०९ से १८४८ तक आस्ट्रियाई साम्राज्य का विदेश मंत्री रहा। वह अपने समय का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे प्रतिभाशाली राजनयिक था। नेपोलियन की वाटरलू पराजय के बाद मेटरनिख यूरोप की राजनीति का सर्वेसर्वा बन गया। उसने यूरोपीय राजनीति में इतनी प्रमुख भूमिका निभाई कि 1815 से 1848 तक के यूरोपीय इतिहास का काल 'मेटरनिख युग’ के नाम से प्रसिद्ध है। मेटरनिख ने अपने प्रधानमन्त्रितत्व-काल में प्रतिक्रया और अनुदारीता का अनुकरण करने की नीति अपनाई और उसके प्रभाव के कारण आस्ट्रिया का साम्राज्य यूरोप में अत्यन्त महत्वपूर्ण बन गया। .

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यूरोप में विश्व धरोहर स्थलों की सूची

यह यूरोप में स्थित यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की एक सूची है। तारांकन चिह्न (*) लगे स्थल, खतरे में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल हैं। .

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राजनयिक इतिहास

हारुन अल रशीद, शारलेमेन के एक प्रतिनिधिमंडल से बगदाद में मिलते हुए (जूलिअस कोकर्ट द्वारा १८६४ में चित्रित) राजनयिक इतिहास (Diplomatic history) से आशय राज्यों के बीच अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों के इतिहास से है। किन्तु राजनयिक इतिहास अन्तराष्ट्रीय सम्बन्ध से इस अर्थ में भिन्न है कि अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध के अन्तर्गत दो या दो से अधिक राज्यों के परस्पर सम्बन्धों का अध्ययन होता है जबकि राजनयिक इतिहास किसी एक राज्य की विदेश नीति से सम्बन्धित हो सकता है। राजनयिक इतिहास का झुकाव अधिकांशतः राजनय के इतिहास (history of diplomacy) की ओर होता है जबकि अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध समसामयिक घटनाओं पर अधिक ध्यान देता है। राजनय एक कला है जिसे अपना कर दुनिया के राज्य अपने पारस्परिक सम्बन्धों को बढ़ाते हुए अपनी हित साधना करते हैं। राजनय के सुपरिभाषित लक्ष्य तथा उनकी सिद्धि के लिए स्थापित कुशल यंत्र के बाद इसके वांछनीय परिणामों की उपलब्धि उन साधनों एवं तरीकों पर निर्भर करती है जिन्हें एक राज्य द्वारा अपनाने का निर्णय लिया जाता है। दूसरे राज्य इन साधनों के आधार पर ही राजनय के वास्तविक लक्ष्यों का अनुमान लगाते हैं। यदि राजनय के साधन तथा लक्ष्यों के बीच असंगति रहती है तो इससे देश कमजोर होता है, बदनाम होता है तथा उसकी अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा गिर जाती है। इस दृष्टि्र से प्रत्येक राज्य को ऐसे साधन अपनाने चाहिये जो दूसरे राज्यों में उसके प्रति सद्भावना और विश्वास पैदा कर सकें। इसके लिए यह आवश्यक है कि राज्य अपनी नीतियों को स्पष्ट रूप से समझाये, दूसरे राज्यों के न्यायोचित दावों को मान्यता दे तथा ईमानदारीपूर्ण व्यवहार करे। बेईमानी तथा चालबाजी से काम करने वाले राजनयज्ञ अल्पकालीन लक्ष्यों में सफलता पा लेते हैं किन्तु कुल मिलाकर वे नुकसान में ही रहते हैं। दूसरे राज्यों में उनके प्रति अविश्वास पैदा होता है तथा वे सजग हो जाते हैं। अतः राजनय के तरीकों का महत्व है। राजनय के साधनों का निर्णय लेते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के प्रमुख हितों की रक्षा करना है। ठीक यही उद्देश्य अन्य राज्यों के राजनय का भी है। अतः प्रत्येक राजनय को पारस्परिक आदान-प्रदान की नीति अपनानी चाहिये। प्रत्येक राज्य के राजनयज्ञों की कम से कम त्याग द्वारा अधिक से अधिक प्राप्त करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिये विरोधी हितों के बीच समझौता करना जरूरी है। समझौते तथा सौदेबाजी का यह नियम है कि कुछ भी प्राप्त करने के लिए कुछ न कुछ देना पड़ता है। यह आदान-प्रदान राजनय का एक व्यावहारिक सत्य है। इतिहास में ऐसे भी उदाहरण मिलते हैं जबकि एक शक्तिशाली बड़े राज्य ने दूसरे कमजोर राज्य को अपनी मनमानी शर्तें मानने के लिए बाध्य किया तथा समझौतापूर्ण आदान-प्रदान की प्रक्रिया न अपना कर एक पक्षीय बाध्यता का मार्ग अपनाया। इस प्रकार लादी गई शर्तों का पालन सम्बन्धित राज्य केवल तभी तक करता है जब तक कि वह ऐसा करने के लिए मजबूर हो और अवसर पाते ही वह उनके भार से मुक्त हो जाता है। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मित्र राष्ट्रोंं ने जर्मनी को सैनिक, आर्थिक, व्यापारिक एवं प्रादेशिक दृष्टि्र से बुरी तरह दबाया। क्षतिपूर्ति की राशि अदा करने के लिए उनसे खाली चैक पर हस्ताक्षर करा लिये गये तब जर्मनी एक पराजित और दबा हुआ राज्य था। अतः उसने यह शोषण मजबूरी में स्वीकार कर लिया किन्तु कुछ समय बाद हिटलर के नेतृत्व में जब वह समर्थ बना तो उसने इन सभी शर्तों को अमान्य घोषित कर दिया। स्पष्ट है कि पारस्परिक आदान-प्रदान ही स्थायी राजनय का आधार बन सकता है। बाध्यता, बेईमानी, धूर्तता, छल-कपट एवं केवल ताकत पर आधारित सम्बन्ध अल्पकालीन होते हैं तथा दूसरे पक्ष पर विरोधी प्रभाव डालते हैं।फलतः उनके भावी सम्बन्धों में कटुता आ जाती है। राजनय के साधन और तरीकों का विकास राज्यों के आपसी सम्बन्धों के लम्बे इतिहास से जुड़ा हुआ है। इन पर देश-काल की परिस्थितियों ने भी प्रभाव डाला है। तदनुसार राजनीतिक व्यवहार भी बदलता रहा है। विश्व के विभिन्न देशों के इतिहास का अवलोकन करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि राजनयिक आचार का तरीका प्रत्येक देश का अपना विशिष्ट रहा है। यहाँ हम यूनान, रोम, इटली, फ्रांस तथा भारत में अपनाए राजनयिक आचार के तरीकों का अध्ययन करेंगे। .

