सामग्री की तालिका
108 संबंधों: चलदूरवाणी, चित्रकाव्य कौतुकम्, ए हिस्ट्री ऑफ़ द्वैत स्कूल ऑफ़ वेदांत एंड इट्स लिटरेचर, एच. आर. विश्वास, एम. एस. अणे, एस. एल. भैरप्प, एस. श्रीनिवास शर्मा, तदेव गगनं सैवधरा, तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि, तव स्पर्शे स्पर्शे, तुलसीदास, त्रिवेणी, धर्मशास्त्र का इतिहास (पुस्तक), निर्झरिणी, निर्मला (उपन्यास), पांडुरंग वामन काणे, पंढरीनाथाचार्य गलगली, प्रतानिनी, प्रशस्यमित्र शास्त्री, प्रेमचंद, पी. श्रीरामचंद्रुडु, पी. के. नारायण पिळ्ळै, पी.सी. देवसिया, बच्चूलाल अवस्थी, बुद्धविजय काव्यम्, बी.एन. कृष्णमूर्ति शर्मा, भारतायनम्, भारतीय साहित्य अकादमी, भार्गवीयम्, भास्कराचार्य त्रिपाठी, भोज श्रृंगार प्रकाश, भीष्मचरितम्, मिथिला प्रसाद त्रिपाठी, मिर्ज़ा ग़ालिब, रबीन्द्रनाथ ठाकुर, रसप्रिया–विभावनम्, रसिक बिहारी जोशी, राधावल्लभ त्रिपाठी, राधाकान्त ठाकुर, रामभद्राचार्य, रामरूप पाठक, रामशंकर अवस्थी, रामजी ठाकुर, रामकरण मिश्र, रेवाप्रसाद द्विवेदी, लद्युपद्यप्रबन्धत्रयी, लसल्लतिका, शब्दतरंगिणी, शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय, शांतिभिक्षु शास्त्री, ... सूचकांक विस्तार (58 अधिक) »
- संस्कृत
- साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत संस्कृत भाषा के साहित्यकार
चलदूरवाणी
चलदूरवाणी विख्यात संस्कृत साहित्यकार राधाकान्त ठाकुर द्वारा रचित एक कविता-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और चलदूरवाणी
चित्रकाव्य कौतुकम्
चित्रकाव्य कौतुकम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार रामरूप पाठक द्वारा रचित एक काव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1967 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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ए हिस्ट्री ऑफ़ द्वैत स्कूल ऑफ़ वेदांत एंड इट्स लिटरेचर
ए हिस्ट्री ऑफ़ द्वैत स्कूल ऑफ़ वेदांत एंड इट्स लिटरेचर विख्यात संस्कृत साहित्यकार बी.एन. कृष्णमूर्ति शर्मा द्वारा रचित एक शोध है जिसके लिये उन्हें सन् 1963 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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एच. आर. विश्वास
एच.
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एम. एस. अणे
एम.
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एस. एल. भैरप्प
एस.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और एस. एल. भैरप्प
एस. श्रीनिवास शर्मा
एस.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और एस. श्रीनिवास शर्मा
तदेव गगनं सैवधरा
तदेव गगनं सैवधरा विख्यात संस्कृत साहित्यकार श्रीनिवास रथ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और तदेव गगनं सैवधरा
तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि
तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि विख्यात संस्कृत साहित्यकार महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज द्वारा रचित एक शोध है जिसके लिये उन्हें सन् 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि
तव स्पर्शे स्पर्शे
तव स्पर्शे स्पर्शे विख्यात संस्कृत साहित्यकार हर्षदेव माधव द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और तव स्पर्शे स्पर्शे
तुलसीदास
गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इनका जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में हुआ था। कुछ विद्वान् आपका जन्म राजापुर जिला बाँदा(वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ मानते हैं। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .
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त्रिवेणी
त्रिवेणी संस्कृत भाषा के विख्यात साहित्यकार श्यामदेव पाराशर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में संस्कृत भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और त्रिवेणी
धर्मशास्त्र का इतिहास (पुस्तक)
धर्मशास्त्र का इतिहास (हिस्ट्री ऑफ धर्मशास्त्र) भारतरत्न पांडुरंग वामन काणे द्वारा रचित हिन्दू धर्मशास्त्र से सम्बद्ध एक इतिहास ग्रन्थ है, जिसके लिये उन्हें सन् 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पाँच खण्डों में विभाजित एक बृहत् ग्रन्थ है। साहित्य अकादमी पुरस्कार दिये जाने तक अंग्रेजी में इसके 4 भाग ही प्रकाशित हुए थे (1953 तक)। 1963 में डॉ० पांडुरंग वामन काणे को भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किया गया। अंतिम भाग (पंचम खंड) का लेखन 1965 में पूरा हुआ। .
