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केदारनाथ सिंह

सूची केदारनाथ सिंह

केदारनाथ सिंह (७ जुलाई १९३४ – १९ मार्च २०१८), हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार थे। वे अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि रहे। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष २०१३ का ४९वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। वे यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के १०वें लेखक थे। .

20 संबंधों: तीसरा सप्तक, भारत भारती (पुरस्कार), भारतीय कवियों की सूची, सप्तक के कवियों की सूची, समस्त रचनाकार, साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी, साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप, सुल्तानपुर जिला, हिन्दी पुस्तकों की सूची/अ, हिन्दी कवि, हिन्दी कवियों की सूची, हिन्दी के दस सर्वश्रेष्ठ, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, ज्ञानपीठ पुरस्कार, व्यास सम्मान, आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास, कुमार आशान पुरस्कार, कीर्ति चौधरी, अकाल में सारस, २००९

तीसरा सप्तक

तीसरा सप्तक अज्ञेय द्वारा संपादित नई कविता के सात कवियों की कविताओं का संग्रह है। इसमें कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह और विजयदेवनरायण साही की रचनाएँ संकलित हैं। इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से १९५९ ई० में हुआ। मदन वात्स्यायन श्रेणी:पुस्तक.

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भारत भारती (पुरस्कार)

भारत भारती उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सबसे बड़ा साहित्यिक पुरस्कार है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के माध्यम से साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। पुरस्कार में भारत-भारती सम्मान के रूप में स्मृति चिह्न, अंग वस्त्रम तथा पाँच लाख दो हजार रुपये की धनराशि प्रदान की जाती है। भारत भारती पुरस्कार पाने वाले व्यक्तियों की सूची निम्नलिखित है।.

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भारतीय कवियों की सूची

इस सूची में उन कवियों के नाम सम्मिलित किये गये हैं जो.

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सप्तक के कवियों की सूची

हिंदी में चार सप्तक प्रकाशित हुए हैं। इनके कवियों की सूची निम्नलिखित है। .

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समस्त रचनाकार

अकारादि क्रम से रचनाकारों की सूची अ.

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साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी

साहित्य अकादमी पुरस्कार, सन् १९५४ से प्रत्येक वर्ष भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों को दिया जाता है, जिसमें एक ताम्रपत्र के साथ नक़द राशि दी जाती है। नक़द राशि इस समय एक लाख रुपए हैं। साहित्य अकादेमी द्वारा अनुवाद पुरस्कार, बाल साहित्य पुरस्कार एवं युवा लेखन पुरस्कार भी प्रतिवर्ष विभिन्न भारतीय भाषाओं में दिए जाते हैं, इन तीनों पुरस्कारों के अंतर्गत सम्मान राशि पचास हजार नियत है। .

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साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप

साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप भारत की साहित्य अकादमी द्वारा प्रदान किया जानेवाला सर्वोच्च सम्मान है। .

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सुल्तानपुर जिला

उत्तर प्रदेश भारत देश का सर्वाधिक जिलों वाला राज्य है, जिसमें कुल 75 जिले हैं। आदिगंगा गोमती नदी के तट पर बसा सुल्तानपुर इसी राज्य का एक प्रमुख जिला है। यहाँ के लोग सामान्यत: वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और लखनऊ जिलों में पढ़ाई करने जाते हैं। सुल्तानपुर जिले की स्थानीय बोलचाल की भाषा अवधी और खड़ी बोली है। .

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/अ

कोई विवरण नहीं।

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हिन्दी कवि

हिन्दी साहित्य राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी कविता परम्परा बहुत समृद्ध है। .

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हिन्दी कवियों की सूची

हिन्दी कविता की परम्परा बहुत लम्बी है। कुछ विद्बान सरहपाद को हिन्दी का पहला कवि मानते हैं। सरहपाद और उनके समवर्ती व परवर्ती सिद्धों ने दोहों और पदों के रूप में अपनी स्फुट रचनाएं प्रस्तुत कीं। रासोकाल तक आते-आते प्राचीन हिन्दी का रूप स्थिर हो चुका था। अपभ्रंश और शुरुआती हिन्दी परस्पर घुली-मिली दिखाई देती हैं। धीरे-धीरे हिन्दी में परिष्कार होता रहा और अपभ्रंश भाषा के पटल से लुप्त हो गई।.

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हिन्दी के दस सर्वश्रेष्ठ

हिन्दी के दस सर्वश्रेष्ठ बीसवीं शताब्दी तक के हिन्दी साहित्यकारों एवं हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचनाओं के सन्दर्भ में श्रेष्ठ आलोचकों द्वारा किये गये उल्लेखों-विवेचनों पर आधारित मुख्यतः दस-दस उत्कृष्ट साहित्यकारों या फिर साहित्यिक कृतियों का चयन है, जिन्हें सापेक्ष रूप से श्रेष्ठतर माना गया है। .

