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१९४३ का बंगाल का अकाल

सूची १९४३ का बंगाल का अकाल

भूख से मरा एक बच्चा 1943-44 में बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश, भारत का पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा) एक भयानक अकाल पड़ा था जिसमें लगभग 30 लाख लोगों ने भूख से तड़पकर अपनी जान जान गंवाई थी। ये द्वितीय विश्वयुद्ध का समय था। माना जाता है कि अकाल का कारण अनाज के उत्पादन का घटना था, जबकि बंगाल से लगातार अनाज का निर्यात हो रहा था। हालांकि, विशेषज्ञों के तर्क इससे अलग हैं। एक नई पुस्तक का कहना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल ने जानबूझकर लाखों भारतीयों को भूखे मरने दिया। बर्मा पर जापान के कब्जे के बाद वहां से चावल का आयात रुक गया था और ब्रिटिश शासन ने अपने सैनिकों और युद्ध में लगे अन्य लोगों के लिए चावल की जमाखोरी कर ली थी, जिसकी वजह से 1943 में बंगाल में आए सूखे में तीस लाख से अधिक लोग मारे गए थे। चावल की कमी होने के कारण कीमतें आसमान छू रही थी और जापान के आक्रमण के डर से बंगाल में नावों और बैलगाड़ियों को जब्त या नष्ट किए जाने के कारण आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त हो गई। बाजार में चावल मिल नहीं रहा था, गावों में भूखमरी फैल रही थी और चर्चिल ने खाद्यान्न की आपात खेप भेजने की मांग बार बार ठुकरा दी। 1943 के बंगाल में कोलकाता की सड़कों पर भूख से हड्डी हड्डी हुई मांएं सड़कों पर दम तोड़ रही थीं। लोग सड़े खाने के लिए लड़ते दिखते थे तो ब्रिटिश अधिकारी और मध्यवर्ग भारतीय अपने क्लबों और घरों पर गुलछर्रे उड़ा रहे थे। बंगाल की मानव-रचित भुखमरी ब्रिटिश राज के इतिहास के काले अध्यायों में से एक रही है, लेकिन लेखक मधुश्री मुखर्जी का कहना है कि उन्हें ऐसे सबूत मिले हैं जो दिखाते हैं कि लोगों की दुःस्थिति के लिए चर्चिल सीधे तौर पर जिम्मेदार थे। .

सामग्री की तालिका

  1. 17 संबंधों: चावल, द्वितीय विश्वयुद्ध, पश्चिम बंगाल, प्राकृतिक आपदा, बांग्लादेश, बिहार, बंगाल, भारत, भारत में अकाल, म्यान्मार, युद्ध, सूखा, जमाखोरी, विन्सटन चर्चिल, ओडिशा, आयात, कोलकाता

  2. ब्रिटिश भारत में अकाल
  3. भारत में अकाल

चावल

मिश्रित चावल: सफेद चावल, भूरा चावल, लाल चावल और जंगली चावल चावल विभिन्न आकार, रंग, रूप में आते हैं। धान से लेकर सफेद चावल बनाने की प्रक्रिया धान के बीज को चावल कहते हैं। यह धान से ऊपर का छिलका हटाने से प्राप्त होता है। चावल सम्पूर्ण पूर्वी जगत में प्रमुख रूप से खाए जाने वाला अनाज है। भारत में भात, खिचड़ी सहित काफी सारे पक्वान्न बनते हैं। चावल का चलन दक्षिण भारत और पूर्वी-दक्षिणी भारत में उत्तर भारत से अधिक है। इसे संस्कृत में 'तण्डुल' कहा जाता है और तमिल में 'अरिसि' कहा जाता है। इसे कभी-कभार 'षड्रस' भी कहा जाता है, क्योंकि में स्वाद के छहों प्रमुख रस मौजूद हैं। सांस्कृतिक हिंदी में पके हुए चावल को भात कहा जाता है, किन्तु अधिकतर हिन्दी भाषी 'भात' शब्द का प्रयोग कम ही करते हैं। चावल की फ़सल को धान कहते हैं। बासमती चावल भारत का प्रसिद्ध चावल जो विदेशों को निर्यात भी किया जाता है। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और चावल

द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई.

