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रासायनिक गतिकी

सूची रासायनिक गतिकी

अभिक्रिया की गति सांद्रण बढ़ने पबढ़ती है - इस परिघटना को संघ्ट्ट के सिद्धान्त (कोलिजन थिअरी) के द्वारा समझा जा सकता है। आधुनिक रासायनिक एवं औद्योगिक ज्ञान के विकास के साथ ही साथ रासायनिक गतिकी (केमिकल काइनेटिक्स) या 'अभिक्रिया गतिविज्ञान' (Reaction, Kinetics) का शीघ्रता से विकास हुआ है। इसके फलस्वरूप रासायनिक प्रतिक्रिया गतिविज्ञान केवल प्रयोगशालाओं में सीमित न रहकर अब औद्योगिक संयंत्र का एक अंग बन गया है। अनेक रासायनिक क्रियाओं के द्वारा ओद्यौगिक उत्पादन किया जाता है। अत: रासायनिक उद्योग में इन क्रियाओं का अत्यंत महत्व होता है। आधुनिक युग में रासायनिक क्रियाओं के केवल प्रारंभिक ज्ञान से रासायनिक उद्योगों की स्थापना एवं विकास संभव नहीं है, विशेषत: जब कम लागत के उत्पादन पर अत्याधिक बल दिया जाता है। अत: आधुनिक काल में प्रतिक्रिया गतिविज्ञान का गहन अध्ययन केवल प्रयोगशाला का विषय न होकर औद्योगिक क्षेत्र का प्रमुख विषय बन गया है। प्रतिक्रिया गतिविज्ञान के विषयक्षेत्र में वृद्धि एवं विकास का प्रमुख कारण ऊष्मा-गति-विज्ञान का विकास है। .

सामग्री की तालिका

  1. 8 संबंधों: रासायनिक साम्य, रासायनिक अभिक्रिया, साम्य स्थिरांक, सार्वत्रिक गैस नियतांक, सक्रियण ऊर्जा, आरेनिअस समीकरण, अभिक्रिया की दर, उष्मागतिकी

रासायनिक साम्य

जब अग्रक्रिया और पश्चक्रिया की गति समान हो जाती है तो साम्य की स्थिति होती है।'''नीला''': अग्रक्रिया '''लाल''': पश्चक्रियाक्षैतिज अक्ष पर समय तथा उर्ध्व अक्ष पर अभिक्रिया का वेग है। किसी रासायनिक अभिक्रिया के सन्दर्भ में रासायनिक साम्य (chemical equilibrium) उस अवस्था को कहते हैं जिसमें समय के साथ अभिकारकों एवं उत्पादों के सांद्रण में कोई परिवर्तन नहीं होता। प्रायः यह अवस्था तब आती है जब अग्र क्रिया (forward reaction) की गति पश्चक्रिया (reverse reaction) की गति के समान हो जाती है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि अग्रक्रिया एवं पश्च क्रिया के वेग इस अवस्था में शून्य नहीं होते बल्कि समान होते हैं। यदि उच्च ताप (५०० डिग्री सेल्सियस) पर किसी बंद प्रक्रिया पात्र में हाइड्रोजेन तथा आयोडीन को आण्विक अनुपात में साथ साथ रखा जाए, तो निम्नांकित क्रिया प्रारंभ होती है: इस क्रिया में हाइड्रोजन तथा आयोडीन के संयोग से हाइड्रोजेन आयोडाइड बनता है तथा समय के साथ हाइड्रोजेन आयोडाइड की मात्रा में वृद्धि होती है। इस क्रिया के विपरीत, यदि शुद्ध हाइड्रोजेन आयोडाइड गैस को ५०० डिग्री सेल्सियस तक क्रियापात्र में गरम किया जाए, तो इस यौगिक का विपरीत क्रिया के द्वारा विघटन होता है, जिससे हाइड्रोजन आयोडाइड का हाइड्रोजन तथा आयोडीन में विघटन हो जाता है तथा इन उत्पादों के अनुपात में समय के साथ साथ वृद्धि होती है। यह क्रिया निम्नांकित रूप में होती हैं: उपर्युक्त दोनों ही क्रियाओं में क्रिया की गति क्रमश: मंद होती जाती है और अंत में पूर्णत: स्थिर हो जाती है। रासायनिक क्रिया की इस स्थिति को रासायनिक साम्यावस्था कहते हैं। क्रिया के साम्यावस्था मिश्रण में उपर्युक्त पदार्थों की आपेक्षिक मात्रा एक ही रहती है, चाहे यह क्रिया हाइड्रोजेन और आयोडीन के संयोग से हाइड्रोजेन आयोडाइड बनाने की हो, अथवा हाइड्रोजेन आयोडाइड के विघटन से हाइड्रोजन तथा आयोडीन में पृथक्करण हो, अथवा तीनों संघटकों के साम्यावस्था संतुलन मिश्रण की प्रक्रिया हो, जिसमें हाइड्रोजेन तथा आयेडीन परमाणुओं की समान संख्या उपस्थित रहती है। इसके अतिरिक्त प्रयोगशाला के परिणामों में यह पाया जाता है कि चाहे हाइड्रोजेन तथा आयोडीन के परमाणुओं की समस्त संख्या समान हो अथवा नहीं, दोनों ही दशाओं में समान ताप पर तैयार किए हुए साम्यावस्था मिश्रणों की सामयावस्था सांद्रता, अथवा साम्यावस्था दबाव के निम्नांकित अनुपातों का मान, स्थिर रहता है.

