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स्पन्द जनक जालक्रम

सूची स्पन्द जनक जालक्रम

LANL स्थित '''शिव स्टार''' उच्च ऊर्जा वाले फ्यूजन पॉवर प्रयोगों के लिये आवश्यक स्पन्द उत्पन्न करता है। एन डी याग लेजर बनाने में प्रयुक्त पीएफएन स्पन्द जनक जालक्रम (pulse forming network (PFN)) वह विद्युत परिपथ है जो विद्युत ऊर्जा को अपेक्षाकृत अधिक समय तक एकत्र करने के बाद उस ऊर्जा को कम समय की लगभग वर्गाकार स्पन्द (स्क्वायर पल्स) के रूप में देता है। इस तरह की कम समय की वर्गाकार स्पन्द का अनेकों जगह उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये, पीएफएन का उपयोग क्लाइस्ट्रान और मैग्नेट्रान आदि को नैनोसेकेण्ड अवधि के स्पन्द प्रदान करने के लिये किया जाता है, जो राडार, स्पन्दित लेजर, कण त्वरक, फ्लैशट्यूब तथा अन्य उच्च वोल्टता के उपकरणों में प्रयुक्त होतें हैं। .

5 संबंधों: मैग्नेट्रॉन, शस्त्र, स्पन्दित शक्ति, कण त्वरक, क्लाइस्ट्रॉन

मैग्नेट्रॉन

सूक्ष्मतरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवेन) में लगने वाला मैग्नेट्रॉन; इसमें हीटसिंक एवं असेम्ब्ली के अन्य साधन भी जुड़े हुए हैं। मैग्नेट्रॉन का कटा हुआ चित्र; इसमें चुम्बक को नहीं दिखाया गया है (निकाल दिया गया है)। मैग्नेट्रॉन अधिक शक्ति की सूक्ष्मतरंगें पैदा करने वाली एक निर्वात नलिका (वैक्युम ट्यूब) है। इसमें एलेक्ट्रॉनों की धारा (स्ट्रीम) पर चुम्बकीय क्षेत्र की संक्रिया से सूक्ष्मतरंगें उत्पन्न की जातीं हैं। आजकल इनका उपयोग माइक्रोवेव ओवेन, एवं रडार के विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होती है। .

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शस्त्र

भारत में प्रयुक्त मध्ययुगीन हथियार कोई भी उपकरण जिसका प्रयोग अपने शत्रु को चोट पहुँचाने, वश में करने या हत्या करने के लिये किया जाता है, शस्त्र या आयुध (weapon) कहलाता है। शस्त्र का प्रयोग आक्रमण करने, बचाव करने अथवा डराने-धमकाने के लिये किया जा सकता है। शस्त्र एक तरफ लाठी जितना सरल हो सकता है तो दूसरी तरफ बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र जितना जटिल भी। .

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स्पन्दित शक्ति

स्पन्दित शक्ति (Pulsed power) किसी अवयव में अपेक्षाकृत लम्बे समय में ऊर्जा एकत्र करके इस ऊर्जा को अल्प समय में निर्मुक्त करने का विज्ञान और प्रौद्योगिकी है। इससे हमें अल्प समय के लिये अत्यधिक तात्क्षणिक शक्ति (instantaneous power) प्राप्त हो जाती है। उदाहरण के लिये, किसी संधारित्र में धीरे-धीरे करके १ जूल ऊर्जा एकत्र की जाय और इस ऊर्जा को केवल १ माइक्रोसेकेण्ड में ही किसी लोड में निर्मुक्त कर दिया जाय तो एक माइक्रोसेकेण्ड की अवधि के लिये उस लोड को १ मेगावाट तात्क्षणिक शक्ति मिलेगी। किन्तु इसी १ जूल ऊर्जा को किसी लोड में १ सेकेण्ड में निर्मुक्त किया जाय तो उस लोड को केवल १ वाट तात्क्षणिक ऊर्जा मिलेगी। स्पन्दित शक्ति का उपयोग अनेक क्षेत्रों में होता है, जैसे- राडार, कण त्वरक, अति उच्च चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिये, फ्यूजन अनुसंधान, विद्युतचुम्बकीय स्पन्द (पल्सेस), तथा उच्च शक्ति वाले स्पन्दित लेजर आदि। .

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कण त्वरक

'''इन्डस-२''': भारत (इन्दौर) का 2.5GeV सिन्क्रोट्रान विकिरण स्रोत (SRS) कण-त्वरक एसी मशीन है जिसके द्वारा आवेशित कणों की गतिज ऊर्जा बढाई जाती हैं। यह एक ऐसी युक्ति है, जो किसी आवेशित कण (जैसे इलेक्ट्रान, प्रोटान, अल्फा कण आदि) का वेग बढ़ाने (या त्वरित करने) के काम में आती हैं। वेग बढ़ाने (और इस प्रकार ऊर्जा बढाने) के लिये वैद्युत क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है, जबकि आवेशित कणों को मोड़ने एवं फोकस करने के लिये चुम्बकीय क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है। त्वरित किये जाने वाले आवेशित कणों के समूह या किरण-पुंज (बीम) धातु या सिरैमिक के एक पाइप से होकर गुजरती है, जिसमे निर्वात बनाकर रखना पड़ता है ताकि आवेशित कण किसी अन्य अणु से टकराकर नष्ट न हो जायें। टीवी आदि में प्रयुक्त कैथोड किरण ट्यूब (CRT) भी एक अति साधारण कण-त्वरक ही है। जबकि लार्ज हैड्रान कोलाइडर विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। कण त्वरकों का महत्व इतना है कि उन्हें 'अनुसंधान का यंत्र' (इंजन्स ऑफ डिस्कवरी) कहा जाता है। .

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क्लाइस्ट्रॉन

उच्च-शक्ति का क्लाइस्ट्रॉन क्लाइस्ट्रॉन (Klystron) एक प्रकार की निर्वातित एलेक्ट्रॉन-नलिका है जिसके अन्दर सूक्ष्मतरंग क्षेत्र में विद्युतचुम्बकीय उर्जा उत्पन्न करने अथवा इसका प्रवर्धन करने के लिये इलेक्ट्रान-किरणपुंज का वेग-मॉडुलेशन किया जाता है। यह वेग-मॉडुलित एलेक्ट्रान-किरणपुंज एक कोटर अनुनादी (resonant cavity) में प्रवेश करके कोटर के अन्दर इष्ट सूक्ष्म तरंगावृत्ति पर दोलन कायम करता है। क्लाइस्ट्रॉन का उपयोग सूक्ष्मतरंग रिले जैसी अति-उच्च आवृत्ति वाली डिवाइसेस में, रेडार प्रेषित्र (RADAR transmitter) तथा रेडार अभिग्रहियों (RADAR receiver) में किया जाता है। .

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