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रत्नकीर्ति

सूची रत्नकीर्ति

रत्नकीर्ति (११वीं शताब्दी), प्रमाणवाद और योगाचार से सम्बन्धित एक बौद्ध दार्शनिक थे। उन्होने विक्रमशिला में अध्ययन किया जहाँ ज्ञानश्रीमित्र उनके गुरु थे। श्रेणी:भारतीय दार्शनिक.

4 संबंधों: प्रमाणवाद, योगाचार, ज्ञानश्रीमित्र, विक्रमशिला

प्रमाणवाद

प्रमाणवाद एक दार्शनिक सम्प्रदाय है जिसके प्रणेता बौद्ध दार्शनिक दिङ्नाग माने जाते हैं। इसे 'हेतुवाद' भी कहते हैं। .

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योगाचार

योगाचार बौद्ध दर्शन एवं मनोविज्ञान का एक प्रमुख शाखा है। यह भारतीय महायान की उपशाखा है जो चौथी शताब्दी में अस्तित्व में आई। योगाचार्य इस बात की व्याख्या करता है कि हमारा मन किस प्रकार हमारे अनुभवों की रचना करता है। योगाचार दर्शन के अनुसार मन से बाहर संवेदना का कोई स्रोत नहीं है। .

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ज्ञानश्रीमित्र

ज्ञानश्रीमित्र (१०वीं-११वीं शताब्दी) एक प्रमाणवादी भारतीय दार्शनिक थे। वे एक कवि, विक्रमशिला के द्वारपण्डित तथा रत्नकीर्ति के गुरु थे। .

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विक्रमशिला

विक्रमशिला, ज़िला भागलपुर, बिहार में स्थित है। विक्रमशिला में प्राचीन काल में एक प्रख्यात विश्वविद्यालय स्थित था, जो प्रायः चार सौ वर्षों तक नालन्दा विश्वविद्यालय का समकालीन था। कुछ विद्वानों का मत है कि इस विश्वविद्यालय की स्थिती भागलपुर नगर से 19 मील दूर कोलगाँव रेल स्टेशन के समीप थी। कोलगाँव से तीन मील पूर्व गंगा नदी के तट पर 'बटेश्वरनाथ का टीला' नामक स्थान है, जहाँ पर अनेक प्राचीन खण्डहर पड़े हुए हैं। इनसे अनेक मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं, जो इस स्थान की प्राचीनता सिद्ध करती हैं। .

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