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रिचर्ड गेयर

रिचर्ड टिफेनी गेयर (जन्म - 31 अगस्त,1949) एक अमेरिकी अभिनेता हैं। उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत 1970 के दशक में की और अमेरिकन जिगोलो ' नामक फ़िल्म में अपने किरदार से 1980 में वे प्रमुखता में आये, जिसने उन्हें एक अग्रणी अभिनेता और एक यौन प्रतीक के रूप में स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने ऍन ऑफिसर एंड अ जेंटलमैन, प्रीटी वुमन, प्राइमल फियर तथा शिकागो आदि कई सफल फ़िल्मों में अभिनय किया, जिनके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में एक गोल्डेन ग्लोब अवार्ड तथा साथ ही सर्वश्रेष्ठ कास्ट के हिस्से के रूप में स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड जीता.

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रॉबर्ट ब्राउनिंग

रॉबर्ट ब्राउनिंग (7 मई 1812- 1889) एक अंग्रेजी कवि एवं नाटककार थे। नाटकीय कविता, विशेषकर नाटकीय एकालापों में अतुल्य दक्षता के कारण उन्हें विक्टोरियन कवियों में अग्रणी स्थान प्राप्त है। .

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लेखांकन का इतिहास

भारत में लेखांकन का इतिहास भारत के वेदों से जानकारी मिलती है के विश्व को लिखांकन का ज्ञान भारत ने दिया | अथर्वेद में विक्रय शब्द हा जिसका मतलब सलेस होता है तथा शुल्क भी ऋग्वेद से लिया हुआ शब्द है जिस का भाव कीमत होता है | धर्म सूत्र का मतलब टैक्स होता है .

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सत्यजित राय

सत्यजित राय (बंगाली: शॉत्तोजित् राय्) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जीवन में ३७ फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फ़िल्में, वृत्त चित्र और लघु फ़िल्में शामिल हैं। इनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फ़िल्म अपराजितो (অপরাজিত) और अपुर संसार (অপুর সংসার, अपु का संसार) के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। राय फ़िल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे — पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। राय को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न शामिल हैं। .

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सलमा हायेक

सलमा वल्गार्मा हायेक जिमेनेज़ दी पिनौल्ट (Salma Valgarma Hayek Jiménez de Pinault, जन्म २ सितम्बर १९६६) एक मैक्सिकी अभिनेत्री, निर्देशक, टीवी और फ़िल्म निर्माता हैं। हायेक के परोपकारी कार्यों में महिलाओं के प्रति हिंसा के खिलाफ जागरूकता को बढ़ावा देना और अप्रवासियों के प्रति भेदभाव को ख़त्म करने जैसी चीज़ें शामिल हैं। हायेक पहली ऐसी मैक्सिकन नागरिक हैं जिन्हें अकादमी पुरस्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के तौर पर नामांकित किया गया। मूक फ़िल्मों की अभिनेत्री डोलोरेस डेल रियो के बाद सलमा हायेक हॉलीवुड में काम करने वाले मेक्सिको के सबसे प्रख्यात लोगों में से एक हैं। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित होने वाली तीन लातिनी अमरीकी अभिनेत्रियों में भी वो तीसरे स्थान पर हैं यानि दूसरे स्थान पर फर्नेंडा मोंटेनेग्रो के बाद (जबकि इन तीन अभिनेत्रियों में एक और हैं कैटलीना सैंडीनो मोरेनो)। जुलाई २००७ में, हॉलीवुड रिपोर्टर ने लैटीनो पावर ५० यानि हॉलीवुड के लातिनी समुदाय के सबसे प्रभावशाली सदस्यों की सूची के शुरूआती अंक में हायेक को चौथे स्थान पर रखा। इसी महीने के दौरान, एक सर्वेक्षण में ३,००० प्रसिद्ध व्यक्तियों (स्त्री और पुरुष) में से हायेक को "सबसे आकर्षक (सेक्सी) व्यक्तित्व" के रूप में चुना गया, इस सर्वेक्षण के अनुसार, "अमेरिका की 65 प्रतिशत जनता हायेक के लिए 'सेक्सी' शब्द का प्रयोग करेगी"। दिसम्बर 2008 में, एन्टरटेनमेंट वीकली ने हायेक को "टीवी पर आने वाले 25 सबसे स्मार्ट लोगों" की सूची में १७वां स्थान दिया। .

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हार्ड रॉक कैफे

हार्ड रॉक कैफे थीम रेस्तरां की एक श्रृंखला है जिसकी स्थापना 1971 में अमेरिका के पीटर मॉर्टन और आइज़ैक टाइग्रेट द्वारा की गई थी। 1979 में, कैफे ने अपनी दीवारों को रॉक एंड रोल के यादगार से भरना शुरू किया, एक परंपरा जिसका विस्तार इस श्रृंखला में दूसरों के लिए भी किया गया.

