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सजिल्द

सूची सजिल्द

धूल रोधी आवरण के साथ एक सजिल्द पुस्तक एक सजिल्द पुस्तक वह पुस्तक होती है जिसपर एक सुरक्षात्मक कठोर आवरण चढ़ा होता है। आमतौर पर यह आवरण एक मोटे गत्ते का बना होता है जिसको कपड़े, मोटे कागज, या कभी कभी चमड़े से भी मढ़ा जाता है। जिल्द शब्द उर्दु से आया है जिसका अर्थ, त्वचा होता है। इस जिल्द को लचीले सीवन टाँको से सिला जाता है ताकि जब पुस्तक को पढ़ने के लिए खोला जाये यह आराम से खोली जा सके और खुलने के बाद खुली रहे, हालांकि आजकल जिल्द को सिलने के बजाय चिपकाया जाता है। सजिल्द किताबें अक्सर अम्लमुक्त कागज पर मुद्रित की जाती हैं और यह कागजी जिल्द वाली पुस्तकों से अधिक टिकाऊ होती है। सजिल्द पुस्तकें उत्पादन के समय अपेक्षाकृत थोड़ी और बिक्री के समय काफी महंगी होती हैं। सजिल्द किताबों को धूल से बचाने के लिए अक्सर एक कलात्मक धूल रोधी आवरण इनके साथ आता है। .

5 संबंधों: चमड़ा, वस्त्र, काग़ज़, अजिल्द, उर्दू भाषा

चमड़ा

चमड़े के आधुनिक औजारचमड़ा जानवरों की खाल को कमा कर प्राप्त की गयी एक सामग्री है। कमाना या चर्मशोधन एक प्रक्रिया है जो पूयकारी खाल को एक टिकाऊ और विभिन्न प्रयोगों मे आने वाली सामग्री में परिवर्तित कर देती है। चमड़ा बनाने में मुख्यतः गाय और भैंस की खाल का प्रयोग किया जाता है। लकड़ी और चमड़ा ही दो ऐसी सामग्री हैं जो अधिसंख्य प्राचीन तकनीकों का आधार हैं। चमड़ा उद्योग और लोम उद्योग अलग अलग उद्योग हैं और उनकी यह भिन्नता उनके द्वारा प्रयुक्त कच्चे माल के महत्व से पता चलती है। जहां चमड़ा उद्योग का कच्चा माल मांस उद्योग का एक उपोत्पाद है वहीं लोम चर्म उद्योग में लोम की मांस से अधिक महत्वता है। चर्मप्रसाधन भी जानवरों की खालों का इस्तेमाल करता है, लेकिन इसमें आमतौर पर सिर और पीठ का हिस्सा ही प्रयोग में आता है। चर्म और खाल से गोंद और सरेस (जिलेटिन) का उत्पादन भी किया जाता है। .

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वस्त्र

पाकिस्तान के कराची में रविवार को फुटपाथ पर वस्त्रों की बिक्री वस्त्र या कपड़ा एक मानव-निर्मित चीज है जो प्राकृतिक या कृत्रिम तंतुओं के नेटवर्क से निर्मित होती है। इन तंतुओं को सूत या धागा कहते हैं। धागे का निर्माण कच्चे ऊन, कपास (रूई) या किसी अन्य पदार्थ को करघे की सहायता से ऐंठकर किया जाता है। .

