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विजयदेवनरायण साही

सूची विजयदेवनरायण साही

विजयदेवनारायण साही (१९२४ - १९८२) का जन्म ०७ अक्टूबर १९२४ को कबीर चौरा, वाराणसी (उ॰प्र॰) में हुआ। प्रयाग विश्व विद्यालय से अँग्रेजी में एम॰एम॰ करने के बाद तीन वर्ष तक काशी विद्यापीठ में शिक्षण कार्य किया इसके बाद प्रयाग विश्व विद्यालय में प्राध्यापक रहे। हिन्दी नयी कविता के प्रमुख कवियों-जगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी और विजयदेवनरायण साही में से एक हैं। साही जी अनेक मजदूर संगठनों से जुड़े रहे और अनेक बार जेल गये। ०५ नवम्बर १९८२ को इनका निधन हो गया। .

6 संबंधों: तीसरा सप्तक, नयी कविता, रामस्वरुप चतुर्वेदी, जगदीश गुप्त, वाराणसी, अज्ञेय

तीसरा सप्तक

तीसरा सप्तक अज्ञेय द्वारा संपादित नई कविता के सात कवियों की कविताओं का संग्रह है। इसमें कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह और विजयदेवनरायण साही की रचनाएँ संकलित हैं। इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से १९५९ ई० में हुआ। मदन वात्स्यायन श्रेणी:पुस्तक.

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नयी कविता

नयी कविता भारतीय स्वतंत्रता के बाद लिखी गईं उन कविताओं को कहा गया, जिनमें परंपरागत कविता से आगे नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया। यह भी कहा जा सकता है कि प्रयोगवाद के बाद हिंदी कविता की जो नवीन धारा विकसित हुई, वह नई कविता है। नयी कविता नाम आज़ादी के बाद लिखी गई उन कविताओं के लिए रूढ हो गया, जो अपनी वस्तु-छवि और रूप-छवि दोनों में प्रगतिवाद और प्रयोगवाद का विकास होकर भी विशिष्ट है। नयी कविता-आंदोलन का आरंभ इलाहाबाद की साहित्यिक संस्था परिमल के कवि लेखकों- जगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी और विजयदेवनरायण साही के संपादन में १९५४ में प्रकाशित "नयी कविता" पत्रिका से माना जाता है। इससे पहले अज्ञेय के संपादन में प्रकाशित काव्य-संग्रह 'दूसरा सप्तक' की भूमिका तथा उसमें शामिल कुछ कवियों के वक्तव्यों में अपनी कवितओं के लिये 'नयी कविता' शब्द को स्वीकार किया गया था। .

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रामस्वरुप चतुर्वेदी

रामस्वरुप चतुर्वेदी का जन्म १९३१ ई॰ में कानपुर में हुआ। चतुर्वेदी जी की आरम्भिक शिक्षा उनके पैतृक गाँव कछपुरा (आगरा) में हुई। चतुर्वेदी जी ने बी॰ए॰ क्राइस्ट चर्च कानपुर से, एम॰ए॰ की उपाधि इलाहाबाद विश्व विद्यालय से १९५२ में, डी॰फिल॰ १९५८ में तथा डी॰लिट॰ की उपाधि १९७२ में प्राप्त की। आप १९५४ से इलाहाबाद विश्व विद्यालय में हिन्दी विभाग में प्राध्यापक रहे। हिन्दी नयी कविता के प्रमुख कवियों-जगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी और विजयदेवनरायण साही में से एक हैं। .

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जगदीश गुप्त

जगदीश गुप्त (१९२४-२००१) का जन्म ०३ अगस्त १९२४ ई॰ को शाहाबाद, हरदोई (उ॰प्र॰) में हुआ। आधुनिक हिन्दी कविता में डा॰ जगदीश गुप्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है। हिन्दी नयी कविता के प्रमुख कवियों-जगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी और विजयदेवनरायण साही में से एक हैं। आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. तथा डी.फिल.

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वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

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अज्ञेय

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" (7 मार्च, 1911 - 4 अप्रैल, 1987) को कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य को एक महत्त्वपूर्ण मोड़ देने वाले कथाकार, ललित-निबन्धकार, सम्पादक और अध्यापक के रूप में जाना जाता है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर प्रदेश के कसया, पुरातत्व-खुदाई शिविर में हुआ। बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास में बीता। बी.एससी.

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