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निर्झरिणी
निर्झरिणी विख्यात संस्कृत साहित्यकार भास्कराचार्य त्रिपाठी द्वारा रचित एक कविता है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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निर्मला (उपन्यास)
निर्मला, मुंशी प्रेमचन्द द्वारा रचित प्रसिद्ध हिन्दी उपन्यास है। इसका प्रकाशन सन १९२७ में हुआ था। सन १९२६ में दहेज प्रथा और अनमेल विवाह को आधार बना कर इस उपन्यास का लेखन प्रारम्भ हुआ। इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली महिलाओं की पत्रिका 'चाँद' में नवम्बर १९२५ से दिसम्बर १९२६ तक यह उपन्यास विभिन्न किस्तों में प्रकाशित हुआ। महिला-केन्द्रित साहित्य के इतिहास में इस उपन्यास का विशेष स्थान है। इस उपन्यास की कथा का केन्द्र और मुख्य पात्र 'निर्मला' नाम की १५ वर्षीय सुन्दर और सुशील लड़की है। निर्मला का विवाह एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से कर दिया जाता है। जिसके पूर्व पत्नी से तीन बेटे हैं। निर्मला का चरित्र निर्मल है, परन्तु फिर भी समाज में उसे अनादर एवं अवहेलना का शिकार होना पड़ता है। उसकी पति परायणता काम नहीं आती। उस पर सन्देह किया जाता है, उसे परिस्थितियाँ उसे दोषी बना देती है। इस प्रकार निर्मला विपरीत परिस्थितियों से जूझती हुई मृत्यु को प्राप्त करती है। निर्मला में अनमेल विवाह और दहेज प्रथा की दुखान्त कहानी है। उपन्यास का लक्ष्य अनमेल-विवाह तथा दहेज़ प्रथा के बुरे प्रभाव को अंकित करता है। निर्मला के माध्यम से भारत की मध्यवर्गीय युवतियों की दयनीय हालत का चित्रण हुआ है। उपन्यास के अन्त में निर्मला की मृत्यृ इस कुत्सित सामाजिक प्रथा को मिटा डालने के लिए एक भारी चुनौती है। प्रेमचन्द ने भालचन्द और मोटेराम शास्त्री के प्रसंग द्वारा उपन्यास में हास्य की सृष्टि की है। निर्मला के चारों ओर कथा-भवन का निर्माण करते हुए असम्बद्ध प्रसंगों का पूर्णतः बहिष्कार किया गया है। इससे यह उपन्यास सेवासदन से भी अधिक सुग्रंथित एवं सुसंगठित बन गया है। इसे प्रेमचन्द का प्रथम ‘यथार्थवादी’ तथा हिन्दी का प्रथम ‘मनोवैज्ञानिक उपन्यास’ कहा जा सकता है। निर्मला का एक वैशिष्ट्य यह भी है कि इसमें ‘प्रचारक प्रेमचन्द’ के लोप ने इसे ने केवल कलात्मक बना दिया है, बल्कि प्रेमचन्द के शिल्प का एक विकास-चिन्ह भी बन गया है। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और निर्मला (उपन्यास)
पांडुरंग वामन काणे
पांडुरंग वामन काणे (७ मई १८८०, दापोली, रत्नागिरि - १९७२) संस्कृत के एक विद्वान् एवं प्राच्यविद्याविशारद थे। उन्हें १९६३ में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। काणे ने अपने विद्यार्थी जीवन के दौरान संस्कृत में नैपुण्य एवं विशेषता के लिए सात स्वर्णपदक प्राप्त किए और संस्कृत में एम.एस.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और पांडुरंग वामन काणे
पंढरीनाथाचार्य गलगली
पंढरीनाथाचार्य गलगली संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक जीवनी श्री शंबुलिंगेश्वर विजयचंपू के लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और पंढरीनाथाचार्य गलगली
प्रतानिनी
प्रतानिनी विख्यात संस्कृत साहित्यकार बच्चूलाल अवस्थी द्वारा रचित एक कविता–संकलन है जिसके लिये उन्हें सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और प्रतानिनी
प्रशस्यमित्र शास्त्री
प्रशस्यमित्र शास्त्री संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह अनभीप्सितम् के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और प्रशस्यमित्र शास्त्री
प्रेमचंद
प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और प्रेमचंद
पी. श्रीरामचंद्रुडु
पी.
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पी. के. नारायण पिळ्ळै
पी.
