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मिडज़ू भाषाएँ

सूची मिडज़ू भाषाएँ

मिडज़ू भाषाएँ (Midzu languages) या दक्षिणी मिश्मी भाषाएँ तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की एक प्रस्तावित शाखा है जिसकी बोलियों को अरुणाचल प्रदेश और दक्षिणपूर्वी तिब्बत के कमान मिश्मी समुदाय में बोला जाता है। इसकी दो मुख्य भाषाएँ हैं: कमान (मिडज़ू / मिजू) और ज़ेख्रिंग (मेयोर)। .

सामग्री की तालिका

  1. 11 संबंधों: चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार, तिब्बत, तिब्बताई भाषाएँ, तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार, दिगारो भाषाएँ, भाषा वियोजक, जिन्गपो भाषा, कमान भाषा, कमान मिश्मी, कुकी-चिन-नागा भाषाएँ, अरुणाचल प्रदेश

  2. प्रस्तावित भाषा-परिवार
  3. मिश्मी भाषाएँ

चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार

चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार अथवा चीनी भाषा-परिवार (अंग्रेज़ी: Sino-Tibetan languages) दक्षिण एशिया के कुछ भागों, पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में बोली जाने वाली ४०० से अधिक भाषाओं का परिवार है। इसे बोलने वालों की मूल संख्या के आधार पर यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार के बाद दूसरा सबसे बड़ा भाषा परिवार है। चीनी-तिब्बती भाषा के मुख्य मूल भाषी विभिन्न प्रकार की चीनी भाषा (1.2 बिलियन भाषक), बर्मी (33 मिलियन) और तिब्बती भाषा (8 मिलियन) है। विभिन्न चीनी-तिब्बती भाषायें सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ छोटे समुदायों द्वारा बोली जाती हैं जिसका प्रलेखन स्पष्ट नहीं है। .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार

तिब्बत

तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और तिब्बत

तिब्बताई भाषाएँ

तिब्बताई भाषाएँ (तिब्बती: བོད་སྐད།, अंग्रेज़ी: Tibetic languages) तिब्बती-बर्मी भाषाओं का एक समूह है जो पूर्वी मध्य एशिया के तिब्बत के पठार और भारतीय उपमहाद्वीप के कई उत्तरी क्षेत्रों में तिब्बती लोगों द्वारा बोली जाती हैं। यह चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत, चिंगहई, गान्सू और युन्नान प्रान्तों में, भारत के लद्दाख़, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम व उत्तरी अरुणाचल प्रदेश क्षेत्रों में, पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र में तथा भूटान देश में बोली जाती हैं। .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और तिब्बताई भाषाएँ

तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार

बर्मा के भाषा-परिवार भारतीय उपमहाद्वीप के भाषा-परिवार चीन के भाषा-परिवार तिब्बती-बर्मी भाषा परिवार पूर्वी एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया के पहाड़ी इलाक़ों और भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली लगभग ४०० भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। इसका नाम इस परिवार की दो सब से ज़्यादा बोली जाने वाली भाषाओं पर रखा गया है - तिब्बती भाषा (जो ८० लाख से अधिक लोग बोलते हैं) और बर्मी भाषा (जो ३.२ करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं)। यह भाषा-परिवार चीनी-तिब्बती भाषा परिवार की एक उपशाखा है, लेकिन चीनी भाषा और इन भाषाओँ में बहुत अंतर है।, Austin Hale, Walter de Gruyter, 1982, ISBN 978-90-279-3379-9 .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार

दिगारो भाषाएँ

दिगारो भाषाएँ या दिगारू भाषाएँ या उत्तरी मिश्मी भाषाएँ भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य और तिब्बत में मिश्मी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली कुछ भाषाओं का एक छोटा भाषा-परिवार है। इस बात पर विवाद है कि यह तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की एक शाखा है या स्वयं एक स्वतंत्र भाषा-परिवार है। मिलते-जुलते नाम के बावजूद इनका दक्षिणी मिश्मी भाषाओं (मिडज़ू भाषाओं) से कोई समीपी सम्बन्ध नहीं है। .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और दिगारो भाषाएँ

भाषा वियोजक

भाषा वियोजक (language isolate) ऐसी प्राकृतिक भाषा है जिसका किसी भी अन्य भाषा से कोई जातीय सम्बन्ध न हो, यानि जो अपने भाषा परिवार में बिलकुल अकेली हो और जिसका किसी भी अन्य भाषा के साथ कोई सांझी पूर्वज भाषा न हो। यूरोप की बास्क भाषा और एशिया की कोरियाई भाषा इसके उदाहरण हैं। भारत में जम्मू और कश्मीर की बुरुशस्की भाषा और मध्य प्रदेश की निहाली भाषा दोनों ही भाषा वियोजक हैं। .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और भाषा वियोजक

जिन्गपो भाषा

जिन्गपो (बर्मी: ကချင်ဘာသာ) तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की ब्रह्मपुत्री शाखा (जो साल शाखा भी कहलाती है) की एक भाषा है। यह ज़्यादातर बर्मा के उत्तर में स्थित कचिन राज्य में रहने वाले जिन्गपो समुदाय द्वारा बोली जाती है, हालांकि इसके कुछ मातृभाषी भारत व चीन में भी रहते हैं। यह अधिकतर रोमन लिपि में लिखी जाती है हालांकि कुछ लोग इसे बर्मी लिपि में भी लिखते हैं। .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और जिन्गपो भाषा

कमान भाषा

कमान भाषा (Kaman language) या मिजू भाषाएँ (Miju language) या गेमान भाषा (Geman language) भारत के अरुणाचल प्रदेश और दक्षिणपूर्वी तिब्बत के कमान मिश्मी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक भाषा है। भाषावैज्ञानिकों में विवाद है कि यह तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की सदस्य है या एक भाषा वियोजक है। यह प्रस्ताव है कि ज़ेख्रिंग भाषा (मेयोर) के साथ यह मिडज़ू भाषा-परिवार की सदस्य है जो स्वयं सम्भव है कि तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की एक छोटी शाखा हो। .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और कमान भाषा

कमान मिश्मी

कमान मिश्मी या मिजू मिश्मी, तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के मिश्मी लोगों की तीन जनजातियों में से एक हैं। भारत में इस समुदाय के सदस्य अंजॉ और लोहित ज़िलों में स्थित हैं। मिजू गुट का दावा है कि वे बर्मा के कचिन क्षेत्र से आए हैं। वे तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की मिडज़ू शाखा (Midzu) की भाषाएँ बोलते हैं। .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और कमान मिश्मी

कुकी-चिन-नागा भाषाएँ

कुकी-चिन-नागा भाषाएँ (Kuki-Chin–Naga) भारत के मिज़ो व नागा लोग तथा बर्मा के चिन लोग द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं का एक समूह है। यह सभी तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की सदस्य हैं लेकिन इनका आपसी सम्बन्ध अभी ज्ञात नहीं है। मिज़ो भाषा सर्वाधिक मातृभाषी रखने वाली कुकी-चिन-नागा भाषा है और भारत में सन् 2001 में इसके 6,74,756 वक्ता थे। इसके अलावा थाडो भाषा (1,50,000 वक्ता) और आओ शाखा की मोंगसेन आओ (1,40,000 वक्ता) भी एक लाख से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती हैं। .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और कुकी-चिन-नागा भाषाएँ

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश ('अरुणांचल' नहीं) भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी मे "उगते सूर्य का पर्वत" है (अरूण + अचल; 'अचल' का अर्थ 'न चलने वाला' .

देखें मिडज़ू भाषाएँ और अरुणाचल प्रदेश

यह भी देखें

प्रस्तावित भाषा-परिवार

मिश्मी भाषाएँ

दक्षिणी मिश्मी भाषाओं, मिडज़ू भाषा-परिवार के रूप में भी जाना जाता है।