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महाराष्ट्र के जिले

सूची महाराष्ट्र के जिले

महाराष्ट्र राज्य महाराष्ट्र, १ मई १९६० को भारत का राज्य बनाया गया था। इस दिन को हम महाराष्ट्र दिन के भी नाम से जानते है। शुरू में महाराष्ट्र में २६ जिले थे। उसके बाद १० नये जिले बनाएँ गये है। वर्तमान के महाराष्ट्र में ३६ जिले है। इन जिलों को छह प्रशासनिक विभागों में विभाजित किया गया है। .

49 संबंधों: चंद्रपुर जिला, ठाणे ज़िला, देश, महाराष्ट्र, धुले जिला, नाशिक जिला, नासिक, नागपुर, नागपुर जिला, नांदेड़ जिला, नंदुरबार जिला, परभणी जिला, पालघर ज़िला, पुणे, पुणे जिला, बुलढाणा जिला, बीड जिला, भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश, भंडारा जिला, मराठवाड़ा, महाराष्ट्र, मुम्बई, मुम्बई शहर ज़िला, यवतमाल जिला, रत्नागिरि जिला, रायगढ़ जिला, लातूर जिला, सतारा जिला, सांगली जिला, सिंधुदुर्ग जिला, सोलापुर जिला, हिंगोली जिला, जलगाँव जिला, जालना जिला, वर्धा जिला, वाशीम जिला, विदर्भ, खानदेश, गढ़चिरौली जिला, गोंदिया जिला, औरंगाबाद, औरंगाबाद जिला, कोल्हापुर जिला, कोंकण, कोंकण मंडल, अमरावती, अमरावती जिला, अहमदनगर जिला, अकोला जिला, उस्मानाबाद जिला

चंद्रपुर जिला

भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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ठाणे ज़िला

ठाणे ज़िला (ठाणे जिल्हा) भारत के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में स्थित महाराष्ट्र के ३६ ज़िलों में से एक ज़िला है। ज़िले का पूर्वी भाग पहाड़ी है, जहाँ प्रमुख रूप से जनजातीय समुदायों का निवास है। पश्चिमी हिस्से में इन पहाड़ियों ने नदी घाटी को विकसित किया है। ये घाटियां तटीय क्षेत्रों में मिल गयी हैं, जहां उगने वाले चावल और फलों के लिए घोलवाद विख्यात है। मछली पालन यहाँ का मुख्य व्यवसाय है। उल्हास नदी के मुहाने के दक्षिण और उल्हास घाटी के ऊपरी हिस्से में जिले के कुछ प्रमुख शहर स्थित है, जो भीड़ और कोलाहल से भरे हैं। ये हैं भिवंडी (हथकरघों के लिए प्रसिद्ध), कल्याण (रेलवे जंक्शन), उल्हासनगर (परवासी सिंधियों की आवादी), अंबरनाथ (रसायन उत्पादन के लिए प्रसिद्ध), वसई (समुद्र तट पर बसे होने व किले के लिए प्रसिद्ध), पालघर (फलों के लिए प्रसिद्ध), तारापुर (भारत का पहला परमाणु विद्युत केंद्र) और दहानु (एक शैक्षणिक केंद्र) आदि। .

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देश, महाराष्ट्र

देश भारत के महाराष्ट्र प्रदेश का एक क्षेत्र हैं। यह महाराष्ट्र-देश इस शब्द का संचिप्त रूप हैं.इतिहास में यह क्षेत्र पश्चिमी मध्य दक्कन जिसे आज कल पुणे विभाग भी कहा जाता हैं और मराठवाड़ा को मिला कर कहा जाता था। मराठवाड़ा जिसे की बाद में हैदराबाद के निजाम ने जीत लिया आज एक अलग क्षेत्र माना जाता है .

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धुले जिला

धुले भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। धुले शहर पश्चिमोत्तर महाराष्ट्र राज्य, पश्चिमी भारत, प्रमुख रेल एवं सड़क मार्गों पर स्थित है। धुले को पहले धुलिया कहा जाता था। प्रारंभिक मुस्लिम काल में यह फारुक़ियों के नियंत्रण में था, लेकिन बाद में 1601 में यह मुग़ल साम्राज्य का हिस्सा बन गया। 18वीं सदी में मराठों ने इसे जीता और 1818 में यह अंग्रेज़ो को सत्तांतरित होकर बंबई (वर्तमान मुंबई) प्रेज़िडेंसी में शामिल हुआ। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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नाशिक जिला

नाशिक भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नाशिक है। क्षेत्रफल - 15,535 वर्ग कि.मी.

