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राफेल

सूची राफेल

राफेल का चित्र राफेल (Raffaello Sanzio da Urbino या Raphael, 1483 – 1520) परम पुनरुत्थान काल के इटली के महान चित्रकार एवं वास्तुशिल्पी थे। लियोनार्डो दा विन्ची, माइकल एंजेलो और राफेल अपने युग के महान कलाकार हैं। राफेल को शताब्दियों तक समूह संयोजन का आचार्य माना जाता रहा है। व्यक्तियों के समूह, समूहों का सम्पूर्ण चित्र में अनुपात, चित्र की उंचाई और गहराई का अनुपात, और व्यक्तियों की विभिन्न मुद्राएं - इन सब में उसने कमाल कर दिखाया है। रैफेल की सर्वाधिक ख्याति उसके मैडोन्ना चित्रों से है। रैफेल की कला से ही बरोक शैली का विकास हुआ। माइकेल एंजेलो की अपेक्षा राफेल का काम शान्त, मधुर और नारीसुलभ मोहिनी से भरपूर है। राफेल की नारी और बाल चित्रण में विशेष अभिरुचि थी। .

15 संबंधों: एलिज़ाबेथ गोन्ज़ागा का चित्र, परम पुनरुत्थान काल, पुराना नियम, प्लेटो, पोप, बरॉक, माइकल एंजेलो, मोना लीज़ा, रोम, लिओनार्दो दा विंची, वास्तुकला, वैटिकन सिटी, गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्र, इटली, अरस्तु

एलिज़ाबेथ गोन्ज़ागा का चित्र

एलिज़ाबेथ गोन्ज़ागा का चित्र (Portrait of Elisabetta Gonzaga) पुनर्जागरण काल में प्रसिद्ध चित्रकार राफेल द्वारा रचित चित्र है। यह इटली के शहर फ्लोरेंस के उफ़िज़ी गैलरी नामक कला संग्रहालय में रखा हुआ है। .

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परम पुनरुत्थान काल

इतिहास में इतालवी पुनरुत्थान के अन्तर्गत दृष्य कलाओं के चरमोत्कर्ष के काल को परम पुनरुत्थान (High Renaissance) कहते हैं। पारम्परिक रूप से यह काल १४९० से आरम्भ हुआ तथा १५२७ में समाप्त माना जाता है। श्रेणी:कला का इतिहास.

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पुराना नियम

ईसाइयों के धर्मग्रन्थ बाइबल के प्रथम खण्ड (पूर्वार्ध) का नाम पुराना नियम (अंग्रेज़ी::en:Old Testament है। इसे यहूदी धर्म भी अपना धर्मग्रन्थ मानता है। इसमें परमेश्वर द्वारा विश्व की उत्पत्ति, यहूदी राष्ट्र और ईश्वर से उनका सम्बन्ध, आदि का कहानियों द्वारा वर्णन है। यहूदियों के प्रारंभिक इतिहास का अधिकतर पता ओल्ड टेस्टामेंट से ही चलता है। पुराने अहदनामे में तीन ग्रंथ शामिल हैं। सबसे प्रारंभ में "तौरेत" (इबरानी थोरा) है। तौरेत का शब्दिक अर्थ वही है जो "धर्म" शब्द का है, अर्थात् धारण करने या बाँधनेवाला। दूसरा ग्रंथ "यहूदी पैगंबरों का जीवनचरित" और तीसरा "पवित्र लेख" है। इन तीनों ग्रंथों का संग्रह "पुराना अहदनामा" है। पुराने अहदनामें में 39 खंड या पुस्तकें हैं। इसका रचनाकाल ई.पू. 444 से लेकर ई.पू. 100 के बीच है। पुराने अहदनामे में सृष्टि की रचना, मनुष्य का जन्म, यहूदी जाति का इतिहास, सदाचार के उच्च नियम, धार्मिक कर्मकांड, पौराणिक कथाएँ और यह्वे के प्रति प्रार्थनाएँ शामिल हैं। पुराने नियम में कई काण्ड हैं.

