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विदेश नीति

सूची विदेश नीति

किसी देश की विदेश नीति, जिसे विदेशी संबंधों की नीति भी कहा जाता है, अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के वातावरण में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य द्वारा चुनी गई स्वहितकारी रणनीतियों का समूह होती है। किसी देश की विदेश नीति दूसरे देशों के साथ आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक तथा सैनिक विषयों पर पालन की जाने वाली नीतियों का एक समुच्चय है। वैश्वीकरण और अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में बढ़ते गहन स्तर की वजह से अब राज्यों को गैर-राज्य अभिनेताओं के साथ भी सहभागिता करनी पड़ेगी। .

11 संबंधों: दूत, भारत के वैदेशिक सम्बन्ध, राष्ट्रीय हित, राजनीति, सामाजिक, सेना, विदेश मंत्रालय (भारत), वैश्वीकरण, गैर-राज्य अभिनेता, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध, अर्थशास्त्र

दूत

मोहम्मद अली मुगल साम्राज्य में भेजे गये ईरान के शाह अब्बास के दूत थे। दूत संदेशा देने वाले को कहते हैं। दूत का कार्य बहुत महत्व का माना गया है। प्राचीन भारतीय साहित्य में अनेक ग्रन्थों में दूत के लिये आवश्यक गुणों का विस्तार से विवेचन किया गया है। रामायण में लक्ष्मण से हनुमान का परिचय कराते हुए श्रीराम कहते हैं - (अवश्य ही इन्होने सम्पूर्ण व्याकरण सुन लिया लिया है क्योंकि बहुत कुछ बोलने के बाद भी इनके भाषण में कोई त्रुटि नहीं मिली।। यह बहुत अधिक विस्तार से नहीं बोलते; असंदिग्ध बोलते हैं; न धीमी गति से बोलते हैं और न तेज गति से। इनके हृदय से निकलकर कंठ तक आने वाला वाक्य मध्यम स्वर में होता है। ये कयाणमयी वाणी बोलते हैं जो दुखी मन वाले और तलवार ताने हुए शत्रु के हृदय को छू जाती है। यदि ऐसा व्यक्ति किसी का दूत न हो तो उसके कार्य कैसे सिद्ध होंगे?) इसमें दूत के सभी गुणों का सुन्दर वर्णन है। .

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भारत के वैदेशिक सम्बन्ध

किसी भी देश की विदेश नीति इतिहास से गहरा सम्बन्ध रखती है। भारत की विदेश नीति भी इतिहास और स्वतन्त्रता आन्दोलन से सम्बन्ध रखती है। ऐतिहासिक विरासत के रूप में भारत की विदेश नीति आज उन अनेक तथ्यों को समेटे हुए है जो कभी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन से उपजे थे। शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व व विश्वशान्ति का विचार हजारों वर्ष पुराने उस चिन्तन का परिणाम है जिसे महात्मा बुद्ध व महात्मा गांधी जैसे विचारकों ने प्रस्तुत किया था। इसी तरह भारत की विदेश नीति में उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद व रंगभेद की नीति का विरोध महान राष्ट्रीय आन्दोलन की उपज है। भारत के अधिकतर देशों के साथ औपचारिक राजनयिक सम्बन्ध हैं। जनसंख्या की दृष्टि से यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक व्यवस्था वाला देश भी है और इसकी अर्थव्यवस्था विश्व की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ रूसी राष्ट्रपति, 34वाँ जी-8 शिखर सम्मेलन प्राचीन काल में भी भारत के समस्त विश्व से व्यापारिक, सांस्कृतिक व धार्मिक सम्बन्ध रहे हैं। समय के साथ साथ भारत के कई भागों में कई अलग अलग राजा रहे, भारत का स्वरूप भी बदलता रहा किंतु वैश्विक तौर पर भारत के सम्बन्ध सदा बने रहे। सामरिक सम्बन्धों की बात की जाए तो भारत की विशेषता यही है कि वह कभी भी आक्रामक नहीं रहा। 1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने अधिकांश देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है। वैश्विक मंचों पर भारत सदा सक्रिय रहा है। 1990 के बाद आर्थिक तौर पर भी भारत ने विश्व को प्रभावित किया है। सामरिक तौर पर भारत ने अपनी शक्ति को बनाए रखा है और विश्व शान्ति में यथासंभव योगदान करता रहा है। पाकिस्तान व चीन के साथ भारत के संबंध कुछ तनावपूर्ण अवश्य हैं किन्तु रूस के साथ सामरिक संबंधों के अलावा, भारत का इजरायल और फ्रांस के साथ विस्तृत रक्षा संबंध है। भारत की विदेश नीति के निर्माण की अवस्था को निम्न प्रकार से समझा जा सकता हैः- .

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राष्ट्रीय हित

राष्ट्रीय हित (national interest, फ्रेंच: raison d'État) से आशय किसी देश के आर्थिक, सैनिक, साम्स्कृतिक लक्ष्यों एवं महत्वाकाक्षाओं से है। राष्ट्रीय हित अंतरराष्ट्रीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि राज्यों के आपसी संबंधों को बनाने में इनकी विशेष भूमिका होती है। किसी भी राष्ट्र की विदेश नीति मूलतः राष्ट्रीय हितों पर ही आधारित होती है, अतः उसकी सफलताओं एवं असफलताओं का मूल्यांकन भी राष्ट्रीय हितों में परिवर्तन आता है जिसके परिणामस्वरूप विदेश नीति भी बदलाव के दौर से गुजरती है। .