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हावड़ा

हावड़ा(अंग्रेज़ी: Howrah, बांग्ला: হাওড়া), भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक औद्योगिक शहर, पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर एवं हावड़ा जिला एवं हावड़ सदर का मुख्यालय है। हुगली नदी के दाहिने तट पर स्थित, यह शहर कलकत्ता, के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, जो किसी ज़माने में भारत की अंग्रेज़ी सरकार की राजधानी और भारत एवं विश्व के सबसे प्रभावशाली एवं धनी नगरों में से एक हुआ करता था। रवीन्द्र सेतु, विवेकानन्द सेतु, निवेदिता सेतु एवं विद्यासागर सेतु इसे हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित पश्चिम बंगाल की राजधानी, कोलकाता से जोड़ते हैं। आज भी हावड़, कोलकाता के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, समानताएं होने के बावजूद हावड़ा नगर की भिन्न पहचान है इसकी अधिकांशतः हिंदी भाषी आबादी, जोकि कोलकाता से इसे थोड़ी अलग पहचान देती है। समुद्रतल से मात्र 12 मीटर ऊँचा यह शहर रेलमार्ग एवं सड़क मार्गों द्वारा सम्पूर्ण भारत से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ का सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन है। हावड़ा स्टेशन पूर्व रेलवे तथा दक्षिणपूर्व रेलवे का मुख्यालय है। हावड़ स्टेशन के अलावा हावड़ा नगर क्षेत्र मैं और 6 रेलवे स्टेशन हैं तथा एक और टर्मिनल शालीमार रेलवे टर्मिनल भी स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 6 इसे दिल्ली व मुम्बई से जोड़ते हैं। हावड़ा नगर के अंतर्गत सिबपुर, घुसुरी, लिलुआ, सलखिया तथा रामकृष्णपुर उपनगर सम्मिलित हैं। .

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जहाजरानी का इतिहास

नदियों और समुद्रों में नावों और जहाजों से यात्रा तथा व्यापार का प्रारंभ लिखित इतिहास से पूर्व हो गया था। प्राय: साधारण जहाज ऐसे बनाए जाते थे कि आवश्यकता पड़ने पर उनसे युद्ध का काम भी लिया जा सके, क्योंकि जलदस्युओं का भय बराबर बना रहता था और इनसे जहाज की रक्षा की क्षमता आवश्यक थी। ये जहाज डाँड़ों या पालों अथवा दोनों से चलाए जाते थे और वांछित दिशा में ले जाने के लिये इनमें किसी न किसी प्रकार के पतवार की भी व्यवस्था होती थी। स्थलमार्ग से जलमार्ग सरल और सस्ता होता है, इसलिये बहुत बड़ी या भारी वस्तुओं को बहुत दूर के स्थानों में पहुँचाने के लिये आज भी नावों अथवा जहाजों का उपयोग होता है। प्राचीन काल में सभ्यता का उद्भव नौगम्य नदियों या समुद्रतटों पर ही विशेष रूप से हुआ और ये ही वे स्थान थे जहाँ विविध संस्कृतियों की, जातियों के सम्मिलन से, परवर्ती प्रगति का बीजारोपण हुआ। .

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ज़ीनो मानचित्र

उत्तरी अंध महासागर में फ्रिसलैंड नामक वेताल द्वीप को दर्शाता 1558 का ज़ीनो मानचित्रज़ीनो मानचित्र, उत्तरी अंध महासागर के उस मानचित्र को कहते हैं जिसका प्रकाशन 1558 में पहली बार वेनिस में निकोलो ज़ीनो द्वारा किया गया था। निकोलो ज़ीनो विख्यात ज़ीनो बन्धुओं का वंशज था। युवा ज़ीनो ने यह मानचित्र, पत्रों की श्रृंखला के साथ प्रकाशित किया था जिनके बारे में उसका दावा था कि वो उसे उसके वेनिस स्थित उसने परिवारिक घर के एक गोदाम से मिले थे। ज़ीनो के अनुसार यह मानचित्र और पत्र सन 1400 के आस-पास के थे और इनमें ज़ीनों बन्धुओं द्वारा 1390 के दशक के दौरान की गयी लंबी समुद्री यात्रा का वर्णन था जो उन्होने ज़िश्म्नी नामक राजकुमार के कहने पर की थी। कुछ व्याख्याओं के अनुसार यह यात्रा उत्तर अटलांटिक को पार कर, उत्तरी अमेरिका पहुँची थी। अधिकांश इतिहासकार इस मानचित्र और इससे जुड़ी व्याख्याओं को झूठ मानते हैं। उनका मानना है कि युवा ज़ीनो का यह सब करने का उद्देश्य क्रिस्टोफ़र कोलम्बस से पहले नयी दुनिया की खोज करने का दावा करना था। मानचित्र की प्रमाणिकता के खिलाफ सबसे बड़े सबूत मानचित्र पर उत्तरी अन्ध महासागर और आइसलैंड के तट के पास अंकित कुछ द्वीपों का अस्तित्व में नहीं होना है। इनमें से एक द्वीप फ्रिसलैंड है जिस पर ज़ीनो बन्धुओं ने कथित तौर पर कुछ समय बिताया था। आधुनिक इतिहासकार इस मानचित्र को उस समय उपलब्ध मानचित्रों पर आधारित एक स्वरचित मानचित्र मानते हैं। .