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और द्वितीय विश्वयुद्ध

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल (भारतीय बंगाल) (बंगाली: পশ্চিমবঙ্গ) भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है। इसके पड़ोस में नेपाल, सिक्किम, भूटान, असम, बांग्लादेश, ओडिशा, झारखंड और बिहार हैं। इसकी राजधानी कोलकाता है। इस राज्य मे 23 ज़िले है। यहां की मुख्य भाषा बांग्ला है। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और पश्चिम बंगाल

प्राकृतिक आपदा

एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम (natural hazard) का परिणाम है (जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruption), भूकंप, या भूस्खलन (landslide) जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। मानव दुर्बलताओं को उचित योजना और आपातकालीन प्रबंधन (emergency management) का आभाव और बढ़ा देता है, जिसकी वजह से आर्थिक, मानवीय और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। परिणाम स्वरुप होने वाली हानि निर्भर करती है जनसँख्या की आपदा को बढ़ावा देने या विरोध करने की क्षमता पर, अर्थात उनके लचीलेपन पर। ये समझ केंद्रित है इस विचार में: "जब जोखिम और दुर्बलता (vulnerability) का मिलन होता है तब दुर्घटनाएं घटती हैं".

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और प्राकृतिक आपदा

बांग्लादेश

बांग्लादेश गणतन्त्र (बांग्ला) ("गणप्रजातन्त्री बांग्लादेश") दक्षिण जंबूद्वीप का एक राष्ट्र है। देश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएँ भारत और दक्षिणपूर्व सीमा म्यान्मार देशों से मिलती है; दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश और भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल एक बांग्लाभाषी अंचल, बंगाल हैं, जिसका ऐतिहासिक नाम “বঙ্গ” बंग या “বাংলা” बांग्ला है। इसकी सीमारेखा उस समय निर्धारित हुई जब 1947 में भारत के विभाजन के समय इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पाकिस्तान का पूर्वी भाग घोषित किया गया। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान के मध्य लगभग 1600 किमी (1000 मील) की भौगोलिक दूरी थी। पाकिस्तान के दोनों भागों की जनता का धर्म (इस्लाम) एक था, पर उनके बीच जाति और भाषागत काफ़ी दूरियाँ थीं। पश्चिम पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार के अन्याय के विरुद्ध 1971 में भारत के सहयोग से एक रक्तरंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उदभव हुआ। स्वाधीनता के बाद बांग्लादेश के कुछ प्रारंभिक वर्ष राजनैतिक अस्थिरता से परिपूर्ण थे, देश में 13 राष्ट्रशासक बदले गए और 4 सैन्य बगावतें हुई। विश्व के सबसे जनबहुल देशों में बांग्लादेश का स्थान आठवां है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि से बांग्लादेश विश्व में 93वाँ है। फलस्वरूप बांग्लादेश विश्व की सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। मुसलमान- सघन जनसंख्या वाले देशों में बांग्लादेश का स्थान 4था है, जबकि बांग्लादेश के मुसलमानों की संख्या भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों की संख्या से कम है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर स्थित यह देश, प्रतिवर्ष मौसमी उत्पात का शिकार होता है और चक्रवात भी बहुत सामान्य हैं। बांग्लादेश दक्षिण एशियाई आंचलिक सहयोग संस्था, सार्क और बिम्सटेक का प्रतिष्ठित सदस्य है। यह ओआइसी और डी-8 का भी सदस्य है।.

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और बांग्लादेश

बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और बिहार

बंगाल

बंगाल (बांग्ला: বঙ্গ बॉंगो, বাংলা बांला, বঙ্গদেশ बॉंगोदेश या বাংলাদেশ बांलादेश, संस्कृत: अंग, वंग) उत्तरपूर्वी दक्षिण एशिया में एक क्षेत्र है। आज बंगाल एक स्वाधीन राष्ट्र, बांग्लादेश (पूर्वी बंगाल) और भारतीय संघीय प्रजातन्त्र का अंगभूत राज्य पश्चिम बंगाल के बीच में सहभाजी है, यद्यपि पहले बंगाली राज्य (स्थानीय राज्य का ढंग और ब्रिटिश के समय में) के कुछ क्षेत्र अब पड़ोसी भारतीय राज्य बिहार, त्रिपुरा और उड़ीसा में है। बंगाल में बहुमत में बंगाली लोग रहते हैं। इनकी मातृभाषा बांग्ला है। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और बंगाल

