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मुर्लेन राष्ट्रीय उद्यान

सूची मुर्लेन राष्ट्रीय उद्यान

मुर्लेन राष्ट्रीय उद्यान भारत के मिज़ोरम राज्य के चम्फाई जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है और म्यानमार के साथ भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ लगा हुआ है। इसका क्षेत्रफल २०० वर्ग कि॰मी॰ है। यह उद्यान मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल से २४५ कि॰मी॰ पूर्व में स्थित है। इस उद्यान में अब तक स्तनधारियों की १५ जातियाँ, पक्षियों की १५० जातियाँ, औषधीय पौधों की ३५ जातियाँ, बाँस की २ जातियाँ तथा ऑर्किड की ४ जातियाँ दर्ज की गई हैं। श्रेणी:राष्ट्रीय उद्यान, भारत श्रेणी:भारत के अभयारण्य श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय उद्यान.

10 संबंधों: चम्फाई ज़िला, पक्षी, बाँस, भारत, मिज़ोरम, म्यान्मार, स्तनधारी, ऑर्किड, औषधीय पौधे, अइज़ोल

चम्फाई ज़िला

चम्फाई ज़िला भारतीय राज्य मिज़ोरम के आठ ज़िलों में से एक है। यह ज़िला उत्तर में मणिपुर राज्य के चुराचांदपुर ज़िला, पश्चिम में अइज़ोल तथा सेरछिप ज़िला पूर्व तथा दक्षिण में म्यांमार देश से घिरा है। ज़िले का क्षेत्रफल 3185.83 किमी² है। इस ज़िले का मुख्यालय चम्फाई है। .

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पक्षी

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बाँस

बाँस, ग्रामिनीई (Gramineae) कुल की एक अत्यंत उपयोगी घास है, जो भारत के प्रत्येक क्षेत्र में पाई जाती है। बाँस एक सामूहिक शब्द है, जिसमें अनेक जातियाँ सम्मिलित हैं। मुख्य जातियाँ, बैंब्यूसा (Bambusa), डेंड्रोकेलैमस (नर बाँस) (Dendrocalamus) आदि हैं। बैंब्यूसा शब्द मराठी बैंबू का लैटिन नाम है। इसके लगभग २४ वंश भारत में पाए जाते हैं। बाँस एक सपुष्पक, आवृतबीजी, एक बीजपत्री पोएसी कुल का पादप है। इसके परिवार के अन्य महत्वपूर्ण सदस्य दूब, गेहूँ, मक्का, जौ और धान हैं। यह पृथ्वी पर सबसे तेज बढ़ने वाला काष्ठीय पौधा है। इसकी कुछ प्रजातियाँ एक दिन (२४ घंटे) में १२१ सेंटीमीटर (४७.६ इंच) तक बढ़ जाती हैं। थोड़े समय के लिए ही सही पर कभी-कभी तो इसके बढ़ने की रफ्तार १ मीटर (३९ मीटर) प्रति घंटा तक पहुँच जाती है। इसका तना, लम्बा, पर्वसन्धि युक्त, प्रायः खोखला एवं शाखान्वित होता है। तने को निचले गांठों से अपस्थानिक जड़े निकलती है। तने पर स्पष्ट पर्व एवं पर्वसन्धियाँ रहती हैं। पर्वसन्धियाँ ठोस एवं खोखली होती हैं। इस प्रकार के तने को सन्धि-स्तम्भ कहते हैं। इसकी जड़े अस्थानिक एवं रेशेदार होती है। इसकी पत्तियाँ सरल होती हैं, इनके शीर्ष भाग भाले के समान नुकीले होते हैं। पत्तियाँ वृन्त युक्त होती हैं तथा इनमें सामानान्तर विन्यास होता है। यह पौधा अपने जीवन में एक बार ही फल धारण करता है। फूल सफेद आता है। पश्चिमी एशिया एवं दक्षिण-पश्चिमी एशिया में बाँस एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसका आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। इससे घर तो बनाए ही जाते हैं, यह भोजन का भी स्रोत है। सौ ग्राम बाँस के बीज में ६०.३६ ग्राम कार्बोहाइड्रेट और २६५.६ किलो कैलोरी ऊर्जा रहती है। इतने अधिक कार्बोहाइड्रेट और इतनी अधिक ऊर्जा वाला कोई भी पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक अवश्य होगा। ७० से अधिक वंशो वाले बाँस की १००० से अधिक प्रजातियाँ है। ठंडे पहाड़ी प्रदेशों से लेकर उष्ण कटिबंधों तक, संपूर्ण पूर्वी एशिया में, ५०० उत्तरी अक्षांश से लेकर उत्तरी आस्ट्रेलिया तथा पश्चिम में, भारत तथा हिमालय में, अफ्रीका के उपसहारा क्षेत्रों तथा अमेरिका में दक्षिण-पूर्व अमेरिका से लेकर अर्जेन्टीना एवं चिली में (४७० दक्षिण अक्षांश) तक बाँस के वन पाए जाते हैं। बाँस की खेती कर कोई भी व्यक्ति लखपति बन सकता है। एक बार बाँस खेत में लगा दिया जायें तो ५ साल बाद वह उपज देने लगता है। अन्य फसलों पर सूखे एवं कीट बीमारियो का प्रकोप हो सकता है। जिसके कारण किसान को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। लेकिन बाँस एक ऐसी फसल है जिस पर सूखे एवं वर्षा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। बाँस का पेड़ अन्य पेड़ों की अपेक्षा ३० प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन छोड़ता और कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है साथ ही यह पीपल के पेड़ की तरह दिन में कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है और रात में आक्सीजन छोड़ता है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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मिज़ोरम

मिजोरम भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। २००१ में यहाँ की जनसंख्या लगभग ८,९०,००० थी। मिजोरम में साक्षरता का दर भारत में सबसे अधिक ९१.०३% है। यहाँ की राजधानी आईजोल है। .

