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हेमिल्टोनीय यांत्रिकी

सूची हेमिल्टोनीय यांत्रिकी

हेमिल्टोनीय यांत्रिकी अथवा हेमिल्टोनियन यांत्रिकी चिरसम्मत यांत्रिकी के पुनःसूत्रिकरण पर आधारित एक विकसित सिद्धान्त है जो चिरसम्मत यांत्रिकी के समान परिणाम देता है। इसमें विभिन्न गणितीय सूत्रों का उपयोग होता है, जो सिद्धांतो को अधिक अमूर्त रूप में समझने में सहायक हैं। ऐतिहासिक रूप से यह चिरसम्मत यांत्रिकी के सूत्रों का पुनःसूत्रिकरण है, जिसने बाद में क्वांटम यान्त्रिकी के सूत्रिकरण में योगदान किया। हेमिल्टोनीय यांत्रिकी १८३३ में विलियम रोवन हेमिल्टन ने लाग्रांजियन यांत्रिकी से आरम्भ करते हुए प्रथम सूत्रीकरण किया, इससे पूर्व १७८८ में जोसेफ लुई लाग्रांज ने चिरसम्मत यांत्रिकी का पुनःसूत्रिकरण प्रस्तुत किया। .

6 संबंधों: चिरसम्मत यांत्रिकी, प्रमात्रा यान्त्रिकी, लाग्रांजीय यांत्रिकी, स्थितिज ऊर्जा, जोसेफ लुई लाग्रांज, गतिज ऊर्जा

चिरसम्मत यांत्रिकी

भौतिक विज्ञान में चिरसम्मत यांत्रिकी, यांत्रिकी के दो विशाल क्षेत्रों में से एक है, जो बलों के प्रभाव में वस्तुओं की गति से सम्बंधित भौतिकी के नियमो के समुच्चय की विवेचना करता है। वस्तुओं की गति का अध्ययन बहुत प्राचीन है, जो चिरसम्मत यांत्रिकी को विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी सबसे प्राचीन विषयों में से एक और विशाल विषय बनाता है। .

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प्रमात्रा यान्त्रिकी

प्रमात्रा यान्त्रिकी (Quantum mechanics) कुछ वैज्ञानिक सिद्धान्तों का एक समुच्चय है जो परमाणवीय पैमाने पर उर्जा एवं पदार्थ के ज्ञात गुणधर्मों की व्याख्या करते हैं। इसमें उप-परमाणु पैमाने पर जो प्रकाश और उप-परमाण्वीय कणों में तरंग-कण द्विरूप देखा जाता है, उसका गणित आधार सम्मिलित है। क्वाण्टम यान्त्रिकी में उर्जा और पदार्थ के गहरे सम्बन्ध का भी गणित आधार सम्मिलित है। .

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लाग्रांजीय यांत्रिकी

लाग्रांजीय यांत्रिकी अथवा लाग्रांजियन यांत्रिकी स्थिर प्रक्रिया द्वारा हेमिल्टन विधि द्वारा चिरसम्मत यांत्रिकी का एक पुनःसूत्रिकरण है। .

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स्थितिज ऊर्जा

रोलर कोस्टर में जब गाड़ी सबसे ऊँचाई पर रहती है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा भी सर्वाधिक होती है तथा जब वो सबसे नीचे आती है तो उसमें गतिज ऊर्जा सर्वाधिक होती है। अर्थात स्थितिज ऊर्जा .

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जोसेफ लुई लाग्रांज

फ्रांस के महान गणितज्ञ जोसेफ लुई लाग्रांज जोसेफ लुई लाग्रांज (Joseph Louis Lagrange, 1736 - 1813) फ्रांस के गणितज्ञ थे। इनका जन्म 25 जनवरी 1736 ई. को ट्यूरिन में हुआ। 17 वर्ष की अल्पायु में ये राजकीय सैनिक अकादमी में गणित के प्रोफेसर नियुक्त हुए। गणित एवं खगोल शास्त्र को इनकी देन अपूर्व है। खगोल शास्त्र में इन्होंने "चंद्र-मुक्ति-सिद्धांत" तथा "बृहस्पति के चार उपग्रह संबंधी सिद्धांत" की व्याख्या पर अनेक अन्वेषण किए। 1766 ई. में ये बर्लिन में गणित के प्रोफेसर नियुक्त हुए। तदुपरांत लाग्रांज ने समीकरणों एवं संख्याओं के सिद्धांतों पर अनेक खोजें कीं और द्विघातीय अनिर्णीत समीकरण का हल दिया (जो हिंदू गणितज्ञों के ही अनुरूप था), तृतीय वर्ण के सारणिकों का सूची स्तंभ संबंधी अन्वेषणों में खूब प्रयोग किया और विचरण करलन (जिसके आविष्कार का श्रेय आयलर के साथ इनको भी है) की सहायता से काल्पनिक-वेग-सिद्धांत से यंत्रविज्ञान की संपूर्ण पद्धतियों का निगमन किया। इनके अतिरिक्त इन्होंने संभाव्यता, परिमित अंतर, आरोह सितत भिन्नों और दीर्घवृत्तीय समकलों पर भी अनेक अन्वेषण किए। इनके प्रसिद्ध ग्रंथ "मेकानिक अनालितिक" (Theoric des fonctions analytiques, 1797 ई.), "लसों स्यूर न काल्क्युल दे फौंक्स्यों" (Lecons sur lecalcul des fonctions, 1801 ई.), रेजोल्यूस्यो देजोक्वास्यों न्यूमेरिक (Resolution des equations numeriques, 1798 ई.) और "नूवैल मेथौद पूर रेज़ूद्र लेजाक्वस्यों लितेराल पार ल मुअइयें द सेरि" (Nouvelle methode pour resoudre les equations litterales par le moyen des series, 1770 ई.) है। 10 अप्रैल 1813 ई. को पैरिस में इनका देहांत हो गया। .

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गतिज ऊर्जा

गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है। यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा E हो तो उसे विरामावस्था में लाने के लिये E के बराबर ऋणात्मक कार्य करना पड़ेगा। गतिज ऊर्जा (रेखीय गति) .

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