लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

हीमोग्लोबिन

सूची हीमोग्लोबिन

मानव के रुधिरवर्णिका की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। रुधिरवर्णिका या हीमोग्लोबिन (वर्तनी में हेमोग्लोबिन और संक्षिप्त में एचबी या एचजीबी) पृष्ठवंशियों की लाल रक्त कोशिकाओं और कुछ अपृष्ठवंशियों के ऊतकों में पाया जाने वाला लौह-युक्त आक्सीजन का परिवहन करने वाला धातुप्रोटीन है.

11 संबंधों: नीला, परिसंचरण तंत्र, पर्णहरित, बीटा-ग्लोबिन, मैमथ, लाल, लोहा, हरा, ऑक्सीजन, कशेरुकी प्राणी, कोशिका केन्द्रक

नीला

नीला रंग वह है, जिसे प्रकाश के प्रत्यक्ष वर्णक्रम की 440–490 nm की तरंगदैर्घ्य द्वारा दृश्य किया जाता है। यह एक संयोजी प्राथमिक रंग है। इसका सम्पूरक रंग पीला है, यदि HSL एवं HSV वर्ण चक्र पर देखें तो। परंपरागत वर्णचक्र पर इसका सम्पूरक रंग है नारंगी। भारत का राष्ट्रीय क्रीडा़ रंग भी नीला ही है। यह धर्म-निर्पेक्षता दिखलाता है। .

नई!!: हीमोग्लोबिन और नीला · और देखें »

परिसंचरण तंत्र

परिसंचरण तंत्र की खोज 1628 ईसवी में विलियम हार्वे ने किया था। मानव का परिसंचरण तंत्र; यहाँ लाल रंग आक्सीजनयुक्त रक्त का सूचक है तथा नीला रंग आक्सीजनरहित रक्त का सूचक है। परिसंचरण तंत्र या वाहिकातंत्र (circulatory system) अंगों का वह समुच्चय है जो शरीर की कोशिकाओं के बीच पोषक तत्वों का यातायात करता है। इससे रोगों से शरीर की रक्षा होती है तथा शरीर का ताप एवं pH स्थिर बना रहता है। अमिनो अम्ल, विद्युत अपघट्य, गैसें, हार्मोन, रक्त कोशिकाएँ तथा नाइट्रोजन के अपशिष्ट उत्पाद आदि परिसंचरण तंत्र द्वारा यातायात किये जाते हैं। केवल रक्त-वितरण नेटवर्क को ही कुछ लोग वाहिका तंत्र मानते हैं जबकि अन्य लोग लसीका तंत्र को भी इसी में सम्मिलित करते हैं। मानव एवं अन्य कशेरुक प्राणियों के परिसंचरण तंत्र, 'बन्द परिसंचरण तंत्र' हैं (इसका मतलब है कि रक्त कभी भी धमनियों, शिराओं, एवं केशिकाओं के जाल से बाहर नहीं जाता)। अकशेरुकों के परिसंचरण तंत्र, 'खुले परिसंचरण तंत्र' हैं। बहुत से तुच्छ (primitive animal) में परिसंचरन तंत्र होता ही नहीं। किन्तु सभी प्राणियों का लसीका तंत्र एक खुला तंत्र होता है। वाहिकातंत्र हृदय, धमनियों तथा शिराओं के समूह का नाम है। धमनियों और शिराओं के बीच केशिकाओं का विस्तृत समूह भी इसी तंत्र का भाग है। इस तंत्र का काम शरीर के प्रत्येक भाग में रुधिर को पहुँचाना है, जिससे उसे पोषण और ऑक्सीजन प्राप्त हो सकें। इस तंत्र का केंद्र हृदय है, जो रुधिर को निरंतर पंप करता रहता है और धमनियाँ वे वाहिकाएँ हैं जिनमें होकर रुधिर अंगों में पहुँचता है तथा केशिकाओं द्वारा वितरित होता है। केशिकाओं के रुधिर से पोषण और ऑक्सीजन ऊतकों में चले जाते हैं और इस पोषण और ऑक्सीजन से विहीन रुधिर को वे शिरा में लौटाकर हृदय में लाती हैं जो उसको फुप्फुस में ऑक्सीजन लेने के लिए भेज देता है। आंत्र से अवशोषित होकर पोषक अवयव भी इस रुधिर में मिल जाते हैं और फिर से इस रुधिर को अंगों में ऑक्सीजन तथा पोषण पहुँचाने के लिए धमनियों द्वारा भेज दिया जाता है। .