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जायफल

गोवा में मिरिस्टिका फ्रेग्रंस वृक्ष वृक्ष पर जायफल (केरल) जायफल (वानस्पतिक नाम: Myristica fragrans; संस्कृत: जातीफल) एक सदाबहार वृक्ष है जो इण्डोनेशिया के मोलुकास द्वीप (Moluccas) का देशज है। इससे दो मसाले प्राप्त होते हैं - जायफल (nutmeg) तथा जावित्री (mace)। यह चीन, ताइवान, मलेशिया, ग्रेनाडा, केरल, श्रीलंका, और दक्षिणी अमेरिका में खूब पैदा होता है। मिरिस्टिका नामक वृक्ष से जायफल तथा जावित्री प्राप्त होती है। मिरिस्टका की अनेक जातियाँ हैं परंतु व्यापारिक जायफल अधिकांश मिरिस्टिका फ्रैग्रैंस से ही प्राप्त होता है। मिरिस्टिका प्रजाति की लगभग ८० जातियाँ हैं, जो भारत, आस्ट्रेलिया तथा प्रशंत महासागर के द्वीपों में उपलब्ध हैं। यह पृथग्लिंगी (डायोशियस, dioecious) वृक्ष है। इसके पुष्प छोटे, गुच्छेदार तथा कक्षस्थ (एक्सिलरी, axillary) होते हैं। मिरिस्टिका वृक्ष के बीज को जायफल कहते हैं। यह बीज चारों ओर से बीजोपांग (aril) द्वारा ढँका रहता है। यही बीजोपांग व्यापारिक महत्व का पदार्थ जावित्री है। इस वृक्ष का फल छोटी नाशपाती के रूप का १ इंच से डेढ़ इंच तक लंबा, हल्के लाल या पीले रंग का गूदेदा होता है। परिपक्व होने पर फल दो खंडों में फट जाता है और भीतर सिंदूरी रंग का बीजोपांग या जावित्री दिखाई देने लगती है। जावित्री के भीतर गुठली होती है, जिसके काष्ठवत् खोल को तोड़ने पर भीतर जायफल (nutmeg) प्राप्त होता है। जायफल तथा जावित्री व्यापार के लिये मुख्यत: पूर्वी ईस्ट इंडीज से प्राप्त होता हैं। जायफल का वृक्ष समुद्रतट से ४००-५०० फुट तक की ऊँचाई पर उष्णकटिबंध की गरम तथा नम घाटियों में पैदा होता है। इसकी सफलता के लिये जल-निकास-युक्त गहरी तथा उर्वरा दूमट मिट्टी उपयुक्त है। इसके वृक्ष ६-७ वर्ष की आयु प्राप्त होने पर फूलते-फलते हैं। फूल लगने के पहले नर या मादा वृक्ष का पहचाना कठिन होता है। ग्रैनाडा (वेस्ट इंडीज) में साधारणत: नर तथा मादावृक्ष ३: १ के अनुपात में पाए जाते हैं जमैका के वनस्पति उद्यान में जायफल के छोटे पौधों पर मादावृक्ष की टहनी कलम करके मादा वृक्ष की संख्यावृद्धि में सफलता प्राप्त की गई है। .

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जॉनी डेप

जॉन क्रिस्टोफर "जॉनी" डेप II (John Christopher "Johnney" Dep II; जन्म 9 जून 1963) एक अमेरिकी अभिनेता और संगीतकार हैं जिन्हें विभिन्न नाटकीय और काल्पनिक फिल्मों में लीक से हटकर सनकी किरदारों वाली भूमिकाएं निभाने के लिए जाना जाता है। हाल की फिल्मों में मुख्य भूमिका के लिए वे गोल्डन ग्लोब पुरस्कार और स्क्रीन एक्टर्स पुरस्कार भी जीत चुके हैं। डेप 1980 के दशक में टेलीविजन शृंखला 21 जंप स्ट्रीट से लोकप्रिय हुए और जल्द ही किशोरों के आदर्श बन गए। फिल्मों की बात करें तो एडवर्ड सिजरहैंड्स (1990) में मुख्य किरदार में उनकी भूमिका काफी सराहनीय रही और बाद में स्लीपी हॉलो (1999),समुंदर के लुटेरे: द कर्स ऑफ़ द ब्लैक पर्ल (2003) और चार्ली एंड द चॉकलेट फैक्ट्री (2005) फिल्मों द्वारा उन्हें बॉक्स ऑफिस पर कामयाब भी प्राप्त हुई। उन्होंने निर्देशक और नजदीकी दोस्त टिम बर्टन के साथ सात फिल्में की, जिनमें सबसे हालिया रही स्वीने टोड: द डेमन बार्बर ऑफ फ्लीट स्ट्रीट (2007) और ऐलिस इन वण्डरलैण्ड (२०१० फ़िल्म) (2010).

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वाणिज्यिक क्रांति

विश्व के आर्थिक इतिहास में वाणिज्यिक क्रांति (Commercial Revolution) उस अवधि को कहते हैं जिसमें आर्थिक प्रसार, उपनिवेशवाद और व्यापारवाद (mercantilism) का जोर रहा। यह अवधि लगभग सोलहवीं शती से आरम्भ होकर अट्ठारहवीं शती के आरम्भ तक मानी जाती है। इसके बाद की अवधि में औद्योगिक क्रान्ति हुई। .

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वाशिंगटन ऐल्स्टन

वाशिंगटन ऐल्स्टन (Washington Allston; १७७९-१८४३) अमरीकी कवि तथा चित्रकार थे। उन्होने शिक्षा हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पाई। युवावस्था में लंदन, पेरिस, रोम, वेनिस आदि का भ्रमण कर पुन: अमरीका लौट आए और वहीं अपना कार्य आरंभ कर दिया। इनकी कलाकृतियों में प्रकाश और छाया के प्रयोग तथा रंगों के चुनाव आदि में वेनिस की शैली का प्रभाव परिलक्षित है, इसीलिए इन्हें 'अमरीकी तिशियन' भी कहा जाता है। इनके चित्र मिलान के राजभवन और सांता मेरिया के गिरजे में हैं जो इनके गुरु कोरेज्जो की कृतियों से भी अधिक श्रेष्ठ हैं। ये स्वयं धार्मिक स्वभाव के थे और इनके अधिकांश चित्रों की कथा वस्तु भी बाइबिल की कहानियाँ हैं। सर्वोत्तम कृतियाँ–'मृत व्यक्ति का पुनर्जीवन', 'देवदूत द्वारा संत पीतर की मुक्ति' और 'जेकोब का स्वप्न' हैं। लेखक के रूप में अभिव्यक्ति की सुगमता और काल्पनिक शक्ति के लिए ये विख्यात हैं। कोलरिज (ऐल्स्टन द्वारा बनाया जिसका चित्र आज भी नैशनल गैलरी में है) का कहना था कि उस युग में कला और काव्य के क्षेत्र में कोई और ऐल्स्टन की समता नहीं कर सकता था। .

