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इन दिनों और वेनिस

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

इन दिनों और वेनिस के बीच अंतर

इन दिनों vs. वेनिस

कुंवर नारायण भारतीय परंपरा के उन प्रमुख कवियों में हैं जिनकी कविता मानवीय मूल्यों के अनुरूप परिवर्तन और निर्माण के लिए किसी बड़ी नदी की तरह हर बार मार्ग बदलती रही है। उनता छठा कविता संग्रह इन दिनों पढ़ते हुए जीवन के पचहत्तर वर्ष पूरे करने वाले कवि के जीवनाभुवों से मिलने-टकराने की भी अपेक्षा रहती है। जीवन के अनेकानेक पक्षों को जिस भाषिक संक्षिप्तता और अर्थ गहराई के साथ उन्होंने कविता का विषय बनया है उसे देखकर उन्हीं की कविता पंक्ति में ‘कभी’ की जगह ‘कवि’ को रखकर कहा जा सकता है कि – ‘कवि तुमने कविता की ऊंचाई से देखा शहर’ और अब इस ताजा संग्रह में उन्होंने कहा है कि ‘बाजार की चौंधिया देने वाली जगमगाहट, के बीच / अचानक संगीत की एक उदास ध्वनि में हम पाते हैं / उसके वैभव की एक ज्यादा सच्ची पहचान’। इन पंक्तियों में अर्थ की सारी चाभी ‘उदास’ विशेषण के पास है जिसका अन्वय बाजार, संगीत और ध्वनि तीनों के साथ करना पड़ेगा और समन्वय करना पड़ेगा ‘वैभव’ के साथ भी। इस संग्रह में कहीं किसी निरर्थक विशेषण का प्रयोग कवि ने नहीं किया है। इस सृजन संयम से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। इन कविताओं में यदि कोई खोट या मैल दिखाई दे तो वह रचनाकार की दुनिया में विनम्र न होकर जाने का अहंकार है जो शायद ‘सादगी’ कविता की इन पंक्तियों से तुष्ट हो सके: ‘तुम्हारे कपड़ों का दोष है / मिट्टी का नहीं / जो उसे छूते ही मैले हो गये तुम /’ शुरू से ही उनकी कविताओं में ‘अलख’ (जो दिखाई नहीं देता है। वह यथार्थ) दिखाने के प्रति विशेष रुझाम रहा है जिसे पुराने मुहावरे में ‘अलख जगाना’ कहते थे जो कहने को व्यक्तिगत नहीं रहने देता और सहने की दुर्निवार अभिव्यक्ति को सामाजिक बना देता है। हम ऐसे समय में आ गये हैं जब बाजार वैकल्पिक अर्थव्यवस्था का साधन और सूत्रधार बनकर आधुनिकता और विकास को उदास और प्रसन्न दो चेहरों की तरह धारण किये हुए सब पर छा गया है। कवियों के लिए भले ही यह स्थायी भाव न रहा हो, लेकिन हिंदी कविता में यह बाजार-भाव नया नहीं है। पिछले सात सौ साल से तो यह चल ही रह है। प्राचीन जगत व्यापार से लेकर ‘कबिरा घड़ा बजार में’ और ‘धोति फटी सिलटी दुपटी’ से लेकर आज तक यह बाजार व्याप्त रहा है। बाजारवाद का जवाब देने के लिए आज जिस नयी दृष्ट की जरूरत है उससे उपजी हुई कविताएं कुंवर नारायण के इस नये कविता संग्रह में एकत्र हुई हैं। ‘इन दिनों’ में जो कुछ भी हमें घेरे, दबोचे और चिंतित किये हुए है वह किसी न किसी सूत्र के रूप में इस संग्रह की ८३ कविताओं में मौजूद है। इन कविताओं में दरअसल प्रेम के खो जाने का और बाजार के आतंक का मुकाबला मानवीय सहजता से व्यंग्य क्षमता के अनोखे अंदाज में किया गया है। न कवि ने स्वयं को कहीं परास्त माना है न विजेता, फिर भी जले हुए मकान की वास्तविकता के सामने अपने जीवित होने को कई कत्लों के बाद जीवित होना माना है। यह रूपक वहां तक जाता है जहां उसे कहना पड़ता है कि ‘ऐसे ही लोग थे, ऐसे ही शहर, रुकते ही नहीं किसी तरह मेरी हत्या के सिलसिले।‘ यह जला हुआ मकान हिंदुस्तान के सिवा आखिर हो भी कौन सकता है? इतने बड़े मकान में एक छोटा घर और इस ‘घर का दरवाजा जैसे गर्द से ढंकी एक पुरानी किताब’, जिसमें ‘लौटी हो एक कहानी अपने नायक के साथ छानकर दुनिया भर की खाक’। ‘जो रोज पढ़ता है अखबारों में कि अब वह नहीं रहा, अपनी शोकसभाओं में खड़ा है वह, आंखें बंद किये – दो मिनटों का मौन।