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संस्कृत भारती

सूची संस्कृत भारती

'''अक्षरम''', संस्कृत भारती, बंगलुरु संस्कृत भारती एक सांस्कृतिक संस्था है जो संस्कृत को पुनः बोलचाल की भाषा बनाने में संलग्न है। चमु कृष्ण शास्त्री ने समस्त विश्व में संस्कृतभाषा को पुनर्जीवित करने के लिये इस संस्था स्थापना की। .

6 संबंधों: चमु कृष्ण शास्त्री, दिल्ली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, संस्कृत भाषा, कर्नाटक, उमाकान्त केशव आपटे

चमु कृष्ण शास्त्री

श्री चमु कृष्ण शास्त्री चमू कृष्ण शास्त्री, संस्कृत भारती के सहसंस्थापक हैं। उन्होंने समस्त विश्व में संस्कृतभाषा के पुनर्जागरण के लिये संस्कृत भारती संस्था की स्थापना की। भारत सरकार ने उन्हें जनवरी २०१७ में पद्मश्री से सम्मानित किया। श्रीचमूकृष्णशास्त्री वैश्विक समुदाय में भारत की सांस्कृतिक राशि की प्रतीक संस्कृत भाषा के माध्यम से भारतीय सभ्यता को पुनः प्रतिष्ठित करनेवाले एक उत्साही शिक्षाविद् है। इन का स्पष्ट मानना है कि संस्कृत विश्व में सामाजिक समन्वय स्थापित करने की अद्भुत कुंजिका है। संस्कृत शिक्षण को जीवन्त सम्प्रेषण की भाषा का रूप देने वाले श्री चमूकृष्णशास्त्री ने लगभग तीन दशक पूर्व अपने कुछ साथियों के साथ संस्कृत को दैनिक व्यवहार की भाषा के रूप में ढालने का स्वप्न देखा था। और, इसी स्वप्न को आकार देने हेतु ‘संस्कृतभारती’ संस्था का गठन किया था। आज यह संस्था विश्व व्यापी संस्था के रूप में विश्व को संस्कृत साहित्य में व्याप्त उदात्त वैचारिक जल से सिंचित कर रही है। इस की शाखाएं अमरीका, कनाडा, यू.के., आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया तक व्याप्त हैं। श्री चमूकृष्णशास्त्री ने संस्कृतभारती में सम्भाषणात्मक संस्कृत से सम्बद्ध दश दिवसीय संस्कृत शिबिरों को प्रारम्भ कर संस्कृत शिबिरों को एक नई दिशा प्रदान की। ये संस्कृत शिबिर अब तक प्रायः ९० लाख लोगों को संस्कृत सम्भाषण में दक्ष कर चुके हैं। इन के प्रयासों ने अनेकों विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में सम्भाषणात्मक संस्कृत-शिक्षण सम्बन्धी पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ करने की प्रेरणा प्रदान की है। ‘संस्कृत-गृह’ एवं ‘मातृभाषा के रूप में संस्कृतभाषी बच्चों’ सम्बन्धी योजना इनकी अनूठी योजना है। इनके प्रयासों से देश के विभिन्न राज्यों में शताधिक कार्यकर्ता संस्कृत प्रचार-प्रसार के कार्य में अहर्निश संलग्न हैं। संस्कृतभारती के विभिन्न पाठ्यक्रमों के द्वारा सहस्राधिक लोग संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन में संलग्न हैं। अमरीका में ‘विदेशीभाषा के रूप में चलनेवाला संस्कृत का पाठ्यक्रम’ इन्हीं के प्रयासों का परिणाम है। इन्होंने संस्कृत सम्बन्धी संस्कृत में १३ पुस्तकों की रचना की है। इनके द्वारा प्रारम्भ की गई ‘सरस्वतीयोजना’ के अन्तर्गत अनेकों देशी एवं विदेशी भाषाओं की पुस्तकें संस्कृत में अनूदित की गईं। युवापीढ़ी को लेखन के प्रति प्रेरित करने हेतु इनके द्वारा आयोजित किया गया ‘विश्वसंस्कृतपुस्तकमेला’ एवं ‘संस्कृतसाहित्योत्सव’ अपने-आप में एक अनूठे एवं अतिउत्साह पूर्ण प्रयास थे। संस्कृत क्षेत्र में कृत विभिन्न कार्यों के कारण ये ‘राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान’ सहित अनेकों विश्वविद्यालयों की विभिन्न समितियों के सदस्य हैं। भारत सरकार द्वारा गठित संस्कृत सम्बन्धी समिति के द्वारा तैयार किए गए ‘Road Map for the Development of Sanskrit- Ten Tear Perspective Plan’ (2016) के ये अभिन्न सदस्य रहे हैं। श्री चमू कृष्ण शास्त्री संस्कृत में मन्त्रमुग्ध, प्रेरित एवं उत्तेजित करने वाले वक्ता व लेखक हैं। वे श्री मद्भगवद्गीता के सिद्धान्तों के अनुपालन में विश्वास करने वाले निष्कामी कार्यकर्ता हैं। श्री चमू कृष्ण शास्त्री एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व के प्रतीक हैं। .

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दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

यह लेख भारत के एक सांस्कृतिक संगठन आर एस एस के बारे में है। अन्य प्रयोग हेतु आर एस एस देखें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक दक्षिणपंथी, हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो व्यापक रूप से भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस. के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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उमाकान्त केशव आपटे

उमाकान्त केशव आपटे उपाख्य बाबा साहेब आपटे (28 अगस्त सन् 1903 - 26 जुलाई 1972) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम प्रचारक एवं उसके अखिल भारतीय प्रचारक-प्रमुख थे। वह एक मौलिक चिन्तक एवं विचारक थे। वे संस्कृत, मराठी, हिंदी एवं इतिहास के विद्वान्, भारतीय-संस्कृति के मनीषी, भारतीय जीवन-मूल्यों, आदर्शों एवं सांस्कृतिक विशिष्टताओं के वह जीवन्त प्रतीक थे। वे भारत के गौरवशाली इतिहास के प्रसार हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहे। .

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