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मिथ्या संकेत

सूची मिथ्या संकेत

मिथ्या संकेत (pseudocode) किसी कम्प्यूटर प्रोग्राम को विकसित करने की प्रक्रिया किए जाने वाले कार्य को समझने एवं कार्य के सम्पन्न होने हेतु तर्क निर्धारण से प्रारंभ होती है और यह कार्य प्रवाह तालिका अथवा मिथ्या संकेत की सहायता से किया जाता है। मिथ्या संकेत प्रवाह तालिका का एक विकसित विकल्प है। मिथ्या संकेत मे विभिन्न आकृतियो अथवा चिन्हो की अपेक्षा प्रोग्राम की प्रक्रिया को क्रम मे लिखा जाता है। चूंकि इसका प्रोग्राम को डिजाइन करने मे महत्वपूर्ण स्थान है अत: इसे प्रोग्राम डिजाइन भाषा भी कहा जाता है। मिथ्या संकेत द्वारा प्रोग्राम लिखने के लिये निम्नलिखित मूल तर्को को प्रारूप के रूप मे प्रयोग किया जाता है- १ अनुक्रम तर्क (sequence logic):- किसी कम्प्यूटर प्रोग्राम मे विभिन्न स्टेटमेंट को एक निश्चित क्रम मे लिखा जाता है। जब प्रोग्राम को चलाया जाता है तो विभिन्न स्टेटमेंट मे दी गई कमांड एवं निर्देशानुसार उसी क्रम मे क्रियांवित होता है। अनुक्रम तर्क का प्रयोग प्रोग्राम मे निर्देशो को कार्य करने के क्रम मे लिखा जाता है। अत: अनुक्रम तर्क के लिये मिथ्या संकेत उसी क्रम मे लिखे जाने चाहिये जिस क्रम मे उनका प्रयोग किया जाना है। मिथ्या संकेत मे स्टेटमेंट का पूर्ण होना’;’ अर्थात अर्धविराम द्वारा दर्शाया जाता है। यूं तो अर्धविराम का प्रयोग करते हुए एक लाईन मे एक से अधिक स्टेटमेंट भी लिखे जा सकते है परन्तु उचित यही रहता है कि एक लाईन मे एक ही स्टेटमेंट लिखा जाए ताकि प्रोग्राम को समझने मे सरलता हो। २.चयन तर्क-चूंकि इस तर्क का प्रयोग निर्णय लेने के लिये किया जाता है अत: इसे निर्णय तर्क भी कहते है। इसका प्रयोग मिथ्या संकेत मे वहां किया जाता है जहां एक से अधिक वैकल्पिक पथो मे से सही पथ चुनना होता है। इसे चार प्रारूपो मे प्रयोग किया जाता है। (अ) एक पथीय प्रारूप – यह IF से प्रारंभ होता है और ENDIF पर समाप्त होता है।IF के पश्चात THEN का प्रयोग होता है और यह तभी कार्यांवित होता है जबकि दी गई शर्त सही हो। (ब) द्वि पथीय प्रारूप- इसमे IF औरTHEN के साथ ELSE का प्रयोग भी किया जाता है। THAN शर्त के प्रथम विकल्प के लिये और ELSE शर्त के द्वितीय विकल्प के लिये प्रयोग किया जाता है। (स) बहुपथीय प्रारूप -इस प्रारूप का प्रयोग उस स्थिति मे किया जाता है जबकि शर्त के दो से अधिक विकल्प को जाचना होता है जबकि इनमे से केवल ही सत्य होता है। (द) स्थिति प्रारूप – इसका प्रयोग किसी अनन्य निर्णय के स्थान पर किया जाता है। (य) शरण स्थिति प्रारूप-जब किसी शर्त मे कोइ अन्य उप शर्त भी सम्मिलित हो तो शरण स्थिति प्रारूप प्रयोग किया जाता है। ३. आवृति तर्क (iteration logic)-इसका प्रयोग लूप के प्रदर्शन के लिये किया जाता है। जब एक अथवा अधिक निर्देशो का क्रियांवयन किसी शर्त के आधार पर एक से अधिक बार होना होता है तो इस स्थिति को लूप कहा जाता है। प्रोग्राम मे तीन प्रकार के लूप प्रारूप का प्रयोग किया जाता है-- (अ) डू-व्हाइल लूप प्रारूप -इस प्रारूप मे प्रारंभमे WHILE का प्रयोग किया जाता है साथ ही शर्त भी लिखी जाती है। इसके बाद DO का प्रयोग किया जाता है तथा इसके साथ वह निर्देश होता है जिसका अनुपालन दी गई शर्त के पूरा होने पर किया जाता है। अंत मे ENDDO इस प्रारूप का समापन दर्शाता है। (ब) रिपीट अनटिल प्रारूप-इस प्रारूप का प्रारंभ REPEAT से होता है और UNTIL पर समापन होता है। REPEAT और UNTIL के मध्य दिये गए निर्देशो का पालन UNTIL के समक्ष दी गई शर्त के पूरे होने तक बार बार होने लगता है। (स) फॉर....नेक्स्ट लूप प्रारूप-इस प्रकार के प्रारूप मे आवृति की संख्या निश्चित होती है तथा पहले से ही ज्ञात होती है। START .

1 संबंध: कम्प्यूटर प्रोग्राम

कम्प्यूटर प्रोग्राम

एक कम्प्यूटर प्रोग्राम संगणक प्रोग्राम किसी कार्य विशेष को संगणक द्वारा कराने अथवा करने के लिये संगणक को समझ आने वाली भाषा में दिये गए निर्देशो का समूह होता है। .

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