देखें रासायनिक गतिकी और रासायनिक साम्य

रासायनिक अभिक्रिया

लकड़ी का जलना एक रासायनिक अभिक्रिया है। एक बीकर में हाइड्रोजन क्लोराइड की वाष्प में परखनली से अमोनिया की वाष्प मिलाने से एक नया पदार्थ अमोनियम क्लोराइड बनते हुए रासायनिक अभिक्रिया में एक या अधिक पदार्थ आपस में अन्तर्क्रिया (इन्टरैक्शन) करके परिवर्तित होते हैं और एक या अधिक भिन्न रासायनिक गुण वाले पदार्थ बनते हैं। किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों को अभिकारक (रिएक्टैन्ट्स) कहते हैं। अभिक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न पदार्थों को उत्पाद (प्रोडक्ट्स) कहते हैं। लैवासिये के समय से ही ज्ञात है कि रासायनिक अभिक्रिया बिना किसी मापने योग्य द्रव्यमान परिवर्तन के होती है। (द्रव्यमान परिवर्तन अत्यन्त कम होता है जिसे मापना कठिन है)। इसी को द्रव्यमान संरक्षण का नियम कहते हैं। अर्थात किसी रासायनिक अभिक्रिया में न तो द्रव्यमान नष्ट होता है न ही बनता है; केवल पदार्थों का परिवर्तन होता है। परम्परागत रूप से उन अभिक्रियाओं को ही रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं जिनमें रासायनिक बन्धों को तोडने या बनाने में एलेक्ट्रानों की गति जिम्मेदार होती है। .

देखें रासायनिक गतिकी और रासायनिक अभिक्रिया

साम्य स्थिरांक

किसी रासायनिक अभिक्रिया का साम्य स्थिरांक या सन्तुलन स्थिरांक (equilibrium constant) उस अभिक्रिया के साम्य अवस्था में अभिक्रिया भजनफल (reaction quotient) के मान के बार होती है। .

देखें रासायनिक गतिकी और साम्य स्थिरांक

सार्वत्रिक गैस नियतांक

सार्वत्रिक गैस नियतांक (या गैस नियतांक, या मोलर गैस नियतांक, या आदर्श गैस नियतांक; gas constant / molar, universal, or ideal gas constant) एक भौतिक नियतांक है जो विज्ञान के कई मूलभूत समीकरणों में सम्मिलित है (जैसे, आदर्श गैस समीकरण में)।इसे R से निरूपित करते हैं। .

देखें रासायनिक गतिकी और सार्वत्रिक गैस नियतांक

सक्रियण ऊर्जा

The relationship between activation energy (E_a) and enthalpy of formation (ΔH) with and without a catalyst, plotted against the reaction coordinate. The highest energy position (peak position) represents the transition state. With the catalyst, the energy required to enter transition state decreases, thereby decreasing the energy required to initiate the reaction.

देखें रासायनिक गतिकी और सक्रियण ऊर्जा

आरेनिअस समीकरण

आरेनिअस समीकरण (Arrhenius equation) रासायनिक अभिक्रियाओं की गत्गति पर ताप के प्रभव को बताने वाला एक सूत्र है। इसे १८८९ में स्वान्ते आरेनियस ने सुझाया था। रासायनिक क्रिया में ताप आणिवक गति की माप होता है। अत: क्रिया के ताप में वृद्धि से क्रियागति की ऊर्जा में भी वृद्धि होती है और क्रियागति की ऊर्जा में वृद्धि होने से क्रियागति में तीव्रता आती है। आरिनियस (Arrhenius) के सिद्धांत के अनुसार ताप तथा सक्रियण ऊर्जा के साथ क्रियागति में वृद्धि का निम्नांकित संबंध होता है: इस समीकरण में k क्रियागति स्थिरांक, A अनुपाती स्थिरांक, Ea सक्रियण ऊर्जा, T ताप (Kelvin) तथा R सार्वत्रिक गैस नियतांक को व्यक्त करता है। क्रिया में ताप के अल्प परिवर्तन की परिस्थिति में A तथा Ea प्राय: स्थिरांक होते हैं। .

देखें रासायनिक गतिकी और आरेनिअस समीकरण

अभिक्रिया की दर

लोहे पर जंग लगना - कम अभिक्रिया दर वाली रासायनिक अभिक्रिया है। लकड़ी का जलना - तीव्र अभिक्रिया दर वाली रासायनिक अभिक्रिया अभिक्रिया की दर (reaction rate या rate of reaction) का मतलब यह है कि किसी दी हुई रासायनिक अभिक्रिया में किसी अभिकारक या उत्पाद की मात्रा कितना धीमे या कितनी तेजी से बदल रही है। भौतिक रसायन के अन्तर्गत रासायनिक गतिकी (Chemical kinetics) में अभिक्रिया की दर का अध्ययन किया जाता है। 'अभिक्रिया की दर' का रासायनिक इंजीनियरी एवं अन्य रासायनिक विधाओं में बहुत महत्व है। .

देखें रासायनिक गतिकी और अभिक्रिया की दर

उष्मागतिकी

भौतिकी में उष्मागतिकी (उष्मा+गतिकी .

देखें रासायनिक गतिकी और उष्मागतिकी