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मार्कस ऑरेलियस

सूची मार्कस ऑरेलियस

मार्कस ऑरेलियस (Marcus Aurelius;; Marcus Aurelius Antoninus Augustus; 26 April 121 – 17 March 180 AD) रोम का सम्राट था जिसने १६१ से १८० ई॰ तक शासन किया। वह उन पाँच सम्राटों में अन्तिम सम्राट था जिन्हें 'पाँच अच्छे सम्राट' कहा जाता है। वह स्टोइक दर्शन का अभ्यासी था। उसने बिना शीर्षक के एक पुस्तक की रचना की थी जिसे आजकल 'मेडिटेशन्स' (Meditations) नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में प्राचीन स्टोइक दर्शन को समझने की यह महत्वपूर्ण स्रोत है। बहुत से टिप्पणीकार दर्शन की महानतम पुस्तकों में इसे गिनते हैं। .

2 संबंधों: रोम, स्टोइक दर्शन

रोम

यह लेख इटली की राजधानी एवं प्राचीन नगर 'रोम' के बारे में है। इसी नाम के अन्य नगर संयुक्त राज्य अमरीका में भी है। स्तनधारियों की त्वचा पर पाए जाने वाले कोमल बाल (en:hair) के लिये बाल देखें। इसका पर्यायवाची शब्द रोयाँ या रोआँ (बहुवचन - रोएँ) है। ---- '''रोम''' नगर की स्थिति रोम (Rome) इटली देश की राजधानी है। .

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स्टोइक दर्शन

साइप्रस के सिटियम का निवासी जेनो स्टोइक दर्शन (Stoicism) अरस्तू के बाद यूनान में विकसित हुआ था। स्टोइक दर्शन या स्टोइकवाद एक प्राचीन ग्रीक दर्शन है जो कि 300 BC के आसपास सिटियम के निवासी जेनो द्वारा तपस्यावाद के परिष्करण के रूप में विकसित किया गया। यह विनाशकारी भावनाओं पर काबू पाने के साधन के रूप में तथा आत्म-नियंत्रण और दृढ़ता के विकास को सिखाता है। यह भावनाओं को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से बुझाने की कोशिश नहीं करता है, बल्कि उन्हें एक आकस्मिक असंतोष (सांसारिक सुख से स्वैच्छिक रोकथाम) द्वारा बदलने की कोशिश करता है, जो एक व्यक्ति को स्पष्ट निर्णय, आंतरिक शांति और पीड़ा से स्वतंत्रता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है (जिसे अंतिम लक्ष्य माना जाता है)। सिकंदर महान् की मृत्यु के बाद ही विशाल यूनानी साम्रज्य के टुकड़े होने लगे थे। कुछ ही समय में वह रोम की विस्तारनीति का लक्ष्य बन गया और पराधीन यूनान में अफलातून तथा अरस्तू के आदर्श दर्शन का आकर्षण बहुत कम हो गया। यूनानी समाज भौतिकवाद की ओर झुक चुका था। एपीक्यूरस ने सुखवाद (भोगवाद) की स्थापना (306 ई. पू.) कर, पापों के प्रति देवताओं के आक्रोश तथा भावी जीवन में बदला चुकाने के भय को कम करने का प्रयत्न आरंभ कर दिया था। तभी ज़ीनो ने रंगबिरंगे मंडप (स्टोआ) में स्टोइक दर्शन की शिक्षा द्वारा, अंधविश्वासों को मिटाते हुए, अपने समाज को नैतिक जीवन का मूल्य बताना प्रारंभ किया। इस दर्शनपरंपरा को पुष्ट करनेवालों में ज़ीनों के अतिरिक्त, क्लिऐंथिस और क्रिसिप्पस के नाम लिए जाते हैं। "स्टोइक दर्शन" को तीन भागों में प्रस्तुत किया जाता है- तर्क, भौतिकी तथा नीति। .

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