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काग़ज़

कागज का पुलिन्दा चीन में कागज का निर्माण कागज एक पतला पदार्थ है जिस पर लिखा या प्रिन्ट किया जाता है। कागज मुख्य रूप से लिखने और छपाई के लिए प्रयुक्त होता है। यह वस्तुओं की पैकेजिंग करने के काम भी आता है। मानव सभ्यता के विकास में कागज का बहुत बड़ा योगदान है। गीले तन्तुओं (फाइबर्स्) को दबाकर एवं तत्पश्चात सुखाकर कागज बनाया जाता है। ये तन्तु प्राय: सेलुलोज की लुगदी (पल्प) होते हैं जो लकड़ी, घास, बांस, या चिथड़ों से बनाये जाते हैं। पौधों में सेल्यूलोस नामक एक कार्बोहाइड्रेट होता है। पौधों की कोशिकाओं की भित्ति सेल्यूलोज की ही बनी होतीं है। अत: सेल्यूलोस पौधों के पंजर का मुख्य पदार्थ है। सेल्यूलोस के रेशों को परस्पर जुटाकर एकसम पतली चद्दर के रूप में जो वस्तु बनाई जाती है उसे कागज कहते हैं। कोई भी पौधा या पदार्थ, जिसमें सेल्यूलोस अच्छी मात्रा में हो, कागज बनाने के लिए उपयुक्त हो सकता है। रुई लगभग शुद्ध सेल्यूलोस है, किंतु कागज बनाने में इसका उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि यह महँगी होती है और मुख्य रूप से कपड़ा बनाने के काम में आती है। परस्पर जुटकर चद्दर के रूप में हो सकने का गुण सेल्यूलोस के रेशों में ही होता है, इस कारण कागज केवल इसी से बनाया जा सकता है। रेशम और ऊन के रेशों में इस प्रकार परस्पर जुटने का गुण न होने के कारण ये कागज बनाने के काम में नहीं आ सकते। जितना अधिक शुद्ध सेल्यूलोस होता है, कागज भी उतना ही स्वच्छ और सुंदर बनता है। कपड़ों के चिथड़े तथा कागज की रद्दी में लगभग शतप्रतिशत सेल्यूलोस होता है, अत: इनसे कागज सरलता से और अच्छा बनता है। इतिहासज्ञों का ऐसा अनुमान है कि पहला कागज कपड़ों के चिथड़ों से ही चीन में बना था। पौधों में सेल्यूलोस के साथ अन्य कई पदार्थ मिले रहते हैं, जिनमें लिग्निन और पेक्टिन पर्याप्त मात्रा में तथा खनिज लवण, वसा और रंग पदार्थ सूक्ष्म मात्राओं में रहते हैं। इन पदार्थों को जब तक पर्याप्त अंशतक निकालकर सूल्यूलोस को पृथक रूप में नहीं प्राप्त किया जाता तब तक सेल्यूलोस से अच्छा कागज नहीं बनाया जा सकता। लिग्निन का निकालना विशेष आवश्यक होता है। यदि लिग्निन की पर्याप्त मात्रा में सेल्यूलोस में विद्यमान रहती है तो सेल्यूलोस के रेशे परस्पर प्राप्त करना कठिन होता है। आरंभ में जब तक सेल्यूलोस को पौधों से शुद्ध रूप में प्राप्त करने की कोई अच्छी विधि ज्ञात नहीं हो सकी थी, कागज मुख्य रूप से फटे सूती कपड़ों से ही बनाया जाता था। चिथड़ों तथा कागज की रद्दी से यद्यपि कागज बहुत सरलता से और उत्तम कोटि का बनता है, तथापि इनकी इतनी मात्रा का मिल सकना संभव नहीं है कि कागज़ की हामरी पूरी आवश्यकता इनसे बनाए गए कागज से पूरी हो सके। आजकल कागज बनाने के लिए निम्नलिखित वस्तुओं का उपयोग मुख्य रूप से होता है: चिथड़े, कागज की रद्दी, बाँस, विभिन्न पेड़ों की लकड़ी, जैसे स्प्रूस और चीड़, तथा विविध घासें जैसे सबई और एस्पार्टो। भारत में बाँस और सबई घास का उपयोग कागज बनाने में मुख्य रूप से होता है। .

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अजिल्द

हरे आवरण वाली एक अजिल्द पुस्तकअजिल्द, पेपरबैक, या कागजी जिल्द, किसी पुस्तक को उसकी जिल्दसाज़ी के अनुसार परिभाषित करती है। अजिल्द पुस्तकों के आवरण पृष्ठ अमूमन कागज या अपेक्षाकृत थोड़े मोटे कागज के बने होते हैं, साथ ही इन्हें सिलने या तार पिरोकर जोड़ने के बजाय चिपकाया जाता है। अजिल्द पुस्तकों का चलन 19 वीं शताब्दी की शुरुआत से चला आ रहा है। अजिल्द पुस्तकें, सजिल्द पुस्तकों की तुलना में सस्ती, पर कम टिकाऊ होती हैं। किसी पुस्तक का अजिल्द संस्करण तब ही जारी किया जाता है जब कोई कंपनी किसी पुस्तक को एक कम लागत वाले प्रारूप में जारी करने का फैसला करती है। सस्ते कागज, सरेसी जिल्दसाज़ी और एक मोटे आवरण के अभाव में एक अजिल्द पुस्तक की निर्माण लागत में एक सजिल्द पुस्तक की तुलना में, उल्लेखनीय कमी आती है। यदि कोई पुस्तक बहुत अधिक प्रसिद्ध ना हो या फिर उसके प्रसिद्ध होने के मौके अधिक ना हों या कोई प्रकाशक किसी पुस्तक पर अधिक पैसा लगाने को तैयार ना हो, तो उसे अजिल्द संस्करण में जारी करना एक अच्छा विकल्प है। अजिल्द पुस्तको के सबसे अच्छे उदाहरणों में अधिकतर उपन्यास और पुरानी पुस्तकों के पुनर्मुद्रित, नए संस्करण शामिल हैं। .

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उर्दू भाषा

उर्दू भाषा हिन्द आर्य भाषा है। उर्दू भाषा हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है। उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है, तथा पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। इस के अतिरिक्त भारत के राज्य तेलंगाना, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त शासकीय भाषा है। .

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