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प्लेटो

प्लेटो (४२८/४२७ ईसापूर्व - ३४८/३४७ ईसापूर्व), या अफ़्लातून, यूनान का प्रसिद्ध दार्शनिक था। वह सुकरात (Socrates) का शिष्य तथा अरस्तू (Aristotle) का गुरू था। इन तीन दार्शनिकों की त्रयी ने ही पश्चिमी संस्कृति की दार्शनिक आधार तैयार किया। यूरोप में ध्वनियों के वर्गीकरण का श्रेय प्लेटो को ही है। .

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पोप

बेनेडिक्ट सोलहवें - २६५वें तथा वर्तमान पोप रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्म गुरु, रोम के बिशप एवं वैटिकन के राज्याध्यक्ष को पोप कहते हैं। 'पोप' का शाब्दिक अर्थ 'पिता' होता है। यह लैटिन के "पापा" (papa) से व्युत्पन्न हा है जो स्वयं ग्रीक के पापास् (πάπας, pápas) से व्युत्पन्न है। इस समय (फरवरी, २००९) बेनेडिक्ट सोलहवें (Benedict XVI) इस पद पर आसीन हैं जिन्हें १९ अप्रैल २००५ को चुना गया था। वे २६५वें पोप हैं। रोमन काथलिक चर्च के परमाधिकारी को संत पापा (पिता) 'होली फादर' अथवा पोप कहते हैं। ईसा से अपने महाशिरूय संत पीटर को अपने चर्च का आधार तथा प्रधान 'चरवाहा' नियुक्त किया था और उनको यह भी सुस्पष्ट आश्वासन दिया था कि उनपर आधारित चर्च शताब्दियों तक बना रहेगा। अत: ईसा के विधान से संत पीटर का देहांत रोम में हुआ था, इसलिये प्रारंभ ही से संत पीटर के उत्तराधिकारी होने के कारण रोम के बिशप समूचे चर्च के अध्यक्ष तथा पृथ्वी पर ईसा के प्रतिनिधि माने गए थे। इतिहास इसका साक्षी है कि रोम के बिशप के अतिरिक्त किसी ने कभी संत पीटर का उत्तराधिकारी होने का दावा नहीं किया। किंतु प्राच्य चर्च के अलग होते जाने से तथा प्रोटेस्टैंट धर्म के उद्भव से पोप के अधिकारी के विषय में शताब्दियों तक वाद विवाद होता रहा, अंततोगत्वा वैटिकन की प्रथम अधिकार रखते हैं। वे ईसा की शिक्षा के सर्वोच्च व्याख्याता हैं और चर्च के परमाधिकारी की हैसियत से धर्मशिक्षा की व्याख्या करते समय भ्रमातीत अर्थात्‌ अचूक हैं। पोप वैटिकन राज्य के अध्यक्ष हैं तथा उनके देहांत पर कार्डिनल उनके उत्तराधिकारी को चुनते हैं .

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बरॉक

पीटर पॉल रूबेंस द्वारा आराधना. जिआन लॉरेंजों बर्निनी द्वारा रूपांकित सैंट'एंड्रिया एल क्युरिनेल का चर्च. बरॉक (bə-), यूरोप में 16वीं सदी के अंत और 18वीं सदी के आरंभ में प्रचलित एक कलात्मक शैली है। इसे अधिकतर "मैनेरिस्ट और रोकोको युगों में यूरोप की एक प्रभावशाली शैली के रूप में परिभाषित किया जाता है, एक ऐसी शैली, जिसे गतिशील आन्दोलन, खुली भावना और आत्मविश्वासी अलंकार विद्या" के रूप में जाना जाता है। बरॉक शैली की लोकप्रियता और सफलता को रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा प्रोत्साहित किया गया, जिसने प्रोटेस्टेंट सुधार की प्रतिक्रिया में, काउंसिल ऑफ ट्रेंट के समय यह निर्णय लिया था, कि कला को प्रत्यक्ष और भावनात्मक जुड़ाव के साथ धार्मिक प्रकरणों को संचारित करना चाहिए। अभिजात वर्ग ने भी बरॉक वास्तुकला की नाटकीय शैली और कला को आगंतुकों को प्रभावित करने और विजयी शक्ति और नियंत्रण को अभिव्यक्त करने वाले माध्यम के रूप में देखा। बरॉक महलों को परिसर के प्रवेश द्वार, भव्य सीढ़ियों और क्रमानुसार समृद्धि को बढ़ाने वाले स्वागत कक्ष के आस पास निर्मित किया जाता है। .

