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हाउसा भाषा

सूची हाउसा भाषा

हाउसा भाषा (Hausa language) पश्चिमी अफ़्रीका में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह अफ़्रो-एशियाई भाषा-परिवार की चाडी शाखा की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसे 3.5 करोड़ लोग मातृभाषा के रूप में और करोड़ों अन्य द्वितीय भाषा के रूप में बोलते हैं। शुरु में यह दक्षिणी नाइजर और उत्तरी नाइजीरिया के हाउसा समुदाय की भाषा हुआ करती थी लेकिन समय के साथ-साथ फैलकर पूरे पश्चिमी अफ़्रीका के एक बड़े भूभाग की सम्पर्क भाषा बन गई। यह एक सुरभेदी भाषा है और सुरों के अंतर के आधार पर इसे कई पारम्परिक उपभाषाओं में बांटा जाता है। आरम्भ में हाउसा भाषा को "अजमी" कहलाने वाले अरबी लिपि के एक परिवर्तित रूप में लिखा जाता था लेकिन अब इसे "बोको" कहलाने वाले रोमन लिपि के एक रूप में लिखा जाता है। .

13 संबंधों: चाडी भाषाएँ, नाईजीरिया, नाइजर, पश्चिमी अफ्रीका, भाषा, मातृभाषा, रोमन लिपि, सम्पर्क भाषा, सामी-हामी भाषा-परिवार, सुरभेदी भाषा, हाउसा लोग, अरबी लिपि, उपभाषा

चाडी भाषाएँ

चाडी भाषाएँ (Chadic languages) अफ़्रीका के सहेल क्षेत्र में बोला जाने वाला एक भाषा-परिवार है। यह अफ़्रो-एशियाई भाषा-परिवार (सामी-हामी भाषा-परिवार) की एक शाखा है। चाडी भाषा-परिवार में लगभग 150 भाषाएँ आती हैं जो उत्तरी नाइजीरिया, दक्षिणी नाइजर, दक्षिणी चाड, मध्य अफ़्रीकी गणतंत्र और उत्तरी कैमरून में बोली जाती है। हाउसा भाषा सर्वाधिक बोली जाने वाली चाडी भाषा है और पश्चिमी अफ़्रीका के समुद्र से दूर वाले अधिकांश भागों में बोली जाती है। .

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नाईजीरिया

thumb फेडेरल रिपब्लिक ऑफ नाईजीरिया या नाईजीरिया संघीय गणराज्य पश्चिम अफ्रीका का एक देश है। इसकी सीमाएँ पश्चिम में बेनीन, पूर्व में चाड, उत्तर में hiकैमरून और दक्षिण में गुयाना की खाड़ी से लगती हैं। इस देश के बड़े शहरों में राजधानी अबुजा, भूतपूर्व राजधानी लागोस के अलावा इबादान, कानो, जोस और बेनिन शहर शामिल हैं। नाइजीरिया पश्चिमी अफ्रीका का एक प्रमुख देश है। पूरे अफ्रीका महाद्वीप में इस देश की आबादी सबसे अधिक है। नाइजीरिया की सीमा पश्चिम में बेनिन, पूर्व में चाड और कैमरून और उत्तर में नाइजर से मिलती हैं। .

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नाइजर

नाइजर (या); in French) अफ़्रीका का एक देश है। इसका नाम नाइजर नदी से पड़ा है। .

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पश्चिमी अफ्रीका

अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी भाग को दक्षिणी अफ्रीका कहते हैं। इसमें बोत्सवानालेसोथोनामीबियादक्षिण अफ्रीकास्वाजीलैंड देश आते हैं। इनके विस्तृत आंकड़े इस प्रकार से हैं:- .