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वास्को द गामा

डॉम वास्को द गामा (पुर्तगाली: Vasco da Gama) (लगभग १४६० या १४६९ - २४ दिसंबर, १५२४) एक पुर्तगाली अन्वेषक, यूरोपीय खोज युग के सबसे सफल खोजकर्ताओं में से एक और यूरोप से भारत सीधी यात्रा करने वाले जहाज़ों का कमांडर था, जो केप ऑफ गुड होप, अफ्रीका के दक्षिणी कोने से होते हुए भारत पहुँचा। वह जहाज़ द्वारा तीन बार भारत आया। उसकी जन्म की सही तिथि तो अज्ञात है लेकिन यह कहा जाता है कि वह १४९० के दशक में साइन, पुर्तगाल में एक योद्धा था। वास्को को भारत का (समुद्री रास्तों द्वारा) अन्वेषक के अलावे अरब सागर का महत्वपूर्ण नौसेनानी और ईसाई धर्म के रक्षक के रूप में भी जाना जाता है। उसकी प्रथम और बाद की यात्राओं के दौरान लिखे गए घटना क्रम को सोलहवीं सदी के अफ्रीका और केरल के जनजीवन का महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। .

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विश्व देवालय (पैन्थियन), रोम

विश्व देवालय ((ब्रिटेन) या (अमेरिका), Pantheon,शायद ही कभी पैन्थियम. इस इमारत का वर्णन करने में प्लिनी के प्राकृतिक इतिहास (XXXVI.38) में यह दिखाई देता है: Agrippae Pantheum decoravit Diogenes Atheniensis; in columnis templi eius Caryatides probantur inter pauca operum, sicut in fastigio posita signa, sed propter altitudinem loci minus celebrata. से, "सभी देवताओं के लिए" अर्थ में प्रयुक्त मंदिर के लिए लिया गया ग्रीक शब्द, ἱερόν, समझा जाता है) रोम में बनी एक इमारत है, जो मार्क्स अग्रिप्पा द्वारा प्राचीन रोम के सभी देवी-देवताओं के मंदिर के रूप में बनायी गयी थी और 126 ई. में सम्राट हैड्रियन ने इसे दोबारा बनवाया था। लगभग समकालीन लेखक (द्वितीय-तृतीय सी. सीई), कैसियस डियो ने अनुमान लगाया कि यह नाम या तो इस इमारत के आसपास रखी गयी इतनी अधिक मूर्तियों की वजह से, या फिर स्वर्ग के गुंबद से इसकी समानता की वजह से रखा गया। फ्रांसीसी क्रांति के बाद से, जब संत जेनेवीव ने, पेरिस के चर्च को अप्रतिष्ठित कर उसे धर्मनिरपेक्ष स्मारक के रूप में बदल कर उसे पेरिस का विश्व देवालय बना दिया, उसी समय से ऐसी किसी भी इमारत जहां किसी प्रसिद्ध मृतक को सम्मानित किया गया या दफनाया गया हो, उसके लिए सामान्य शब्द विश्व देवालय (पैन्थियन), का प्रयोग किया जाने लगा है। यह इमारत तीन पंक्तियों के विशाल ग्रेनाइट कोरिंथियन कॉलम की वजह से गोलाकार है जिसका बरामदा (पहली पंक्ति में आठ और पीछे चार के दो समूहों में) गोल घर में खुल रहे त्रिकोणिका के नीचे हो, कंक्रीट के गुंबद में बने संदूक में जिसका केंद्र (आंख) (ऑकुलस) आकाश की ओर खुलता हो.

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विश्व धरोहर

यूनेस्को की विश्व विरासत समिति का लोगो युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वाधान में करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है। अब तक (2006 तक) पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले और 138 अन्य स्थल हैं। प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो; परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें। बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है। .

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विक्टर इमानुएल द्वितीय

विक्तर इमनुएल द्वितीय विक्तर एमानुएल द्वितीय (Victor Emanuel II; इतालवी: Vittorio Emanuele Maria Alberto Eugenio Ferdinando Tommaso; १८२० - १८७८) वर्तमान इटली के 'जनक' (Father of the Fatherland; इतालवी: Padre della Patria) माने जाते हैं। उनका नाम जर्मनी के प्रिंस बिस्मार्क और भारत के सरदार पटेल के दर्जे का माना जाता है। इन्होंने अनेक राज्यों में विभक्त देश को एक कर वर्तमान इटली का रूप दिया, सीमावर्ती प्रबल देशों से उसे निर्भय बनाया और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलायी। .

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विक्टोरिया बेखम

विक्टोरिया कैरोलीन बेखम (née एडम्स; जन्म 17 अप्रैल 1974) एक अंग्रेजी गायक- गीतकार, नृत्यांगना, मॉडल, सामयिक अभिनेत्री, फैशन डिजाइनर और व्यवसायी हैं। 1990 के दशक के उतरार्ध में लड़कियों के पॉप समूह स्पाइस गर्ल्स के साथ उनके उत्कर्ष के दिनों में उन्हें पॉश स्पाइस उपनाम दिया गया, जो उन्हें पहली बार ब्रिटिश पॉप संगीत पत्रिका टॉप ऑफ़ दी पॉप्स द्वारा जुलाई 1996 में दिया गया। जबसे स्पाइस गर्ल्स ने अलग-अलग कैरियर अपना लिया, उन्होंने भी एक एकल पॉप संगीत कैरियर बनाया, जिसके तहत उन्होंने चार ब्रिटेन टॉप 10 एकल की रचना की.

