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विजयदेव नारायण साही

सूची विजयदेव नारायण साही

विजयदेव नारायण साही हिंदी साहित्य के नयी कविता दौर के प्रसिद्ध कवि, एवं आलोचक हैं। वे तीसरा सप्तक के कवियों में शामिल थे। जायसी पर केन्द्रित उनका व्यवस्थित अध्ययन एवं नयी कविता के अतिरिक्त विभिन्न साहित्यिक तथा समसामयिक मुद्दों पर केन्द्रित उनके आलेख उनकी प्रखर आलोचकीय क्षमता के परिचायक हैं। .

19 संबंधों: तीसरा सप्तक, दशहरा, धर्मवीर भारती, नयी कविता, नरेन्द्र देव, नामवर सिंह, मलिक मोहम्मद जायसी, लोहिया, सेंट पीटर्सबर्ग, हिंदी साहित्य, हैम्बर्ग, हीडलबर्ग विश्वविद्यालय, जयप्रकाश नारायण, जगदीश गुप्त, वाराणसी, आलोचना (पत्रिका), इलाहाबाद विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ, उलान बतोर

तीसरा सप्तक

तीसरा सप्तक अज्ञेय द्वारा संपादित नई कविता के सात कवियों की कविताओं का संग्रह है। इसमें कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह और विजयदेवनरायण साही की रचनाएँ संकलित हैं। इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से १९५९ ई० में हुआ। मदन वात्स्यायन श्रेणी:पुस्तक.

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दशहरा

दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है (दशहरा .

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धर्मवीर भारती

धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को १९७२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। .

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नयी कविता

नयी कविता भारतीय स्वतंत्रता के बाद लिखी गईं उन कविताओं को कहा गया, जिनमें परंपरागत कविता से आगे नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया। यह भी कहा जा सकता है कि प्रयोगवाद के बाद हिंदी कविता की जो नवीन धारा विकसित हुई, वह नई कविता है। नयी कविता नाम आज़ादी के बाद लिखी गई उन कविताओं के लिए रूढ हो गया, जो अपनी वस्तु-छवि और रूप-छवि दोनों में प्रगतिवाद और प्रयोगवाद का विकास होकर भी विशिष्ट है। नयी कविता-आंदोलन का आरंभ इलाहाबाद की साहित्यिक संस्था परिमल के कवि लेखकों- जगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी और विजयदेवनरायण साही के संपादन में १९५४ में प्रकाशित "नयी कविता" पत्रिका से माना जाता है। इससे पहले अज्ञेय के संपादन में प्रकाशित काव्य-संग्रह 'दूसरा सप्तक' की भूमिका तथा उसमें शामिल कुछ कवियों के वक्तव्यों में अपनी कवितओं के लिये 'नयी कविता' शब्द को स्वीकार किया गया था। .

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नरेन्द्र देव

फैजाबाद स्थित आचार्य नरेन्द्र देव का पारिवारिक घर आचार्य नरेंद्रदेव (1889-19 फ़रवरी 1956) भारत के प्रमुख स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार, साहित्यकार एवं शिक्षाविद थे। वे कांग्रेस समाजवादी दल के प्रमुख सिद्धान्तकार थे। विलक्षण प्रतिभा और व्यक्तित्व के स्वामी आचार्य नरेन्द्रदेव अध्यापक के रूप में उच्च कोटि के निष्ठावान अध्यापक और महान शिक्षाविद् थे। काशी विद्यापीठ के आचार्य बनने के बाद से यह उपाधि उनके नाम का ही अंग बन गई। देश को स्वतंत्र कराने का जुनून उन्हें स्वतंत्रता आन्दोलन में खींच लाया और भारत की आर्थिक दशा व गरीबों की दुर्दशा ने उन्हें समाजवादी बना दिया। .