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भाषा

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त करते है और इसके लिये हम वाचिक ध्वनियों का उपयोग करते हैं। भाषा मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है। किसी भाषा की सभी ध्वनियों के प्रतिनिधि स्वन एक व्यवस्था में मिलकर एक सम्पूर्ण भाषा की अवधारणा बनाते हैं। व्यक्त नाद की वह समष्टि जिसकी सहायता से किसी एक समाज या देश के लोग अपने मनोगत भाव तथा विचार एक दूसरे पर प्रकट करते हैं। मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है। बोली। जबान। वाणी। विशेष— इस समय सारे संसार में प्रायः हजारों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं जो साधारणतः अपने भाषियों को छोड़ और लोगों की समझ में नहीं आतीं। अपने समाज या देश की भाषा तो लोग बचपन से ही अभ्यस्त होने के कारण अच्छी तरह जानते हैं, पर दूसरे देशों या समाजों की भाषा बिना अच्छी़ तरह नहीं आती। भाषाविज्ञान के ज्ञाताओं ने भाषाओं के आर्य, सेमेटिक, हेमेटिक आदि कई वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग अलग शाखाएँ स्थापित की हैं और उन शाखाकों के भी अनेक वर्ग उपवर्ग बनाकर उनमें बड़ी बड़ी भाषाओं और उनके प्रांतीय भेदों, उपभाषाओं अथाव बोलियों को रखा है। जैसे हमारी हिंदी भाषा भाषाविज्ञान की दृष्टि से भाषाओं के आर्य वर्ग की भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है; और ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उपभाषाएँ या बोलियाँ हैं। पास पास बोली जानेवाली अनेक उपभाषाओं या बोलियों में बहुत कुछ साम्य होता है; और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं। यही बात बड़ी बड़ी भाषाओं में भी है जिनका पारस्परिक साम्य उतना अधिक तो नहीं, पर फिर भी बहुत कुछ होता है। संसार की सभी बातों की भाँति भाषा का भी मनुष्य की आदिम अवस्था के अव्यक्त नाद से अब तक बराबर विकास होता आया है; और इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है। भारतीय आर्यों की वैदिक भाषा से संस्कुत और प्राकृतों का, प्राकृतों से अपभ्रंशों का और अपभ्रंशों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है। सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा आभ्यंतर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं वह हमारे आभ्यंतर के निर्माण, विकास, हमारी अस्मिता, सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का भी साधन है। भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है और अपने इतिहास तथा परम्परा से विच्छिन्न है। इस समय सारे संसार में प्रायः हजारों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं जो साधारणतः अपने भाषियों को छोड़ और लोगों की समझ में नहीं आतीं। अपने समाज या देश की भाषा तो लोग बचपन से ही अभ्यस्त होने के कारण अच्छी तरह जानते हैं, पर दूसरे देशों या समाजों की भाषा बिना अच्छी़ तरह सीखे नहीं आती। भाषाविज्ञान के ज्ञाताओं ने भाषाओं के आर्य, सेमेटिक, हेमेटिक आदि कई वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग अलग शाखाएँ स्थापित की हैं और उन शाखाओं के भी अनेक वर्ग-उपवर्ग बनाकर उनमें बड़ी बड़ी भाषाओं और उनके प्रांतीय भेदों, उपभाषाओं अथाव बोलियों को रखा है। जैसे हिंदी भाषा भाषाविज्ञान की दृष्टि से भाषाओं के आर्य वर्ग की भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है; और ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उपभाषाएँ या बोलियाँ हैं। पास पास बोली जानेवाली अनेक उपभाषाओं या बोलियों में बहुत कुछ साम्य होता है; और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं। यही बात बड़ी बड़ी भाषाओं में भी है जिनका पारस्परिक साम्य उतना अधिक तो नहीं, पर फिर भी बहुत कुछ होता है। संसार की सभी बातों की भाँति भाषा का भी मनुष्य की आदिम अवस्था के अव्यक्त नाद से अब तक बराबर विकास होता आया है; और इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है। भारतीय आर्यों की वैदिक भाषा से संस्कृत और प्राकृतों का, प्राकृतों से अपभ्रंशों का और अपभ्रंशों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है। प्रायः भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिये लिपियों की सहायता लेनी पड़ती है। भाषा और लिपि, भाव व्यक्तीकरण के दो अभिन्न पहलू हैं। एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है और दो या अधिक भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है। उदाहरणार्थ पंजाबी, गुरूमुखी तथा शाहमुखी दोनो में लिखी जाती है जबकि हिन्दी, मराठी, संस्कृत, नेपाली इत्यादि सभी देवनागरी में लिखी जाती है। .