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खोज का युग

खोज युग अथवा खोजयात्राओं का युग वह समय था जब १५वीं शती -१७वीं शती के प्रारंभ तक यूरोपीय देशों ने व्यापार की खोज में समुद्र के रास्ते दुनिया के अनेक नए हिस्सों की खोज की। इस व्यावसायिक खोज का प्रमुख लक्ष्य सोना, चाँदी और मसालों की प्राप्ति था। धर्मयुद्धों के बाद यूरोप के नाविकों को जरुशलम जैसे तीर्थ स्थल तथा मसालों, मोतियों, रंगों जैसी चीज़ों के लिए अरब व्यापारियों की दया पर निर्भर रहना पड़ता था जो ईसाई यूरोपियों से मनचाहा दाम वसूल करते थे। इससे परेशान होकर पुर्तगालियों ने मोरक्को जैसे मूर अफ्रीक़ी तटों पर 1420 ईस्वी में आक्रमण करना शुरु किया। इसके बाद पूरब की तरफ व्यापार का रास्ता ढूढने के लिए उन्हें अफ्रीका के पश्चिमी तट पर नौवहन कर नए रास्तों पर निकलना पड़ा। इससे अन्वेषणों का एक नया दौर आरंभ हुआ। पुर्तगाली राजकुमार हेनरी इनमें सबसे सफल हुआ। .

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गजट

गजट 'संवादपत्र' (newspaper) का पर्याय तथा समानार्थक एवं बहुप्रयुक्त प्राचीन शब्द। गजट सामयिक घटनाओं का सारसंग्रह होता है। यह 'आदि समाचारपत्र' का एक भेद है जिसका नामकरण और प्रकाशन, वेनिस की सरकार द्वारा सन् 1566 में गजट के रूप में हुआ। 1665 में इंग्लैंड में आक्सफर्ड गज़ट प्रकाशित हुआ जो अगले वर्ष 'लंदन गज़ट' हो गया। वह ब्रिटिश सरकार का राजकीय मुखपत्र है। स्थानीय तथा प्रादेशिक समाचारों के ऐसे प्रकाशन समाचारपत्रों की ही श्रेणी में आते हैं, जैसे पालमाल गज़ट, सेंट जेम्स गज़ट, वेस्टमिंस्टा गज़ट आदि जो आज भी अस्तित्व में हैं। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में प्रारंभिक अखबारों के बीच यही नाम प्रचलित हुआ, जैसे बंगाल गज़ट (1780), हिकी गज़ट (1780), इंडियन गज़ट (1780), मद्रास गज़ट (1795) आदि। इस प्रकार गज़ट प्रांतीय अखबारों का सूचक पद रहा है। भारतीय समाचारपत्र के लिए गज़ट शब्द का प्रयोग 20वीं शताब्दी के आरंभ तक बहुतायत से मिलता है किंतु अब यह नाम अप्रचलित है। सिविल मिलिटरी गज़ट, मसूरी गज़ट आदि इने गिने अंग्रेजी पत्र इसके अपवाद हैं। इसके विपरीत गज़ट ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल से ही विधिप्रारूपों, विभागीय सूचनाओं और विज्ञप्तियों के शासकीय प्रकाशनों के लिए प्रयुक्त होता आया है, जैसे उत्तरप्रद्रेश गज़ट, बिहार गज़ट आदि। इस दृष्टि से किसी प्रकार की स्वतंत्र अथवा वैयक्तिक सूचनाओं और राजपत्रों के लिए यह नाम रूढ़ है और अपनी इन विशेषताओं के कारण गज़ट आधुनिक समचारपत्र से भिन्न हो जाता है। इसे हम सरकारी और प्रशासकीय सूचनाओं तथा कार्यों का विवरणपत्र कह सकते हैं। श्रेणी:संचार.

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गूगल मानचित्र

गूगल मानचित्र (Google Maps) (पूर्व में गूगल लोकल) गूगल द्वारा निःशुल्क रूप से प्रदत्त (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए) एक वेब मैपिंग सर्विस एप्लिकेशन और तकनीक है जिसके द्वारा गूगल मानचित्र वेबसाइट, गूगल राइड फाइंडर, गूगल ट्रांजिट और गूगल मानचित्र एपीआई के माध्यम से तीसरे पक्ष की वेबसाइटों में सन्निहित मानचित्रों सहित कई मानचित्र-आधारित सेवाएं संचालित होती हैं। यह दुनिया भर के अनेकों देशों के लिए सड़कों के नक़्शे उपलब्ध कराता है जो पैदल, कार या सार्वजनिक वाहन से यात्रा करने वालों और शहर में व्यवसायों की खोज करने वालों के लिए मार्ग योजनाकार का काम करता है। गूगल मानचित्र के उपग्रह से लिए गए चित्र वास्तविक समय को नहीं दर्शाते हैं; ये कई महीनों या वर्षों पुराने होते हैं। गूगल मानचित्र मर्केटर प्रोजेक्शन के एक करीबी संस्करण का उपयोग करते हैं, इसलिए यह ध्रुवों के आसपास के क्षेत्रों को नहीं दिखा सकते हैं। इसका एक संबंधित उत्पाद गूगल अर्थ अकेला ऐसा प्रोग्राम है जो ध्रुवीय क्षेत्रों सहित ग्लोब को दिखाता है और साथ ही कई सुविधाएं भी प्रदान करता है। .

