29 संबंधों: चाय, डाकघर, दलीप सिंह (महाराजा), नील, पंजाब क्षेत्र, ब्रिटिश राज, भारत के महाराज्यपाल, म्यान्मार, यूनाइटेड किंगडम, रुड़की विश्वविद्यालय, रेल, लॉर्ड हार्डिंग, लॉर्ड कैनिंग, लोहा, संचार, जूट, विश्वविद्यालय, गन्ना, इस्पात, इंजन, इंग्लैण्ड, कपास, कॉफ़ी, अफ़ीम, अवध, १८४९, १८५४, १८५६, १८५७।
चाय
चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है।भारतीय.
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डाकघर
कोलकाता डाकघर के अन्दर मुम्बई डाकघर के अन्दर यूके के आक्सफोर्ड का मुख्य डाकघर डाकघर (post office) एक सुविधा है जो पत्रों को जमा करने (पोस्ट करने), छांटने, पहुंचाने आदि का कार्य करती है। यह एक डाक व्यवस्था (postal system) के तहत काम करता है। .
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दलीप सिंह (महाराजा)
दिलीप सिंह (१८६१ में) महाराजा दलीप सिंह (6 सितम्बर 1838, लाहौर -- 22 अक्टूबर, 1893, पेरिस) महाराजा रणजीत सिंह के सबसे छोटे पुत्र तथा सिख साम्राज्य के अन्तिम शासक थे। इन्हें 1843 ई. में पाँच वर्ष की आयु में अपनी माँ रानी ज़िन्दाँ के संरक्षण में राजसिंहासन पर बैठाया गया। .
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नील
नील के अधिक विकल्पों के लिए यहां जाएं - नील (बहुविकल्पी) ---- भारतीय नील की एक टिकिया नील (Indigo) एक रंजक है। यह सूती कपड़ो में पीलेपन से निज़ात पाने के लिए प्रयुक्त एक उपादान है। यह चूर्ण (पाउडर) तथा तरल दोनो रूपों में प्रयुक्त होता है। यह पादपों से तैयार किया जाता है किन्तु इसे कृत्रिम रूप से भी तैयार किया जाता है। भारत में नील की खेती बहुत प्राचीन काल से होती आई है। इसके अलावा नील रंजक का भी सबसे पहले से भारत में ही निर्माण एवं उपयोग किया गया। .
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पंजाब क्षेत्र
पंजाब दक्षिण एशिया का क्षेत्र है जिसका फ़ारसी में मतलब पांच नदियों का क्षेत्र है। पंजाब ने भारतीय इतिहास को कई मोड़ दिये हैं। अतीत में शकों, हूणों, पठानों व मुगलों ने इसी पंजाब के रास्ते भारत में प्रवेश किया था। आर्यो का आगमन भी हिन्दुकुश पार कर इसी पंजाब के रास्ते ही हुआ था। पंजाब की सिन्धु नदी की घाटी में आर्यो की सभ्यता का विकास हुआ। उस समय इस भूख़ड का नाम सप्त सिन्धु अर्थात सात सागरों का देश था। समय के साथ सरस्वती जलस्रोत सूख् गया। अब रह गयीं पाँच नदियाँ-झेलम, चेनाब, राबी, व्यास और सतलज इन्हीं पाँच नदियों का प्रांत पंजाब हुआ। पंजाब का नामाकरण फारसी के दो शब्दों से हुआ है। पंज का अर्थ है पाँच और आब का अर्थ होता है जल। .
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ब्रिटिश राज
ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .
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भारत के महाराज्यपाल
भारत के महाराज्यपाल या गवर्नर-जनरल (१८५८-१९४७ तक वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल अर्थात राजप्रतिनिधि एवं महाराज्यपाल) भारत में ब्रिटिश राज का अध्यक्ष और भारतीय स्वतंत्रता उपरांत भारत में, ब्रिटिश सम्प्रभु का प्रतिनिधि होता था। इनका कार्यालय सन 1773 में बनाया गया था, जिसे फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी का गवर्नर-जनरल के अधीन रखा गया था। इस कार्यालय का फोर्ट विलियम पर सीधा नियंत्रण था, एवं अन्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों का पर्यवेक्षण करता था। सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत पर पूर्ण अधिकार 1833 में दिये गये और तब से यह भारत के गवर्नर-जनरल बन गये। १८५८ में भारत ब्रिटिश शासन की अधीन आ गया था। गवर्नर-जनरल की उपाधि उसके भारतीय ब्रिटिश प्रांत (पंजाब, बंगाल, बंबई, मद्रास, संयुक्त प्रांत, इत्यादि) और ब्रिटिष भारत, शब्द स्वतंत्रता पूर्व काल के अविभाजित भारत के इन्हीं ब्रिटिश नियंत्रण के प्रांतों के लिये प्रयोग होता है। वैसे अधिकांश ब्रिटिश भारत, ब्रिटिश सरकार द्वारा सीधे शासित ना होकर, उसके अधीन रहे शासकों द्वारा ही शासित होता था। भारत में सामंतों और रजवाड़ों को गवर्नर-जनरल के ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि होने की भूमिका को दर्शित करने हेतु, सन १८५८ से वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल ऑफ इंडिया (जिसे लघुरूप में वाइसरॉय कहा जाता था) प्रयोग हुई। वाइसरॊय उपाधि १९४७ में स्वतंत्रता उपरांत लुप्त हो गयी, लेकिन गवर्नर-जनरल का कार्यालय सन १९५० में, भारतीय गणतंत्रता तक अस्तित्व में रहा। १८५८ तक, गवर्नर-जनरल को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित किया जाता था और वह उन्हीं को जवाबदेह होता था। बाद में वह महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार, भारत राज्य सचिव, ब्रिटिश कैबिनेट; इन सभी की राय से चयन होने लगा। १९४७ के बाद, सम्राट ने उसकी नियुक्ति जारी रखी, लेकिन भारतीय मंत्रियों की राय से, ना कि ब्रिटिश मंत्रियों की सलाह से। गवर्नर-जनरल पांच वर्ष के कार्यकाल के लिये होता था। उसे पहले भी हटाया जा सकता था। इस काल के पूर्ण होने पर, एक अस्थायी गवर्नर-जनरल बनाया जाता था। जब तक कि नया गवर्नर-जनरल पदभार ग्रहण ना कर ले। अस्थायी गवर्नर-जनरल को प्रायः प्रान्तीय गवर्नरों में से चुना जाता था। .
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म्यान्मार
म्यांमार यो ब्रह्मदेश दक्षिण एशिया का एक देश है। इसका आधुनिक बर्मी नाम 'मयन्मा' (မြန်မာ .
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यूनाइटेड किंगडम
वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स. यह एक संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है जिसकी राजधानी लंदन में सरकार बैठती है, लेकिन इसमें तीन न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन हैं, बेलफ़ास्ट, कार्डिफ़ और एडिनबर्ग, क्रमशः उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड की राजधानी.जर्सी और ग्वेर्नसे द्वीप समूह, जिन्हें सामूहिक रूप से चैनल द्वीप कहा जाता है और मैन द्वीप (आईल ऑफ मान), यू के की राजत्व निर्भरता हैं और UK का हिस्सा नहीं हैं। इसके इलावा, UK के चौदह समुद्रपार निर्भर क्षेत्र हैं, ब्रिटिश साम्राज्य, जो १९२२ में अपने चरम पर था, दुनिया के तकरीबन एक चौथाई क्षेत्रफ़ल को घेरता था और इतिहास का सबसे बड़ा साम्रज्य था। इसके पूर्व उपनिवेशों की भाषा, संस्कृति और कानूनी प्रणाली में ब्रिटिश प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है। प्रतीकत्मक सकल घरेलू उत्पाद द्वारा दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से सातवाँ बड़ा देश होने के साथ ही, यूके एक विकसित देश है। यह दुनिया का पहला औद्योगिक देश था और 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान विश्व की अग्रणी शक्ति था, लेकिन दो विश्व युद्धों की आर्थिक लागत और 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में साम्राज्य के पतन ने वैश्विक मामलों में उसकी अग्रणी भूमिका को कम कर दिया फिर भी यूके अपने सुदृढ़ आर्थिक, सांस्कृतिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के कारण एक प्रमुख शक्ति बना हुआ है। यह एक परमाणु शक्ति है और दुनिया में चौथी सर्वाधिक रक्षा खर्चा करने वाला देश है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट धारण करता है और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल, जी8, OECD, नाटो और विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है। .
