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तीसरा सप्तक

सूची तीसरा सप्तक

तीसरा सप्तक अज्ञेय द्वारा संपादित नई कविता के सात कवियों की कविताओं का संग्रह है। इसमें कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह और विजयदेवनरायण साही की रचनाएँ संकलित हैं। इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से १९५९ ई० में हुआ। मदन वात्स्यायन श्रेणी:पुस्तक.

7 संबंधों: तार सप्तक, मदन वात्स्यायन, हिन्दी पुस्तकों की सूची/त, विजयदेव नारायण साही, विजयदेवनरायण साही, कुँवर नारायण, अज्ञेय

तार सप्तक

अज्ञेय द्वारा १९४३ ई० में नयी कविता के प्रणयन हेतु सात कवियों का एक मण्डल बनाकर तार सप्तक का संकलन एवं संपादन किया गया। तार सप्तक नयी कविता का प्रस्थान बिंदु माना जाता है। तार सप्तक का ऐतिहासिक महत्त्व इस रूप में है कि इसी संकलन से हिन्दी काव्य साहित्य में प्रयोगवाद का आरम्भ होता है। आज भी अनेक काव्य प्रेमियों में इस संग्रह की कविताएँ आधुनिक हिन्दी कविता के उस रचनाशील दौर की स्मृतियाँ जगाएँगी जब भाषा और अनुभव दोनों में नये प्रयोग एक साथ कर सकना ही कवि कर्म को सार्थक बनाता था। तार सप्तक में गजानन माधव मुक्तिबोध, नेमिचन्द्र जैन, भारतभूषण अग्रवाल, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर, रामविलास शर्मा एवं अज्ञेय सहित सात कवियों की कविताएँ संकलित की गई हैं। तार सप्तक का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सन् १९४३ ई० में किया गया है। इसके बाद दूसरा सप्तक तथा तीसरा सप्तक का प्रकाशन हुआ .

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मदन वात्स्यायन

मदन वात्स्यायन तीसरा सप्तक के प्रमुख कवि हैं। १९२२ में जन्मे मदन वात्सायायन अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरे सप्तक के सात कवियों में से एक हैं। उनका असली नाम लक्ष्मीनिवास सिंह था। उन्होंने कैमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी और सिंदरी की विशाल यंत्रशाला में निरीक्षक के पद पर काम करते थे। वे हिंदी के पहले ऐसे कवि माने जाते हैं जो व्यावसायिक क्षेत्र में इंजीनियर थे। मदन वात्स्यायन ने कविता कहानी दोनो ही लिखीं। उनके विषय में नीलाभ अपने ब्लॉग पर लिखते हैं कि- पर एक समय था जब उनकी कविताओं की धूम रहती थी। विद्वानों का मानना है कि मदन वात्स्यायन की सृजन भंगिमा और विषयवस्तु एकदम अलग और अद्भुत है। पेशे से इंजीनियर थे इसलिए हम कह सकते हैं कि उनकी कविताओं में मशीनों की आवाज सुनाई पड़ती है;लेकिन उनके भीतर एक विद्रोह व्यक्ति भी था जो औद्योगिक पूंजीवाद का सशक्त विरोधी और निष्करुण नौकरीशाही की बुर्जुवा मनोवृत्ति से एक सर्जक के रूप में टक्कर लेता दिखाई पड़ता है। २००८ में उनका देहांत हो गया। मदन वात्स्यायन.

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/त

* तकीषी की कहानियां - बी.डी. कृष्णन.

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विजयदेव नारायण साही

विजयदेव नारायण साही हिंदी साहित्य के नयी कविता दौर के प्रसिद्ध कवि, एवं आलोचक हैं। वे तीसरा सप्तक के कवियों में शामिल थे। जायसी पर केन्द्रित उनका व्यवस्थित अध्ययन एवं नयी कविता के अतिरिक्त विभिन्न साहित्यिक तथा समसामयिक मुद्दों पर केन्द्रित उनके आलेख उनकी प्रखर आलोचकीय क्षमता के परिचायक हैं। .

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विजयदेवनरायण साही

विजयदेवनारायण साही (१९२४ - १९८२) का जन्म ०७ अक्टूबर १९२४ को कबीर चौरा, वाराणसी (उ॰प्र॰) में हुआ। प्रयाग विश्व विद्यालय से अँग्रेजी में एम॰एम॰ करने के बाद तीन वर्ष तक काशी विद्यापीठ में शिक्षण कार्य किया इसके बाद प्रयाग विश्व विद्यालय में प्राध्यापक रहे। हिन्दी नयी कविता के प्रमुख कवियों-जगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी और विजयदेवनरायण साही में से एक हैं। साही जी अनेक मजदूर संगठनों से जुड़े रहे और अनेक बार जेल गये। ०५ नवम्बर १९८२ को इनका निधन हो गया। .

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कुँवर नारायण

कुँवर नारायण का जन्म १९ सितंबर १९२७ को हुआ। नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर कुँवर नारायण अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (१९५९) के प्रमुख कवियों में रहे हैं। कुँवर नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को देखने के लिए जाना जाता है। कुंवर नारायण का रचना संसार इतना व्यापक एवं जटिल है कि उसको कोई एक नाम देना सम्भव नहीं। यद्यपि कुंवर नारायण की मूल विधा कविता रही है पर इसके अलावा उन्होंने कहानी, लेख व समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच एवं अन्य कलाओं पर भी बखूबी लेखनी चलायी है। इसके चलते जहाँ उनके लेखन में सहज संप्रेषणीयता आई वहीं वे प्रयोगधर्मी भी बने रहे। उनकी कविताओं-कहानियों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। ‘तनाव‘ पत्रिका के लिए उन्होंने कवाफी तथा ब्रोर्खेस की कविताओं का भी अनुवाद किया है। 2009 में कुँवर नारायण को वर्ष 2005 के लिए देश के साहित्य जगत के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अज्ञेय

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" (7 मार्च, 1911 - 4 अप्रैल, 1987) को कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य को एक महत्त्वपूर्ण मोड़ देने वाले कथाकार, ललित-निबन्धकार, सम्पादक और अध्यापक के रूप में जाना जाता है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर प्रदेश के कसया, पुरातत्व-खुदाई शिविर में हुआ। बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास में बीता। बी.एससी.

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