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और भारत

भारत में अकाल

भारत में अकाल का बहुत पुराना इतिहास रहा है। 1022-1033 के बीच कई बार अकाल पड़ा। सम्पूर्ण भारत में बड़ी संख्या में लोग मरे थे। 1700 के प्रारंभ में भी अकाल ने अपना भीषण रूप दिखाया था। 1860 के बाद 25 बड़े अकाल आए। इन अकालों की चपेट में तमिलनाडु, बिहार और बंगाल आए। 1876, 1899, 1943-44, 1957, 1966 में भी अकाल ने तबाही मचाई थी। उड़ीसा, बंगाल, बिहार आदि पिछड़े राज्यों में लोग कई-कई दिन भूखे रहते थे। लोग एक मुट्ठी अनाज के लिए तड़पते थे। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और भारत में अकाल

म्यान्मार

म्यांमार यो ब्रह्मदेश दक्षिण एशिया का एक देश है। इसका आधुनिक बर्मी नाम 'मयन्मा' (မြန်မာ .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और म्यान्मार

युद्ध

वर्ष १९४५ में कोलोन युद्ध एक लंबे समय तक चलने वाला आक्रामक कृत्य है जो सामान्यतः राज्यों के बीच झगड़ों के आक्रामक और हथियारबंद लड़ाई में परिवर्तित होने से उत्पन्न होता है। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और युद्ध

सूखा

अकाल भोजन का एक व्यापक अभाव है जो किसी भी पशुवर्गीय प्रजाति पर लागू हो सकता है। इस घटना के साथ या इसके बाद आम तौर पर क्षेत्रीय कुपोषण, भुखमरी, महामारी और मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। जब किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक (कई महीने या कई वर्ष तक) वर्षा कम होती है या नहीं होती है तो इसे सूखा या अकाल कहा जाता है। सूखे के कारण प्रभावित क्षेत्र की कृषि एवं वहाँ के पर्यावरण पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। इतिहास में कुछ अकाल बहुत ही कुख्यात रहे हैं जिसमें करोंड़ों लोगों की जाने गयीं हैं। अकाल राहत के आपातकालीन उपायों में मुख्य रूप से क्षतिपूरक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि विटामिन और खनिज पदार्थ देना शामिल है जिन्हें फोर्टीफाइड शैसे पाउडरों के माध्यम से या सीधे तौर पर पूरकों के जरिये दिया जाता है।, बीबीसी न्यूज़, टाइम सहायता समूहों ने दाता देशों से खाद्य पदार्थ खरीदने की बजाय स्थानीय किसानों को भुगतान के लिए नगद राशि देना या भूखों को नगद वाउचर देने पर आधारित अकाल राहत मॉडल का प्रयोग करना शुरू कर दिया है क्योंकि दाता देश स्थानीय खाद्य पदार्थ बाजारों को नुकसान पहुंचाते हैं।, क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर लंबी अवधि के उपायों में शामिल हैं आधुनिक कृषि तकनीकों जैसे कि उर्वरक और सिंचाई में निवेश, जिसने विकसित दुनिया में भुखमरी को काफी हद तक मिटा दिया है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 9 जुलाई 2009 विश्व बैंक की बाध्यताएं किसानों के लिए सरकारी अनुदानों को सीमित करते हैं और उर्वरकों के अधिक से अधिक उपयोग के अनापेक्षित परिणामों: जल आपूर्तियों और आवास पर प्रतिकूल प्रभावों के कारण कुछ पर्यावरण समूहों द्वारा इसका विरोध किया जाता है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 2 दिसम्बर 2007, दी अटलांटिक .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और सूखा

जमाखोरी

अर्थशास्त्र में, किसी व्यापारी द्वारा सामान्य से बहुत अधिक सामान इकट्ठा करना जमाखोरी (hoarding) कहलाता है। जमाखोरी का मुख्य उद्देश्य बाजार में सामानों की कृत्रिम कमी पैदा करना और इससे सामान्य लाभ की अपेक्षा बहुत अधिक लाभ कमाना है। श्रेणी:मूल्य नियंत्रण.