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रुड़की विश्वविद्यालय
रूड़की विश्वविधालय भारत का पहला अभियांत्रिकी विश्वविधालय था जिसे 1847 में शुरु किया गया था। 21 सितंबर 2001 को इसका नाम बदल कर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आई आई टी रूड़की) कर दिया गया है। .
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रेल
रेल अमेरिका में कोलम्बिया नदी के किनारे पटरी पर रेलगाड़ी खींचते हुए चार इंजन पहाड़ों में रेल सुरंग और पुल रेल (Rail) परिवहन का एक ज़रिया है जिसमें यात्रियों और माल को पटरियों पर चलने वाले वाहनों पर एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाया जाता है। पारम्परिक रूप से रेल वाहनों के नीचे पहियें होते हैं जो इस्पात (स्टील) की बनी दो पटरियों पर संतुलित रूप से चलते हैं, लेकिन आधुनिक काल में चुम्बकीय प्रभाव से पटरी के ऊपर लटककर चलने वाली 'मैगलेव' (maglev) और एक पटरी पर चलने वाली 'मोनोरेल' जैसी व्यवस्थाएँ भी रेल व्यवस्था में गिनी जाती हैं। रेल की पटरी पर चलने वाले वाहन अक्सर एक लम्बी पंक्ति में एक दुसरे से ज़ंजीरों से जुड़े हुए डब्बे होते हैं जिन्हें एक या एक से अधिक कोयले, डीज़ल, बिजली या अन्य ऊर्जा से चलने वाला इंजन (engine) खेंचता है। इस तरह से जुड़े हुए डब्बों और इंजनों को 'रेलगाड़ी' या 'ट्रेन' (train) बुलाया जाता है।, Dennis Hamley, Oxford University Press, 2001, ISBN 978-0-19-910653-0 .
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लॉर्ड हार्डिंग
लॉर्ड हार्डिंग भारत के गवर्नर जनरल रहे थे। श्रेणी:भारत के गवर्नर जनरल.
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लॉर्ड कैनिंग
लॉर्ड कैनिंग भारत के गवर्नर जनरल रहे थे। श्रेणी:भारत के गवर्नर जनरल.
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लोहा
एलेक्ट्रोलाइटिक लोहा तथा उसका एक घन सेमी का टुकड़ा लोहा या लोह (Iron) आवर्त सारणी के आठवें समूह का पहला तत्व है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी समस्थानिक मिलते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं। लोहे का लैटिन नाम:- फेरस .