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नासिक

नासिक अथवा नाशिक भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक शहर है। नसिक महाराष्ट्र के उत्तर पश्चिम में, मुम्बई से १५० किमी और पुणे से २०५ किमी की दुरी में स्थित है। यह शहर प्रमुख रूप से हिन्दू तीर्थयात्रियों का प्रमुख केन्द्र है। नासिक पवित्र गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 565 मीटर है। गोदावरी नदी के तट पर बहुत से सुंदर घाट स्थित है। इस शहर का सबसे प्रमुख भाग पंचवटी है। इसके अलावा यहां बहुत से मंदिर भी है। नासिक में त्योहारों के समय में बहुत अधिक संख्या में भीड़ दिखलाई पड़ती है। .

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नागपुर

नागपुर (अंग्रेज़ी: Nagpur, मराठी: नागपूर) महाराष्ट्र राज्य का एक प्रमुख शहर है। नागपुर भारत के मध्य में स्थित है। महाराष्ट्र की इस उपराजधानी की जनसंख्या २४ लाख (१९९८ जनगणना के अनुसार) है। नागपुर भारत का १३वा व विश्व का ११४ वां सबसे बड़ा शहर हैं। यह नगर संतरों के लिये काफी मशहूर है। इसलिए इसे लोग संतरों की नगरी भी कहते हैं। हाल ही में इस शहर को देश के सबसे स्वच्छ व सुदंर शहर का इनाम मिला है। नागपुर भारत देश का दूसरे नंबर का ग्रीनेस्ट (हरित शहर) शहर माना जाता है। बढ़ते इन्फ्रास्ट्रकचर की वजह से नागपुर की गिनती जल्द ही महानगरों में की जायेगी। नागपुर, एक जिला है व ऐतिहासिक विदर्भ (पूर्व महाराष्ट्र का भाग) का एक प्रमुख शहर भी। नागपुर शहर की स्थापना गोण्ड राज्य ने की थी। फिर वह राजा भोसले के उपरान्त मराठा साम्राज्य में शामिल हो गया। १९वी सदी मैं अंग्रेज़ी हुकुमत ने उसे मध्य प्रान्त व बेरार की राजधानी बना दिया। आज़ादी के बाद राज्य पुनर्रचना ने नागपुर को महाराष्ट्र की उपराजधानी बना दिया। नागपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसी राष्ट्रवादी संघटनाओ का एक प्रमुख केंद्र है। .

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नागपुर जिला

नागपुर, महाराष्ट्र का एक जिला है। श्रेणी:महाराष्ट्र के जिले.

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नांदेड़ जिला

नांदेड़ जिला (मराठी: नांदेड जिल्हा), भारत के राज्य महाराष्ट्र का एक प्रशासनिक जिला है। नांदेड़ शहर, जिले का मुख्यालय है। जिले का क्षेत्रफल 10502 वर्ग किमी है, जबकि 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 2876259 थी जिसमें से 23.96% जनसंख्या शहरी थी। पवित्र नदी गोदावरी जिले से होकर बहती है। नांदेड़ जिला, औरंगाबाद मंडल में आता है और मराठवाड़ा क्षेत्र के पूर्वी भाग में स्थित है। जिला पूर्व में आंध्र प्रदेश के निज़ामाबाद, मेडक और आदिलाबाद जिलों से घिरा है, मराठवाड़ा के परभणी और लातूर जिले इसके पश्चिम में, विदर्भ क्षेत्र का यवतमाल जिला उत्तर में और कर्नाटक का बीदर जिला इसके दक्षिण में स्थित है। नांदेड़ के लोगों के व्यवहार, भाषा और आचरण पर आंध्र, कर्नाटक और विदर्भ का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। .

