सामग्री की तालिका
18 संबंधों: तन्यता, नट, प्लैटिनम, बढ़ई, मशीन मिस्त्री, मशीनी औजार, मानक गेज, रेती, शक्तिचालित औजार, सोना, हीरा, विसर्पी गणक, आरी, क्षेत्रमापी, कैंची, उपकरण, छिद्रक, छेनी।
तन्यता
ताम्बा अपनी तन्यता के कारण, बिना टूटे, तारों में खींचा जा सकता है बेलनाकार छड़ के सिरों को विपरीत दिशा में खींचकर तानने पर:(क) भंगुर पदार्थ का भंजन (टूटना)(ख) तन्य पदार्थ का भंजन (ग) पूर्णतः तन्य पदार्थ का भंजन पदार्थ विज्ञान में तन्यता (ductility) किसी ठोस पदार्थ की तनाव डालने पर खिचकर आकार बदल लेने की क्षमता को बोलते हैं। तन्य पदार्थ (ductile materials) आसानी से खींचकर तार के रूप में बनाए जा सकते हैं, जबकि अतन्य (non-ductile) पदार्थ तनाव डालने पर असानी से नहीं खिंचते और अक्सर टूट जाते हैं। सोना और ताम्बा दोनों तन्य पदार्थों के उदाहरण हैं। इसी तरह आघातवर्धनीयता (Malleability) किसी पदार्थ की दबाव या आघात पड़ने पर बिना टूटे आकार बदल लेने की क्षमता को कहते हैं। मसलन चाँदी को पीटकर उसका मिठाई व पान पर चढ़ाने वाला वर्क इसलिए बनाया जा सकता है क्योंकि वह तत्व आघातवर्धनीय (malleable) है। .
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नट
नट (अंग्रेजी: Nat caste) उत्तर भारत में हिन्दू धर्म को मानने वाली एक जाति है जिसके पुरुष लोग प्राय: बाज़ीगरी या कलाबाज़ी और गाने-बजाने का कार्य करते हैं तथा उनकी स्त्रियाँ नाचने व गाने का कार्य करती हैं। इस जाति को भारत सरकार ने संविधान में अनुसूचित जाति के अन्तर्गत शामिल कर लिया है ताकि समाज के अन्दर उन्हें शिक्षा आदि के विशेष अधिकार देकर आगे बढाया जा सके। नट शब्द का एक अर्थ नृत्य या नाटक (अभिनय) करना भी है। सम्भवत: इस जाति के लोगों की इसी विशेषता के कारण उन्हें समाज में यह नाम दिया गया होगा। कहीं कहीं इन्हें बाज़ीगर या कलाबाज़ भी कहते हैं। शरीर के अंग-प्रत्यंग को लचीला बनाकर भिन्न मुद्राओं में प्रदर्शित करते हुए जनता का मनोरंजन करना ही इनका मुख्य पेशा है। इनकी स्त्रियाँ खूबसूरत होने के साथ साथ हाव-भाव प्रदर्शन करके नृत्य व गायन में काफी प्रवीण होती हैं। नटों में प्रमुख रूप से दो उपजातियाँ हैं-बजनिया नट और ब्रजवासी नट। बजनिया नट प्राय: बाज़ीगरी या कलाबाज़ी और गाने-बजाने का कार्य करते हैं जबकि ब्रजवासी नटों में स्त्रियाँ नर्तकी के रूप में नाचने-गाने का कार्य करती हैं और उनके पुरुष या पति उनके साथ साजिन्दे (वाद्य यन्त्र बजाने) का कार्य करते हैं। .
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प्लैटिनम
यह एक रायानिक धातु तत्व है। सबसे कठोर धातु प्लैटिनम है श्रेणी:धातु श्रेणी:रासायनिक तत्व श्रेणी:कीमती धातुएँ श्रेणी:संक्रमण धातु.
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बढ़ई
बढ़ई काष्ठकारी से सम्बन्धित औजार लकड़ी का काम करने वाले लोगों को बढ़ई या 'काष्ठकार' (Carpenter) कहते हैं। ये प्राचीन काल से समाज के प्रमुख अंग रहे हैं। घर की आवश्यक काष्ठ की वस्तुएँ बढ़ई द्वारा बनाई जाती हैं। इन वस्तुओं में चारपाई, तख्त, पीढ़ा, कुर्सी, मचिया, आलमारी, हल, चौकठ, बाजू, खिड़की, दरवाजे तथा घर में लगनेवाली कड़ियाँ इत्यादि सम्मिलित हैं। .