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और जमाखोरी

विन्सटन चर्चिल

विन्सटन चर्चिल विन्सटन चर्चिल(30 नवंबर, 1874-24 जनवरी, 1965) अंग्रेज राजनीतिज्ञ। द्वितीय विश्वयुद्ध, 1940-1945 के समय इंगलैंड के प्रधानमंत्री था। चर्चिल प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ और प्रखर वक्ता था। वो सेना में अधिकारी रह चुका था, साथ ही वह इतिहासकार, लेखक और कलाकार भी था। वह एकमात्र प्रधानमंत्री था जिसे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अपने आर्मी कैरियर के दौरान चर्चिल भारत, सूडान और द्वितीय विश्वयुद्ध में अपना जौहर दिखाया था। उसने युद्ध संवाददाता के रूप में ख्याति पाई थी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उसने ब्रिटिश सेना में अहम जिम्मेदारी संभाली थी। राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने कई पदों पर कार्य किया। विश्वयुद्ध से पहले वे गृहमंत्रालय में व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष रहे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे लॉर्ड ऑफ एडमिरिल्टी बने रहे। युद्ध के बाद उन्हें शस्त्र भंडार का मंत्री बनाया गया। 10 मई 1940 को उन्हें युनाइटेड किंगडम का प्रधानमंत्री बनाया गया और उन्होंने धूरी राष्ट्रों के खिलाफ लड़ाई जीती। चर्चिल प्रखर वक्ता थे। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और विन्सटन चर्चिल

ओडिशा

ओड़िशा, (ओड़िआ: ଓଡ଼ିଶା) जिसे पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता था, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। ओड़िशा उत्तर में झारखंड, उत्तर पूर्व में पश्चिम बंगाल दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में छत्तीसगढ से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। यह उसी प्राचीन राष्ट्र कलिंग का आधुनिक नाम है जिसपर 261 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक ने आक्रमण किया था और युद्ध में हुये भयानक रक्तपात से व्यथित हो अंतत: बौद्ध धर्म अंगीकार किया था। आधुनिक ओड़िशा राज्य की स्थापना 1 अप्रैल 1936 को कटक के कनिका पैलेस में भारत के एक राज्य के रूप में हुई थी और इस नये राज्य के अधिकांश नागरिक ओड़िआ भाषी थे। राज्य में 1 अप्रैल को उत्कल दिवस (ओड़िशा दिवस) के रूप में मनाया जाता है। क्षेत्रफल के अनुसार ओड़िशा भारत का नौवां और जनसंख्या के हिसाब से ग्यारहवां सबसे बड़ा राज्य है। ओड़िआ भाषा राज्य की अधिकारिक और सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भाषाई सर्वेक्षण के अनुसार ओड़िशा की 93.33% जनसंख्या ओड़िआ भाषी है। पाराद्वीप को छोड़कर राज्य की अपेक्षाकृत सपाट तटरेखा (लगभग 480 किमी लंबी) के कारण अच्छे बंदरगाहों का अभाव है। संकीर्ण और अपेक्षाकृत समतल तटीय पट्टी जिसमें महानदी का डेल्टा क्षेत्र शामिल है, राज्य की अधिकांश जनसंख्या का घर है। भौगोलिक लिहाज से इसके उत्तर में छोटानागपुर का पठार है जो अपेक्षाकृत कम उपजाऊ है लेकिन दक्षिण में महानदी, ब्राह्मणी, सालंदी और बैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य रूप से चावल उत्पादक क्षेत्र है। राज्य के आंतरिक भाग और कम आबादी वाले पहाड़ी क्षेत्र हैं। 1672 मीटर ऊँचा देवमाली, राज्य का सबसे ऊँचा स्थान है। ओड़िशा में तीव्र चक्रवात आते रहते हैं और सबसे तीव्र चक्रवात उष्णकटिबंधीय चक्रवात 05बी, 1 अक्टूबर 1999 को आया था, जिसके कारण जानमाल का गंभीर नुकसान हुआ और लगभग 10000 लोग मृत्यु का शिकार बन गये। ओड़िशा के संबलपुर के पास स्थित हीराकुंड बांध विश्व का सबसे लंबा मिट्टी का बांध है। ओड़िशा में कई लोकप्रिय पर्यटक स्थल स्थित हैं जिनमें, पुरी, कोणार्क और भुवनेश्वर सबसे प्रमुख हैं और जिन्हें पूर्वी भारत का सुनहरा त्रिकोण पुकारा जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर जिसकी रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध है और कोणार्क के सूर्य मंदिर को देखने प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक आते हैं। ब्रह्मपुर के पास जौगदा में स्थित अशोक का प्रसिद्ध शिलालेख और कटक का बारबाटी किला भारत के पुरातात्विक इतिहास में महत्वपूर्ण हैं। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और ओडिशा

आयात

किसी भी तरह के उत्पादों या सेवओं को बाहर के किसी देश से खरीदने को आयात कहते हैं। आयात का उल्टा होता है निर्यात। श्रेणी:अर्थशास्त्र.

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और आयात

कोलकाता

बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .

देखें १९४३ का बंगाल का अकाल और कोलकाता

यह भी देखें

ब्रिटिश भारत में अकाल

भारत में अकाल