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पी.सी. देवसिया
पी.सी.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और पी.सी. देवसिया
बच्चूलाल अवस्थी
बच्चूलाल अवस्थी संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संकलन प्रतानिनी के लिये उन्हें सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और बच्चूलाल अवस्थी
बुद्धविजय काव्यम्
बुद्धविजय काव्यम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार शांतिभिक्षु शास्त्री द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और बुद्धविजय काव्यम्
बी.एन. कृष्णमूर्ति शर्मा
बी.एन.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और बी.एन. कृष्णमूर्ति शर्मा
भारतायनम्
भारतायनम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार हरेकृष्ण शतपथी द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और भारतायनम्
भारतीय साहित्य अकादमी
भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और भारतीय साहित्य अकादमी
भार्गवीयम्
भार्गवीयम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार मिथिला प्रसाद त्रिपाठी द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और भार्गवीयम्
भास्कराचार्य त्रिपाठी
भास्कराचार्य त्रिपाठी संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता निर्झरिणी के लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और भास्कराचार्य त्रिपाठी
भोज श्रृंगार प्रकाश
भोज श्रृंगार प्रकाश विख्यात संस्कृत साहित्यकार वे. राघवन द्वारा रचित एक सौन्दर्यशास्त्र है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और भोज श्रृंगार प्रकाश
भीष्मचरितम्
भीष्मचरितम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार हरिनारायण दीक्षित द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और भीष्मचरितम्
मिथिला प्रसाद त्रिपाठी
मिथिला प्रसाद त्रिपाठी संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य भार्गवीयम् के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और मिथिला प्रसाद त्रिपाठी
मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” (२७ दिसंबर १७९६ – १५ फरवरी १८६९) उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे। इनको उर्दू भाषा का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है और फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी जबान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है। यद्दपि इससे पहले के वर्षो में मीर तक़ी "मीर" भी इसी वजह से जाने जाता है। ग़ालिब के लिखे पत्र, जो उस समय प्रकाशित नहीं हुए थे, को भी उर्दू लेखन का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ माना जाता है। ग़ालिब को भारत और पाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण कवि के रूप में जाना जाता है। उन्हे दबीर-उल-मुल्क और नज़्म-उद-दौला का खिताब मिला। ग़ालिब (और असद) नाम से लिखने वाले मिर्ज़ा मुग़ल काल के आख़िरी शासक बहादुर शाह ज़फ़र के दरबारी कवि भी रहे थे। आगरा, दिल्ली और कलकत्ता में अपनी ज़िन्दगी गुजारने वाले ग़ालिब को मुख्यतः उनकी उर्दू ग़ज़लों को लिए याद किया जाता है। उन्होने अपने बारे में स्वयं लिखा था कि दुनिया में यूं तो बहुत से अच्छे कवि-शायर हैं, लेकिन उनकी शैली सबसे निराली है: “हैं और भी दुनिया में सुख़न्वर बहुत अच्छे कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए बयां और” .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और मिर्ज़ा ग़ालिब
रबीन्द्रनाथ ठाकुर
रवीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। .
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रसप्रिया–विभावनम्
रसप्रिया–विभावनम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार ओम्प्रकाश पाण्डेय द्वारा रचित एक काव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और रसप्रिया–विभावनम्
रसिक बिहारी जोशी
रसिक बिहारी जोशी संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक काव्य श्रीराधापंचशती के लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और रसिक बिहारी जोशी
राधावल्लभ त्रिपाठी
राधावल्लभ त्रिपाठी (जन्म: 15 फरवरी 1949, राजगढ़ (मध्यप्रदेश)) संस्कृत साहित्य को आधुनिकता का संस्कार देने वाले विद्वान और हिन्दी के प्रखर लेखक, कथाकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह संधानम् के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और राधावल्लभ त्रिपाठी
राधाकान्त ठाकुर
राधाकान्त ठाकुर संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता-संग्रह चलदूरवाणी के लिये उन्हें सन्2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और राधाकान्त ठाकुर
रामभद्राचार्य
जगद्गुरु रामभद्राचार्य (जगद्गुरुरामभद्राचार्यः) (१९५०–), पूर्वाश्रम नाम गिरिधर मिश्र चित्रकूट (उत्तर प्रदेश, भारत) में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर १९८८ ई से प्रतिष्ठित हैं।अग्रवाल २०१०, पृष्ठ ११०८-१११०।दिनकर २००८, पृष्ठ ३२। वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं। अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया है। वे बहुभाषाविद् हैं और २२ भाषाएँ बोलते हैं। वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। उन्होंने ८० से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं।दिनकर २००८, पृष्ठ ४०–४३। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है, और वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है। स्वामी रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं – भारत के भिन्न-भिन्न नगरों में और विदेशों में भी नियमित रूप से उनकी कथा आयोजित होती रहती है और कथा के कार्यक्रम संस्कार टीवी, सनातन टीवी इत्यादि चैनलों पर प्रसारित भी होते हैं। २०१५ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया। .
