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राष्‍ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण

सूची राष्‍ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण

लीगल सर्विस भारत में राष्‍ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority (NALSA)) का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया। इसका काम कानूनी सहयता कार्यक्रम लागू करना और उसका मूल्यांकन एवं निगरानी करना है। साथ ही, इस अधिनियम के अंतर्गत कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराना भी इसका काम है। प्रत्येक राज्य में एक राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरण तथा प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति गठित की गई है। जिला कानूनी सहायता प्राधिकरण और तालुका कानूनी सेवा समितियां जिला और तालुका स्तर पर बनाई गई हैं। इनका काम नालसा की नीतियों और निर्देशों को कार्य रूप देना और लोगों को निशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करना और लोक अदालतें चलाना है। राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरणों की अध्यक्षता संबंधित जिले के मुख्य न्यायाधीश और तालुका कानूनी सेवा समितियों की अध्यक्षता तालुका स्तर के न्यायिक अधिकारी करते हैं। .

सामग्री की तालिका

  1. 5 संबंधों: भारत, भारत के उच्च न्यायालयों की सूची, लोक अदालत, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987, विधिक जागरूकता

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

देखें राष्‍ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण और भारत

भारत के उच्च न्यायालयों की सूची

भारतीय उच्च न्यायालय भारत के उच्च न्यायालय हैं। भारत में कुल २४ उच्च न्यायालय है जिनका अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक समूह होता हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता हैं। उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २१४, अध्याय ५ भाग ६ के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं। न्यायिक प्रणाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधायिकाओं और अधिकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं .

देखें राष्‍ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण और भारत के उच्च न्यायालयों की सूची

लोक अदालत

लोक अदालत भारत में विवादों के निपटारे की एक वैकल्पिक व्यवस्था है। .

देखें राष्‍ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण और लोक अदालत

विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987

समान अवसर के आधार न्याय सुलभ कराने को सुनिश्चित करने के लिये भारत सरकार द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 पारित किया गया जिसके द्वारा केन्द्र में राष्ट्रीय विधिक सेवा समिति एवं जिलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण पर एक प्रमुख दायित्व सौंपा गया कि ग्रामीण क्षेत्रों, गरीब बस्तियों या स्लम कालोनियों में समस्त कमजोर वर्गो को उनके अधिकारों के साथ ही लोक अदालतों के माध्यम से विवादों को सुलझाने के लिए प्रात्साहित करने के लिए शिक्षित करने के प्रयोजन से विधिक सहायता शिविरों का आयोजन किया जाय और राज्य प्राधिकरणों पर इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन का उत्तरदायित्व सौंपा गया। .

देखें राष्‍ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण और विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987

विधिक जागरूकता

विधिक जागरूकता (Legal awareness) अथवा विधिक साक्षरता से आशय जनता को कानून से समब्न्धित सामान्य बातों से परिचित कराकर उनका सशक्तीकरण करना है। अभिगमन तिथि: १८ अप्रैल २०१४ विधिक जागरूकता से विधिक संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, कानूनों के निर्माण में लोगों की भागीदारी बढ़ती है और कानून के शासन की स्थापना की दिशा में प्रगति होती है। पहले 'विधिक रूप से साक्षर' होने का अर्थ था - 'कानूनी दस्तावेजों, विचारों, निर्णयों, कानूनों आदि को लिख/पढ़ पाने की क्षमता'। किन्तु अब इसका अर्थ कानून से सम्बन्धित इतनी क्षमता से है जो किसी कानूनी समाज में अर्थपूर्ण जीवन जीने के लिए जरूरी हो। विधिक निरक्षरता से होने वाली कुछ हानियाँ-.

देखें राष्‍ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण और विधिक जागरूकता

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, विधिक सेवा प्राधिकरण के रूप में भी जाना जाता है।