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राजनीति

नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है। राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना, कानून बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। .

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सामाजिक

सामाजिक शब्द का शाब्दिक अर्थ सजीव से है चाहे वो मानव जनसंख्या हों अथवा पशु। यह एक सजीव का अन्य सजीवों के साथ सह-अस्तित्व तथा निरपेक्षता का सूचक शब्द है कि उनमें इस तरह की अन्योन्य क्रियाएं होती हैं अथवा नहीं। निरपेक्षता उनकी इच्छा अथवा स्वैच्छा पर निर्भर करती है। .

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सेना

सन् १९०५ में कोहाट ज़िले, ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में भारतीय सिख सैनिक सेना पर खर्च सेना पर सर्वाधिक खर्च करने वाले दस देश (२००७) सशस्त्र सैनिकों की संख्या सेना या फ़ौज किसी देश या उसके नागरिकों या फिर किसी शासन-व्यवस्था और उस से सम्बन्धित लोगों के हितों व ध्येयों को बढ़ाने और उनकी रक्षा के लिये घातक बल-प्रयोग की क्षमता रखने वाला सशस्त्र संगठन होता है। सेना का काम देश व नागरिकों की रक्षा, उनके शत्रुओं पर प्रहार करना और शत्रुओं के प्रहारों को खदेड़ देना होता है। अलग-अलग व्यस्थाओं में सेना की ज़िम्मेदारियाँ भी भिन्न हो सकती हैं। कुछ स्थनों व कालों में सेना का इस्तेमाल विषेश राजनैतिक विचारधाराओं को बढ़ावा देने, व्यापारिक हितों और कम्पनियों को लाभ कराने, जनसंख्या-वृद्धि को रोकने, इमारतों व सड़कों का निर्माण करने, आपातकालीन बच-बचाव करने, सामाजिक रीतियों में भाग लेने और विषेश स्थनों पर पहरा देने के लिये भी किया जाता रहा है। व्यावसायिक रूप से सैनिक बनने की परम्परा लिखित इतिहास से पुरानी है। .

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विदेश मंत्रालय (भारत)

भारत का विदेश मंत्रालय (MEA) विदेशों के साथ भारत के सम्बन्धों के व्यवस्थित संचालन के लिये उत्तरदायी मंत्रालय है। यह मंत्रालय संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधित्व के लिये जिम्मेदार है। इसके अतिरिक्त यह अन्य मंत्रालयों, राज्य सरकारों एवं अन्य एजेन्सियों को विदेशी सरकारों या संस्थानों के साथ कार्य करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में सलाह देता है। श्रीमती सुषमा स्वराज मई २०१४ से भारत की विदेशमंत्री हैं। नीति का अर्थ है तर्क पर आधारित कार्य, जो वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करे। इसका उद्देश्य अपनी स्थिति को उत्तरोत्तर उन्नत बनाना होता है। इस कार्य की सफलतापूर्वक पूर्ति विदेश नीति पर ही निर्भर है। किसी देश की विदेश नीति को क्रियान्वित करने का उत्तरदायित्व उस देश के विदेश विभाग पर होता है। यह सरकार के महत्वपूर्ण विभागों में से एक विभाग होता है। इसी की योग्यता पर यह निर्भर करता है कि यह किस प्रकार देश के राष्ट्रीय हितों, सम्मान और प्रतिष्ठा को बनाये रखेगा। इसी के कार्य एक देश को शान्ति अथवा युद्ध के कार्य के मार्ग पर ले जाते हैं। इन्हीं के प्रयासों से देश की आवाज अन्तर्राष्ट्रीय जगत में सुनी जा सकती है। इसका एक गलत कदम देश को अन्धकार के गर्त में ले जा सकता है। विदेश नीति का प्रभाव विश्वव्यापी होता है। .

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वैश्वीकरण

Puxi) शंघाई के बगल में, चीन. टाटा समूहहै। वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है।वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात, व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण.

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गैर-राज्य अभिनेता

गैर राज्य अभिनेता (एनएसए) ऐसी संस्थायएँ अथवा निकाय होते है जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में हिस्सा लेकर उनमें अधिनियमन करते हैं। ये ऐसे संगठन होते हैं जो किसी प्रकिर्या को प्रभावित करने और उसमें परिवर्तन करने के लिए पर्याप्त शक्ति रखते हैं, हालां कि वे किसी राज्य की स्थापित संस्था से संबंध नहीं रखते हैं। .

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अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध

राष्ट्र महल (Palace of Nations): जेनेवा स्थित इस भवन में २०१२ में ही दस हाजार से अधिक अन्तरसरकारी बैठकें हुईं। जेनेवा में विश्व की सर्वाधिक अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान हैं। अंतरराष्ट्रीय संबंध (IR) विभिन्न देशों के बीच संबंधों का अध्ययन है, साथ ही साथ सम्प्रभु राज्यों, अंतर-सरकारी संगठनों (IGOs), अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (INGOs), गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) की भूमिका का भी अध्ययन है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध को कभी-कभी 'अन्तरराष्ट्रीय अध्ययन' (इंटरनेशनल स्टडीज (IS)) के रूप में भी जाना जाता है, हालांकि दोनों शब्द पूरी तरह से पर्याय नहीं हैं। .

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अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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