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माइकल एंजेलो

फ्लोरेंस स्थित माइकल एंजेलो की मूर्ति माइकल एंजेलो (माइकल एंजेलो डि लोडोविको बुआना रोत्ती, १४७५-१५३४) एक इतालवी मूर्तिकार, चित्रकार, वास्तुकार और उच्च पुनर्जागरण युग के कवि थे जो फ्लोरेंस गणराज्य में पैदा हुए थे। उन्हौने पश्चिमी कला के विकास पर एक अद्वितीय प्रभाव डाला था। उन्हें उनके जीवनकाल के दौरान सबसे महान जीवित कलाकार माना जाता था, उसके बाद से उन्हें सर्वकालीन महानतम कलाकारों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है। उनकी कई विषयों मे बहुमुखी प्रतिभा बहुत उच्च स्तर की मानी जाती है, इसी कारण कला के क्षेत्र के बाहर कुछ ही प्रभाव होने पर भी वह अक्सर अपने प्रतिद्वंद्वी व साथी फ्लोरेंटाइन मेडिसि हितधारक, लियोनार्डो दा विंची, के साथ पुनर्जागरण युगी विचारकों के प्रमुख उदाहरण माने जाते है। माइकल एंजेलो की चित्रकला, मूर्तिकला और वास्तुकला के क्षेत्रों मे कई कृतियां विश्व की प्रसिद्धतम रचनाओं मे गिनी जाती है। अपनी रुची के हर क्षेत्र में उनका योगदान विलक्षण था; बचा हुआ पत्राचार, नमूने, और संस्मरणो की संख्या को देखते हुए, वह १६ वीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ प्रलेखित कलाकार माने जाते है। उन्हौने अपने दो सबसे प्रसिद्ध कार्यों, पिएटा और डेविड को, तीस वर्ष की आयु से पहले रूप दिया। चित्रकला को कम महत्व का मानने के बावजूद, माइकल एंजेलो ने पश्चिमी कला के इतिहास में दो सबसे प्रभावशाली भित्तिचित्रों का निर्माण किया: रोम में सिस्टिन चैपल की छत पर 'जेनेसीस' के दृश्य, और उसकी वेदी की दीवार पर 'दी लास्ट जजमेंट'। एक वास्तुकार के रूप में, माइकल एंजेलो ने लॉरेनटियन पुस्तकालय में मेनेरनिस्ट शैली का नेतृत्व किया। ७४ साल की उम्र में, वह "सेंट पिटर्स बेसीलीस्क" के वास्तुकार के रूप में एंटोनियो दा संगलो द यंगर के उत्तराधिकारी बने। माइकल एंजेलो ने इस योजना को परिवर्तित कर दिया तथा पश्चिमी अंत उनके प्रारूप के रूप के अनुसार निर्मीत हो गया। गुंबद भी उनकी मृत्यु के बाद कुछ संशोधन के साथ निर्मीत हो गया। माइकल एंजेलो पहले पश्चिमी कलाकार थे जिसकी जीवनी उनके जीवनकाल में ही प्रकाशित हुई। वास्तव में, उनके जीवनकाल में दो उनकी जीवनीयां प्रकाशित हुईं; उनमें से एक, जियोर्जियो वसारी द्वारा लिखी गयी मे प्रस्ताव दिया गया था कि मिकेलांजेलो का कार्य किसी भी अन्य मृत या जिवीत कलाकार से परे है और "केवल एक ही कला में नहीं बल्कि सभी तीनों में श्रेष्ठ" है। अपने जीवनकाल में,माइकल एंजेलो को अक्सर "अल डिविनो" (दिव्य व्यक्ति) कहा जाता था। बाद के कलाकारों द्वारा माइकल एंजेलो की भावनात्मक और अत्यधिक व्यक्तिगत शैली की अनुकरण करने की कोशिश ने मेनेरनिस्म, उच्च पुनर्जागरण के बाद पश्चिमी कला में अगले प्रमुख आंदोलन,को जन्म दिया। .

