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दर्पण

सूची दर्पण

दर्पण या आइना एक प्रकाशीय युक्ति है जो प्रकाश के परावर्तन के सिद्धान्त पर काम करता है। .

5 संबंधों: परावर्तन, लेंस, समतल दर्पण, गोलीय दर्पण, अवतल दर्पण

परावर्तन

परावर्तन निम्न में से किसी एक के लिए प्रयुक्त शब्द है: .

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लेंस

ताल का चित्र ताल का उपयोग प्रकाश को फोकस करने के लिये किया जा सकता है ताल (लेंस) एक प्रकाशीय युक्ति है जो प्रकाश के अपवर्तन के सिद्धान्त पर काम करता है। ताल गोलीय, बेलनाकार आदि जैसे नियमित, ज्यामिती रूप की दो सतहों से घिरा हुआ पारदर्शक माध्यम, जिससे अपवर्तन के पश्चात् किसी वस्तु का वास्तविक अथवा काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है, ताल कहलाता है। उत्तल (convex) ताल मसूर की आकृति का होता है। ताल की सतह प्राय: गोलीय (spherical) होती है, परंतु आवश्यकतानुसार बेलनाकर, या अगोली ताल भी प्रयुक्त होते हैं। आँख के क्रिस्टलीय ताल ही एकमात्र प्राकृतिक ताल है। हजारों वर्ष पहले भी लोग ताल के विषय में जानते थे और माइसनर (Meissner) के अनुसार प्राचीन काल में भी चश्मे से लाभ उठाया जाता था। चश्में के अलावा प्रकाशविज्ञान में ताल का उपयोग दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी, प्रकाशस्तंभ, द्विनेत्री (बाइनॉक्युलर) इत्यादि में होता है। .

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समतल दर्पण

दर्पण (Mirrors) ऐसे प्रकाशीय तल (optical surfaces) हैं जो प्रकाश की किरणों के परावर्तन (reflection) के द्वारा या तो प्रकाशपुंज को प्रत्यावर्तित कर देते हैं अथवा उसे एक बिंदु पर अभिसृत (converge) करके बिंब (image) का निर्माण करते हैं। प्रकाशीय यंत्रों के, विशेष कर ज्योतिष से संबधित यंत्रों के, निर्माण में दर्पणों ने अत्यंत महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है। दर्पण के तल से परावर्तित होते समय प्रकाश की किरणें दो विशेष नियमों का पालन करती हैं। इन नियमों को परावर्तन के नियम (Laws of Reflection) कहते हैं। ये निम्नलिखित हैं.

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गोलीय दर्पण

गोलीय दर्पण (spherical mirror) वे दर्पण हैं जिनका परावर्तक तल गोलीय (स्फेरिकल) होता है। ये दो तरह के हो सकते हैं -.

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अवतल दर्पण

अवतल दर्पण उस दर्पण को कहते हैं जिसका चिकना भाग अन्दर की तरफ होता है एवं खुरदड़ा भाग बाहर की और होता है। अतः यदि इसके परावर्तनी भाग अथवा चिकने भाग पर समान्तर प्रकाश की किरणे आती हैं तो यह मुख्य फोकस बिन्दु पर उन्हें केन्द्रित करता है। उपयोग - श्रेणी:दर्पण.

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