सामग्री की तालिका
5 संबंधों: द्वैपायन ह्रदेर धारे, बाङ्ला भाषा, भारतीय, भारतीय साहित्य अकादमी, काव्य।
- भारतीय कवि
- साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत बंगाली भाषा के साहित्यकार
द्वैपायन ह्रदेर धारे
द्वैपायन ह्रदेर धारे बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार सुबोध सरकार द्वारा रचित एक कविता-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें सुबोध सरकार और द्वैपायन ह्रदेर धारे
बाङ्ला भाषा
बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .
देखें सुबोध सरकार और बाङ्ला भाषा
भारतीय
भारत देश के निवासियों को भारतीय कहा जाता है। भारत को हिन्दुस्तान नाम से भी पुकारा जाता है और इसीलिये भारतीयों को हिन्दुस्तानी भी कहतें है।.
देखें सुबोध सरकार और भारतीय
भारतीय साहित्य अकादमी
भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .
देखें सुबोध सरकार और भारतीय साहित्य अकादमी
काव्य
काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है। 'अर्थ की रमणीयता' के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं। पर 'अर्थ' की 'रमणीयता' कई प्रकार की हो सकती है। इससे यह लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं है। साहित्य दर्पणाकार विश्वनाथ का लक्षण ही सबसे ठीक जँचता है। उसके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है'। रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार की काव्य की आत्मा है। काव्यप्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र। ध्वनि वह है जिस, में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो। गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो। चित्र या अलंकार वह है जिसमें बिना ब्यंग्य के चमत्कार हो। इन तीनों को क्रमशः उत्तम, मध्यम और अधम भी कहते हैं। काव्यप्रकाशकार का जोर छिपे हुए भाव पर अधिक जान पड़ता है, रस के उद्रेक पर नहीं। काव्य के दो और भेद किए गए हैं, महाकाव्य और खंड काव्य। महाकाव्य सर्गबद्ध और उसका नायक कोई देवता, राजा या धीरोदात्त गुंण संपन्न क्षत्रिय होना चाहिए। उसमें शृंगार, वीर या शांत रसों में से कोई रस प्रधान होना चाहिए। बीच बीच में करुणा; हास्य इत्यादि और रस तथा और और लोगों के प्रसंग भी आने चाहिए। कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए। महाकाव्य में संध्या, सूर्य, चंद्र, रात्रि, प्रभात, मृगया, पर्वत, वन, ऋतु, सागर, संयोग, विप्रलम्भ, मुनि, पुर, यज्ञ, रणप्रयाण, विवाह आदि का यथास्थान सन्निवेश होना चाहिए। काव्य दो प्रकार का माना गया है, दृश्य और श्रव्य। दृश्य काव्य वह है जो अभिनय द्वारा दिखलाया जाय, जैसे, नाटक, प्रहसन, आदि जो पढ़ने और सुनेन योग्य हो, वह श्रव्य है। श्रव्य काव्य दो प्रकार का होता है, गद्य और पद्य। पद्य काव्य के महाकाव्य और खंडकाव्य दो भेद कहे जा चुके हैं। गद्य काव्य के भी दो भेद किए गए हैं- कथा और आख्यायिका। चंपू, विरुद और कारंभक तीन प्रकार के काव्य और माने गए है। .
देखें सुबोध सरकार और काव्य
यह भी देखें
भारतीय कवि
- अरुण कमल
- अरुण मित्र
- आलोकरंजन दासगुप्ता
- उत्पलकुमार बसु
- काज़ी नज़रुल इस्लाम
- घनानन्द
- जय गोस्वामी
- ताराशंकर बंद्योपाध्याय
- तेगअली
- द्विजेन्द्रलाल राय
- नवगोपाल मित्र
- प्रेमन्द्र मित्र
- ममता कालिया
- रघुवीर नारायण
- वाजिद अली शाह
- शमशेर बहादुर सिंह
- श्रीधर भास्कर वर्णेकर
- संतोष कुमार घोष
- सरोज स्मृति
- सुबोध सरकार
- हरीन्द्र दवे
- हेनरी लुई विवियन डिरोजिओ
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत बंगाली भाषा के साहित्यकार
- अतीन बंद्योपाध्याय
- अन्नदाशंकर राय
- अबू सईद अय्यूब
- अमर मित्र
- अमियभूषण मजूमदार
- अमीय चक्रवर्ती
- अरुण मित्र
- आलोकरंजन दासगुप्ता
- जय गोस्वामी
- ताराशंकर बंद्योपाध्याय
- दिव्येन्दु पालित
- देवेश राय
- नवनीता देव सेन
- नवारून भट्टाचार्य
- नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती
- प्रफुल्ल राय
- प्रेमन्द्र मित्र
- बाणी बसु
- बिनय मजूमदार
- बिमल कर
- बुद्धदेव बोस
- मति नंदी
- महाश्वेता देवी
- राजशेखर बोस
- राधारमण मित्र
- विष्णु डे
- शंख घोष
- शक्ति चट्टोपाध्याय
- शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय
- श्यामल गंगोपाध्याय
- संतोष कुमार घोष
- संदीपन चट्टोपाध्याय
- समरेश बसु कालकूट
- समरेश मजूमदार
- साहित्य अकादमी पुरस्कार बंगाली
- सुधीर चक्रवर्ती
- सुनील गंगोपाध्याय
- सुबोध सरकार
- सुभाष मुखोपाध्याय
- सैयद मुस्तफ़ा सिराज