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संचार
संचार प्रेषक का प्राप्तकर्ता को सूचना भेजने की प्रक्रिया है जिसमे जानकारी पहुंचाने के लिए ऐसे माध्यम (medium) का प्रयोग किया जाता है जिससे संप्रेषित सूचना प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों समझ सकें यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिस के द्वारा प्राणी विभिन्न माध्यमों के द्वारा सूचना का आदान प्रदान कर सकते हैं संचार की मांग है कि सभी पक्ष एक समान भाषा का बोध कर सकें जिस का आदान प्रदान हुआ हो, श्रावानिक (auditory) माध्यम हैं (जैसे की) बोली, गान और कभी कभी आवाज़ का स्वर एवं गैर मौखिक (nonverbal), शारीरिक माध्यम जैसे की शारीरिक हाव भाव (body language), संकेत बोली (sign language), सम भाषा (paralanguage), स्पर्श (touch), नेत्र संपर्क (eye contact) अथवा लेखन (writing) का प्रयोग संचार की परिभाषा है - एक ऐसी क्रिया जिस के द्वारा अर्थ का निरूपण एवं संप्रेषण (convey) सांझी समझ पैदा करने का प्रयास में किया जा सके इस क्रिया में अंख्या कुशलताओं के रंगपटल की आवश्यकता है अन्तः व्यक्तिगत (intrapersonal) और अन्तर व्यक्तिगत (interpersonal) प्रक्रमण, सुन अवलोकन, बोल, पूछताछ, विश्लेषण और मूल्यांकनइन प्रक्रियाओं का उपयोग विकासात्मक है और जीवन के सभी क्षेत्रों के लिए स्थानांतरित है: घर, स्कूल, सामुदायिक, काम और परे.संचार के द्बारा ही सहयोग और पुष्टिकरण होते हैं संचारण विभिन्न माध्यमों द्बारा संदेश भेजने की अभिव्यक्ति है चाहे वह मौखिक अथवा अमौखिक हो, जब तक कोई विचारोद्दीपक विचार संचारित (transmit) हो भाव (gesture) क्रिया इत्यादि संचार कई स्तरों पर (एक एकल कार्रवाई के लिए भी), कई अलग अलग तरीकों से होता है और अधिकतम प्राणियों के लिए, साथ ही कुछ मशीनों के लिए भी.यदि समस्त नहीं तो अधिकतम अध्ययन के क्षेत्र संचार करने के लिए ध्यान के एक हिस्से को समर्पित करते हैं, इसलिए जब संचार के बारे में बात की जाए तो यह जानना आवश्यक है कि संचार के किस पहलू के बारे में बात हो रही है। संचार की परिभाषाएँ श्रेणी व्यापक हैं, कुछ पहचानती हैं कि पशु आपस में और मनुष्यों से संवाद कर सकते हैं और कुछ सीमित हैं एवं केवल मानवों को ही मानव प्रतीकात्मक बातचीत के मापदंडों के भीतर शामिल करते हैं बहरहाल, संचार आमतौर पर कुछ प्रमुख आयाम साथ में वर्णित है: विषय वस्तु (किस प्रकार की वस्तुएं संचारित हो रहीं हैं), स्रोत, स्कंदन करने वाला, प्रेषक या कूट लेखक (encoder) (किस के द्वारा), रूप (किस रूप में), चैनल (किस माध्यम से), गंतव्य, रिसीवर, लक्ष्य या कूटवाचक (decoder) (किस को) एवं उद्देश्य या व्यावहारिक पहलू.पार्टियों के बीच, संचार में शामिल है वेह कर्म जो ज्ञान और अनुभव प्रदान करें, सलाह और आदेश दें और सवाल पूछें यह कर्म अनेक रूप ले सकते है, संचार के विभिन्न शिष्टाचार के कई रूपों में से उस का रूप समूह संप्रेषण की क्षमता पर निर्भर करता हैसंचार, तत्त्व और रूप साथ में संदेश (message) बनाते हैं जो गंतव्य (destination) की ओर भेजा जाता हैलक्ष्य ख़ुद, दूसरा व्यक्ति (person) या हस्ती, दूसरा अस्तित्व (जैसे एक निगम या हस्ती के समूह) हो सकते हैं संचार प्रक्रियासूचना प्रसारण (information transmission) के तीन स्तरों द्वारा नियंत्रित शब्दार्थ वैज्ञानिक (semiotic) नियमों के रूप में देखा जा सकता है.