‘ इस भयावह समय में कुंवर नारायण का कविता संग्रह व्यक्तिगत डायरी, कहानी, निबंध और नाटक का मिलाजुला स्वाद देने वाले किसी अलभ्य ऐलबम की तह अपनी जीवंत उपस्थिति के घेरे में ले लेता है: ‘आधी रात अपने घर में घुस रह हूं चोरों की तरह/... यह इटली का एक प्रमुख नगर है। सुदूर देशों में स्थित इटली में एक छोटा सा शहर हैं वैनिस, मान्यता है कि इसकी प्राकृतिक खूबसूरती एक कलाचित्र के समान दिखाई देती है, यह शहर सांस्कृतिक एवं व्यापारिक केंद्र है। नहर पर गॉनडोला नाव में सवार होकर सैलानी घूमते हैं। हर साल वैनिस में 120 रैगाटा आयोजित किए जाते हैं। रोमांचित कर देने वाला रैगाटा खेल वैनिस में पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। हजारों लोग इस खेल में भाग लेते हैं। इस दौरान दर्शकों में उत्साह एवं तालियों की गूँज दूर तक सुनाई देती है। वैनिस के इतिहास एवं संस्कृति से परिपूर्ण कार्निवाल के भिन्न-भिन्न प्रकार के रंग इस पर्व में उभर कर आते हैं जहाँ पर सैलानियों एवं दर्शकों के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता हैं एवं यह त्योहार सेंट मार्क स्क्वेयर में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। देश-विदेश से पर्यटक इस स्थान पर आते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं। कार्निवाल का प्रारम्भ 5 अक्टूबर से होता है और क्रिसमस तक चलता है। इस त्योहार को विशेष रूप से मनाया जाता है। यहाँ पर रंग बिरंगे मास्क पहनते हैं। रंगमंच पर नाटक में कलाकार मास्क पहने रहते हैं। सेनसा का पर्व रेनडेनटोर के पर्व यहाँ पर मनाए जाते हैं। इन पर्वों में यहाँ की संस्कृति, धर्म, मान्यता बुनी हुई है। अप्रैल से लेकर सितम्बर तक यहाँ पर नौकाओं आदि का भी आनंद उठा सकते हैं। यदि पयर्टक यहाँ के अन्य प्रसिद्ध स्थलों का भ्रमण करना चाहते हैं तो वे अकादमिया गैलरी में सजाए गए छायाचित्रों को देख सकते हैं। यह गैलरी वैनिस के प्रसिद्ध संग्रहालयों में से एक है। वैनिस के अठारहवीं शताब्दी के कलाचित्र यहाँ पर प्रदर्शित किए गए हैं। सैलानी भ्रमण के दौरान रीयाल्टो पुल पर शहर नजर आता है। यह पुल ग्रैंड कनाल पर बनाया गया है जिससे यात्रियों को सफर करने में आसानी हो। स्थानीय लोग ईसाई धर्म को मानते हैं एवं गिरजाघरों में भगवान की आराधना करते हैं। धार्मिक पर्वों के दौरान गिरजाघरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मार्बल गिरजाघर या सेंटा मारिया वैनिस में स्थित है। शिल्पकारों ने इसे बहुत सुंदर प्रकार से इसे सुसज्जित किया है। क्रिसमस त्योहार के समय इस भव्य गिरजाघर को सजाया जाता है एवं एकत्रित व्यक्ति शांति की कामना करते हैं। वैनिस लोगों की शादियाँ यहाँ पर धूमधाम से मनाई जाती हैं। रंगमंच पर नाट्य कार्यक्रम हर साल रंगमंच प्रेमियों के लिए आयोजित किए जाते हैं। पर्यटक स्काला कॉट्रावीनी बोवोलो महल के विशेषता को देखने के लिए आते हैं जहाँ पर अनगिनत वृत्तखण्ड एवं सीढ़ियों को देखने के लिए यहाँ पर दर्शक आते हैं। वैनिस के प्रसिद्ध बंदरगाहों में से एक हैं वेनीशियन आर्सनल। प्राचीनकाल से यह जलसेना का केंद्र था। मनपसंद व्यंजनों में से मुख्य पिज्ज़ा एवं पास्ता यहाँ मिलते हैं। मांसाहारी व्यंजन के विभिन्न प्रकार के भोजन एवं सूप मिलते हैं। यदि यहाँ के स्थानीय व्यंजन को ढूँढ रहे हैं तब शहर के प्रसिद्ध मार्गों पर स्थित दुकानों पर सजाए गए लुभावने व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं। बोली जाने वाली प्रमुख भाषा हैं वेनीशीयन एवं स्पेनिश। नवंबर से लेकर जनवरी तक यहाँ का मौसम सामान्य रहता है एवं भ्रमण करने के सिए उपयुक्त हैं। श्रेणी:इटली के नगर श्रेणी:इटली में विश्व धरोहर स्थल.

इन दिनों और वेनिस के बीच समानता

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