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मशीन मिस्त्री
लेथ पर कार्य करता हुआ मशीन मिस्त्री मशीन मिस्त्री (machinist) उस व्यक्ति को कहते हैं जो मशीनी औजारों (machine tools) का उपयोग करके कलपुर्जे बनाता है या उनमें संशोधन करना है। वह प्रायः धातु के कलपुर्जे बनाता है। मशीन मिस्त्री के द्वारा किये जाने वाले कार्यों को मशीनिंग (machining) कहते हैं। श्रेणी:धातु से सम्बन्धित व्यवसाय.
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मशीनी औजार
'''लेथ''' प्रमुख मशीनी औजार है उन यांत्रिक युक्तियों को औजारों को मशीनी औजार (machine tool) कहते हैं जो शक्तिचालित होतीं हैं तथा जिनका उपयोग प्राय: मशीनिंग क्रिया द्वारा मशीनों के धातु के कल-पुर्जों के निर्माण में होता है। मशीनिंग क्रिया में वांछित स्थान की धातु को हटाया जाता है। यद्यपि 'मशीनी औजार' प्राय: मानवी श्रम के बजाय शक्तिचालित होते हैं किन्तु समुचित तरीके से व्यवस्थित करने पर इन्हें मानवों द्वारा भी चलाया जा सकता है। प्रौद्योगिकी के बहुत से इतिहासकार यह मानते हैं कि वास्तविक मशीनी औजारों का जन्म तब हुआ जब विभिन्न प्रकार के औजारों की शेपिंग या स्टैंपिंग प्रक्रिया से मानव का सीधा जुड़ाव आवश्यक न रहा। .
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मानक गेज
आज जो मानक गेज कहलाता है, उसको प्रथम मुख्य-लाइन रेलवे से लिया गया है; जो लिवरपूल एवं मैनचेस्टर रेलवे (L&MR) थी, एवं जिसको ब्रिटिश अभियंता जॉर्ज स्टीफनसन ने कोयला खानों के लिए बनाया था। इसका नाप था। चाहे ये मूल रेल नाप हो, किंतु ना अधिक चौड़ा, ना अधिक संकरा ही था। अतएव इसे मानक अपना लिया गया। रेल गेज नाप श्रेणी:रेल गेज.
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रेती
डबल कट चपटी फाइल की सतह का विस्तारित दृष्य रेती (file) एक औजार है जिससे धातु, काष्ठ, एवं प्लास्टिक को घिसा जाता है। इसकी सहायता से किसी वस्तु से अल्प मात्रा में पदार्थ काटकर निकाला जा सकता है। श्रेणी:औज़ार.
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शक्तिचालित औजार
स्क्रोल आरी जो औजार किसी विद्युत मोटर, संपीडित वायु मोटर (compressed air motor) या आन्तरिक दहन इंजन से शक्ति प्राप्त करके अपना काम करते हैं उन्हें शक्तिचालित औजार या पॉवर टूल (power tool) कहते हैं। शक्तिचालित मशीन अचल (stationary) हो सकते हैं या सचल (portable)। यहाँ सचल का अर्थ हाथ में उठाकर/लेकर काम किये जाने वाले औजार। .
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सोना
सोना या स्वर्ण (Gold) अत्यंत चमकदार मूल्यवान धातु है। यह आवर्त सारणी के प्रथम अंतर्ववर्ती समूह (transition group) में ताम्र तथा रजत के साथ स्थित है। इसका केवल एक स्थिर समस्थानिक (isotope, द्रव्यमान 197) प्राप्त है। कृत्रिम साधनों द्वारा प्राप्त रेडियोधर्मी समस्थानिकों का द्रव्यमान क्रमश: 192, 193, 194, 195, 196, 198 तथा 199 है। .