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रामरूप पाठक
रामरूप पाठक संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक काव्य चित्रकाव्य कौतुकम् के लिये उन्हें सन् 1967 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और रामरूप पाठक
रामशंकर अवस्थी
रामशंकर अवस्थी संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक काव्य वनदेवी के लिये उन्हें सन्2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और रामशंकर अवस्थी
रामजी ठाकुर
रामजी ठाकुर संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक खंडकाव्य लद्युपद्यप्रबन्धत्रयी के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और रामजी ठाकुर
रामकरण मिश्र
रामकरण मिश्र संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संकलन संध्या के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और रामकरण मिश्र
रेवाप्रसाद द्विवेदी
रेवाप्रसाद द्विवेदी संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य स्वातंत्र्यसंभवम् के लिये उन्हें सन् 1991 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और रेवाप्रसाद द्विवेदी
लद्युपद्यप्रबन्धत्रयी
लद्युपद्यप्रबन्धत्रयी विख्यात संस्कृत साहित्यकार रामजी ठाकुर द्वारा रचित एक खंडकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और लद्युपद्यप्रबन्धत्रयी
लसल्लतिका
लसल्लतिका विख्यात संस्कृत साहित्यकार हरिदत्त शर्मा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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शब्दतरंगिणी
शब्दतरंगिणी विख्यात संस्कृत साहित्यकार वी. सुब्रह्मण्य शास्त्री द्वारा रचित एक शब्दार्थ गवेषणा है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और शब्दतरंगिणी
शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय
शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय (१५ सितंबर, १८७६ - १६ जनवरी, १९३८) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनका जन्म हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ। वे अपने माता-पिता की नौ संतानों में से एक थे। अठारह साल की अवस्था में उन्होंने इंट्रेंस पास किया। इन्हीं दिनों उन्होंने "बासा" (घर) नाम से एक उपन्यास लिख डाला, पर यह रचना प्रकाशित नहीं हुई। रवींद्रनाथ ठाकुर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। शरतचन्द्र ललित कला के छात्र थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह इस विषय की पढ़ाई नहीं कर सके। रोजगार के तलाश में शरतचन्द्र बर्मा गए और लोक निर्माण विभाग में क्लर्क के रूप में काम किया। कुछ समय बर्मा रहकर कलकत्ता लौटने के बाद उन्होंने गंभीरता के साथ लेखन शुरू कर दिया। बर्मा से लौटने के बाद उन्होंने अपना प्रसिद्ध उपन्यास श्रीकांत लिखना शुरू किया। बर्मा में उनका संपर्क बंगचंद्र नामक एक व्यक्ति से हुआ जो था तो बड़ा विद्वान पर शराबी और उछृंखल था। यहीं से चरित्रहीन का बीज पड़ा, जिसमें मेस जीवन के वर्णन के साथ मेस की नौकरानी से प्रेम की कहानी है। जब वह एक बार बर्मा से कलकत्ता आए तो अपनी कुछ रचनाएँ कलकत्ते में एक मित्र के पास छोड़ गए। शरत को बिना बताए उनमें से एक रचना "बड़ी दीदी" का १९०७ में धारावाहिक प्रकाशन शुरु हो गया। दो एक किश्त निकलते ही लोगों में सनसनी फैल गई और वे कहने लगे कि शायद रवींद्रनाथ नाम बदलकर लिख रहे हैं। शरत को इसकी खबर साढ़े पाँच साल बाद मिली। कुछ भी हो ख्याति तो हो ही गई, फिर भी "चरित्रहीन" के छपने में बड़ी दिक्कत हुई। भारतवर्ष के संपादक कविवर द्विजेंद्रलाल राय ने इसे यह कहकर छापने से मना कर दिया किया कि यह सदाचार के विरुद्ध है। विष्णु प्रभाकर द्वारा आवारा मसीहा शीर्षक रचित से उनका प्रामाणिक जीवन परिचय बहुत प्रसिद्ध है। .
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शांतिभिक्षु शास्त्री
शांतिभिक्षु शास्त्री संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह बुद्धविजय काव्यम् के लिये उन्हें सन् 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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श्यामदेव पाराशर
श्यामदेव पाराशर संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह त्रिवेणी के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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श्री राधाचरित महाकाव्यम्
श्री राधाचरित महाकाव्यम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार कालिकाप्रसाद शुक्ल द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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श्री शंबुलिंगेश्वर विजयचंपू
श्री शंबुलिंगेश्वर विजयचंपू विख्यात संस्कृत साहित्यकार पंढरीनाथाचार्य गलगली द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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श्री गुरुगोविन्दसिंहचरितम्
श्री गुरुगोविन्दसिंहचरितम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार सत्यव्रत शास्त्री द्वारा रचित एक काव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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श्रीचंद्रशेखरेन्द्रसरस्वतीविजयम्
श्रीचंद्रशेखरेन्द्रसरस्वतीविजयम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार एस. श्रीनिवास शर्मा द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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श्रीधर भास्कर वर्णेकर
डॉ श्रीधर भास्कर वार्णेकर (३१ जुलाई १९१८ - १० अप्रैल २०००) संस्कृत के विद्वान तथा राष्ट्रवादी कवि थे। उनका जन्म नागपुर में हुआ था। .
