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यूरोपीय व्यवस्था

सूची यूरोपीय व्यवस्था

१८१५ के वियना कांग्रेस द्वारा निर्धारित की गयी यूरोपीय देशों की सीमाएँ यूरोपीय संगति या यूरोपीय व्यवस्था (Concert of Europe या Congress System या Vienna System) से तात्पर्य सन १९१५ के वियना कांग्रेस के बाद की व्यवस्था से है जो शक्ति-संतुलन का प्रतिनिधित्व करती थी। यह व्यवस्था यूरोप में १८१५ (नेपोलियन के युद्ध के अन्त) से १९१४ (प्रथम विश्वयुद्ध का आरम्भ) तक विद्यमान रही। .

सामग्री की तालिका

  1. 3 संबंधों: नेपोलियन के युद्ध, महाद्वीपीय व्यवस्था, शक्‍ति-संतुलन

  2. अन्तराष्ट्रीय संबंधों का इतिहास
  3. राजनय

नेपोलियन के युद्ध

नेपोलियन बोनापार्ट जब तक सत्ता में रहा युद्धों में उलझा रहा जिनसे सारा यूरोप त्रस्त था। इन युद्धों को सम्मिलित रूप से नेपोलियन के युद्ध (Napoleonic Wars) कहा जाता है। १८०३ से लेकर १८१५ तक कोई साठ युद्ध उसने लड़े थे जिसमें से सात में उसकी पराजय हुई (अधिकांशतः अपने अन्तिम दिनों में)। इन युद्धों के फलस्वरूप यूरोपीय सेनाओं में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए। परम्परागत रूप से इन युद्धों को १९७२ में फ्रांसीसी क्रांति के समय शुरू हुए क्रांतिकारी युद्धों की शृंखला में ही रखा जाता है। आरम्भ में फ्रांस की शक्ति बड़ी तेजी से बढ़ी और नैपोलियन ने यूरोप का अधिकांश भाग अपने अधिकार में कर लिया। १८१२ में रूस पर आक्रमण करने के बाद फ्रांस का बड़ी तेजी से पतन हुआ। .

देखें यूरोपीय व्यवस्था और नेपोलियन के युद्ध

महाद्वीपीय व्यवस्था

महाद्वीपीय व्यवस्था (Continental System) या महाद्वीपीय नाकाबन्दी (Continental Blockade) नेपोलियन युद्धों के समय ग्रेट ब्रिटेन विरुद्ध संघर्ष में नेपोलियन प्रथम की विदेश नीति थी। ब्रिटेन की सरकार ने १६ मई १८०६ को फ्रेंच कोस्ट की नाकेबन्दी की थी। उसी के जवाब में नेपोलियन ने २१ नवम्बर १८०६ को 'बर्लिन डिक्री' का ऐलान किया जिसके द्वारा ब्रिटेन के विरुद्ध बड़े पैमाने पर व्यापार-प्रतिबन्ध (embargo) लगा दिये गये। यह प्रतिबन्ध लगभग आधे समय ही प्रभावी था। इसका अन्त ११ अप्रैल १८१४ को हुआ जब नेपोलियन ने पहली बार पदत्याग किया। इस प्रतिबन्ध से ब्रिटेन को कोई खास आर्थिक क्षति नहीं हुई। जब नेपोलियन को पता चला कि अधिकांश व्यापार स्पेन और रूस के रास्ते हो रहा है, तो उसने उन दोनों देशों पर आक्रमण कर दिया। .

देखें यूरोपीय व्यवस्था और महाद्वीपीय व्यवस्था

शक्‍ति-संतुलन

शक्‍ति-संतुलन का सिद्धान्त (balance of power theory) यह मानता है कि कोई राष्ट्र तब अधिक सुरक्षित होता है जब सैनिक क्षमता इस प्रकार बंटी हुई हो कि कोई अकेला राज्य इतना शक्तिशाली न हो कि वह अकेले अन्य राज्यों को दबा दे। .

देखें यूरोपीय व्यवस्था और शक्‍ति-संतुलन

यह भी देखें

अन्तराष्ट्रीय संबंधों का इतिहास

राजनय

यूरोपीय संगति के रूप में भी जाना जाता है।