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हीरा
कोहिनूर की काँच प्रति कोहिनूर की एक और प्रति हीरों की आकृतियां हीरा एक पारदर्शी रत्न है। यह रासायनिक रूप से कार्बन का शुद्धतम रूप है। हीरा में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़ा रहता है। कार्बन परमाणुओं के बाहरी कक्ष में उपस्थित सभी चारों इलेक्ट्रान सह-संयोजी बन्ध में भाग ले लेते हैं तथा एक भी इलेक्ट्रान संवतंत्र नहीं होता है। इसलिए हीरा ऊष्मा तथा विद्युत का कुचालन होता है। हीरा में सभी कार्बन परमाणु बहुत ही शक्तिशाली सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं, इसलिए यह बहुत कठोर होता है। हीरा प्राक्रतिक पदार्थो में सबसे कठोर पदार्थ है इसकी कठोरता के कारण इसका प्रयोग कई उद्योगो तथा आभूषणों में किया जाता है। हीरे केवल सफ़ेद ही नहीं होते अशुद्धियों के कारण इसका शेड नीला, लाल, संतरा, पीला, हरा व काला होता है। हरा हीरा सबसे दुर्लभ है। हीरे को यदि ओवन में ७६३ डिग्री सेल्सियस पर गरम किया जाये, तो यह जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड बना लेता है तथा बिल्कूल ही राख नहीं बचती है। इससे यह प्रमाणित होता है कि हीरा कार्बन का शुद्ध रूप है। हीरा रासायनिक तौर पर बहुत निष्क्रिय होता है एव सभी घोलकों में अघुलनशील होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व ३.५१ होता है। बहुत अधिक चमक होने के कारण हीरा को जवाहरात के रूप में उपयोग किया जाता है। हीरा उष्मीय किरणों के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होता है, इसलिए अतिशुद्ध थर्मामीटर बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। काले हीरे का उपयोग काँच काटने, दूसरे हीरे के काटने, हीरे पर पालिश करने तथा चट्टानों में छेद करने के लिए किया जाता है। .
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विसर्पी गणक
एक छात्रोपयोगी दस-इंची स्लाइड रूल विसर्पी गणक या स्लाइड रूल (slide rule) एक यांत्रिक एनालॉग कम्प्यूटर है। यह एक यांत्रिक युक्ति है जिसका उपयोग मुख्य रूप से गुणा और भाग करने के लिये किया जाता था/है। इसके अधिक विकसित रूपों में अनेक "वैज्ञानिक फलनों" जैसे वर्गमूल, लघुगणक एवं त्रिकोणमित्तीय फलनों की गणना करने की सुविधा भी प्रदत्त होती थी, किन्तु इसका उपयोग प्राय: जोड़ने और घटाने के लिये नहीं किया जाता था/है क्योंकि ये बहुत आसान क्रियाएँ समझी जातीं हैं। जेब-गणकों (पॉकेट कैलकुलेटरों) के आने के पहले स्लाइड रूल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सर्वाधिक उपयोग में आने वाला उपकरण था। इसका उपयोग १९५० और १९६० के दशक तक वृद्धि पर था। किन्तु सन् १९७४ के आसपास इलेक्ट्रानिक "वैज्ञानिक परिकलकों" के आने से स्लाइड रूल का उपयोग एकाएक बन्द हो गया। स्लाइड रूल विविध प्रकार के आकार-प्रकार और रंग रूप के बनाये जाते हैं और इनमें एक-दो या बहुत प्रकार की गणना करने की सुविधा दी होती है। किन्तु मोटे तौर पर ये रेखीय या वृत्तीय आकार के होते हैं जिस पर गणना करने में सहायक मानक चिह्न बने होते हैं। .
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आरी
आरी (अंग्रेजी:Saw या hand saw) एक औजार का नाम है जो लोहे तथा कई और धातुओं में बनी मिलती है इसका प्रयोग सुथार तथा अन्य जाति के लोग फर्नीचर बनाने में करते हैं। इससे लकड़ी तथा धातु को आसानी से काटा जाता है। .
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क्षेत्रमापी
क्षेत्रमापी (planimeter) एक मापन यंत्र है जो किसी भी आकार के समतल द्विबिमीय (two-dimensional) क्षेत्र का क्षेत्रफल मापने के काम आता है। वर्तमान में अनेकों प्रकार के क्षेत्रमापी उपलब्ध हैं। वे सभी समान सिद्धान्त के आधार पर कार्य करते हैं। इसके दो प्वाइंटरों (नोकों) में से एक को क्षेत्र के तल में किसी बिन्दु पर स्थिर कर दिया जाता है तथा दूसरे प्वाइंटर (अनुरेखक संकेतक) को पूरी क्षेत्र की सीमारेखा (परिधि) पर घुमाया जाता है। इससे यंत्र के चलनशील भागों में गति उत्पन्न होती है। इस गति का समुचित रूप से उपयोग करते हुए सम्बन्धित क्षेत्र का क्षेत्रफल पढने योग्य रूप में प्राप्त हो जाता है। .