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श्रीनाथ एस. हसूरकर
श्रीनाथ एस.
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श्रीनिवास रथ
श्रीनिवास रथ संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह तदेव गगनं सैवधरा के लिये उन्हें सन् 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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श्रीभार्गवराघवीयम्
श्रीभार्गवराघवीयम् (२००२), शब्दार्थ परशुराम और राम का, जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००२ ई में रचित एक संस्कृत महाकाव्य है। इसकी रचना ४० संस्कृत और प्राकृत छन्दों में रचित २१२१ श्लोकों में हुई है और यह २१ सर्गों (प्रत्येक १०१ श्लोक) में विभक्त है।महाकाव्य में परब्रह्म भगवान श्रीराम के दो अवतारों परशुराम और राम की कथाएँ वर्णित हैं, जो रामायण और अन्य हिंदू ग्रंथों में उपलब्ध हैं। भार्गव शब्द परशुराम को संदर्भित करता है, क्योंकि वह भृगु ऋषि के वंश में अवतीर्ण हुए थे, जबकि राघव शब्द राम को संदर्भित करता है क्योंकि वह राजा रघु के राजवंश में अवतीर्ण हुए थे। इस रचना के लिए, कवि को संस्कृत साहित्य अकादमी पुरस्कार (२००५) तथा अनेक अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। महाकाव्य की एक प्रति, कवि की स्वयं की हिन्दी टीका के साथ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा ३० अक्टूबर २००२ को किया गया था। .
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श्रीमत्प्रतापराणायनं महाकाव्यम्
श्रीमत्प्रतापराणायनं महाकाव्यम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार आगेटि परीक्षित शर्मा द्वारा रचित एक बृहत् काव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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श्रीराधापंचशती
श्रीराधापंचशती विख्यात संस्कृत साहित्यकार रसिक बिहारी जोशी द्वारा रचित एक काव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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श्रीरामचरितमानस
गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीरामचरितमानस का आवरण श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। इस ग्रन्थ को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। श्री रामचरित मानस के नायक राम हैं जिनको एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। त्रेता युग में हुए ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित और हिन्दी की ही एक लोकप्रिय भाषा अवधी में रचित रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .
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श्रीशिवपराज्योदयम्
श्रीशिवपराज्योदयम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार एस. वी. वर्णेकर द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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सत्यव्रत शास्त्री
सत्यव्रत शास्त्री सत्यव्रत शास्त्री (जन्म:१९३०) संस्कृत भाषा के विद्वान एवं महत्वपूर्ण मनीषी रचनाकार हैं। वे तीन महाकाव्यों के रचनाकार हैं, जिनमें से प्रत्येक में लगभग एक हजार श्लोक हैं। वृहत्तमभारतम्, श्री बोधिसत्वचरितम् और वैदिक व्याकरण उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। वर्ष २००७ में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। डॉ॰ सत्यव्रत शास्त्री पंजाब विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए.
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साहित्य अकादमी पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .
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सिन्धु कन्या
सिन्धु कन्या विख्यात संस्कृत साहित्यकार श्रीनाथ एस. हसूरकर द्वारा रचित एक ऐतिहासिक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और सिन्धु कन्या
संधानम्
संधानम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार राधावल्लभ त्रिपाठी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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संध्या
संध्या का अर्थ शाम है। संध्या एक हिन्दी शब्द है। .
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संस्कृत भाषा
संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .
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स्वातंत्र्यसंभवम्
स्वातंत्र्यसंभवम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार रेवाप्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और स्वातंत्र्यसंभवम्
सीताकांत महापात्र
ओड़िया के प्रसिद्ध कवि सीताकान्त महापात्र सीताकांत महापात्र (जन्म: १७ सितम्बर १९३७) उड़िया साहित्यकार हैं। इन्हें 1993 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें सन २००३ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। सीताकान्त की कविता का काव्य संसार यथार्थ और अनुभूति के सोलेन सम्मिश्रम से निर्मित हुआ है। उनकी कविताओं का सांस्कृतिक धरातल उनके अनुभव की उपज है। अतीत के जिस झरोखे से वे गांव की पगडंडी, तालाब, नदी, घर मन्दिर, सूर्योदय, ढलती शाम व मानवीय संबंधों इत्यादि का अवलोकन करते हुए सहजता से अपनी कविता में अभिव्यक्ति करते हैं, वह अनायास ही पाठकों को अपने में बांध लेती हैं। .
