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हिन्दी सेवी सम्मान योजना

सूची हिन्दी सेवी सम्मान योजना

हिंदी सेवी सम्‍मान योजना का आरम्भ 1989 में आगरा स्थित केंद्रीय हिंदी संस्‍थान द्वारा की गई थी। प्रतिवर्ष हिंदी भाषा और साहित्‍य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सात विभिन्‍न श्रेणियों में 14 विद्वानों को ये सम्‍मान दिया जाता है। सम्‍मानस्‍वरूप एक लाख रुपया और प्रमाणपत्र भेंट किया जाता है। पुरस्कृत विद्वानों को संस्थान की ओर से भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक लाख रुपए, शॉल तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता है। सन् 1989 से 2011 तक इस योजना के अंतर्गत कुल 332 विद्वानों को सम्मानित किया जा चुका है। .

5 संबंधों: हिन्दी, हिंदी साहित्य, गंगाशरण सिंह पुरस्कार, आगरा, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान

हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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हिंदी साहित्य

चंद्रकांता का मुखपृष्ठ हिन्दी भारत और विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। उसकी जड़ें प्राचीन भारत की संस्कृत भाषा में तलाशी जा सकती हैं। परंतु हिन्दी साहित्य की जड़ें मध्ययुगीन भारत की ब्रजभाषा, अवधी, मैथिली और मारवाड़ी जैसी भाषाओं के साहित्य में पाई जाती हैं। हिंदी में गद्य का विकास बहुत बाद में हुआ और इसने अपनी शुरुआत कविता के माध्यम से जो कि ज्यादातर लोकभाषा के साथ प्रयोग कर विकसित की गई।हिंदी का आरंभिक साहित्य अपभ्रंश में मिलता है। हिंदी में तीन प्रकार का साहित्य मिलता है। गद्य पद्य और चम्पू। हिंदी की पहली रचना कौन सी है इस विषय में विवाद है लेकिन ज़्यादातर साहित्यकार देवकीनन्दन खत्री द्वारा लिखे गये उपन्यास चंद्रकांता को हिन्दी की पहली प्रामाणिक गद्य रचना मानते हैं। .

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गंगाशरण सिंह पुरस्कार

'गंगाशरण सिंह पुरस्कार' केंद्रीय हिंदी संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा दिया जाने वाला एक प्रमुख साहित्य सम्मान है। यह पुरस्कार राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार और हिन्दी प्रशिक्षण के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करने वाले किसी भारतीय विद्वान को प्रदान किया जाता है। .

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आगरा

आगरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक महानगर, ज़िला शहर व तहसील है। विश्व का अजूबा ताजमहल आगरा की पहचान है और यह यमुना नदी के किनारे बसा है। आगरा २७.१८° उत्तर ७८.०२° पूर्व में यमुना नदी के तट पर स्थित है। समुद्र-तल से इसकी औसत ऊँचाई क़रीब १७१ मीटर (५६१ फ़ीट) है। आगरा उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। .

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केन्द्रीय हिन्दी संस्थान

केंद्रीय हिंदी संस्थान भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन एक उच्चतर शैक्षणिक एवं शोध संस्थान है। इसका मुख्यालय आगरा में है। इसके आठ केंद्र- दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, शिलांग, मैसूर, दीमापुर, भुवनेश्वर तथा अहमदाबाद हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 में निहित दिशा-निर्देशों के अनुरूप हिंदी को अपनी विविध भूमिकाएं निभाने में समर्थ और सक्रिय बनाने के उद्देश्य से और विविध शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक स्तरों पर सुनियोजित अनुसंधान द्वारा शिक्षण-प्रशिक्षण, भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री निर्माण आदि को विकसित करने के लिए सन् १९६१ में भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में की गई। संस्थान का मुख्य कार्य हिंदी भाषा से संबंधित क्षैक्षणिक कार्यक्रम चलाना, शोध कार्य संपन्न करना एवं हिन्दी के प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है। प्रारंभ में संस्थान का प्रमुख कार्य अहिंदी भाषी क्षेत्रों के लिए योग्य, सक्षम एवं प्रभावकारी हिंदी अध्यापकों को ट्रेनिंग कॉलेज और स्कूली स्तरों पर पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करना था। परंतु बाद में हिंदी के शैक्षिक प्रचार-प्रसार और विकास को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्रों और प्रकार्यों को विस्तृत किया, जिसके अंतर्गत हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी भाषा-परक शोध, भाषाविज्ञान तथा तुलनात्मक साहित्य आदि विषयों से संबंधित मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों को संचालित करना प्रारंभ किया तथा विविध स्तरीय पाठ्यक्रमों, शैक्षिक सामग्री, अध्यापक निर्देशिकाएँ इत्यादि तैयार करने का कार्य भी प्रारंभ किया। यह संस्थान हिंदी अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। संस्थान को उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थान के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। हिंदी भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में अपनी सार्थक भूमिका निभा सके, इस उद्देश्य एवं संकल्प के साथ संस्थान निरंतर कार्यरत है। अखिल भारतीय स्तर पर हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए भी संस्थान अथक प्रयास कर रहा है। संस्थान का मूलभूत उद्देश्य है कि भारतीय भाषाएँ एक दूसरे के निकट आएँ और सामान्य बोधगम्यता की द्रष्टि से हिंदी इनके बीच सेतु का कार्य करे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चेतना, संस्कृति एवं उससे संबद्ध मूल तत्व हिंदी के माध्यम से प्रसारित ही न हों, बल्कि सुग्राह्य भी बनें। .

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