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कैंची
कातर कैंची, हाथ से चलायी जाने वाला काटने का उपकरण है। कैंची के दोनों भागों को अवपात ठप्पे (drop stamps) से गढ़कर बनाया जाता है। इसके लिए जो इस्पात काम में आता है, वह उस्तरे के इस्पात से घटिया होता है। गढ़ जाने के बाद दोनों भागों को कठोर इस्पात के पेंच द्वारा दो प्रकार से लगाया जाता है। प्रथम विधि में कैंची के दोनों फल एक दूसरे की ओर झुके रहते हैं, जिससे काटनेवाली धारों की समीपता बनी रहे। अँगूठा और अँगुली फँसाकर सुगमता से कार्य करने के लिए कैंची के फल के दोनों सिरों पर धनुषाकार आकृति घातवर्ध्य ढलाई (malleable casting) के द्वारा बनाई जाती है ओर बाद में इस्पात का फल इन आकृतियों में लगा दिया जाता है। ऐल्यूमिनियम की धनुषाकार आकृतियाँ भी ठप्पा ढलाई (die casting) द्वारा तैयार कर फल में लगाई जाती हैं। ऐसी कैंचियाँ देखने में सुंदर और काम में हल्की होती हैं। बाल काटने, कपड़ा काटने, कसीदा तथा सलमा लगाने, बागवानी तथा शल्यचिकित्स आदि विभिन्न कार्यों के लिए विभिन्न आकृतियों की कैंचियाँ बनाई जाती हैं। कैंची.
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उपकरण
हथौड़ा उपकरण या औजार (tool) उन युक्तियों को कहते हैं जो किसी कार्य को करने में सुविधा या सरलता या आसानी प्रदान करते हैं। कुछ उपकरण उन कार्यों को भी सम्पादित कर सकते हैं जो उनके बिना सम्भव ही नहीं होता। सरल मशीनें सबसे मौलिक उपकरण कही जा सकती हैं। हथौड़ा एक औजार है; इसी तरह टेलीफोन भी एक औजार है। पहले ऐसी मान्यता थी कि केवल मानव ही उपकरणों का प्रयोग करता है एवं उपकरणों के उपयोग करने के फलस्वरूप ही मानव इतना विकास कर पाया। किन्तु बाद में पता चला कि कुछ चिड़ियां एवं बन्दर आदि भी औजारों का प्रयोग करते हैं। औद्योगिक क्रांति के समय मशीन उपकरणों (Machine tools) के कारण नये औजारों के उत्पादन अचानक बहुत बढ़ गया था। नैनोतकनीकी के समर्थकों का विचार है कि जैसे ही औजार सूक्ष्म (microscopic) हो जायेंगे, ऐसी ही तीव्र वृद्धि पुनः देखने को मिलेगी। कुछ उपकरण .
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छिद्रक
केन्द्र छेदक शीघ्रातिशीघ्र छेद करने के लिए छिद्रक (Punch) का उपयोग होता है। कागज, दफ्ती, चमड़ा, कपड़ा तथा टिन, लोहा इत्यादि धातुओं के छेद करने के लिए पृथक-पृथक छिद्रक होते हैं। धातु में छेद करने का छिद्रक (punch) मोटी नोंक युक्त एक छोटा सा मजबूत औजार होता है, जिससे बलपूर्वक दबाकर या ठोंककर धातु की किसी पट्टिका इत्यादि में छेद कर दिया जाता है। छेद की आकृति छिद्रक की नोंक के अनुरूप ही होती है, जबकि बरमे से सदैव गोल छेद ही बन सकता है। पतली चीजों में छोटे छेद करने का काम छिद्रक पर हथौड़े या घन की चोट लगाकर किया जाता है। जब बहुत अधिक मात्रा में छेद बनाने, अथवा मोटी चीजों में छेद करने, होते हैं तब छिद्रक को दबाने का काम यंत्रों द्वारा किया जाता है, जो लीवर (lever), पेंचों की दाब या किरों द्वारा चलाए जाते हैं। किरें युक्त यंत्र पट्टे द्वारा और प्लंजर युक्त यंत्र द्रव शक्ति से भी चलाए जाते हैं। .
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छेनी
right right छेनी (Chisel) एक हाथ का औजार है जिसका उपयोग फर्नीचर बनाने में तथा पत्थर और धातु का कार्य करने वाले लोग करते है। छेनी एक कठोर धातु की बनी होती है। हाथ के बल से कटाई करने के प्रसाधनों में छेनियाँ प्रमुख हैं। सीधी छेनियों को चौरासी (Firmer chisel) और गोल, अधगोल और J आकार की छेनियों को रुखानी (Gouge) कहते हैं। इनकी नोकें और बनावट भिन्न भिन्न प्रकार की होती है। बढ़ई और फिटरों की छेनियाँ भिन्न भिन्न प्रकार की होती है। .
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हस्तोपकरण, हाथ औज़ार के रूप में भी जाना जाता है।