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हिपोक्रीत्ज़ की शपथ

सूची हिपोक्रीत्ज़ की शपथ

हिपोक्रीत्ज़ की शपथ (Hippocratic Oath) ऐतिहासिक रूप से चिकित्सकों एवं चिकित्सा व्यसायियों द्वारा ली जाने वाली शपथ है। माना जाता है कि यह हिपोक्रीत्ज़ द्वारा लिखी गयी है। यह आयोनिक ग्रीक में लिखा गया है। इस शपथ का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है- .

7 संबंधों: शपथ, शल्यचिकित्सा, हिपोक्रेटिस, वृक्क अश्मरी, वैद्य की शपथ, गर्भ, अपोलो

शपथ

शपथ (oath) का पारम्परिक अर्थ है - किसी सत्य (तथ्य) या किसी प्रतिग्या का इस प्रकार कथन कि वह पवित्र लगे। .

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शल्यचिकित्सा

अति प्राचीन काल से ही चिकित्सा के दो प्रमुख विभाग चले आ रहे हैं - कायचिकित्सा (Medicine) एवं शल्यचिकित्सा (Surgery)। इस आधार पर चिकित्सकों में भी दो परंपराएँ चलती हैं। एक कायचिकित्सक (Physician) और दूसरा शल्यचिकित्सक (Surgeon)। यद्यपि दोनों में ही औषधो पचार का न्यूनाधिक सामान्यरूपेण महत्व होने पर भी शल्यचिकित्सा में चिकित्सक के हस्तकौशल का महत्व प्रमुख होता है, जबकि कायचिकित्सा का प्रमुख स्वरूप औषधोपचार ही होता है। .

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हिपोक्रेटिस

हिपोक्रेटिस, या बुकरात, प्राचीन यूनान के एक प्रमुख विद्वान थे। ये यूनान के पाश्चात्य चिकित्सा शास्त्र के जन्म दाता थे। इन का जन्म ४६० - ३७० ई पूर्व माना जाता है। इन का जन्म प्राचीन यूनान के शहर कोस में हुवा। और मृत्यु शहर लारिस्सा में हुई। .

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वृक्क अश्मरी

विविध प्रकार की पथरियाँ, जिनमें से कुछ कैल्सियम आक्जेलेट से बनी हैं और कुछ यूरिक एसिड की किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली,रीनल कॅल्क्युली, नेफरोलिथियासिस) (अंग्रेजी:Kidney stones) गुर्दे एवं मूत्रनलिका की बीमारी है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे या बड़े पत्थर का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ अगर छोटी हो तो बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं, किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं (२-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो एवं कमर और पेट के आसपास असहनीय पीड़ा होती है जिसे रीनल कोलिक कहा जाता है । यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। आज भारत के प्रत्येक सौ परिवारों में से दस परिवार इस पीड़ादायक स्थिति से पीड़ित है, लेकिन सबसे दु:खद बात यह है कि इनमें से कुछ प्रतिशत रोगी ही इसका इलाज करवाते हैं और लोग इस असहनीय पीड़ा से गुज़रते है। एवम् अश्मरी से पीड़ित रोगी को काफ़ी मात्रा में पानी पीना चाहिए। जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं। .

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वैद्य की शपथ

भारत में वैद्य १५वीं शताब्दी ईसापूर्व से एक शपथ लेते रहे हैं जिसमें मांसभक्षण न करना, मद्यपान न करना और मिलावट न करना सम्मिलित है। इसके अलावा वैद्य को शपथ लेनी होती थी कि वे रोगियों का अहित नहीं करेंगे और अपने जीवन का खतरा लेकर भी उनकी देखभाल करेंगे। इस सम्बन्ध में चरकसंहिता में कुछ निर्देश और प्रतिज्ञाएँ दी गयीं हैं। चरक ने लिखा है कि विद्यार्थी को चाहिये कि स्नान-ध्यान करके अपने शरीर को पवित्र करे, यज्ञ द्वा देवताओं को प्रसन्न करे, फिर गुरु का आशीर्वाद लेकर यह प्रतिज्ञा करे- (चरकसंहिता, विमानस्थान, अध्याय ८, अनुच्छेद १३) चरकसंहिता में इन प्रतिज्ञाओं की सूची बहुत विस्तृत है, यह इस प्रकार है- उक्त शपथ तथा हिपोक्रीत्ज़ की शपथ में समानता ध्यान देने योग्य है। .

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गर्भ

प्रजनन पश्चात गर्भ के अन्दर जीव। .

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अपोलो

अपोलो (अंग्रेज़ी::en:Apollo; यूनानी: Aπollων अपोल्लोन) प्राचीन यूनानी धर्म (ग्रीक धर्म) और प्राचीन रोमन धर्म के सर्वोच्च देवताओं में से एक थे। उनके लिये प्राचीन यूनान (ग्रीस) और इटली में कई ख़ूबसूरत मंदिर थे, जहाँ उनके नाम पर पशुबलि चढ़ाई जाती थे। वो प्रकाश, कविता, नृत्य, संगीत, चिकित्सा, भविष्यवाणी और खेल के देवता थे। वो आदर्श पुरुष-सौन्दर्य और यौवन का प्रतिनिधित्व करते थे। मूर्तियों में उनके अत्यधिक ख़ूबसूरत (नग्न) युवा के समान दिखाया जाता था। उनके कई पुरुष-प्रेमी (यूनानी मिथकों के अनुसार) भी थे। वो ख़ास तौर पर व्यायामशाला में युवाओं के इष्टदेव थे और डेल्फ़ी की देववाणी उन्हीं को समर्पित थी। अपोलो अपोलो श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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