सामग्री की तालिका
5 संबंधों: ऐस्फाल्ट, बड़ोदरा, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, संयुक्त राज्य, गुजरात।
- गुजरात के विमानक्षेत्र
ऐस्फाल्ट
मृत सागर से प्राप्त प्राकृतिक ऐसफाल्ट सड़क निर्माण में अस्फाल्ट कंक्रीट की मूल पर्त ऐस्फाल्ट (अंग्रेजी: Asphalt) एक चिपचिपा, काला और गाढ़ा तरल या अर्ध-तरल पदार्थ होता है, जिसे कच्चे पैट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से भी मिलता है। पहले इसे अस्फाल्टम भी कहा जाता है। इसका प्रयोग सड़क निर्माण, उड़ान पट्टी निर्माण इत्यादि में होता है। 'अस्फाल्ट' शब्द एक यूनानी शब्द से निकला है जिसका अर्थ है दृढ़, अचल तथा सुरक्षित। पुरातन काल में अस्फाल्ट का प्रथम उपयोग विभिन्न प्रकार के दो पदार्थो को आपस में जोड़ने में, जैसे हाथीदाँत, सीप या रत्नों से बनी आँखों को मूर्तियों के चक्षु गह्वरों में बैठाने के लिए, किया जाता था। ज्ञात हुआ है कि संभवत: भारत में अस्फाल्ट का सर्वप्रथम उपयोग लगभग 3,000 वर्ष ई.पू.
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बड़ोदरा
बड़ोदरा गुजरात राज्य का तीसरा सबसे अधिक जनसन्ख्या वाला शहर है। यह एक शहर है जहा का महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय अपने सुंदर स्थापत्य के लिए जाना जाता है। वड़ोदरा गुजरात का एक महत्त्वपूर्ण नगर है। वड़ोदरा शहर, वडोदरा ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, पूर्वी-मध्य गुजरात राज्य, पश्चिम भारत, अहमदाबाद के दक्षिण-पूर्व में विश्वामित्र नदी के तट पर स्थित है। वडोदरा को बड़ौदा भी कहते हैं। इसका सबसे पुराना उल्लेख 812 ई.
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भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण एक संगठन / प्राधिकरण है, जो कि भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है। निगमित मुख्यालय राजीव गाँधी भवन सफदरजंग विमानक्षेत्र, नई दिल्ली में स्थित है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (ए ए आई) कुल 125 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं। सुरक्षित विमान प्रचालन हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सभी विमानपत्तनों एवं 25 अन्य स्थानों पर जमीनी अधिष्ठापनों के साथ संपूर्ण भारतीय वायु क्षेत्र एवं समीपवर्ती महासागरीय क्षेत्रों में वायु ट्रैफिक प्रबंधन सेवाएं (ए टी एम एस) भी प्रदान करता है। इलाहाबाद, अमृतसर, कालीकट, गुवाहाटी, जयपुर, त्रिवेंद्रम, कोलकाता एवं चेन्नई के विमानपत्तन, जो आज अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन के रूप में स्थापित हैं, विदेशी अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों द्धारा भी प्रचालन के लिए खुले हैं। कोयबंटूर, त्रिचुरापल्ली, वाराणसी एवं गया के हवाई अड्डों से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के अलावा राष्ट्रीय ध्वज वाहक भी प्रचालन करते हैं। केवल इतना ही नहीं अपितु आज आगरा, कोयबंटूर, जयपुर, लखनऊ, पटना आदि के विमानपत्तनों तक टूरिस्ट चार्टर भी जाते हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने मुम्ब्ई, दिल्ली, हैदराबाद, बंगलौर एवं नागपुर के विमानपत्त्नों के उन्नयन के लिए तथा विश्वस्तरीय मानकों से बराबरी करने के लिए पर एक संयुक्त उद्यम भी स्थापित किया है। भारतीय भू क्षेत्र के ऊपर सभी प्रमुख वायुमार्ग वीओआर / डीवीओआर कवरेज (89 अधिष्ठापन) के साथ रडार द्धारा कवर्ड हैं (11 स्थानों पर 29 रडार अधिष्ठापन) जो दूरी मापन उपकरण के साथ सह-स्थित हैं (90 अधिष्ठापन)। 