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गोल्ड कोस्ट, क्वींसलैंड

गोल्ड कोस्ट ऑस्ट्रेलियाई राज्य क्वींसलैंड में एक शहर है। यह राज्य का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और देश का छठा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। यह देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला गैर-राजधानी शहर भी है। यह अपने उपोष्णकटिबंधीय मौसम, फेनिल समुद्र तट, नहर और जलमार्ग प्रणालियां, गगनचुंबी इमारतों को छूनेवाले क्षितिज, नाइटलाइफ और घने वर्षा-वनों के कारण गोल्ड कोस्ट एक प्रमुख पर्यटन स्थलकहलाया जाता है। गोल्ड कोस्ट 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एक उम्मीदवार शहर भी है। .

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आधुनिक कला

आधुनिक कला १८६० से 1970 के दशक से विस्तारित अवधि के दौरान किए जाने वाले कलात्मक कार्यों का संदर्भ देता है और उस युग की शैली और दर्शन को दर्शाता है। सामान्यतः यह शब्द अतीत की परम्पराओं को पीछे छोड़ते हुए प्रयोग करने की भावना से संबद्ध है। आधुनिक कलाकारों ने देखने के नए तरीकों और सामग्रियों और कला के कार्यों की प्रवृति पर नए विचारों के साथ प्रयोग किए। कल्पनात्मकता की ओर झुकाव आधुनिक कला की विशेषता है। सबसे नवीनतम कलात्मक कला को अक्सर समकालीन कला या पश्च-आधुनिक कला कहा जाता है। आधुनिक कला की शुरुआत विन्सेन्ट वैन गॉग़, पॉल सिज़ैन, पॉल गॉगुइन, जॉर्जेस श्योरा और हेनरी डी टूलूज़ लॉट्रेक जैसे ऐतिहासिक चित्रकारों ने की, ये सभी आधुनिक कला के विकास को महत्वपूर्ण मानते थे। २०वीं सदी की शुरुआत में हेनरी मैटिस और कई युवा कलाकारों, जिनमें पूर्व-घनवादी जॉर्जेस ब्रैक्यू, आंद्रे डेरैन, रॉल डफ़ी और मौरिस डी व्लामिंक शामिल थे, ने "जीवंत", बहु-रंगी, भाववाहक, परिदृश्य और आकार चित्रकारिता जिसे आलोचक फ़ॉविज़्म कहते थे, को पेरिस आर्ट वर्ल्ड में प्रदर्शित किया। हेनरी मैटिस के द डांस के दो संस्करणों ने उनके करियर और आधुनिक चित्रकला के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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आइजक डिज़रेली

आइजक डिज़रेली (Isaac D'Israeli; 11 मई 1766 – 19 जनवरी 1848) ब्रितानी लेखक तथा विद्वान थे। वे ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री बेंजामिन डिसरायली के पिता थे। आइजक डिज़रेली एक स्पेनी यहूदी के पुत्र थे। उनका जन्म एनफील्ड में हुआ। उनके पिता सन् १७४८ में वेनिस से आकर इंग्लैंड में बस गये थे। पिता अपने लड़के को वाणिज्य व्यापार में लगाना चाहता था किंतु युवक डिजरेली इसके विरुद्ध था। उसने इस विषय पर एक लंबी कविता लिखी जिनमें व्यापार व्यवसाय के प्रति उसका विरोध स्पष्ट प्रकट होता था। फ्रांस की यात्रा के समय उसने कुछ समय पेरिस की साहित्यक मंडली में बिताया। १७८८ में लंदन लौटने के बाद उसने 'जेंटिलमैंस मैगजीन' में एक कविता लिखी जिससे प्रभावित होकर एच.

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इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