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नामवर सिंह

नामवर सिंह (जन्म: 28 जुलाई 1926(क)नामवर होने का अर्थ (व्यक्तित्व एवं कृतित्व), भारत यायावर, किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली; संस्करण-2012; पृ०-32; (ख)द्रष्टव्य-'कविता की ज़मीन और ज़मीन की कविता' सहित डाॅ० नामवर सिंह की सभी नयी पुस्तकों में दिये गये लेखक परिचय में। बनारस, उत्तर प्रदेश) हिन्दी के शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबन्धकार तथा मूर्द्धन्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपन्यास लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रिय शिष्‍य रहे हैं। अत्यधिक अध्ययनशील तथा विचारक प्रकृति के नामवर सिंह हिन्दी में अपभ्रंश साहित्य से आरम्भ कर निरन्तर समसामयिक साहित्य से जुड़े हुए आधुनिक अर्थ में विशुद्ध आलोचना के प्रतिष्ठापक तथा प्रगतिशील आलोचना के प्रमुख हस्‍ताक्षर हैं। .

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मलिक मोहम्मद जायसी

मलिक मुहम्मद जायसी (१४७७-१५४२) हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि हैं। वे अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। जायसी मलिक वंश के थे। मिस्रमें सेनापति या प्रधानमंत्री को मलिक कहते थे। दिल्ली सल्तनत में खिलजी वंश राज्यकाल में अलाउद्दीन खिलजी ने अपने चाचा को मरवाने के लिए बहुत से मलिकों को नियुक्त किया था जिसके कारण यह नाम उस काल से काफी प्रचलित हो गया था। इरान में मलिक जमींदार को कहा जाता था व इनके पूर्वज वहां के निगलाम प्रान्त से आये थे और वहीं से उनके पूर्वजों की पदवी मलिक थी। मलिक मुहम्मद जायसी के वंशज अशरफी खानदान के चेले थे और मलिक कहलाते थे। फिरोज शाह तुगलक के अनुसार बारह हजार सेना के रिसालदार को मलिक कहा जाता था। जायसी ने शेख बुरहान और सैयद अशरफ का अपने गुरुओं के रूप में उल्लेख किया है। .

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लोहिया

लोहिया राजस्थान और उत्तर प्रदेश में निवास करने वाली माहेश्वरी जाति की एक गोत्र है। श्रेणी:उपनाम.

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सेंट पीटर्सबर्ग

पीटर महान की कांस्य प्रतिमा सेंट पीटर्सबर्ग नेवा नदीके तट पर स्थित रूस का एक प्रसिद्ध नगर है। यह रूसी साम्राज्य की पूर्व राजधानी थी। सोवियत संघ के समय में इसका नाम बदलकर लेनिनग्राद कर दिया गया था जिसे सोवियत संघ के पतन के बाद पुन: बदलकर सेंट पीटर्सबर्ग कर दिया गया है। .

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हिंदी साहित्य

चंद्रकांता का मुखपृष्ठ हिन्दी भारत और विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। उसकी जड़ें प्राचीन भारत की संस्कृत भाषा में तलाशी जा सकती हैं। परंतु हिन्दी साहित्य की जड़ें मध्ययुगीन भारत की ब्रजभाषा, अवधी, मैथिली और मारवाड़ी जैसी भाषाओं के साहित्य में पाई जाती हैं। हिंदी में गद्य का विकास बहुत बाद में हुआ और इसने अपनी शुरुआत कविता के माध्यम से जो कि ज्यादातर लोकभाषा के साथ प्रयोग कर विकसित की गई।हिंदी का आरंभिक साहित्य अपभ्रंश में मिलता है। हिंदी में तीन प्रकार का साहित्य मिलता है। गद्य पद्य और चम्पू। हिंदी की पहली रचना कौन सी है इस विषय में विवाद है लेकिन ज़्यादातर साहित्यकार देवकीनन्दन खत्री द्वारा लिखे गये उपन्यास चंद्रकांता को हिन्दी की पहली प्रामाणिक गद्य रचना मानते हैं। .