52 रनवे पर आईएलएस अधिष्ठापन की सुविधा है तथा इनमें से अधिकांश विमानपत्तनों पर नाइट लैंडिंग की सुविधाएं हैं और 15 विमानपत्तनों पर आटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम लगा है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्धारा कोलकाता एवं चेन्नई के वायु ट्रैफिक नियंत्रण केंद्रों पर देशज प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके आटोमेटिक डिपेंडेंस सर्विलांस सिस्टम (ए डी एस एस) के सफल कार्यान्वयन ने भारत को दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में इस उन्नत प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने वाला पहला देश होने का गौरव प्रदान किया जिससे उपग्रह आधारित संचार प्रणाली का प्रयोग करके महासागरीय क्षेत्रों के ऊपर वायु ट्रैफिक का प्रभावी नियंत्रण संभव हुआ है। उपग्रह संचार लिंक के साथ रिमोट कंट्रोल्ड वी एच एफ कवरेज के प्रयोग ने हमारे ए टी एम एस को और मजबूती प्रदान की है। वी-सैट अधिष्ठापनों द्धारा 80 स्थाननों को जोड़ने से बड़े पैमाने पर वायु ट्रैफिक प्रबंधन में वृद्धि होगी और बदले में एयरक्राफ्ट के प्रचालन की सुरक्षा में वृद्धि होगी। इसके अलावा, हमारे वृहद एयरपोर्ट नेटवर्क पर प्रशासनिक एवं प्रचालनात्मक नियंत्रण संभव होगा। मुम्बई, दिल्ली एवं इलाहाबाद के विमानपत्तनों पर निष्पादन आधारित नेविगेशन (पीएनबी) प्रक्रिया पहले ही कार्यान्वित की जा चुकी है तथा अन्य विमानपत्तनों पर चरणबद्ध ढंग से इसको लागू करने की संभावना है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान केंद्र (इसरो) के साथ प्रौद्योगिकीय सहयोग से गगन परियोजना शुरू की है जहां नेविगेशन के लिए उपग्रह आधारित प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रकार जीपीएस से प्राप्त नेविगेशन के संकेतों को हवाई जहाजों की नेविगेशन संबंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उन्नत किया जाएगा। प्रौद्योगिकी प्रदर्शन प्रणाली का पहला चरण फरवरी 2008 में पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। प्रचालनात्मक चरण में इस प्रणाली को स्तरोन्नत करने के लिए विकास टीम को सक्षम बनाया गया है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने दिल्ली एवं मुम्बई के विमानपत्तनों पर ग्राउंड बेस्ड ऑगमेंटेशन सिस्टम (जी बी ए एस) उपलब्ध् कराने की भी योजना बनाई है। यह जीबीएएस उपकरण हवाई जहाजों को श्रेणी-2 (वक्र एप्रोच) लैंडिंग सिगनल उपलब्ध कराने और इस प्रकार आगे चलकर लैंडिंग सिस्टम के विद्यमान उपकरण को प्रतिस्थापित करने में समर्थ होगा, जिसकी रनवे के प्रत्येक छोर पर जरूरत होती है। दिल्ली में अधिष्ठापित एडवांस्ड सर्फेस मूवमेंट गाइडेंस एंड कंट्रोल सिस्टम (ए एस एम जी सी एस) ने रनवे 28 के प्रचालन को कैट-3 ए स्तर से कैट-3 बी स्तर तक स्तरोन्नत किया है। कैट-3 ए सिस्टम 200 मीटर की विजिबिलिटी तक हवाई जहाजों की लैंडिंग को अनुमत करता है। तथापि, कैट-3 बी 200 मीटर से कम किंतु 50 मीटर से अधिक की विजिबिलिटी पर हवाई जहाजों की सुरक्षित लैंडिंग को अनुमत करेगा। ‘ग्राहकों की अपेक्षाएं’ पर अधिक बल के साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के प्रयास को उस स्वतंत्र एजेंसी से उत्साहवर्धक प्रत्युत्तर मिला है जिसने 30 व्यस्त विमानपत्तनों पर ग्राहक संतुष्टि सर्वेक्षण संचालित किया है। इन सर्वेक्षणों ने हमें विमानपत्तनों के प्रयोक्ताओं द्धारा सुझाए गए पहलुओं पर सुधार करने में समर्थ बनाया है। विमानपत्तनों पर हमारे ‘व्यवसाय उत्तर पत्र’ के लिए रिसेप्टुकल लोकप्रिय हुए हैं; इन प्रत्युत्तरों ने हमें विमानपत्तनों के प्रयोक्ताओं की बदलती