7 संबंधों: ठ्री रल्पचन, तिब्बती लिपि, थोन्मि सम्भोट, योल्मो लोग, रंजना लिपि, शेर्पा, वयली लिप्यंतरण।
ठ्री रल्पचन
ठ्री रल्पचन (ཁྲི་རལ་པ་ཅན། 802-841) तिब्बत के 42 वें तिब्बती सम्राट है।.
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तिब्बती लिपि
तिब्बती बौद्धधर्म का मूल मंत्र: '''ॐ मणिपद्मे हूँ''' तिब्बती लिपि भारतीय मूल की ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसका उपयोग तिब्बती भाषा, लद्दाखी भाषा तथा कभी-कभी बलती भाषा को लिखने के लिये किया जाता है। इसकी रचना ७वीं शताब्दी में तिब्बत के धर्मराजा स्रोंचन गम्पो (तिब्बती: སྲོང་བཙན་སྒམ་པོ།, Wylie: srong btsan sgam po) के मंत्री थोन्मि सम्भोट (तिब्बती: ཐོན་མི་སམྦྷོ་ཊ།, Wyl. thon mi sam+b+ho Ta) ने की थी। इसलिये इसको सम्भोट लिपि भी कहते हैं। यह लिपि प्राचीन समय से ही तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भूटानी, भोटे, सिक्किमी आदि हिमाकयी भाषाओं को लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। .
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थोन्मि सम्भोट
थोन्मि सम्भोट (Thönmi Sambhoṭa, aka Tonmi Sambhodha;, Tib. ཐོན་མི་སམྦྷོ་ཊ་) को पारम्परिक रूप से तिब्बती लिपि के अन्वेषक माना जाता है तथा ७वीं सदी में सम कु पा और आरटैग्स क्यी 'जुग पा के लेखक थे। थोन्मि सम्भोट किसी भी पूराने तिब्बती इतिहास, अन्य प्राचीन सामग्री में उल्लेख नहीं मिलता। अमेरिकी भाषाविद रॉय एंड्रयू मिलर ने थोन्मि को ऐतिहासिक व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न लेख लिखे हैं। .
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योल्मो लोग
योल्मो लोगों को कर रहे हैं एक स्वदेशी लोगों के पूर्वी हिमालय क्षेत्रहै। वे खुद को देखें के रूप में "Yolmowa" या "Hyolmopa", और natively में रहते हैं हेलम्बू और Melamchi घाटियों (पर स्थित 43.4 किलोमीटर/27 मील की दूरी पर और 44.1 किलोमीटर/27.4 मील के उत्तर के लिए काठमांडू क्रमशः) और आसपास के क्षेत्रों के पूर्वोत्तर नेपाल.
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रंजना लिपि
रंजना लिपि ११वीं शती में ब्राह्मी से व्युत्पन्न एक लिपि है। यह मुख्यतः नेपाल भाषा लिखने के लिए प्रयुक्त होती है किन्तु भारत, तिब्बत, चीन, मंगोलिया और जापान के मठों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह प्रायः बाएँ से दाएँ लिखी जाती है किन्तु 'कूटाक्षर प्रारूप' के लिये ऊपर से नीचे लिखी जाती है। यह मानक नेपाली की कैलिग्राफिक लिपि मानी जाती है। .
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शेर्पा
शेर्पा एक मानव जाति है जिनका मुख्य निवास नेपाल और तिब्बत के हिमालयी क्षेत्रों तथा उसके आसपास के इलाकों में है। तिब्बती भाषा में शर का अर्थ होता है पूरब तथा पा प्रत्यय लोग के अर्थ को व्यक्त करता है; अतः शेर्पा का शाब्दिक अर्थ होता है पूरब के लोग। ये लोग पिछले २०० वर्षों में पूर्वी तिब्बत से आकर नेपाल के इन इलाकों में बस गए। नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों के लोग शेर्पा स्त्रियों को शेर्पानी कहते हैं। पर्वातारोहण में सिद्धहस्त होने की इनकी प्रतिभा के कारण नेपाल में पर्वतारोहियों के गाइड तथा सामान ढोने के कार्यों में इन शेर्पाओं की सेवा ली जाती है। इस कारण, आजकल नेपाली पर्वतारोही गाइड को सामान्य रूप से शेरपा कहा जाने लगा है भले ही वो शेरपा समुदाय के हों या ना हों। इन लोगों की भाषा शेर्पा भाषा है। यह भाषा तिब्बात की पुरानी और पारंपरिक भाषा से ६५% मिलती है ओर ये लोग बौद्ध धर्म मानते है। .
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वयली लिप्यंतरण
thumb वयली लिप्यंतरण (Wylie transliteration) तिब्बती लिपि के रोमनीकरण की एक विधि है जिसमें उन रोमन वर्णों का उपयोग किया जाता है जो अंग्रेजी भाषा के किसी साधारण टाइपराइटर पर भी उपलब्ध होते हैं। यह नाम, टरेल वी वयली (Turrell V. Wylie) के नाम पर पड़ा है जिन्होने १९५९ में इस योजना को प्रस्तुत किया था। समय के साथ यह लिप्यन्तरण योजना एक मानक बन गयी (विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका में)। तिब्बती भाषा के रोमनीकरण की सभी योजनाओं में सदा एक दुविधा की स्थिति पायी जाती है। यह दुविधा यह है कि रोमनीकरन करते समय बोली/कही गयी तिब्बती भाषा के उच्चारण को संरक्षित रखने की कोशिश की जाय या तिब्बती लिपि की वर्तनी का अनुकरण किया जाय। बात यह है कि तिब्बती में लिखी और बोली गयी भाषा में बहुत अन्तर होता है। वयली लिप्यन्तरण से पहले प्रचलित लिप्यन्तरण योजनाएँ न तो उच्चारण को पूर्णतः संरक्षित कर पातीं थीं न ही लिपि की वर्तनी को। वयली लिप्यन्तरण योजना, तिब्बती उच्चारण का अनुगमन नहीं करती बल्कि तिब्बती लिपि (वर्तनी) को रोमन लिपि में प्रस्तुत करने की योजना है। .