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जूट
पटसन का खेत जूट, पटसन और इसी प्रकार के पौधों के रेशे हैं। इसके रेशे बोरे, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सियाँ, निम्नकोटि के कपड़े तथा कागज बनाने के काम आता है। 'जूट' शब्द संस्कृत के 'जटा' या 'जूट' से निकला समझा जाता है। यूरोप में 18वीं शताब्दी में पहले-पहल इस शब्द का प्रयोग मिलता है, यद्यपि वहाँ इस द्रव्य का आयात 18वीं शताब्दी के पूर्व से "पाट" के नाम से होता आ रहा था। जूट के रेशे साधारणतया छह से लेकर दस फुट तक लंबे होते हैं, पर विशेष अवस्थाओं में 14 से लेकर 15 फुट तक लंबे पाए गए हैं। तुरंत का निकाला रेशा अधिक मजबूत, अधिक चमकदार, अधिक कोमल और अधिक सफेद होता है। खुला रखने से इन गुणों का ह्रास होता है। जूट के रेशे का विरंजन कुछ सीमा तक हो सकता है, पर विरंजन से बिल्कुल सफेद रेशा नहीं प्राप्त होता। रेशा आर्द्रताग्राही होता है। छह से लेकर 23 प्रति शत तक नमी रेशे में रह सकती है। जूट की पैदावार, फसल की किस्म, भूमि की उर्वरता, अंतरालन, काटने का समय आदि, अनेक बातों पर निर्भर करते हैं। कैप्सुलैरिस की पैदावार प्रति एकड़ 10-15 मन और ओलिटोरियस की 15-20 मन प्रति एकड़ होती है। अच्छी जोताई से प्रति एकड़ 30 मन तक पैदावार हो सकती है। जूट के रेशे से बोरे, हेसियन तथा पैंकिंग के कपड़े बनते हैं। कालीन, दरियाँ, परदे, घरों की सजावट के सामान, अस्तर और रस्सियाँ भी बनती हैं। डंठल जलाने के काम आता है और उससे बारूद के कोयले भी बनाए जा सकते हैं। डंठल का कोयला बारूद के लिये अच्छा होता है। डंठल से लुगदी भी प्राप्त होती है, जो कागज बनाने के काम आ सकती है। .
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विश्वविद्यालय
विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान, भवन, प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं। .
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गन्ना
गन्ना की फसल कटा हुआ गन्ना गन्ना (Sugarcane) भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है, जिससे चीनी, गुड़, शराब आदि का निर्माण होता हैं। गन्ने की उत्पादकता सबसे ज्यादा ब्राज़ील में होती है और भारत का गन्ने की उत्पादकता में सम्पूर्ण विश्व में दूसरा स्थान हैI .
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इस्पात
इस्पात (Steel), लोहा, कार्बन तथा कुछ अन्य तत्वों का मिश्रातु है। इसकी तन्य शक्ति (tensile strength) अधिक होती है जबकि प्रति टन मूल्य कम होने के कारण यह भवनों, अधोसंरचना, औजार, जलयान, वाहन, और मशीनों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। 'इस्पात' शब्द इतने विविध प्रकार के परस्पर अत्यधिक भिन्न गुणोंवाले पदार्थो के लिए प्रयुक्त होता है कि इस शब्द की ठीक-ठीक परिभाषा करना वस्तुत: असंभव है। परंतु व्यवहारत: इस्पात से लोहे तथा कार्बन (कार्बन) की मिश्र धातु ही समझी जाती है (दूसरे तत्व भी साथ में चाहे हों अथवा न हों)। इसमें कार्बन की मात्रा साधारणतया 0.002% से 2.14% तक होती है। किसी अन्य तत्व की अपेक्षा कार्बन, लोहे के गुणों को अधिक प्रभावित करता है; इससे अद्वितीय विस्तार में विभिन्न गुण प्राप्त होते हैं। वेसे तो कई अन्य साधारण तत्व भी मिलाए जाने पर लोहे तथा इस्पात के गुणों को बहुत बदल देते हैं, परंतु इनमें कार्बन ही प्रधान मिश्रधातुकारी तत्व है। यह लोहे की कठोरता तथा पुष्टता समानुपातिक मात्रा में बढ़ाता है, विशेषकर उचित उष्मा उपचार के उपरांत। इस्पात एक मिश्रण है जिसमें अधिकांश हिस्सा लोहा का होता है। इस्पात में 0.2 प्रतिशत से 2.14 प्रतिशत के बीच कार्बन होता है। लोहा के साथ कार्बन सबसे किफायत मिश्रक होता है, लेकिन जरूरत के अनुसार, इसमें मैंगनीज, क्रोमियम, वैंनेडियम और टंग्सटन भी मिलाए जाते हैं। कार्बन और दूसरे पदार्थ मिश्र-धातु को कठोरता प्रदान करते हैं। लौहे के साथ, उचित मात्रा में मिश्रक मिलाकर लोहे को आवश्यक कठोरता, तन्यता और सुघट्यता प्रदान किया जाता है। लौहे में जितना ज्यादा कार्बन मिलाते हैं इस्पात उतना ही कठोर बनता जाता है, कठोरता बढ़ने के साथ ही उसकी भंगुरता भी बढ़ती जाती है। 1149 डिग्री सेल्सियस पर लौहे में कार्बन की अधिकतम घुल्यता 2.14 प्रतिशत है। कम तापमान पर अगर लौहे में ज्यादा मात्रा में कार्बन हो तो इससे सिमेंटाइट का निर्माण होगा। लौहे में अगर इससे ज्यादा कार्बन हो तो यह कास्ट आयरन कहलाता है, क्योंकि इसका गलनाक कम हो जाता है। इस्पात, कास्ट आयरन से इसलिए भी अलग होता है क्योंकि इसमें दूसरे तत्वों की मात्रा अत्यंत कम होती है यानी 1 से तीन प्रतिशत के करीब.