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सी॰ नारायण रेड्डी
सी॰ नारायण रेड्डी (२९ जुलाई १९३१ - १२ जून २०१७) या सी॰ना॰रे॰ भारतीय तेलुगू और उर्दू भषा के कवी और लेखक थे। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह मंतलु मानवुडु के लिये उन्हें सन् १९७३ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और सी॰ नारायण रेड्डी
हरिदत्त शर्मा
हरिदत्त शर्मा संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह लसल्लतिका के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और हरिदत्त शर्मा
हरिनारायण दीक्षित
हरिनारायण दीक्षित संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य भीष्मचरितम् के लिये उन्हें सन् 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और हरिनारायण दीक्षित
हर्षचरित–मंजरी
हर्षचरित–मंजरी विख्यात संस्कृत साहित्यकार काशीनाथ मिश्र द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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हर्षदेव माधव
हर्षदेव माधव संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह तव स्पर्शे स्पर्शे के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और हर्षदेव माधव
हरेकृष्ण शतपथी
हरेकृष्ण शतपथी संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य भारतायनम् के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और हरेकृष्ण शतपथी
जयंतिका
जयंतिका विख्यात संस्कृत साहित्यकार जग्गु वकुलभूषण द्वारा रचित एक गद्य–गल्प है जिसके लिये उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और जयंतिका
जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू (नवंबर १४, १८८९ - मई २७, १९६४) भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे। महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने १९४७ में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर १९६४ तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया। वे आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य – एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र - के वास्तुकार मानें जाते हैं। कश्मीरी पण्डित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाएँ जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं। स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री का पद सँभालने के लिए कांग्रेस द्वारा नेहरू निर्वाचित हुएँ, यद्यपि नेतृत्व का प्रश्न बहुत पहले 1941 में ही सुलझ चुका था, जब गांधीजी ने नेहरू को उनके राजनीतिक वारिस और उत्तराधिकारी के रूप में अभिस्वीकार किया। प्रधानमन्त्री के रूप में, वे भारत के सपने को साकार करने के लिए चल पड़े। भारत का संविधान 1950 में अधिनियमित हुआ, जिसके बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की। मुख्यतः, एक बहुवचनी, बहु-दलीय लोकतन्त्र को पोषित करते हुएँ, उन्होंने भारत के एक उपनिवेश से गणराज्य में परिवर्तन होने का पर्यवेक्षण किया। विदेश नीति में, भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में प्रदर्शित करते हुएँ, उन्होंने गैर-निरपेक्ष आन्दोलन में एक अग्रणी भूमिका निभाई। नेहरू के नेतृत्व में, कांग्रेस राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय चुनावों में प्रभुत्व दिखाते हुएँ और 1951, 1957, और 1962 के लगातार चुनाव जीतते हुएँ, एक सर्व-ग्रहण पार्टी के रूप में उभरी। उनके अन्तिम वर्षों में राजनीतिक मुसीबतों और 1962 के चीनी-भारत युद्ध में उनके नेतृत्व की असफलता के बावजूद, वे भारत के लोगों के बीच लोकप्रिय बने रहें। भारत में, उनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और जवाहरलाल नेहरू
जगन्नाथ पाठक
जगन्नाथ पाठक संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह कापिशायनी के लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और जगन्नाथ पाठक
जग्गु वकुलभूषण
जग्गु वकुलभूषण संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक गद्य–गल्प जयंतिका के लिये उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और जग्गु वकुलभूषण
ईशा
ईशा विख्यात संस्कृत साहित्यकार केशवचंद्र दाश द्वारा रचित एक कविता–संकलन है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और ईशा
वनदेवी
वनदेवी विख्यात संस्कृत साहित्यकार रामशंकर अवस्थी द्वारा रचित एक काव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और वनदेवी
विद्यापति
विद्यापति भारतीय साहित्य की 'शृंगार-परम्परा' के साथ-साथ 'भक्ति-परम्परा' के भी प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं। इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है। इन्हें वैष्णव, शैव और शाक्त भक्ति के सेतु के रूप में भी स्वीकार किया गया है। मिथिला के लोगों को 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' का सूत्र दे कर इन्होंने उत्तरी-बिहार में लोकभाषा की जनचेतना को जीवित करने का महान् प्रयास किया है। मिथिलांचल के लोकव्यवहार में प्रयोग किये जानेवाले गीतों में आज भी विद्यापति की शृंगार और भक्ति-रस में पगी रचनाएँ जीवित हैं। पदावली और कीर्तिलता इनकी अमर रचनाएँ हैं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और विद्यापति
विश्वनारायण शास्त्री
विश्वनारायण शास्त्री संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अविनाशि के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और विश्वनारायण शास्त्री
विश्वभानु