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हैम्बर्ग

हैम्बर्ग हैमबुर्ग जर्मनी का एक प्रमुख नगर एवं बन्दरगाह है| एक समय यह हैमबूर्ग राज्य की राजधानी था। यहाँ की भूमि बड़ी उपजाऊ है। राई, जौ, गेहूँ तथा आलू की अच्छी फसलें होती हैं। हैमबूर्ग के अतिरिक्त बरगेडोर्फ (Bergedorf) और कुक्सहहैवन अन्य बड़े नगर हैं। हैमबूर्ग नगर समुद्र से १२० किमी अंदर एल्वे नदी की उत्तरी शाखा पर बर्लिन से २८५ किमी उत्तर पश्चिम में सपाट भूमि पर स्थित है। इस नगर में नहरों का जाल बिछा हुआ है। इसके बीच से ऐल्सटर नदी (Alster) भी बहती है जो इसे दो भागों में विभक्त करती है। छोटे भाग को बिनेन एल्सटर (Binnen alster) कहते हें। द्वितीय विश्वयुद्ध में बमबारी से इसे बहुत क्षति पहुँची थी परन्तु युद्ध के बाद नगर का पुर्ननिर्माण हो गया है। द्वितीय युद्ध के पहले यह कॉफी का बहुत बड़ा केंद्र था और यहाँ मुद्रा का भी विनिमय होता था। आजकल यहाँ से चीनी, कॉफी, ऊनी और सूती सामान, लोहे के सामान, तंबाकू, लोहे, अनाज और कॉफी के कच्चे माल मँगाए जाते हैं। जहाज निर्माण का अच्छा व्यवसाय होता है, जहाजों की मरम्मत भी होती है। यह बंदरगाह वर्ष भर खुला रहता है। यहाँ का विश्वविद्यालय सुप्रसिद्ध है। इसमें अनेक आधुनिक विषयों की पढ़ाई होती है। श्रेणी:जर्मनी के राज्य.

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हीडलबर्ग विश्वविद्यालय

 हीडलबर्ग यूनिवर्सिटी (जर्मन: रूपरेक्ट-कार्ल्स-यूनिवर्सिटी हेडलबर्ग; लैटिन: यूनिवर्सिटीज रूपरटो कार्ला हीडलबेर्बेंसिस) हेडेलबर्ग, बाडेन-वुर्टेमबर्ग, जर्मनी में एक सार्वजनिक अनुसंधान विश्वविद्यालय है। पोप शहरी छठी के निर्देश पर 1386 में स्थापित, हीडलबर्ग जर्मनी का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है और दुनिया के सबसे पुराने जीवित विश्वविद्यालयों में से एक है। यह पवित्र रोमन साम्राज्य में स्थापित तीसरा विश्वविद्यालय था श्रेणी:जर्मन भाषा पाठ वाले लेख श्रेणी:लातिनी भाषा पाठ वाले लेख  हीडलबर्ग 1899 से एक सहशिक्षा संस्थान रहा है। विश्वविद्यालय में बारह संकायों के होते हैं और कुछ 100 विषयों में स्नातक, स्नातक और पोस्ट डॉक्टरेट स्तर पर डिग्री कार्यक्रम प्रदान करता है। हीडलबर्ग में तीन प्रमुख परिसरों हैं: मानविकी मुख्यतः हीडलबर्ग के ओल्ड टाउन में स्थित हैं, प्राकृतिक विज्ञान और Neuenheimer Feld तिमाही में दवा, और भीतर के शहर उपनगर Bergheim में सामाजिक विज्ञान शिक्षा की भाषा आमतौर पर जर्मन है, जबकि अंग्रेजी में काफी संख्या में स्नातक डिग्री की पेशकश की जाती है। 56 नोबल पुरस्कार विजेताओं के साथ संबद्ध  विश्वविद्यालय अनुसंधान पर जोर देता है। आधुनिक वैज्ञानिक मनोरोग विज्ञान, मनोविज्ञान, मनश्चिकित्सीय आनुवांशिकी, पर्यावरण भौतिकी, और आधुनिक समाजशास्त्र, Against the Stream, Transaction Publishers,, 2004,   हीडलबर्ग संकाय द्वारा वैज्ञानिक विषयों के रूप में पेश किया गया विदेश से आने वाले लगभग एक-तिहाई डॉक्टरेट वाले छात्रों के साथ हर साल लगभग 1,000 डॉक्टरेट पूरे किए जाते हैं।  कुछ 130 देशों के अंतर्राष्ट्रीय छात्र संपूर्ण छात्र निकाय के 20 प्रतिशत से अधिक खाते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध और लगातार यूरोप के शीर्ष विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया,  हीडलबर्ग एक जर्मन उत्कृष्टता विश्वविद्यालय है, साथ ही साथ यूरोपीय अनुसंधान परिषद और कोइम्पा समूह की स्थापना के सदस्य हैं। विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध पूर्व छात्रों में ग्यारह घरेलू और विदेशी राज्यों के प्रमुख या सरकार के प्रमुख शामिल हैं। .