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इंजन
चार-स्ट्रोक वाला आन्तरिक दहन इंजन आजकल अधिकांश कामों में इस्तेमाल होता है इंजन या मोटर उस यंत्र या मशीन (या उसके भाग) को कहते हैं जिसकी सहायता से किसी भी प्रकार की ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है। इंजन की इस यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग, कार्य करने के लिए किया जाता है। अर्थात् इंजन रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, गतिज ऊर्जा या ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है। वर्तमान युग में अंतर्दहन इंजन तथा विद्युत मोटरों का अत्यन्त महत्व है। .
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इंग्लैण्ड
इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .
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कपास
कपास चुनती हुई स्त्री मशीन से संस्कारित करने के पहले हाथ से बीज निकालते हुए (२०१०) विश्व के कपास उत्पादक क्षेत्र कपास एक नकदी फसल हैं। इससे रुई तैयार की जाती हैं, जिसे "सफेद सोना" कहा जाता हैं | .
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कॉफ़ी
कॉफ़ी का प्यालाकॉफ़ी (अरब. قهوة क़हवा उत्तेजक पेय पदार्थ) — एक लोकप्रिय पेय पदार्थ (साधारणतया गर्म) है, जो कॉफ़ी के पेड़ के भुने हुए बीजों से बनाया जाता है। कॉफ़ी में कैफ़ीन होने के कारण वह हल्के उद्दीपक सा प्रभाव डालती है। इसके विषय में वैज्ञानिकों का कोई निश्चित मत नहीं हैं। जहाँ एक ओर कहा जाता है कि कॉफ़ी से शुक्राणुओं की सक्रियता बढ़ती है वहीं दूसरी ओर कुछ अध्ययनों में यह भी पता चला है कि अधिक कॉफ़ी पीने से मतिभ्रम भी हो सकता है। .
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अफ़ीम
अफ़ीम की खेती अफ़ीम (Opium; वैज्ञानिक नाम: lachryma papaveris) अफ़ीम के पौधे पैपेवर सोमनिफेरम के 'दूध' (latex) को सुखा कर बनाया गया पदार्थ है, जिसके सेवन से मादकता आती है। इसका सेवन करने वाले को अन्य बातों के अलावा तेज नीद आती है। अफीम में १२% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके हैरोइन (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है। अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व 'फल' में एक चीरा लगाया जाता है; इसका दूध निकलने लगता है, जो निकल कर सूख जाता है। यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है। यह लसीला (sticky) होता है। अफ़ीम के पौधे के विभिन्न भाग विश्व में अफ़ीम-उत्पादक मेख्य क्षेत्र .
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अवध
अवध अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी अयोध्या थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रांरभ में फैजाबाद थी किंतु बाद को लखनऊ उठ आई थी। अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्राय: स्वतंत्र थे, क्योंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अत: अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। लखनऊ उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ है। भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा - लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, खलीलाबाद, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है। .
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१८४९
1849 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
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१८५४
1854 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
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१८५६
1856 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .
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१८५७
कोई विवरण नहीं।
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