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मातृभाषा

अजबैजान में मातृभाषा का स्मारक (अना दिलि) जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। .

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रोमन लिपि

रोमन लिपि लिखावट का वो तरीका है जिसमें अंग्रेज़ी सहित पश्चिमी और मध्य यूरोप की सारी भाषाएँ लिखी जाती हैं, जैसे जर्मन, फ़्रांसिसी, स्पैनिश, पुर्तगाली, इतालवी, डच, नॉर्वेजियन, स्वीडिश, रोमानियाई, इत्यादि। ये बायें से दायें लिखी और पढ़ी जाती है। अंग्रेज़ी के अलावा लगभग सारी यूरोपीय भाषाएँ रोमन लिपि के कुछ अक्षरों पर अतिरिक्त चिन्ह भी प्रयुक्त करते हैं। रोमन लिपि के कुछ अक्शर। रोमन लिपि के कुछ अक्शर .

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सम्पर्क भाषा

उस भाषा को सम्पर्क भाषा (lingua franca) कहते हैं जो किसी क्षेत्र में सामान्य रूप से किसी भी दो ऐसे व्यक्तियों के बीच प्रयोग हो जिनकी मातृभाषाएँ अलग हैं। इसे कई भाषाओं में 'लिंगुआ फ़्रैंका' (lingua franca) कहते हैं। इसे सेतु-भाषा, व्यापार भाज़ा, सामान्य भाषा या वाहन-भाषा भी कहते हैं। मानव इतिहास में सम्पर्क भाषाएँ उभरती रही हैं। .

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सामी-हामी भाषा-परिवार

सामी-हामी (अथवा अफ़्रो-एशियाई) भाषा-परिवार (अंग्रेज़ी::en:Afro-Asiatic languages) मध्य-पूर्व (एशिया) और उत्तरी अफ़्रीका की कई सम्बन्धित भाषाओं का समूह है। इस परिवार की सामी शाखा साउदी अरब, फ़िलिस्तीन, इस्राइल, इराक़, सीरिया (शाम), मिस्र, यार्दन, इथियोपिया, तुनीसिया, अल्जीरिया, मोरोक्को, इत्यादि में और हामी शाखा लीबिया, सोमालीलैंड, मिस्र और इथियोपिया में फ़ैली हुई हैं। इसकी शामी शाखा में इब्रानी, अरबी, अरामी, प्राचीन सुमेरियाई शामिल हैं और हामी शाखा में प्राचीन मिस्री, कॉप्टिक, सोमाली, गल्ला, नामा, आदि भाषाएँ आती हैं। इस वर्ग की भाषाएँ अन्तर्मुखी श्लिष्ट-योगातमक होती हैं। उदाहरण के तौर पर अरबी में क्-त्-ल् (मारना) धातु से बीच में स्वर घुसाने पर कई नये शब्द बनते हैं, जैसे: कत्ल (हत्या), कातिल (हत्यारा), कित्ल (दुश्मन) और यक्तुल (वो मारता है)। श्रेणी:भाषा-परिवार.

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सुरभेदी भाषा

Six tones of Vietnamese language.png एक भाषा के विभिन्न स्वर सुरभेदी भाषा ऐसी भाषा को कहा जाता है जिसमें आवाज़ के सुर के बदलाव के आधार पर शब्दों और वाक्यों का अर्थ बदल जाता हो। चीनी भाषा विश्व की सब से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली सुरभेदी भाषा है। भारत में पंजाबी और डोगरी जैसी पश्चिमी पहाड़ी भाषाएँ सुरभेदी होती हैं। कुछ हद तक हर भाषा में सुरों के ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता है (जैसे कि ग़ुस्सा या दुख) लेकिन एक ही वर्णों वाले शब्दों का अर्थ सुरों के साथ केवल सुरभेदी भाषाओँ में बदलता है। .