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नंदुरबार जिला

नंदुरबार भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नंदुरबार है। आदिवासी पावरा नृत्‍य के लिए प्रसिद्ध नंदुरबार महाराष्ट्र का एक नवगठित जिला है। इस जिले को धूले जिले से पृथक कर 1 जुलाई 1998 में गठित किया गया था। 5055 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जिला नंदुरबार, नवापुर, अक्कलकुवा, तलोदा और शहादा ताल्लुकों में बंटा हुआ है। यहां का तोरणमल हिल स्टेशन पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। साथ ही तोरणमाळ सिटी टेंपल, प्रकाश, दत्तात्रेय मंदिर, हिडिंबा का जंगल, मछिन्द्रनाथ गुफा, पुष्पदंतेश्वर मंदिर, चीनी मिल, वाल्हेरी तळोदा, सतपुड़ा की पहाड़ियां और अक्राणी यहां के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग नियमित रूप से आते रहते हैं। ईस,जिले में प्रमुख आदिवासी,मावची गावीत,कोकणी,भिल,वसावे,पावरा आदी रहते है। नंदुरबार जिले से होकर दो प्रमुख नदीयां बहती हे.

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परभणी जिला

परभणी जिला (मराठी: परभणी जिल्हा), जिसे पहले प्रभावतीनगर के नाम से जाना जाता था, भारत के राज्य महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिलों में से एक है। जिले का कुल भूमि क्षेत्र 6250.58 वर्ग किमी है। 2001 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल आबादी 1,527,715 थी जिसमें से 31.76% जनसंख्या शहरी थी। परभणी शहर जिले का मुख्यालय है। पूरा मराठवाड़ा क्षेत्र, तत्कालीन निजाम रियासत का एक भाग था, बाद में यह हैदराबाद रियासत का एक हिस्सा बन गया, 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद यह तत्कालीन बंबई राज्य का एक हिस्सा बना और 1960 के बाद से यह वर्तमान राज्य महाराष्ट्र का हिस्सा है। परभणी जिला, उत्तर में हिंगोली, पूर्व में नांदेड़, दक्षिण में लातूर और पश्चिम में बीड और जालना जिलों से घिरा हुआ है। जिले को 9 प्रशासनिक उप-प्रभागों यानि तहसीलों में विभाजित किया गया है जो हैं; परभणी, गंगाखेड़, सोनपेठ, पाथरी, मनवथ, पलाम, सेलु, जिंतुर और पुरना। परभणी जिला महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई तथा राज्य के अन्य मुख्य शहरों और पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में भी सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। godawari river \ .

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पालघर ज़िला

पालघर महाराष्ट्र का एक जिला हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा १ अगस्त २०१४ को पालघर ३६वा जिला घोषित किया गया। .

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पुणे

पुणे भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक महत्त्वपूर्ण शहर है। यह शहर महाराष्ट्र के पश्चिम भाग, मुला व मूठा इन दो नदियों के किनारे बसा है और पुणे जिला का प्रशासकीय मुख्यालय है। पुणे भारत का छठवां सबसे बड़ा शहर व महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सार्वजनिक सुखसुविधा व विकास के हिसाब से पुणे महाराष्ट्र मे मुंबई के बाद अग्रसर है। अनेक नामांकित शिक्षणसंस्थायें होने के कारण इस शहर को 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' भी कहा जाता है। पुणे में अनेक प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाईल उपक्रम हैं, इसलिए पुणे भारत का ”डेट्राइट” जैसा लगता है। काफी प्राचीन ज्ञात इतिहास से पुणे शहर महाराष्ट्र की 'सांस्कृतिक राजधानी' माना जाता है। मराठी भाषा इस शहर की मुख्य भाषा है। पुणे शहर मे लगभग सभी विषयों के उच्च शिक्षण की सुविधा उपलब्ध है। पुणे विद्यापीठ, राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, आयुका, आगरकर संशोधन संस्था, सी-डैक जैसी आंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान यहाँ है। पुणे फिल्म इन्स्टिट्युट भी काफी प्रसिद्ध है। पुणे महाराष्ट्र व भारत का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र है। टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो, भारत फोर्ज जैसे उत्पादनक्षेत्र के अनेक बड़े उद्योग यहाँ है। 1990 के दशक मे इन्फोसिस, टाटा कंसल्टंसी सर्विसे, विप्रो, सिमैंटेक, आइ.बी.एम जैसे प्रसिद्ध सॉफ्टवेअर कंपनियों ने पुणे मे अपने केंन्द्र खोले और यह शहर भारत का एक प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगकेंद्र के रूप मे विकसित हुआ। .