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म्यान्मार

म्यांमार यो ब्रह्मदेश दक्षिण एशिया का एक देश है। इसका आधुनिक बर्मी नाम 'मयन्मा' (မြန်မာ .

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स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

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ऑर्किड

ऑर्किड के फूल आर्किड, पौधों का एक कुल है जिसके सदस्यों के पुष्प अत्यंत सुंदर और सुगंधयुक्त होते हैं। आर्किडों को ठीक ही पुष्पजगत् में बड़ी प्रतिष्ठा प्राप्त है, क्योंकि इनके रंग रूप में विलक्षण विचित्रता है। और्किड बहुवर्षी बूटों का विशाल समुदाय है, जो प्राय: भूमि पर अथवा दूसरे पेड़ों पर आश्रय ग्रहण कर उगते हैं, या कुकुरमुत्ते के समान मृतभोजी जीवन बिताते हैं। मृतभोजी और्किडों में पर्णहरिम (क्लोरोफ़िल) नही होता। जो और्किड वृक्षों पर होते हैं उनमें बरोहियाँ (वायवीय जड़ें) होती हैं जिनकी बाहरी पर्त में जलशोषक तंतु होते हैं। विस्तृत रेगिस्तानी भागों के अतिरिक्त आर्किड प्राय: संसार के सभी भागों में होते हैं। वैसे ये उष्ण और समोष्ण देशों में अधिक होता हैं। और्किडों की लगभग 450 प्रजातियाँ (जेनरा) और 15,000 जातियाँ (स्पीशीज़) हैं तथा ये सब एक ही कुल (फ़ैमिली) के अंतर्गत हैं। किसी भी समूह के फूल में इतने विविध रूप नहीं हैं जितने और्किडों में। वास्तव में इनके फूल की तथा अन्य भागों के रूपांतरण ने इन्हें इतना भिन्न बना दिया है कि ये साधारण एकदली फूल जैसे लगते ही नहीं हैं। और्किडों के फूल चिरजीवी होने के लिए प्रसिद्ध हैं। यदि परागण न हो तो ये महीने डेढ़ महीने अथवा इससे भी अधिक दिनों तक अम्लान बने रहते हैं, यद्यपि यह समय बहुत कुछ वातावरण पर भी निर्भर है। परागण के पश्चात् फूल तुरंत मुर्झा जाते हैं। और्किडों में बीज अधिक मात्रा में बनते हैं तथा अत्यंत नन्हे होते हैं। प्राय: एक फल से कई हजार बीज उत्पन्न होते हैं और ये इतने हल्के होते हैं कि इनका प्रसारण वायु द्वारा सुगमता से हो जाता है। कुछ और्किडों को छोड़कर प्राय: सभी की जड़ों में कवक (फ़ंगस) होता है जो बिना कोई हानि पहुँचाए तंतुओं में रहता है। इस परिस्थिति का और्किडों के अंकुरण से विशेष संबंध है। ऐसा अनुमान है कि इनके बीज बिना कवक से संपर्क के अंकुरित ही नहीं हो पाते। और्किड की खेती का एक अत्यंत रोचक तथा आवश्यक अंग उनसे संकर पौधे उत्पन्न करना है। और्किडों में कृत्रिम परागण द्वारा सफलता प्राप्त करने के लिए इनके फूलों की रचना का यथार्थ ज्ञान, हस्तलाघव, कौशल तथा धैर्य का होना अत्यंत आवश्यक है। और्किडों का सारा महत्व इनके फूलों की सुंदरता तथा सजधज में है। इनमें से कुछ से, जैसे वैनीला से, एक प्रकार का सार (इत्र) भी प्राप्त होता है जो इनके फलों से निकाला जाता है। भारतवर्ष में आर्किड पहाड़ी प्रदेशों में, जैसे हिमालय, खासी-जयंती पर्वत, पश्चिमी घाट, कोडै कैनाल और नीलगिरि पर्वत पर होते हैं। .

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औषधीय पौधे

ऐसे पौधे जिनके किसी भी भाग से दवाएँ बनाई जाती हैं औषधीय पौधे कहलाते हैं। सर्पगंधा, तुलसी, नीम आदि इसी प्रकार के पौधे हैं। .

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अइज़ोल

अइज़ोल (Aizawl) भारत के मिज़ोरम प्रान्त की राजधानी है। यहाँ की जनसंख्या २९३,४१६ है, जिसके कारण यह मिज़ोरम का सबसे बड़ा नगर है। यहाँ पर राज्य के सभी प्रशासनिक भवन जैसे महत्वपूर्ण सरकारी भवन, विधानसभा तथा सचिवालय स्थित है। .

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