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जयप्रकाश नारायण

जयप्रकाश नारायण (11 अक्टूबर, 1902 - 8 अक्टूबर, 1979) (संक्षेप में जेपी) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने 'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है। 1999 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए १९६५ में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल 'लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल' भी उनके नाम पर है। .

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जगदीश गुप्त

जगदीश गुप्त (१९२४-२००१) का जन्म ०३ अगस्त १९२४ ई॰ को शाहाबाद, हरदोई (उ॰प्र॰) में हुआ। आधुनिक हिन्दी कविता में डा॰ जगदीश गुप्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है। हिन्दी नयी कविता के प्रमुख कवियों-जगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी और विजयदेवनरायण साही में से एक हैं। आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. तथा डी.फिल.

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वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

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आलोचना (पत्रिका)

आलोचना हिन्दी की एक गंभीर साहित्यिक पत्रिका है। इसके प्रधान संपादक है नामवर सिंह और संपादक हैं अरुण कमल। .

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय

इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है। यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 'पूर्व के आक्सफोर्ड' नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना सन् 1887 ई को एल्फ्रेड लायर की प्रेरणा से हुयी थी। इस विश्वविद्यालय का नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद इमरसन ने बनाया था। १८६६ में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना हुई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा। उन्होंने २४ मई १८६७ को इलाहाबाद में एक स्वतंत्र महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के निर्माण की इच्छा प्रकट की थी। १८६९ में योजना बनी। उसके बाद इस काम के लिए एक शुरुआती कमेटी बना दी गई जिसके अवैतनिक सचिव प्यारे मोहन बनर्जी बने। ९ दिसम्बर १८७३ को म्योर कॉलेज की आधारशिला टामस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई। ये वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। म्योर सेंट्रल कॉलेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था और ऐसी आशा थी कि कॉलेज की इमारतें मार्च १८७५ तक बनकर तैयार हो जाएँगी। लेकिन इसे पूरा होने में पूरे बारह वर्ष लग गए। १८८८ अप्रैल तक कॉलेज के सेंट्रल ब्लॉक के बनाने में ८,८९,६२७ रुपए खर्च हो चुके थे। इसका औपचारिक उद्घाटन ८ अप्रैल १८८६ को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। २३ सितंबर १८८७ को एक्ट XVII पास हुआ और कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालयों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय उपाधि प्रदान करने वाला भारत का चौथा विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च १८८९ में हुई। .

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काशी विद्यापीठ

महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, उत्तर प्रदेश स्थित एक राज्यीय विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य विधान मण्डल द्वारा प्रशासित है। विश्वविद्यालय के अन्तर्गत छः जनपदों में विस्तृत २२७ से अधिक संबद्ध महाविद्यालय हैं, जिनमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के हजारों छात्र शिक्षा और डिग्रियाँ प्राप्त करते हैं। विश्वविद्यालय छात्रों के लिए कला, विज्ञान, वाणिज्य, विधि, कम्प्यूटर शिक्षा तथा प्रबंधन आदि से संबंधित अकादमिक एवं व्यावसायिक डिग्री पाठ्यक्रमों को परिचालित करता है। .

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उलान बतोर

उलान बतोर का विहंगम दृश्य, २००९ में उलान बतोर या उलान बातार (Ulan Bator) मंगोलिया का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है। यह शहर किसी राज्य या प्रान्त का हिस्सा ना हो कर एक स्वतंत्र नगरपालिका है। उलान बतोर उत्तरी-मध्य मंगोलिया में एक घाटी में तूल नदी के किनारे स्थित है। यह देश का आर्थिक, सांस्कृतिक और औद्योगिक केंद्र है। यह मंगोलिया के सड़क जाल का केंद्र है और पार-साइबेरियाई रेलमार्ग एवं चीनी रेल प्रणाली से भी जुड़ा है। इस शहर की स्थापना १६३९ में बौद्ध मठ केन्द्र के रूप में हुई और १७७८ में यह अपने वर्तमान स्थान पर स्थापित हो गया। .

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