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2 संबंधों: न्यायनिर्णयन, मध्यस्थता।
- प्रकारानुसार न्यायालय
न्यायनिर्णयन
न्यायनिर्णयन (Adjudication) उस विधिक प्रक्रिया को कहते हैं जिसके माध्यम से मामले से सम्बन्धित निर्णय पर पहुँचने के लिये कोई न्यायधीश या मध्यस्थ साक्ष्यों एवं तर्कों की समीक्षा करता है। न्यायनिर्णयन के द्वारा तीन प्रकार के विवाद सुलझाये जाते हैं-.
देखें विवाचक अधिकरण और न्यायनिर्णयन
मध्यस्थता
मध्यस्थता Madhyasthatha Sampadhan मध्यस्थता (माध्यस्थम / Arbitraton) एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रम है जिसमें पक्षकर किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के माध्यम से तथा न्यायालय का सहारा लिए बिना अपने विवादों का निपटान करवाते हैं। यह ऐसी विधि है जिसमें विवाद किसी नामित व्यक्ति (जिसे 'विवाचक' या 'मध्यस्थ' कहते हैं) के सामने रखा जाता है जो दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात अर्ध-न्यायिक तरीके से मसले का निर्णय करता हैं। उदाहरणार्थ 'पंच' या 'पंचायत' को कोई विवाद संदर्भित करना माध्यस्थम का एक रूप है। सामान्यत:, विवादकारी पक्ष अपना मामला किसी माध्यस्थम न्यायाधिकरण को संदर्भित करते हैं तथा न्यायाधिकरण द्वारा लिया गया निर्णय 'अवार्ड' कहलाता है। माध्यस्थम का प्रयोग मुख्यत: व्यापार क्षेत्रों में किया जाता है जैसे निर्माण परियोजनाएं, नौवहन तथा संवहन, पेटेंट, कारोबार चिह्न तथा ब्रांड, वित्तीय सेवाएं जिनमें बैंकिंग तथा बीमा शामिल है, विदेशी सहयोग, भागीदारी विवाद इत्यादि। समाधान समाधानकर्ता की सहायता से पक्षकारों द्वारा विवादों के सौहार्दपूर्ण निपटान की प्रक्रिया है। यह माध्यस्थम से इस अर्थ में भिन्न है कि माध्यस्थम में अवार्ड तीसरे पक्षकार या माध्यस्थम न्यायधिकरण का निर्णय है जबकि समाधान के मामले में निर्णय पक्षकारों का होता है जिसे समाधानकर्ता की मध्यस्थम से लिया जाता है। विवाद समाधान की ऐसी विधियां कानूनी मुकदमे की तुलना में कई प्रकार से लाभप्रद हैं:-.
देखें विवाचक अधिकरण और मध्यस्थता
यह भी देखें
प्रकारानुसार न्यायालय
मध्यस्थ के रूप में भी जाना जाता है।