महत्वाकांक्षाओं को समझने में समर्थ बनाया है। सहस्राब्दि के पहले वर्ष के दौरान, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अपने प्रचालन को अधिक पारदर्शी बनाने तथा अधुनातन सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ग्राहकों को तत्काल सूचना उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रहा है। विशिष्ट प्रशिक्षण, कर्मचारी प्रत्युत्तर में सुधार तथा व्यावसायिक कौशल के उन्नयन पर फोकस स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चार प्रशिक्षण स्थापनाओं अर्थात नागरिक विमानन प्रशिक्षण कॉलेज (सी ए टी सी), इलाहाबाद; राष्ट्रीय विमानन प्रबंधन एवं अनुसंधान संस्थान (एन आई ए एम ए आर), दिल्ली और दिल्ली एवं कोलकाता स्थित अग्नि प्रशिक्षण केंद्र (एफ टी सी) के बारे में ऐसी अपेक्षा है कि वे पहले से अधिक व्यस्त रहेंगे। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने सीएटीसी, इलाहाबाद एवं हैदराबाद एयरपोर्ट पर प्रशिक्षण सुविधाओं को स्तरोन्नत करने की भी पहल की है। हाल ही में सीएटीसी पर एयरपोर्ट विजुअल सिमुलेटर (ए वी एस) उपलब्ध कराया गया है तथा सीएटीसी, इलाहाबाद एवं हैदराबाद एयरपोर्ट को गैर रडार प्रक्रियात्मक एटीसी सिमुलेटर उपकरण की आपूर्ति की जा रही है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की एक समर्पित उड़ान निरीक्षण यूनिट (एफ आई यू) है तथा इसके बेड़े में तीन हवाई जहाज हैं जो निरीक्षण में समर्थ अधुनातन एवं पूर्णत: स्वचालित उड़ान निरीक्षण प्रणाली से सुसज्जित हैं।.
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संयुक्त राज्य
संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S.
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गुजरात
गुजरात (गुजराती:ગુજરાત)() पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा भी है, पाकिस्तान से लगी है। राजस्थान और मध्य प्रदेश इसके क्रमशः उत्तर एवं उत्तर-पूर्व में स्थित राज्य हैं। महाराष्ट्र इसके दक्षिण में है। अरब सागर इसकी पश्चिमी-दक्षिणी सीमा बनाता है। इसकी दक्षिणी सीमा पर दादर एवं नगर-हवेली हैं। इस राज्य की राजधानी गांधीनगर है। गांधीनगर, राज्य के प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र अहमदाबाद के समीप स्थित है। गुजरात का क्षेत्रफल १,९६,०७७ किलोमीटर है। गुजरात, भारत का अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। कच्छ, सौराष्ट्र, काठियावाड, हालार, पांचाल, गोहिलवाड, झालावाड और गुजरात उसके प्रादेशिक सांस्कृतिक अंग हैं। इनकी लोक संस्कृति और साहित्य का अनुबन्ध राजस्थान, सिंध और पंजाब, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के साथ है। विशाल सागर तट वाले इस राज्य में इतिहास युग के आरम्भ होने से पूर्व ही अनेक विदेशी जातियाँ थल और समुद्र मार्ग से आकर स्थायी रूप से बसी हुई हैं। इसके उपरांत गुजरात में अट्ठाइस आदिवासी जातियां हैं। जन-समाज के ऐसे वैविध्य के कारण इस प्रदेश को भाँति-भाँति की लोक संस्कृतियों का लाभ मिला है। .
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यह भी देखें
गुजरात के विमानक्षेत्र
- कांदला विमानक्षेत्र
- केशोद विमानक्षेत्र
- जामनगर विमानक्षेत्र
- दीसा विमानक्षेत्र
- पोरबंदर विमानक्षेत्र
- भावनगर विमानक्षेत्र
- भुज रुद्र माता वायुसेना बेस
- भुज विमानक्षेत्र
- राजकोट विमानक्षेत्र
- सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र
- सिविल विमानक्षेत्र हारनी
- सूरत विमानक्षेत्र
वडोदरा विमानक्षेत्र, हारनी विमानक्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है।