विश्वभानु विख्यात संस्कृत साहित्यकार पी. के. नारायण पिळ्ळै द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और विश्वभानु
वैदिक विज्ञान और भारतीय संस्कृति
वैदिक विज्ञान और भारतीय संस्कृति विख्यात संस्कृत साहित्यकार गिरधर शर्मा चतुर्वेदी द्वारा रचित एक शोध है जिसके लिये उन्हें सन् 1961 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और वैदिक विज्ञान और भारतीय संस्कृति
वेंकटरमण राघवन
वेंकटरमण राघवन (1908–1979) एक संस्कृत विद्वान तथा संगीतज्ञ थे। उन्हें पद्मभूषण, संस्कृत के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कार प्रदान किये गये थे। उन्होने १२० से अधिक पुस्तकों की रचना की तथा १२०० से अधिक लेख लिखे। इनके द्वारा रचित एक सौन्दर्यशास्त्र भोज श्रृंगार प्रकाश के लिये उन्हें सन् १९६६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (संस्कृत) से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और वेंकटरमण राघवन
वी. सुब्रह्मण्य शास्त्री
वी.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और वी. सुब्रह्मण्य शास्त्री
खिस्तुभागवतम्
खिस्तुभागवतम् विख्यात संस्कृत साहित्यकार पी.सी. देवसिया द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और खिस्तुभागवतम्
गिरधर शर्मा चतुर्वेदी
गिरधर शर्मा चतुर्वेदी संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक शोध वैदिक विज्ञान और भारतीय संस्कृति के लिये उन्हें सन् 1961 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और गिरधर शर्मा चतुर्वेदी
गोपीनाथ कविराज
महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज (७ सितम्बर 1887 - १२ जून 1976) संस्कृत के विद्वान और महान दार्शनिक थे। १९१४ में पुतकालयाक्ष्यक्ष से आरम्भ करते हुए वे १९२३ से १९३७ तक वाराणसी के शासकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य रहे। इस कालावधि में वे सरस्वती भवन ग्रन्थमाला के सम्पादक भी रहे। गोपीनाथ कविराज बंगाली थे और इनके पिताजी का नाम वैकुण्ठनाथ बागची था। आप का जन्म ब्रिटिश भारत के ग्राम धमरई जिला ढाका (अब बांग्लादेश) मे हुआ था। उनका जन्म प्रतिष्ठित बागची घराने मे हुआ था और "कविराज" उनको सम्मान में कहा जाता था। आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा श्री मधुसूदन ओझा एवं शशिधर "तर्क चूड़ामणि" के निर्देशन मे जयपुर मे प्रारंभ किया। महामहोपाध्याय पं॰ गोपीनाथ कविराज वर्तमान युग के विश्वविख्यात भारतीय प्राच्यविद् तथा मनीषी रहे हैं। इनकी ज्ञान-साधना का क्रम वर्तमान शताब्दी के प्रथम दशक से आरम्भ हुआ और प्रयाण-काल तक वह अबाधरूप से चलता रहा। इस दीर्घकाल में उन्होंने पौरस्त्य तथा पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान की विशिष्ट चिन्तन पद्धतियों का गहन अनुशीलन कर, दर्शन और इतिहास के क्षेत्र में जो अंशदान किया है उससे मानव-संस्कृति तथा साधना की अंतर्धाराओं पर नवीन प्रकाश पड़ा है, नयी दृष्टि मिली है। उन्नीसवीं शती के धार्मिक पुनर्जागरण और बीसवीं शती के स्वातन्त्र्य-आन्दोलन से अनुप्राणित उनकी जीवन-गाथा में युगचेतना साकार हो उठी है। प्राचीनता के सम्पोषक एवं नवीनता के पुरस्कर्ता के रूप में कविराज महोदय का विराट् व्यक्तित्व संधिकाल की उन सम्पूर्ण विशेषताओं से समन्वित है, जिनसे जातीय-जीवन प्रगति-पथ पर अग्रसर होने का सम्बल प्राप्त करता रहा है। इनके द्वारा रचित एक शोध तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि के लिये उन्हें सन् १९६४ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (संस्कृत) से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और गोपीनाथ कविराज
ओम्प्रकाश पाण्डेय
ओम्प्रकाश पाण्डेय संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक काव्य रसप्रिया–विभावनम् के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और ओम्प्रकाश पाण्डेय
आख्यानवल्लरी
आख्यानवल्लरी विख्यात संस्कृत साहित्यकार देवर्षि कलानाथ शास्त्री द्वारा रचित एक कथा–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और आख्यानवल्लरी
आगेटि परीक्षित शर्मा
आगेटि परीक्षित शर्मा संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक बृहत् काव्य श्रीमत्प्रतापराणायनं महाकाव्यम् के लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और आगेटि परीक्षित शर्मा
इक्षुगंधा
इक्षुगंधा विख्यात संस्कृत साहित्यकार राजेन्द्र मिश्र द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और इक्षुगंधा
कबीर
कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनके लेखन सिक्खों के आदि ग्रंथ में भी मिला जा सकता है। Encyclopædia Britannica (2015)Accessed: July 27, 2015 वे हिन्दू धर्म व इस्लाम के आलोचक थे। उन्होंने यज्ञोपवीत और ख़तना को बेमतलब क़रार दिया और इन जैसी धार्मिक प्रथाओं की सख़्त आलोचना की थी। उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उन्हें अपने विचार के लिए धमकी दी थी। कबीर पंथ नामक धार्मिक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और कबीर
कलानाथ शास्त्री
कलानाथ शास्त्री (जन्म: 15 जुलाई 1936) संस्कृत के जाने माने विद्वान,भाषाविद्, एवं बहुप्रकाशित लेखक हैं। आप राष्ट्रपति द्वारा वैदुष्य के लिए अलंकृत, केन्द्रीय साहित्य अकादमी, संस्कृत अकादमी आदि से पुरस्कृत, अनेक उपाधियों से सम्मानित व कई भाषाओँ में ग्रंथों के रचयिता हैं। वे विश्वविख्यात साहित्यकार तथा संस्कृत के युगांतरकारी कवि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के ज्येष्ठ पुत्र हैं। .