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मोना लीज़ा

मोनालिसा मोना लिसा (Mona Lisa या La Gioconda या La Joconde)) लिओनार्दो दा विंची के द्वारा कृत एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है। यह एक विचारमग्न स्त्री का चित्रण है जो अत्यन्त हल्की मुस्कान लिये हुए हैं। यह संसार की सम्भवत: सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग है जो पेंटिंग और दृष्य कला की पर्याय मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इतालवी चित्रकार लियोनार्दो दा विंची ने मोना लीज़ा नामक यह तस्वीर 1503 से 1506 के बीच बनाई थी। ये तस्वीर फ्लोरेंस के एक गुमनाम से व्यापारी 'फ़्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो' की पत्नी 'लीज़ा घेरार्दिनी' को देखकर बनाई गई है। सम्प्रति यह छवि फ्रांस के लूविरे संग्रहालय में रखी हुई है। संग्रहालय के इस क्षेत्र में 16वीं शताब्दी की इतालवी चित्रकला की कृतियाँ रखी गई हैं। मोनालिसा की असल पेंटिंग केवल 21 इंच लंबी और 30 इंच चौड़ी है। तस्वीर को बचाए रखने के लिए यह एक ख़ास किस्म के शीशे के पीछे रखी गई है जो ना तो चमकता है और ना टूटता है। .

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रोम

यह लेख इटली की राजधानी एवं प्राचीन नगर 'रोम' के बारे में है। इसी नाम के अन्य नगर संयुक्त राज्य अमरीका में भी है। स्तनधारियों की त्वचा पर पाए जाने वाले कोमल बाल (en:hair) के लिये बाल देखें। इसका पर्यायवाची शब्द रोयाँ या रोआँ (बहुवचन - रोएँ) है। ---- '''रोम''' नगर की स्थिति रोम (Rome) इटली देश की राजधानी है। .

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लिओनार्दो दा विंची

फ्लोरेंस में लिओनार्दो की मूर्ति लिओनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci, 1452-1519) इटलीवासी, महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक, इंजीनियर तथा वैज्ञानिक था। .

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वास्तुकला

'''अंकोरवाट मंदिर''' विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक संरचना है भवनों के विन्यास, आकल्पन और रचना की, तथा परिवर्तनशील समय, तकनीक और रुचि के अनुसार मानव की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने योग्य सभी प्रकार के स्थानों के तर्कसंगत एवं बुद्धिसंगत निर्माण की कला, विज्ञान तथा तकनीक का संमिश्रण वास्तुकला (आर्किटेक्चर) की परिभाषा में आता है। इसका और भी स्पष्टकीण किया जा सकता है। वास्तुकला ललितकला की वह शाखा रही है और है, जिसका उद्देश्य औद्योगिकी का सहयोग लेते हुए उपयोगिता की दृष्टि से उत्तम भवननिर्माण करना है, जिनके पर्यावरण सुसंस्कृत एवं कलात्मक रुचि के लिए अत्यंत प्रिय, सौंदर्य-भावना के पोषक तथा आनंदकर एवं आनंदवर्धक हों। प्रकृति, बुद्धि एवं रुचि द्वारा निर्धारित और नियमित कतिपय सिद्धांतों और अनुपातों के अनुसार रचना करना इस कला का संबद्ध अंग है। नक्शों और पिंडों का ऐसा विन्यास करना और संरचना को अत्यंत उपयुक्त ढंग से समृद्ध करना, जिससे अधिकतम सुविधाओं के साथ रोचकता, सौंदर्य, महानता, एकता और शक्ति की सृष्टि हो से यही वास्तुकौशल है। प्रारंभिक अवस्थाओं में, अथवा स्वल्पसिद्धि के साथ, वास्तुकला का स्थान मानव के सीमित प्रयोजनों के लिए आवश्यक पेशों, या व्यवसायों में-प्राय: मनुष्य के लिए किसी प्रकार का रक्षास्थान प्रदान करने के लिए होता है। किसी जाति के इतिहास में वास्तुकृतियाँ महत्वपूर्ण तब होती हैं, जब उनमें किसी अंश तक सभ्यता, समृद्धि और विलासिता आ जाती है और उनमें जाति के गर्व, प्रतिष्ठा, महत्वाकांक्षा और आध्यात्मिकता की प्रकृति पूर्णतया अभिव्यक्त होती है। .

