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सांवर दइया

सूची सांवर दइया

साँवर दइया का जन्म 10 अक्टूबर 1948, बीकानेर (राजस्थान) में हुआ। राजस्थानी साहित्य में आधुनिक कहानी के आप प्रमुख हस्ताक्षर माने जाते हैं। पेशे से शिक्षक रहे श्री दइया ने शिक्षक जीवन और शिक्षण व्यवसाय से जुड़ी बेहद मार्मिक कहानियां लिखी, जो "एक दुनिया म्हारी" कथा संकलन में संकलित है। इसे केंद्रीय साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार भी मिला। इस से पूर्व श्री दइया को उनके कहानी संग्रह- "असवाड़े-पसवाड़े" तथा "धरती कद तांईं धूमैली" पर राजस्थान साहित्य अकादेमी उदयपुर, मारवाड़ी सम्मेलन मुम्बई, राजस्थानी ग्रेजुएट नेशनल सर्विस ऐसोसिएशन मुम्बई, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं सस्कृति अकादेमी बीकानेर सहित अनेक साहित्यिक संस्थाओं से पुरस्कृत एवं सम्मानित हो चुके थे। राजस्थानी में संवाद कहानियों के लिए भी श्री दइया उल्लेखनीय कहानीकार माने जाते हैं। राजस्थानी कहानी को नूतन धारा एवं प्रवाह देने वाले सशक्त कथाकार के अतिरिक्त आप ने राजस्थानी काव्य में जापानी हाइकू का सूत्रपात किया, वहीं नई कविता को भी गति देने वाले कवियों में उनकी गणना की जाती है। प्रयोग के रूप में कविता के ही क्षेत्र में "पंचलड़ी" का श्रीगणेश आपने किया। रेखांकित करने योग्य बात यह भी है कि राजस्थानी भाषा में व्यंग्य को विद्या के रूप में प्रतिष्ठित करने वाले व्यंग्य-लेखक के रूप में भी आप चर्चित रहे। राजस्थानी साहित्य की इस सॄजन-यात्रा का समापन 30 जुलाई 1992 उन के निधन हो जाने से असमय हो गया। .

सामग्री की तालिका

  1. 3 संबंधों: भारतीय साहित्य अकादमी, राजस्थानी भाषा, राजस्थानी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं की सूची

  2. साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत राजस्थानी भाषा के साहित्यकार

भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

देखें सांवर दइया और भारतीय साहित्य अकादमी

राजस्थानी भाषा

हिन्दी, ब्रजभाषा, मेवाती, मारवाड़ी, जैसी कई भाषाओं के मिश्रित झुंड को राजस्थानी भाषा का नाम दिया गया इसे वर्तमान में देवनागरी में लिखा जाता है। राजस्थानी भाषा भारत के राजस्थान प्रान्त व मालवा क्षेत्र तथा पाकिस्तान के कुछ भागों में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। इस भाषा में प्राचीन साहित्य विपुल मात्रा में उपलब्ध है। इस भाषा में विपुल मात्रा में लोक गीत, संगीत, नृत्य, नाटक, कथा, कहानी आदि उपलब्ध हैं। इस भाषा को सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है। इस कारण इसे स्कूलों में पढाया नहीं जाता है। इस कारण शिक्षित वर्ग धीरे धीरे इस भाषा का उपयोग छोड़ रहा है, परिणामस्वरूप, यह भाषा धीरे धीरे ह्रास की और अग्रसर है। कुछ मातृभाषा प्रेमी अच्छे व्यक्ति इस भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। .

देखें सांवर दइया और राजस्थानी भाषा

राजस्थानी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं की सूची

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और राजस्थानी भाषा इन में से एक भाषा हैं। इस भाषा में १९७४ से पुरस्कार देना शुरु हुआ। .

देखें सांवर दइया और राजस्थानी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं की सूची

यह भी देखें

साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत राजस्थानी भाषा के साहित्यकार