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कापिशायनी
कापिशायनी विख्यात संस्कृत साहित्यकार जगन्नाथ पाठक द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और कापिशायनी
कालिकाप्रसाद शुक्ल
कालिकाप्रसाद शुक्ल संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य श्री राधाचरित महाकाव्यम् के लिये उन्हें सन् 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और कालिकाप्रसाद शुक्ल
काशीनाथ मिश्र
काशीनाथ मिश्र संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह हर्षचरित–मंजरी के लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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के. एन. एषुत्तचन
के.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और के. एन. एषुत्तचन
केरलोदय:
केरलोदय: विख्यात संस्कृत साहित्यकार के. एन. एषुत्तचन द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और केरलोदय:
केशवचंद्र दाश
केशवचंद्र दाश संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संकलन ईशा के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और केशवचंद्र दाश
को वै रस:
को वै रस: विख्यात संस्कृत साहित्यकार पी. श्रीरामचंद्रुडु द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और को वै रस:
अनभीप्सितम्
अनभीप्सितं विख्यात संस्कृत साहित्यकार प्रशस्यमित्र शास्त्री द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और अनभीप्सितम्
अभिराज राजेन्द्र मिश्र
अभिराज राजेन्द्र मिश्र (जन्म 1943) संस्कृत कवि, गीतकार, नाटककार हैं। वे सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के उपकुलपति भी रह चुके हैं। उन्हें १९८८ में संस्कृत में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे 'त्रिवेणी-कवि' नाम से जाने जाते हैं। उन्होने संस्कृत, हिन्दी, भोजपुरी और अंग्रेजी में अनेक पुस्तकों की रचना की है। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और अभिराज राजेन्द्र मिश्र
अविनाशि
अविनाशि विख्यात संस्कृत साहित्यकार विश्वनारायण शास्त्री द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत और अविनाशि
यह भी देखें
संस्कृत
- अनुस्वार
- कारिका
- तिमली संस्कृत पाठशाला
- नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय
- पश्चिमी देशों में संस्कृत
- भारत स्थित संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची
- भारतीय छन्दशास्त्र
- मणिप्रवालम
- विश्व संस्कृत सम्मेलन
- वैदिक छंद
- वैदिक संस्कृत
- संस्कृत दिवस
- संस्कृत भाषा
- संस्कृत साहित्य
- संस्कृतीकरण
- साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत
- हिंदी भाषा में उपयोग होने वाले संस्कृत एवं फ़ारसी मूल धातुओं की सूची
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत संस्कृत भाषा के साहित्यकार
- अभिराज राजेन्द्र मिश्र
- एम. एस. अणे
- ओम्प्रकाश पाण्डेय
- कलानाथ शास्त्री
- कालिकाप्रसाद शुक्ल
- के. एन. एषुत्तचन
- केशवचंद्र दाश
- गोपीनाथ कविराज
- जगन्नाथ पाठक
- पंढरीनाथाचार्य गलगली
- पांडुरंग वामन काणे
- पी. के. नारायण पिळ्ळै
- पी. श्रीरामचंद्रुडु
- पी.सी. देवसिया
- प्रशस्यमित्र शास्त्री
- बी.एन. कृष्णमूर्ति शर्मा
- भास्कराचार्य त्रिपाठी
- मिथिला प्रसाद त्रिपाठी
- रामकरण मिश्र
- रामजी ठाकुर
- रामभद्राचार्य
- रेवाप्रसाद द्विवेदी
- विश्वनारायण शास्त्री
- वेंकटरमण राघवन
- श्रीधर भास्कर वर्णेकर
- श्रीनिवास रथ
- सत्यव्रत शास्त्री
- साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत
- हरिदत्त शर्मा
- हर्षदेव माधव