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हाउसा लोग

हाउसा (Hausa) पश्चिमी अफ़्रीका में बसने वाला एक समुदाय है जिसकी कुल आबादी लगभग ५ करोड़ है और जो पूरे अफ़्रीका महाद्वीप के सबसे बड़े समुदायों में से एक है। हाउसा उत्तरी नाइजीरिया और दक्षिणपूर्वी नाइजर देशों में रहते हैं हालांकि इनकी बस्तियाँ कैमरून, कोत दिव्वार, चाड, टोगो, घाना, गबोन और सेनेगल में भी मिलती हैं। इनकी हाउसा भाषा अफ़्रो-एशियाई भाषा-परिवार की चाडी शाखा की सदस्या है। यह अधिकतर इस्लाम के अनुयायी होते हैं। .

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अरबी लिपि

अरबी लिपि में अरबी भाषा सहित कई भाषाएं लिखीजाती हैं। अरबी लिपि दाएँ से बाएँ लिखी जाती है। इसकी कई ध्वनियाँ उर्दू की ध्वनियों से अलग हैं। हर एक स्वर या व्यंजन के लिये (जो अरबी भाषा में प्रयुक्त होता है) एक और सिर्फ़ एक ही अक्षर है। ह्रस्व स्वरों की मात्राएँ देना वैकल्पिक है। अकेला शुरुआती मध्य अन्तिम नाम लिप्यान्तरण IPA उच्चारण ﺍ — ﺎ ʾ / ā various, including ﺏ ﺑ ﺒ ﺐ b ﺕ ﺗ ﺘ ﺖ t ﺙ ﺛ ﺜ ﺚ ṯ ﺝ ﺟ ﺠ ﺞ ǧ (also j, g) ﺡ ﺣ ﺤ ﺢ ḥ ﺥ ﺧ ﺨ ﺦ ḫ (also kh, x) ﺩ — ﺪ d ﺫ — ﺬ ḏ (also dh, ð) ﺭ — ﺮ r ﺯ — ﺰ z ﺱ ﺳ ﺴ ﺲ s ﺵ ﺷ ﺸ ﺶ š (also sh) ﺹ ﺻ ﺼ ﺺ ṣ ﺽ ﺿ ﻀ ﺾ ḍ ﻁ ﻃ ﻄ ﻂ ṭ ﻅ ﻇ ﻈ ﻆ ẓ ﻉ ﻋ ﻌ ﻊ ʿ ﻍ ﻏ ﻐ ﻎ ġ (also gh) ﻑ ﻓ ﻔ ﻒ f ﻕ ﻗ ﻘ ﻖ q ﻙ ﻛ ﻜ ﻚ k ﻝ ﻟ ﻠ ﻞ l, (in Allah only) ﻡ ﻣ ﻤ ﻢ m ﻥ ﻧ ﻨ ﻦ n ﻩ ﻫ ﻬ ﻪ h ﻭ — ﻮ w / ū, ﻱ ﻳ ﻴ ﻲ y / ī, श्रेणी:अरबी-फ़ारसी लिपियाँ श्रेणी:लिपि श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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उपभाषा

उपभाषा (अंग्रेज़ी: dialect, डायालॅक्ट​) किसी भाषा के ऐसे विशेष रूप को बोलते हैं जिसे उस भाषा के बोलने वाले लोगों में एक भिन्न समुदाय प्रयोग करता हो। अक्सर 'उपभाषा' किसी भाषा के क्षेत्रीय प्रकारों को कहा जाता है, उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ी, हरयाणवी, मारवाड़ी, ब्रजभाषा और खड़ीबोली हिन्दी की कुछ क्षेत्रीय उपभाषाएँ हैं।, Manisha Kulshreshtha, Ramkumar Mathur, pp.

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