3 संबंधों: फेफड़ा, बलगम, श्वासनली।
फेफड़ा
ग्रे की मानव शारीरिकी'', 20th ed. 1918. हवा या वायु में सांस लेने वाले प्राणियों का मुख्य सांस लेने के अंग फेफड़ा या फुप्फुस (जैसा कि इसे वैज्ञानिक या चिकित्सीय भाषा मे कहा जाता है) होता है। यह प्राणियों में एक जोडे़ के रूप मे उपस्थित होता है। फेफड़े की दीवार असंख्य गुहिकाओं की उपस्थिति के कारण स्पंजी होती है। यह वक्ष-गुहा में स्थित होता है। इसमें लहू का शुद्धीकरण होता है। प्रत्येक फेफड़ा में एक फुफ्फुसीय शिरा हिया से अशुद्ध लहू लाती है। फेफड़े में लहू का शुद्धीकरण होता है। लहू में ऑक्सीजन का मिश्रण होता है। फेफडो़ का मुख्य काम वातावरण से प्राणवायु लेकर उसे लहू परिसंचरण मे प्रवाहित (मिलाना) करना और लहू से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उसे वातावरण में छोड़ना है। गैसों का यह विनिमय असंख्य छोटे छोटे पतली-दीवारों वाली वायु पुटिकाओं जिन्हें अल्वियोली कहा जाता है मे होता है। यह शुद्ध लहू फुफ्फुसीय धमनी द्वारा हिया में पहुँचता है, जहां से यह फिर से शरीर के विभिन्न अवयवों मे पम्प किया जाता है। .
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बलगम
असामान्य बलगम थूक मिश्रित श्लेष्मा एवं अन्य पदार्थ जो श्वसन नाल से मुंह के रास्ते निकाले जाते हैं, बलगम या कफ (Sputum) कहलाते हैं। बलगम, फेफड़ों के काफी अन्दर से निकाला जाने वाला गाढ़ा पदार्थ होता है न कि मुंह या गले के अन्दर का पतला थूक। बलगम का संबन्ध रोगग्रस्त फेफड़े, स्वांस नली एवं ऊपरी श्वसन नाल में हवा के आवागमन से है। कुछ रोगों की दशा में बलगम में खून भी आ सकता है। .
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श्वासनली
श्वासनली (trachea) और उस से सम्बंधित अंग मनुष्य, पशुओं और पक्षियों के शरीर में श्वासनली या साँस की नली वह नली होती है जो गले की स्वरग्रंथि (लैरिंक्स) को फेफड़ों से जोड़ती है और मुंह से फेफड़ों तक हवा पहुँचाने के रास्ते का एक महत्वपूर्ण भाग है। श्वासनली की आन्तरिक सतह पर कुछ विशेष कोशिकाओं की परत होती है जिन से श्लेष्मा रिसता रहता है। साँस के साथ शरीर में प्रवेश हुए अधिकतर कीटाणु, धूल व अन्य हानिकारक कण इस श्लेष्मा से चिपक कर फँस जाते हैं और फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाते। अशुद्धताओं से मिश्रित यह श्लेष्मा या तो अनायास ही पी लिया जाता है, जिस से ये पेट में पहुँच कर वहां पर हाज़में के रसायनों द्वारा नष्ट कर दिया जाता है, या फिर बलग़म बन कर मुंह में उभर आता है जहाँ से इसे थूका या निग़ला जा सकता है। मछलियों के शरीर में श्वासनली नहीं होती। .
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