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स्पेस वेक्टर मॉडुलन

सूची स्पेस वेक्टर मॉडुलन

स्पेस वेक्टर मॉडुलन (Space vector modulation (SVM)), पल्स विद मॉडुलेशन करने का एल्गोरिद्म है। इसका उपयोग प्रत्यावर्ती धारा (AC) बनाने में होता है जो मुख्यतः तीन फेजी मोटरों को परिवर्ती चाल से घुमाने के काम आता है। स्पेस वेक्टर मॉडुलन कई प्रकार से किया जा सकता है और इन विभिन्न प्रकार के स्पेस वेक्टर मॉडुलन के अलग-अलग गुणधर्म हैं (जैसे कितनी गणना करनी पड़ती है, कुल हार्मोनिक डिस्टॉर्शन कितना है, आदि)। .

5 संबंधों: प्रत्यावर्ती धारा, लघु परिपथ, स्पंद-विस्तार मॉडुलन, इन्वर्टर (शक्ति एलेक्ट्रानिकी), अल्गोरिद्म

प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

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लघु परिपथ

तूफान के दौरान पेड़ की शाखाओं द्वारा हुआ शॉर्ट सर्किट का दृष्य वैद्युत परिपथ में लघु परिपथ (शॉर्ट सर्किट) (कभी-कभी संक्षेप में शॉर्ट भी कहते है) उसे कहते हैं जो विद्युत्प्रवाह को उस मार्ग से जाने की अनुमति देता है जिसमे प्रतिबाधा शून्य या बहुत कम होती है। "खुला सर्किट" (ओपन सर्किट), लघु परिपथ का वैद्युतिक विलोम है जिसमें विद्युत परिपथ के किन्ही दो बिन्दुओं के बीच प्रतिबाधा का मान अनन्त होता है। .

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स्पंद-विस्तार मॉडुलन

पल्स-विड्थ मॉडुलित किया हुआ सिगनल; '''T''' को नियत रखते हुए '''t1''' को कम या अधिक करके आउटपुट को कम या अधिक करना सम्भव हो जाता है। स्पंद-विस्तार मॉडुलन (अंग्रेज़ी:Pulse-width modulation-पल्स-विड्थ मॉडुलेशन) (PWM) विद्युत-शक्ति के प्रवाह के नियन्त्रण की वह विधि है जिसमें किसी स्विच के चालू रहने का समय (ON time) को कम या अधिक करके आउटपुट होने वाली विद्युत को नियन्त्रित किया जाता है। अर्थात इस विधि में स्विच को न तो पूरे समय ऑन रखा जाता है न पूरे समय ऑफ ही रखा जाता है बल्कि कुछ समय ऑन और कुछ समय ऑफ रखा जाता है। कितना समय ऑन और कितना समय ऑफ रखना है, यह ऑउटपुट की जरूरतों से तय होता है (अर्थात् ऑउटपुट आवश्यकता से कम है या अधिक। यह विधि विद्युत-शक्ति के नियन्त्रण की अत्यन्त दक्ष विधि है। स्विच मोड पॉवर सप्लाई में इसका खूब प्रयोग होता है। पल्स की चौड़ाई बदलता हुआ सिगनल (नीला) तथा उसके संगत आउटपुट (लाल) .

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इन्वर्टर (शक्ति एलेक्ट्रानिकी)

सोलर पैनेल से प्राप्त डीसी को एसी में बदलने के लिए प्रयुक्त एक इन्वएटर के परिपथ का अन्तरिक दृष्य शक्ति प्रतीपक या पॉवर इन्वर्टर एक ऐसी पॉवर सप्लाई को कहते हैं जो डीसी (DC) को एसी (AC) में परिवर्तित करता है। इससे प्राप्त ए.सी.

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अल्गोरिद्म

महत्तम समापवर्तक (HCF) निकालने के लिए यूक्लिड के अल्गोरिद्म का फ्लोचार्ट गणित, संगणन तथा अन्य विधाओं में किसी कार्य को करने के लिये आवश्यक चरणों के समूह को कलन विधि (अल्गोरिद्म) कहते है। कलन विधि को किसी स्पष्ट रूप से पारिभाषित गणनात्मक समस्या का समाधान करने के औजार (tool) के रूप में भी समझा जा सकता है। उस समस्या का इनपुट और आउटपुट सामान्य भाषा में वर्णित किये गये रहते हैं; इसके समाधान के रूप में कलन विधि, क्रमवार ढंग से बताता है कि यह इन्पुट/आउटपुट सम्बन्ध किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। कुछ उदाहरण: १) कुछ संख्यायें बिना किसी क्रम के दी हुई हैं; इन्हें आरोही क्रम (ascending order) में कैसे सजायेंगे? २) दो पूर्णांक संख्याएं दी हुई हैं; उनका महत्तम समापवर्तक (Highest Common Factor) कैसे निकालेंगे ? .

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