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वैटिकन सिटी

वैटिकन शहर (Città del Vaticano; Civitas Vaticana) यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है। पृथ्वी पर सबसे छोटा, स्वतंत्र राज्य है, जिसका क्षेत्रफल केवल ४४ हेक्टेयर (१०८.७ एकड़) है। यह इटली के शहर रोम के अन्दर स्थित है। इसकी राजभाषा है लातिनी। ईसाई धर्म के प्रमुख साम्प्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च का यही केन्द्र है और इस सम्प्रदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप का यही निवास है। यह नगर, एक प्रकार से, रोम नगर का एक छोटा सा भाग है। इसमें सेंट पीटर गिरजाघर, वैटिकन प्रासादसमूह, वैटिकन बाग तथा कई अन्य गिरजाघर सम्मिलित हैं। सन् १९२९ में एक संधि के अनुसार इसे स्वतंत्र राज्य स्वीकार किया गया। इस राज्य के अधिकारी, ४५ करोड़ ६० लाख रोमन कैथोलिक धर्मावलंबियों से पूजित, पोप हैं। राज्य के राजनयिक संबंध संसार के लगभग सब देशों से हैं। सन् १९३० में पोप की मुद्रा पुन: जारी की गई और सन् १९३२ में इसके रेलवे स्टेशन का निर्माण हुआ। यहाँ की मुद्रा इटली में भी चलती है। आकर्षक गिरजाघरों, मकबरों तथा कलात्मक प्रासादों के अतिरिक्त वैटिकन के संग्रहालय तथा पुस्तकालय अमूल्य हैं। पोप के सरकारी निवास का नाम भी वैटिकन है। यह रोम नगर में, टाइबर नदी के किनारे, वैटिकन पहाड़ी पर स्थित है तथा ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक कारणों से प्रसिद्ध है। यहाँ के प्रासादों का निर्माण तथा इनकी सजावट विश्वश्रुत कलाकारों द्वारा की गई है। .

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गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्र

गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्र इटली के पुनर्जागरण काल के चित्रकार राफेल द्वारा लगभग १५०६ में बनाया गया था। फिलहाल यह चित्र उफ़िज़ी संग्रहालय, फ्लोरेंस में लगा हुआ है। इसमें अर्बिनो के ड्यूक गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्रण किया गया है। .

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इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

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अरस्तु

अरस्तु अरस्तु (384 ईपू – 322 ईपू) यूनानी दार्शनिक थे। वे प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु थे। उनका जन्म स्टेगेरिया नामक नगर में हुआ था ।  अरस्तु ने भौतिकी, आध्यात्म, कविता, नाटक, संगीत, तर्कशास्त्र, राजनीति शास्त्र, नीतिशास्त्र, जीव विज्ञान सहित कई विषयों पर रचना की। अरस्तु ने अपने गुरु प्लेटो के कार्य को आगे बढ़ाया। प्लेटो, सुकरात और अरस्तु पश्चिमी दर्शनशास्त्र के सबसे महान दार्शनिकों में एक थे।  उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र पर पहली व्यापक रचना की, जिसमें नीति, तर्क, विज्ञान, राजनीति और आध्यात्म का मेलजोल था।  भौतिक विज्ञान पर अरस्तु के विचार ने मध्ययुगीन शिक्षा पर व्यापक प्रभाव डाला और इसका प्रभाव पुनर्जागरण पर भी पड़ा।  अंतिम रूप से न्यूटन के भौतिकवाद ने इसकी जगह ले लिया। जीव विज्ञान उनके कुछ संकल्पनाओं की पुष्टि उन्नीसवीं सदी में हुई।  उनके तर्कशास्त्र आज भी प्रासांगिक हैं।  उनकी आध्यात्मिक रचनाओं ने मध्ययुग में इस्लामिक और यहूदी विचारधारा को प्रभावित किया और वे आज भी क्रिश्चियन, खासकर रोमन कैथोलिक चर्च को प्रभावित कर रही हैं।  उनके दर्शन आज भी उच्च कक्षाओं में पढ़ाये जाते हैं।  अरस्तु ने अनेक रचनाएं की थी, जिसमें कई नष्ट हो गई। अरस्तु का राजनीति पर प्रसिद्ध ग्रंथ पोलिटिक्स है। .

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