नई!!: हीमोग्लोबिन और परिसंचरण तंत्र · और देखें »

पर्णहरित

पौधों की कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट के क्लोरोफिल अत्यधिक मात्रा में पाइ जाती हैं। पर्णहरित, हरितलवक, पर्ण हरिम या क्लोरोफिल एक प्रोटीनयुक्त जटिल रासायनिक यौगिक है। यह वर्णक पत्तों के हरे रंग का कारण है। यह प्रकाश-संश्लेषण का मुख्य वर्णक है। इसे फोटोसिन्थेटिक पिगमेंट भी कहते हैं। इसका गठन कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा मैग्निसियम तत्वों से होता है। क्लोरोफिल-ए तथा क्लोरोफिल-बी दो प्रकार का होता है। यह सभी स्वपोषी हरे पौधों में पाया जाता है। क्लोरोफिल के साथ साथ दो अन्य वर्णक कैरोटीन (C40 H56) और ज़ैथोफ़िल (C40 H56 O2) भी पत्तों में पाए जाते हैं। .

नई!!: हीमोग्लोबिन और पर्णहरित · और देखें »

बीटा-ग्लोबिन

thumb बीटा-ग्लोबिन एक प्रोटिन है जो अल्फा प्रोटिन से मिलकर वस्यक हिमोग्लोबिन बनाता है। यह प्रोटिन बनाने वाला जीन बीटा-ग्लोबिन लोकस पर अवस्थित होता है। यह प्रोटिन के म्युटेसन/परिवर्तन के कारण से हंसिया-कोशिका रोग होता है। .

नई!!: हीमोग्लोबिन और बीटा-ग्लोबिन · और देखें »

मैमथ

मैमथ (अंग्रेजी:Mammoth), एक विशालकाय हाथी सदृश जीव था जो अब विलुप्त हो चुका है। इसका वैज्ञानिक नाम 'मैमुथस प्राइमिजीनियस'(Mammuthus primigenius) है। यह साइबेरिया के टुंड्रा प्रदेश में बर्फ में दबे एक हाथी का नाम है, जो अब विलुप्त हो चुका है, परन्तु बर्फ के कारण जिसका संपूर्ण मृत शरीर आज भी सुरक्षित मिला है। अनुमान लगाया जाता है कि फ्रांस में यह जंतु हिम युग के अंत तक और साइबीरिया में संभवत: और आगे तक जीवित रहा होगा। मैमथ शब्द की उत्पत्ति साइबीरियाई भाषा के 'मैमथ' शब्द से मानी जाती है, जिसका अभिप्राय 'भूमि के नीचे रहनेवाले जंतु' से होता है। चूँकि इस हाथी का शरीर सदैव जमे हुए बर्फीले कीचड़ के नीचे ही पाया गया है, अत: उस देश के किसान मैमथ को एक प्रकार का वृहत छछूँदर ही समझते थे। फ्रांस की गुफाओं में पूर्व प्रस्तरयुगीन (Palaeolithic) शिकारी मानव के उपर्युक्त हाथी के बहुत से चित्र बनाकर छोड़े हैं, जिससे स्पष्ट हो जाता है कि यह जंतु पहले यूरोप (और संभवत: भारत और उत्तरी अमरीका, जहाँ उससे मिलते जुलते हाथियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं) में रहा करता था और हिम युग के समाप्त होने और बर्फ के खिसकने पर भोजन की खोज में उत्तर की ओर बढ़ा और वहाँ की दलदली भूमि में अपने भारी शरीर के कारण धँस गया तथा दलदल के साथ जम गया। आकार में मैमथ वर्तमान हाथियों के ही बराबर होते थे, परंतु कई गुणों में उनसे भिन्न थे। उदाहरणार्थ वर्तमान हाथियों के प्रतिकूल मैमथ का शरीर भूरे और काले तथा कई स्थानों पर जमीन तक लंबे बालों से ढँका था, खोपड़ी छोटी और ऊँची, कान छोटे तथा मैमथ दंत (tusk) अत्यधिक (14 फुट तक) लंबे (यद्यपि कमजोर) थे। मैमथ दंत की एक विशेषता यह भी थी कि वे सर्पिल (spiral) थे। मैमथ दंत इतनी अच्छी दशा में सुरक्षित हैं कि आज भी उद्योग में उनका उपयोग है और मध्कालीन समय में तो साइबेरिया से लेकर चीन के मध्य उनका अच्छा व्यापार भी होता था। सच तो यह है कि बर्फ में दबे रहने के कारण मैमथों, का सारा शरीर ही इतनी अच्छी दशा में सुरक्षित मिला है कि न केवल इनका मांस खाने योग्य पाया गया वरन उनके मुँह और आमाशय में पड़ा उस समय का भोजन भी अभी तक सुरक्षित मिला है। .