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इन दिनों

कुंवर नारायण भारतीय परंपरा के उन प्रमुख कवियों में हैं जिनकी कविता मानवीय मूल्यों के अनुरूप परिवर्तन और निर्माण के लिए किसी बड़ी नदी की तरह हर बार मार्ग बदलती रही है। उनता छठा कविता संग्रह इन दिनों पढ़ते हुए जीवन के पचहत्तर वर्ष पूरे करने वाले कवि के जीवनाभुवों से मिलने-टकराने की भी अपेक्षा रहती है। जीवन के अनेकानेक पक्षों को जिस भाषिक संक्षिप्तता और अर्थ गहराई के साथ उन्होंने कविता का विषय बनया है उसे देखकर उन्हीं की कविता पंक्ति में ‘कभी’ की जगह ‘कवि’ को रखकर कहा जा सकता है कि – ‘कवि तुमने कविता की ऊंचाई से देखा शहर’ और अब इस ताजा संग्रह में उन्होंने कहा है कि ‘बाजार की चौंधिया देने वाली जगमगाहट, के बीच / अचानक संगीत की एक उदास ध्वनि में हम पाते हैं / उसके वैभव की एक ज्यादा सच्ची पहचान’। इन पंक्तियों में अर्थ की सारी चाभी ‘उदास’ विशेषण के पास है जिसका अन्वय बाजार, संगीत और ध्वनि तीनों के साथ करना पड़ेगा और समन्वय करना पड़ेगा ‘वैभव’ के साथ भी। इस संग्रह में कहीं किसी निरर्थक विशेषण का प्रयोग कवि ने नहीं किया है। इस सृजन संयम से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। इन कविताओं में यदि कोई खोट या मैल दिखाई दे तो वह रचनाकार की दुनिया में विनम्र न होकर जाने का अहंकार है जो शायद ‘सादगी’ कविता की इन पंक्तियों से तुष्ट हो सके: ‘तुम्हारे कपड़ों का दोष है / मिट्टी का नहीं / जो उसे छूते ही मैले हो गये तुम /’ शुरू से ही उनकी कविताओं में ‘अलख’ (जो दिखाई नहीं देता है। वह यथार्थ) दिखाने के प्रति विशेष रुझाम रहा है जिसे पुराने मुहावरे में ‘अलख जगाना’ कहते थे जो कहने को व्यक्तिगत नहीं रहने देता और सहने की दुर्निवार अभिव्यक्ति को सामाजिक बना देता है। हम ऐसे समय में आ गये हैं जब बाजार वैकल्पिक अर्थव्यवस्था का साधन और सूत्रधार बनकर आधुनिकता और विकास को उदास और प्रसन्न दो चेहरों की तरह धारण किये हुए सब पर छा गया है। कवियों के लिए भले ही यह स्थायी भाव न रहा हो, लेकिन हिंदी कविता में यह बाजार-भाव नया नहीं है। पिछले सात सौ साल से तो यह चल ही रह है। प्राचीन जगत व्यापार से लेकर ‘कबिरा घड़ा बजार में’ और ‘धोति फटी सिलटी दुपटी’ से लेकर आज तक यह बाजार व्याप्त रहा है। बाजारवाद का जवाब देने के लिए आज जिस नयी दृष्ट की जरूरत है उससे उपजी हुई कविताएं कुंवर नारायण के इस नये कविता संग्रह में एकत्र हुई हैं। ‘इन दिनों’ में जो कुछ भी हमें घेरे, दबोचे और चिंतित किये हुए है वह किसी न किसी सूत्र के रूप में इस संग्रह की ८३ कविताओं में मौजूद है। इन कविताओं में दरअसल प्रेम के खो जाने का और बाजार के आतंक का मुकाबला मानवीय सहजता से व्यंग्य क्षमता के अनोखे अंदाज में किया गया है। न कवि ने स्वयं को कहीं परास्त माना है न विजेता, फिर भी जले हुए मकान की वास्तविकता के सामने अपने जीवित होने को कई कत्लों के बाद जीवित होना माना है। यह रूपक वहां तक जाता है जहां उसे कहना पड़ता है कि ‘ऐसे ही लोग थे, ऐसे ही शहर, रुकते ही नहीं किसी तरह मेरी हत्या के सिलसिले।‘ यह जला हुआ मकान हिंदुस्तान के सिवा आखिर हो भी कौन सकता है? इतने बड़े मकान में एक छोटा घर और इस ‘घर का दरवाजा जैसे गर्द से ढंकी एक पुरानी किताब’, जिसमें ‘लौटी हो एक कहानी अपने नायक के साथ छानकर दुनिया भर की खाक’। ‘जो रोज पढ़ता है अखबारों में कि अब वह नहीं रहा, अपनी शोकसभाओं में खड़ा है वह, आंखें बंद किये – दो मिनटों का मौन।‘ इस भयावह समय में कुंवर नारायण का कविता संग्रह व्यक्तिगत डायरी, कहानी, निबंध और नाटक का मिलाजुला स्वाद देने वाले किसी अलभ्य ऐलबम की तह अपनी जीवंत उपस्थिति के घेरे में ले लेता है: ‘आधी रात अपने घर में घुस रह हूं चोरों की तरह/...

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कार्निवल

कोलोन, जर्मनी में रोसेनमोंटाग परेड में कार्निवल झांकियां. कार्निवल एक उत्सव का मौसम है जो लेंट से ठीक पहले पड़ता है; मुख्य कार्यक्रम आमतौर फरवरी के दौरान होते हैं। कार्निवल में आमतौर पर एक सार्वजनिक समारोह या परेड शामिल होता है जिसमें सर्कस के तत्त्व, मुखौटे और सार्वजनिक खुली पार्टियां की जाती हैं। समारोह के दौरान लोग अक्सर सजते संवरते हैं या बहुरुपिया बनते हैं, जो दैनिक जीवन के पलटाव को दर्शाता है। कार्निवल एक त्योहार है जिसे पारंपरिक रूप से रोमन कैथोलिक में आयोजित किया जाता है और एक हद तक पूर्वी रूढ़िवादी समाजों में भी.

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क्रूसेड

'''एन्टिओक का कब्जा''', प्रथम क्रूसयुद्ध के समय के मध्ययुगीय चित्रकर्म से लिया गया यूरोप के ईसाइयों ने 1095 और 1291 के बीच अपने धर्म की पवित्र भूमि फिलिस्तीन और उसकी राजधानी जेरूसलम में स्थित ईसा की समाधि का गिरजाघर मुसलमानों से छीनने और अपने अधिकार में करने के प्रयास में जो युद्ध किए उनको सलीबी युद्ध, ईसाई धर्मयुद्ध, क्रूसेड (crusades) अथवा क्रूश युद्ध कहा जाता है। इतिहासकार ऐसे सात क्रूश युद्ध मानते हैं। .

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अमेदिओ मोदिग्लिआनी

अमेदिओ क्लेमेनते मोदिग्लिआनी (12 जुलाई 1884 - 24 जनवरी 1920) एक इतालवी कलाकार थे जो मुख्य रूप से फ्रांस में काम करते थे। वे मुख्य रूप से एक आलंकारिक कलाकार थे, उन्हें मुखौटों-जैसे चेहरे और लम्बे स्वरूपों की विशेषता लिए आधुनिक शैली में चित्रकारी और मूर्तिकारी करने के लिए जाना गया। ट्युबरकुलर मैनिंजाइटिस के कारण पेरिस में उनका निधन हो गया, जिसमें गरीबी, अत्यधिक काम और शराब और नशीले पदार्थों के सेवन ने भी अपनी भूमिका निभाई.

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अहमद प्रथम

अहमद प्रथम (احمد اول; I.; 18 अप्रैल 1590 – 22 नवम्बर 1617) 1603 से 1617 उनकी मौत तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। अहमद के दौर में "भ्रातृवध" की शाही उस्मानी परंपरा समाप्त हुई थी, इसके बाद किसी उस्मानी शासक ने तख़्त आसीन होने पर इनके सभी भाइयों का वध नहीं किया। वे नीली मस्जिद, तुर्की की सबसे जानी पहचानी मस्जिदों में से एक, के निर्माण करने हेतु प्रसिद्ध हैं। .

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