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, (Jawaharlal Nehru University) संक्षेप में जे॰एन॰यू॰, नई दिल्ली के दक्षिणी भाग में स्थित केन्द्रीय विश्‍वविद्यालय है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी संस्थानों में से है। जेएनयू को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NACC) ने जुलाई 2012 में किये गए सर्वे में भारत का सबसे अच्छा विश्वविद्यालय माना है। NACC ने विश्वविद्यालय को 4 में से 3.9 ग्रेड दिया है, जो कि देश में किसी भी शैक्षिक संस्थान को प्रदत उच्चतम ग्रेड है .

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ज्ञानपीठ पुरस्कार

पुरस्कार-प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। १९६५ में १ लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को २००५ में ७ लाख रुपए कर दिया गया जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुका है। २००५ के लिए चुने गये हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें ७ लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि १ लाख रुपए थी। १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। यह पुरस्कार बांग्ला को ५ बार, मलयालम को ४ बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है। .

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व्यास सम्मान

व्यास सम्मान भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद दूसरा सबसे बड़ा साहित्य-सम्मान है। इस पुरस्कार को १९९१ में के के बिड़ला फाउंडेशन ने प्रारंभ किया था। इस पुरस्कार में ३ लाख रुपए नकद प्रदान किए जाते हैं। १० वर्षों के भीतर प्रकाशित हिन्दी की कोई भी साहित्यिक कृति इस पुरस्कार की पात्र हो सकती है। अज्ञेय, कुंवर नारायण तथा केदार नाथ सिंह को भी इस पुरस्कार से अलंकृत किया जा चुका है। .

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आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास

आधुनिक काल १८५० से हिंदी साहित्य के इस युग को भारत में राष्ट्रीयता के बीज अंकुरित होने लगे थे। स्वतंत्रता संग्राम लड़ा और जीता गया। छापेखाने का आविष्कार हुआ, आवागमन के साधन आम आदमी के जीवन का हिस्सा बने, जन संचार के विभिन्न साधनों का विकास हुआ, रेडिओ, टी वी व समाचार पत्र हर घर का हिस्सा बने और शिक्षा हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार। इन सब परिस्थितियों का प्रभाव हिंदी साहित्य पर अनिवार्यतः पड़ा। आधुनिक काल का हिंदी पद्य साहित्य पिछली सदी में विकास के अनेक पड़ावों से गुज़रा। जिसमें अनेक विचार धाराओं का बहुत तेज़ी से विकास हुआ। जहां काव्य में इसे छायावादी युग, प्रगतिवादी युग, प्रयोगवादी युग,नयी कविता युग और साठोत्तरी कविता इन नामों से जाना गया, छायावाद से पहले के पद्य को भारतेंदु हरिश्चंद्र युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी युग के दो और युगों में बांटा गया। इसके विशेष कारण भी हैं। .

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कुमार आशान पुरस्कार

कुमारन आशान पुरस्कार केरल के आशान मेमोरियल असोसियेशन द्वारा, मलयालम के सुप्रसिद्ध कवि कुमारन आशान की स्मृति में साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान करने वाले साहित्यकार को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले हिंदी कवियों में कुँवर नारायण और केदारनाथ सिंह के नाम महत्त्वपूर्ण हैं। श्रेणी:साहित्य पुरस्कार.

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कीर्ति चौधरी

जन्म- १ जनवरी, १९३४ को उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के नईमपुर गाँव में एक कायस्थ परिवार में उनका जन्म हुआ था। कीर्ति चौधरी का मूल नाम कीर्ति बाला सिन्हा था। शिक्षा- उन्नाव में जन्म के कुछ बरस बाद उन्होंने पढ़ाई के लिए कानपुर का रुख़ किया। १९५४ में एम.ए. करने के बाद 'उपन्यास के कथानक तत्व' जैसे विषय पर उन्होंने शोध भी किया। कार्यक्षेत्र- साहित्य उन्हें विरासत में भी मिला और फिर जीवन साथी के साथ भी साहित्य, संप्रेषण जुड़े रहे। उनके पिता ज़मींदार थे और माँ, सुमित्रा कुमारी सिन्हा जानी-मानी कवयित्री, लेखिका और गीतकार थीं। तीसरा सप्तक’ (1960) के संपादक अज्ञेय ने 60 के दशक में प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह, कुँवर नारायण, विजयदेव नारायण साही, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और मदन वात्स्यायन जैसे साहित्यकारों के साथ कीर्ति चौधरी को भी तीसरा सप्तक का हिस्सा बनाया। निधन- १३ जून २००८ को लंदन में उनका देहांत हो गया। .

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अकाल में सारस

अकाल में सारस हिन्दी के विख्यात साहित्यकार केदारनाथ सिंह द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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२००९

२००९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००९ बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को एवं आइएयू ने १६०९ में गैलीलियो गैलिली द्वारा खगोलीय प्रेक्षण आरंभ करने की घटना की ४००वीं जयंती के उपलक्ष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष घोषित किया है। .

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केदार नाथ सिंह

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