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राष्ट्रीय पादप जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र

सूची राष्ट्रीय पादप जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र

पौधें पर अनुसंधान राष्ट्रीय पादप जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र,दिल्ली राष्ट्रीय पादप जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र (The National Research Centre on Plant Biotechnology (NRCPB) की स्थापना भारतीय कृषि के लिए अति आवश्यक जैव प्रौद्योगिकी के लाभ प्रदान करने के लिए सन् 1985 में की गई। मजबूती व आत्म निर्भरता के लिए शुरूआती दिनों में केन्द्र ने उत्तक संर्वधन (टिशू कल्चर) से संबंधित अनुसंधान कार्य किया। अब यह केन्द्र प्लांट बायोटेक्नोलॉजी के अग्रगामी क्षेत्रों में असर देने वाले अनुसंधान दे रहा है। जीन क्लोनिंग और सस्य विज्ञान में उपयोगी प्रोमोटर, जैविक और अजैविक स्टैस प्रतिरोधी टांसजैनिक फसलों का विकास, बनावट और कार्य संबंधी जीनोमिक्स, आणविक जीव विज्ञान आनुवंशिक विभिन्नताओं का प्रयोग, हैट्रोसिस का प्रयोग जैनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा गुणवत्ता सुधार और जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण, मुख्य अनुसंधान कार्य हैं जो इस केन्द्र में चलाए जा रहे हैं। भा.कृ.अ.प.

सामग्री की तालिका

  1. 2 संबंधों: जैवप्रौद्योगिकी, १९८५

जैवप्रौद्योगिकी

जैवप्रौद्योगिकी या जैवतकनीकी तकनीकी का वो विषय है जो अभियान्त्रिकी और तकनीकी के डाटा और तरीकों को जीवों और जीवन तन्त्रों से सम्बन्धित अध्ययन और समस्या के समाधान के लिये उपयोग करता है। जिन विश्वविद्यालयों में ये अलग निकाय नहीं होता, वहाँ इसे रासायनिक अभियान्त्रिकी, रसायन शास्त्र या जीव विज्ञान निकाय में रख दिया जाता है। जैव प्रौद्योगिकी लागू जीव विज्ञान के एक क्षेत्र है कि इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और अन्य bioproducts आवश्यकता क्षेत्रों में रहने वाले जीवों और bioprocesses का इस्तेमाल शामिल है। जैव प्रौद्योगिकी भी निर्माण प्रयोजन के लिए इन उत्पादों का इस्तेमाल करता.

देखें राष्ट्रीय पादप जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र और जैवप्रौद्योगिकी

१९८५

1985 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

देखें राष्ट्रीय पादप जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र और १९८५