नई!!: हीमोग्लोबिन और मैमथ · और देखें »

लाल

लाल वर्ण को रक्त वर्ण भी कहा जाता है, कारण इसका रक्त के रंग का होना। लाल वर्ण प्रकाश की सर्वाधिक लम्बी तरंग दैर्घ्य वाली रोशनी या प्रकाश किरण को कहते हैं, जो कि मानवीय आँख द्वारा दृश्य हो। इसका तरंग दैर्घ्य लगभग625–740 nm तक होता है। इससे लम्बी तरंग को अधोरक्त कहते हैं, जो कि मानवीय चक्षु द्वारा दृश्य नहीं है। लाल रंग प्रकाश का संयोजी प्राथमिक रंग है, जो कि क्याना रंग का सम्पूरक है। लाल रंग सब्ट्रेक्टिव प्राथमिक रंग भी है RYB वर्ण व्योम में, परंतु CMYK वर्ण व्योम में नहीं। मानवीय रंग मनोविज्ञान में, लाल रंग जुडा़ है ऊष्मा, ऊर्जा एवं रक्त से, साथ ही वे भावनाएं जो कि रक्त से जुडी़ हैं। जैसे कि क्रोध, आवेश, प्रेम। .

नई!!: हीमोग्लोबिन और लाल · और देखें »

लोहा

एलेक्ट्रोलाइटिक लोहा तथा उसका एक घन सेमी का टुकड़ा लोहा या लोह (Iron) आवर्त सारणी के आठवें समूह का पहला तत्व है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी समस्थानिक मिलते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं। लोहे का लैटिन नाम:- फेरस .

नई!!: हीमोग्लोबिन और लोहा · और देखें »

हरा

हरा एक रंग है। .

नई!!: हीमोग्लोबिन और हरा · और देखें »

ऑक्सीजन

ऑक्सीजन या प्राणवायु या जारक (Oxygen) रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। इसकी खोज, प्राप्ति अथवा प्रारंभिक अध्ययन में जे.

नई!!: हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन · और देखें »

कशेरुकी प्राणी

कशेरुकी जन्तु कशेरुकी या कशेरुकदंडी (वर्टेब्रेट, Vertebrate) प्राणिसाम्राज्य के कॉरडेटा (Chordata) समुदाय का सबसे बड़ा उपसमुदाय है। जिसके सदस्यों में रीढ़ की हड्डियाँ (backbones) या पृष्ठवंश (spinal comumns) विद्यमान रहते हैं। इस समुदाय में इस समय लगभग 58,000 प्रजातियाँ वर्णित हैं। इसमें बिना जबड़े वाली मछलियां, शार्क, रे, उभयचर, सरीसृप, स्तनपोषी तथा चिड़ियाँ शामिल हैं। ज्ञात जन्तुओं में लगभग 5% कशेरूकी हैं और शेष अकेशेरूकी। .

नई!!: हीमोग्लोबिन और कशेरुकी प्राणी · और देखें »

कोशिका केन्द्रक

केन्द्रक का चित्र कोशिका विज्ञान में केन्द्रक (लातीनी व अंग्रेज़ी: nucleus, न्यूक्लियस) वनस्पतियों, प्राणियों और सुकेन्द्रिक जीवों की अधिकांश कोशिकाओं में एक झिल्ली द्वारा बंद एक भाग (या कोशिकांग) होता है। सुकेन्द्रिक जीवों की हर कोशिका में अधिकतर एक केन्द्रक होता है, लेकिन स्तनधारियों की लाल रक्त कोशिकाओं में कोई केन्द्रक नहीं होता और ओस्टियोक्लास्ट कोशिकाओं में कई केन्द्रक होते हैं। प्राणियों के केन्द्रकों का व्यास लगभग ६ माइक्रोमीटर होता है और यह उनकी कोशिकाओं का सबसे बड़ा कोशिकांग होता है। कोशिका केन्द्रकों में कोशिकाओं की अधिकांश आनुवंशिक सामग्री होती है, जो कई लम्बे डी॰ ऍन॰ ए॰ अणुओं में सम्मिलित होती है, जिनके रेशों कई प्रोटीनों के प्रयोग से गुण सूत्रों (क्रोमोज़ोमों) में संगठित होते हैं। इन गुण सूत्रों में उपस्थित जीन कोशिका का जीनोम होते हैं और कोशिका की प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं। केन्द्रक इन जीनों को सुरक्षित रखता है और जीन व्यवहार संचालित करता है, यानि केन्द्रक कोशिका का नियंत्रणकक्ष होता है। पूरा केन्द्रक एक लिपिड द्विपरत की बनी झिल्ली द्वारा घिरा होता है जो केन्द्रक झिल्ली (nuclear membrane) कहलाती है और जो केन्द्रक के अन्दर की सामग्री को कोशिकाद्रव्य से पृथक रखता है। केन्द्रक के भीतर केन्द्रक आव्यूह (nuclear matrix) कहलाने वाला रेशों का ढांचा होता है जो केन्द्रक को आकार बनाए रखने के लिए यांत्रिक सहारा देता है, ठीक उसी तरह जैसे कोशिका कंकाल पूरी कोशिका को यांत्रिक सहारा देता है। .

नई!!: हीमोग्लोबिन और कोशिका केन्द्रक · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

हीमोग्लोबीन

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »