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राजस्थानी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं की सूची

सूची राजस्थानी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं की सूची

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और राजस्थानी भाषा इन में से एक भाषा हैं। इस भाषा में १९७४ से पुरस्कार देना शुरु हुआ। .

96 संबंधों: चन्द्र प्रकाश देवल, चश्मदीठ गवाह, चेतन स्वामी, एक दुनिया म्हारी, दिनेश पंचाल, धरमजुद्ध, धूमिल, नारायण सिंह भाटी, नंद भारद्वाज, नृसिंह राजपुरोहित, नैनमल जैन, नेमनारायण जोशी, पागी, पगफेरो, पगरवा, प्रेमजी प्रेम, पूर्णमिदम्, बरसण रा देगोडा डूंगर लाँघिया, बातां री फुलवारी, बोल भारमली, भरत ओळा, भर्तृहरि, भारतीय साहित्य अकादमी, भास, भाई वीरसिंह, भगवतीलाल व्यास, मणि मधुकर, मधु आचार्य आशावादी, मरु–मंगल, महात्मा गांधी, महाश्वेता देवी, महावीर प्रसाद जोशी, माटी री महक, मंगत बादल, म्हारो गाँव, म्हारी कवितावां, मृत्युंजय (उपन्यास), मूलचंद प्राणेश, मेवै रा रूंख, मोहन आलोक, मीरां, यादवेन्द्र शर्मा चंद्र, रबीन्द्रनाथ ठाकुर, रामपाल सिंह राजपुरोहित, रामेश्वर दयाल श्रीमाली, राजस्थानी भाषा, राजस्थानी साहित्य, राजेन्द्र सिंह बेदी, रेवतदान चारण कल्पित, लक्ष्मीनारायण रंगा, ..., लीलटांस, शांति भारद्वाज राकेश, शिवाजी सावंत, सत्यप्रकाश जोशी, सात पगलां आकाशमां, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सांम्ही खुलतौ मारग, सांवर दइया, सिमरण, सगलोरी पीडा स्वातमेघ, संतोष मायामोहन, सुन्‍दर नैण सुधा, सुमेर सिंह शेखावत, स्वप्नवासवदत्ता, जमारो, जयप्रकाश पंड्या ज्योतिपुंज, जूण–जातरा, जी. शंकर कुरुप, जीव री जात, घराणो, वासु आचार्य, विष्णु प्रभाकर, विजयदान देथा, वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य, गा–गीत, गवाड़, ओळूंरी अखियातां, आँख हींयै रा हरियल सपना, आलोचना री आंख सूं, आईदान सिंह भाटी, आंथ्‍योई नहीं दिन हाल, इयारुइंगम, कन्हैयालाल सेठिया, करणीदान बारहठ, किस्तूरी मिरग, कंकू कबंध, कुंदन माली, कुंदनिका कापडीआ, अणहद नाद, अतुल कनक, अधूरा सुपना, अब्दुल वहीद कमल, अम्बिकादत्‍त, अर्जुनदेव चारण, उड जा रे सुआ, उछालो सूचकांक विस्तार (46 अधिक) »

चन्द्र प्रकाश देवल

डॉ॰ चन्द्र प्रकाश देवल (अथवा चंद्र प्रकाश देवल) प्रसिद्ध राजस्थानी कवि और अनुवादक हैं। वो राजस्थानी साहित्य अकादमी सलाहकार परिषद के संयोजक भी हैं। .

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चश्मदीठ गवाह

चश्मदीठ गवाह राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार मूलचंद ‘प्राणेश’ द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चेतन स्वामी

चेतन स्वामी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह किस्तूरी मिरग के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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एक दुनिया म्हारी

एक दुनिया म्हारी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार साँवर दइया द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दिनेश पंचाल

दिनेश पंचाल राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह पगरवा के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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धरमजुद्ध

धरमजुद्ध राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार अर्जुनदेव चारण द्वारा रचित एक नाटक–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1992 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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धूमिल

धूमिल का अर्थ होता है धूम्रमय। .

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नारायण सिंह भाटी

नारायण सिंह भाटी (1930–2004) पुलिस अधीक्षक तथा राजस्थानी भाषा के साहित्यकार थे। 1970 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे 1976 से 1980 तक अजमेर के पुलिस अधीक्षक रहे। उन्हें चार बार राष्ट्रपति पुलिस पदक और 6 बार गैलेंट्री अवार्ड भी मिले। 1965 के भारत-पाक युद्ध में भी उन्होंने भाग लिया। आजादी से पहले वह जैसलमेर के कनोट के हाकम भी रहे। .

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नंद भारद्वाज

नंद भारद्वाज राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सांम्ही खुलतौ मारग के लिये उन्हें सन् 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नृसिंह राजपुरोहित

नृसिंह राजपुरोहित राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह अधूरा सुपना के लिये उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नैनमल जैन

नैनमल जैन राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सगलोरी पीडा स्वातमेघ के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नेमनारायण जोशी

नेमनारायण जोशी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक संस्मरण ओळूंरी अखियातां के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पागी

पागी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार चंद्रप्रकाश देवल द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पगफेरो

पगफेरो राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार मणि मधुकर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1975 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पगरवा

पगरवा राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार दिनेश पंचाल द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्रेमजी प्रेम

प्रेमजी प्रेम राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संकलन म्हारी कवितावां के लिये उन्हें सन् 1991 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पूर्णमिदम्

पूर्णमिदम् राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा द्वारा रचित एक रंग–नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बरसण रा देगोडा डूंगर लाँघिया

बरसण रा देगोडा डूंगर लाँघिया राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार नारायण सिंह भाटी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बातां री फुलवारी

बातां री फुलवारी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार विजयदान देथा द्वारा रचित एक लोककथाएँ है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बोल भारमली

बोल भारमली राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार सत्यप्रकाश जोशी द्वारा रचित एक काव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भरत ओळा

भरत ओळा राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह जीव री जात के लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भर्तृहरि

भर्तृहरि एक महान संस्कृत कवि थे। संस्कृत साहित्य के इतिहास में भर्तृहरि एक नीतिकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके शतकत्रय (नीतिशतक, शृंगारशतक, वैराग्यशतक) की उपदेशात्मक कहानियाँ भारतीय जनमानस को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। प्रत्येक शतक में सौ-सौ श्लोक हैं। बाद में इन्होंने गुरु गोरखनाथ के शिष्य बनकर वैराग्य धारण कर लिया था इसलिये इनका एक लोकप्रचलित नाम बाबा भरथरी भी है। .

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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भास

भास संस्कृत साहित्य के प्रसिद्ध नाटककार थे जिनके जीवनकाल के बारे में अधिक पता नहीं है। स्वप्नवासवदत्ता उनके द्वारा लिखित सबसे चर्चित नाटक है जिसमें एक राजा के अपने रानी के प्रति अविरहनीय प्रेम और पुनर्मिलन की कहानी है। कालिदास जो गुप्तकालीन समझे जाते हैं, ने भास का नाम अपने नाटक में लिया है, जिससे लगता है कि वो गुप्तकाल से पहले रहे होंगे पर इससे भी उनके जीवनकाल का अधिक ठोस प्रमाण नहीं मिलता। आज कई नाटकों में उनका नाम लेखक के रूप में उल्लिखित है पर १९१२ में त्रिवेंद्रम में गणपति शास्त्री ने नाटकों की लेखन शैली में समानता देखकर उन्हें भास-लिखित बताया। इससे पहले भास का नाम संस्कृत नाटककार के रूप में विस्मृत हो गया था। .

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भाई वीरसिंह

भाई वीरसिंह (1872-1957 ई.) आधुनिक पंजाबी साहित्य के प्रवर्तक; नाटककार, उपन्यासकार, निबंधलेखक, जीवनीलेखक तथा कवि। इन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में 1956 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। .

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भगवतीलाल व्यास

भगवतीलाल व्यास राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अणहद नाद के लिये उन्हें सन् 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मणि मधुकर

मणि मधुकर राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह पगफेरो के लिये उन्हें सन् 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मधु आचार्य आशावादी

मधु आचार्य आशावादी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्‍यास गवाड़ के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मरु–मंगल

मरु–मंगल राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार सुमेर सिंह शेखावत द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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महाश्वेता देवी

महाश्वेता देवी (14 जनवरी 1926 – 28 जुलाई 2016) रेमन मैगसेसे पुरस्कार.

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महावीर प्रसाद जोशी

महावीर प्रसाद जोशी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह द्वारका के लिये उन्हें सन् 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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माटी री महक

माटी री महक राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार करणीदान बारहठ द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मंगत बादल

मंगत बादल राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य मीरां के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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म्हारो गाँव

म्हारो गाँव राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार रामेश्वर दयाल श्रीमाली द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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म्हारी कवितावां

म्हारी कवितावां राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रेमजी प्रेम द्वारा रचित एक कविता–संकलन है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मृत्युंजय (उपन्यास)

श्रेणी:ज्ञानपीठ श्रेणी:पुस्तक.

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मूलचंद प्राणेश

मूलचंद प्राणेश राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह चश्मदीठ गवाह के लिये उन्हें सन् 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मेवै रा रूंख

मेवै रा रूंख राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार अन्नाराम ‘सुदामा’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मोहन आलोक

मोहन आलोक राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह गा–गीत के लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मीरां

मीरां राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार मंगत बादल द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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यादवेन्द्र शर्मा चंद्र

यादवेन्द्र शर्मा चंद्र राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संकलन जमारो के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। .

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रामपाल सिंह राजपुरोहित

रामपाल सिंह राजपुरोहित राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी सुन्‍दर नैण सुधा के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रामेश्वर दयाल श्रीमाली

रामेश्वर दयाल श्रीमाली राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह म्हारो गाँव के लिये उन्हें सन् 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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राजस्थानी भाषा

हिन्दी, ब्रजभाषा, मेवाती, मारवाड़ी, जैसी कई भाषाओं के मिश्रित झुंड को राजस्थानी भाषा का नाम दिया गया इसे वर्तमान में देवनागरी में लिखा जाता है। राजस्थानी भाषा भारत के राजस्थान प्रान्त व मालवा क्षेत्र तथा पाकिस्तान के कुछ भागों में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। इस भाषा में प्राचीन साहित्य विपुल मात्रा में उपलब्ध है। इस भाषा में विपुल मात्रा में लोक गीत, संगीत, नृत्य, नाटक, कथा, कहानी आदि उपलब्ध हैं। इस भाषा को सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है। इस कारण इसे स्कूलों में पढाया नहीं जाता है। इस कारण शिक्षित वर्ग धीरे धीरे इस भाषा का उपयोग छोड़ रहा है, परिणामस्वरूप, यह भाषा धीरे धीरे ह्रास की और अग्रसर है। कुछ मातृभाषा प्रेमी अच्छे व्यक्ति इस भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। .

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राजस्थानी साहित्य

राजस्थानी साहित्य ई॰ सन् १००० से विभिन्न विधाओं में लिखी गई है। लेकिन सर्वसम्मत रूप से माना जाता है कि राजस्थानी साहित्य पर कार्य सूरजमल मिसराणा के कार्य के बाद आरम्भ हुआ।South Asian arts.

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राजेन्द्र सिंह बेदी

हिन्दी लेखक.

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रेवतदान चारण कल्पित

रेवतदान चारण कल्पित राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संकलन उछालो के लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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लक्ष्मीनारायण रंगा

लक्ष्मीनारायण रंगा राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक रंग–नाटक पूर्णमिदम् के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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लीलटांस

लीलटांस राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार कन्हैयालाल सेठिया द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1976 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शांति भारद्वाज राकेश

शांति भारद्वाज राकेश राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास उड जा रे सुआ के लिये उन्हें सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शिवाजी सावंत

एक मुर्धन्य साहित्यकार: महाराष्ट्र में जन्म एवम कई उच्च कोटि के ग्र्न्थो का स्र्जन: भारतीय ज्ञानपीठ परिषद द्वारा सम्मानित्.

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सत्यप्रकाश जोशी

सत्यप्रकाश जोशी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक काव्य बोल भारमली के लिये उन्हें सन् 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सात पगलां आकाशमां

सात पगलां आकाशमां गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार कुंदनिका कापडीआ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

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सांम्ही खुलतौ मारग

सांम्ही खुलतौ मारग राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार नंद भारद्वाज द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सांवर दइया

साँवर दइया का जन्म 10 अक्टूबर 1948, बीकानेर (राजस्थान) में हुआ। राजस्थानी साहित्य में आधुनिक कहानी के आप प्रमुख हस्ताक्षर माने जाते हैं। पेशे से शिक्षक रहे श्री दइया ने शिक्षक जीवन और शिक्षण व्यवसाय से जुड़ी बेहद मार्मिक कहानियां लिखी, जो "एक दुनिया म्हारी" कथा संकलन में संकलित है। इसे केंद्रीय साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार भी मिला। इस से पूर्व श्री दइया को उनके कहानी संग्रह- "असवाड़े-पसवाड़े" तथा "धरती कद तांईं धूमैली" पर राजस्थान साहित्य अकादेमी उदयपुर, मारवाड़ी सम्मेलन मुम्बई, राजस्थानी ग्रेजुएट नेशनल सर्विस ऐसोसिएशन मुम्बई, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं सस्कृति अकादेमी बीकानेर सहित अनेक साहित्यिक संस्थाओं से पुरस्कृत एवं सम्मानित हो चुके थे। राजस्थानी में संवाद कहानियों के लिए भी श्री दइया उल्लेखनीय कहानीकार माने जाते हैं। राजस्थानी कहानी को नूतन धारा एवं प्रवाह देने वाले सशक्त कथाकार के अतिरिक्त आप ने राजस्थानी काव्य में जापानी हाइकू का सूत्रपात किया, वहीं नई कविता को भी गति देने वाले कवियों में उनकी गणना की जाती है। प्रयोग के रूप में कविता के ही क्षेत्र में "पंचलड़ी" का श्रीगणेश आपने किया। रेखांकित करने योग्य बात यह भी है कि राजस्थानी भाषा में व्यंग्य को विद्या के रूप में प्रतिष्ठित करने वाले व्यंग्य-लेखक के रूप में भी आप चर्चित रहे। राजस्थानी साहित्य की इस सॄजन-यात्रा का समापन 30 जुलाई 1992 उन के निधन हो जाने से असमय हो गया। .

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सिमरण

सिमरण राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार संतोष मायामोहन द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सगलोरी पीडा स्वातमेघ

सगलोरी पीडा स्वातमेघ राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार नैनमल जैन द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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संतोष मायामोहन

संतोष मायामोहन राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सिमरण के लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुन्‍दर नैण सुधा

सुन्‍दर नैण सुधा राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार रामपाल सिंह राजपुरोहित द्वारा रचित एक कहानी है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुमेर सिंह शेखावत

सुमेर सिंह शेखावत राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह मरु–मंगल के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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स्वप्नवासवदत्ता

स्वप्नवासवदत्ता (वासवदत्ता का स्वप्न), महाकवि भास का प्रसिद्ध संस्कृत नाटक है। इसमें छः अंक हैं। भास के नाटकों में यह सबसे उत्कृष्ट है। क्षेमेन्द्र के बृहत्कथामंजरी तथा सोमदेव के कथासरित्सागर पर आधारित यह नाटक समग्र संस्कृतवांमय के दृश्यकाव्यों में आदर्श कृति माना जाता है। भास विरचित रूपकों में यह सर्वश्रेष्ठ है। वस्तुतः यह भास की नाट्यकला का चूडान्त निदर्शन है। यह छः अंकों का नाटक है। इसमें प्रतिज्ञायौगन्धारायण से आगे की कथा का वर्णन है। इस नाटक का नामकरण राजा उदयन के द्वारा इइस्वप्न में वासवदत्ता के दर्शन पर आधारित है। स्वप्न वाला दृश्य संस्कृत नाट्य साहित्य में अपना विषेष स्थान रखता है। यह नाटक नाट्यकला की सर्वोत्तम परिणिति है। वस्तु, नेता एवं रस - तीनों ही दृष्टि से यह उत्तम कोटि का है। नाटकीय संविधान, कथोपकथन, चरित्र-चित्रण, प्रकृति वर्णन तथा रसों का सुन्दर सामन्जस्य इस नाटक में पूर्ण परिपाक को प्राप्त हुये हैं। मानव हृदय की सूक्ष्मातिसूक्ष्म भावदशाओं का चित्रण इस नाटक में सर्वत्र देखा जा सकता है। नाटक का प्रधान रस श्रृंगार है तथा हास्य की भी सुन्दर उद्भावना हुई है। .

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जमारो

जमारो राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार यादवेन्द्र शर्मा ‘चंद्र’ द्वारा रचित एक कहानी–संकलन है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जयप्रकाश पंड्या ज्योतिपुंज

जयप्रकाश पंड्या ज्योतिपुंज राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक कंकू कबंध के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जूण–जातरा

जूण–जातरा राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार अतुल कनक द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जी. शंकर कुरुप

जी.

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जीव री जात

जीव री जात राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार भरत ओळा द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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घराणो

घराणो राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार अब्दुल वहीद ‘कमल’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वासु आचार्य

वासु आचार्य राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सीर रो घर के लिये उन्हें सन् 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विष्णु प्रभाकर

विष्णु प्रभाकर (२१ जून १९१२- ११ अप्रैल २००९) हिन्दी के सुप्रसिद्ध लेखक थे जिन्होने अनेकों लघु कथाएँ, उपन्यास, नाटक तथा यात्रा संस्मरण लिखे। उनकी कृतियों में देशप्रेम, राष्ट्रवाद, तथा सामाजिक विकास मुख्य भाव हैं। .

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विजयदान देथा

विजयदान देथा (१ सितम्बर १९२६ - १० नवम्बर २०१३) जिन्हें बिज्जी के नाम से भी जाना था राजस्थान के विख्यात लेखक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति थे। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और साहित्य चुड़ामणी पुरस्कार जैसे विभिन्न अन्य पुरस्कारों से भी समानित किया जा चुका था। १० नवम्बर २०१३ को ८७ वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। .

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वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य

वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य (१ अप्रैल, १९२४ - ६ अगस्त, १९९७) असमिया साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास इयारुइंगम के लिये उन्हें सन् १९६१ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) से सम्मानित किया गया। इन्हें १९७९ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। समाजवादी विचारों से प्रेरित श्री भट्टाचार्य कहानीकार, कवि, निबंधकार और पत्रकार थे। वे साहित्य अकादमी, दिल्ली और असम साहित्य सभा के अध्यक्ष रहे। उन्होंने १९५० में संपादित असमी पत्रिका रामधेनु का संपादन कर असमिया साहित्य को नया मोड़ दिया। इनके चर्चित उपन्यासों इयारूंगम, मृत्युंजय, राजपथे, रिंगियाई, आई, प्रितपद, शतघ्नी, कालर हुमुनियाहहैं। इनके दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए, कलंग आजियो बोइ और सातसरी। .

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गा–गीत

गा–गीत राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार मोहन आलोक द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गवाड़

गवाड़ राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार मधु आचार्य 'आशावादी' द्वारा रचित एक उपन्‍यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ओळूंरी अखियातां

ओळूंरी अखियातां राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार नेमनारायण जोशी द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आँख हींयै रा हरियल सपना

आँख हींयै रा हरियल सपना राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार आईदान सिंह भाटी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आलोचना री आंख सूं

आलोचना री आंख सूं राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार कुंदन माली द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आईदान सिंह भाटी

आईदान सिंह भाटी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह आँख हींयै रा हरियल सपना के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आंथ्‍योई नहीं दिन हाल

आंथ्‍योई नहीं दिन हाल राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार अम्बिकादत्‍त द्वारा रचित एक कविता-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इयारुइंगम

इयारुइंगम असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार बीरेन्द्रकुमार भट्टाचार्य द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1961 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कन्हैयालाल सेठिया

महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया (11 सितम्बर 1919-11 नवंबर 2008) राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध कवि थे। आपको 2004 में पद्मश्री, साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा 1988 में ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी साहित्य पुरास्कार से भी सम्मानित किया गया था। .

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करणीदान बारहठ

करणीदान बारहठ राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह माटी री महक के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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किस्तूरी मिरग

किस्तूरी मिरग राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार चेतन स्वामी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कंकू कबंध

कंकू कबंध राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार जयप्रकाश पंड्या ‘ज्योतिपुंज’ द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कुंदन माली

कुंदन माली राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना आलोचना री आंख सूं के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कुंदनिका कापडीआ

कुंदनिका कापडीआ गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सात पगलां आकाशमां के लिये उन्हें सन् 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अणहद नाद

अणहद नाद राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार भगवतीलाल व्यास द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अतुल कनक

अतुल कनक राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास जूण–जातरा के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अधूरा सुपना

अधूरा सुपना राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार नृसिंह राजपुरोहित द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1993 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अब्दुल वहीद कमल

अब्दुल वहीद कमल राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास घराणो के लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अम्बिकादत्‍त

अम्बिकादत्‍त राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता-संग्रह आंथ्‍योई नहीं दिन हाल के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अर्जुनदेव चारण

अर्जुनदेव चारण एक प्रसिद्ध राजस्थानी कवि, आलोचक, नाटककार, थियेटर निर्देशक और अनुवादक है। डॉ। चरण का जन्म 10 मई 1 9 54 को जोथपुर के मथानीया गांव में हुआ था। उनके पिता रेणवत दान चरण भी एक प्रख्यात राजस्थानी कवि और समाजवादी थे.चरन,जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में राजस्थानी भाषा विभाग के प्रमुख रहे हैं। उन्हें 26 नवंबर 2011 को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के अध्यक्ष के रूप में तीन साल के लिए चुना गया है।जोधपुर के डॉ.

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उड जा रे सुआ

उड जा रे सुआ राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार शांति भारद्वाज ‘राकेश’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1998 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उछालो

उछालो राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार रेवतदान चारण ‘कल्पित’ द्वारा रचित एक कविता–संकलन है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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