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पुणे जिला

पुणे भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। पुणे में सबसे ज्यादा शिक्षण संस्था है। पुणे में माहिती तंञशास्ञ और वाहन उद्योगके के बहुत सी कंपनीयॉ है। जिले का मुख्यालय पुणे है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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बुलढाणा जिला

भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.(९,६४० किमी²) जनसंख्या - लिंग गुणोत्तर १.०१ ♂/♀ साक्षरता - ८२.०९% एस.

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बीड जिला

बीड भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय बीड है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

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भंडारा जिला

भंडारा यह भारत के राज्य महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत का एक जिला है। जिले का मुख्यालय भंडारा है। .

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मराठवाड़ा

right मराठवाडा भारत के महाराष्ट्र प्रदेश का एक एक क्षेत्र हैं। यह क्षेत्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद विभाग के जिलो को मिला कर बनता हैं। .

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र भारत का एक राज्य है जो भारत के दक्षिण मध्य में स्थित है। इसकी गिनती भारत के सबसे धनी राज्यों में की जाती है। इसकी राजधानी मुंबई है जो भारत का सबसे बड़ा शहर और देश की आर्थिक राजधानी के रूप में भी जानी जाती है। और यहाँ का पुणे शहर भी भारत के बड़े महानगरों में गिना जाता है। यहाँ का पुणे शहर भारत का छठवाँ सबसे बड़ा शहर है। महाराष्ट्र की जनसंख्या सन २०११ में ११,२३,७२,९७२ थी, विश्व में सिर्फ़ ग्यारह ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र से ज़्यादा है। इस राज्य का निर्माण १ मई, १९६० को मराठी भाषी लोगों की माँग पर की गयी थी। यहां मराठी ज्यादा बोली जाती है। मुबई अहमदनगर पुणे, औरंगाबाद, कोल्हापूर, नाशिक नागपुर ठाणे शिर्डी-अहमदनगर आैर महाराष्ट्र के अन्य मुख्य शहर हैं। .

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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मुम्बई शहर ज़िला

मुंबई सिटी जिला मुंबई सिटी जिला महाराष्ट्र का जिला है। श्रेणी:महाराष्ट्र के जिले nl:Bombay#Bestuurlijke indeling.

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यवतमाल जिला

यवतमाल जिला (मराठी:यवतमाळ जिल्हा), भारत के राज्य महाराष्ट्र का एक प्रशासनिक जिला है। यह जिला महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में स्थित है और अमरावती मंडल के अंतर्गत आता है। यवतमाल शहर जिले का मुख्यालय है। यवतमाल जिले मे सबसे ज्यादा कपास का उत्पादन होता है इसलीये ये महाराष्ट्र मे कपास उत्पादन का केंद्र बन चुका हे| इस जिले ने महाराष्ट्र को दो दो मुख्यमंत्री दिये है। इस जिले ने दो राज्यपाल दिए है। यवतमाल जिले में कोयला,चुना,डोलोमाइट,समान खदाने है। आदिवासी बहुल जिला है। कपास का संशोधन जिले के कलम्ब तहसील मुख्यालय पर कई वर्षों पूर्व हुआ था। वर्तमान में मोदी केंद्रीय सरकार ने अधिकृत रूपसे 2015 में वर्धा -यवतमाल-नांदेड़ ब्रॉड गेज रेल लाइन को अनुमति प्रदान की। भूमि सम्पादन कार्य तेज गति से जारी है। कोयला बेल्ट वणी क्षेत्र में ब्रॉड गेज रेल लाइन पर आवा गमन जारी है। विद्युतीकरण करना शेष है। दो अभयारण है वंहा पर्यटन की संभावना रहनेसे विकसित किया जाना जरूरी है। यहां हवाई अड्डा है वहा विकास की अपार सम्भावना बनी है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री हंसराज अहीर इस क्षेत्र से रहनेसे विकास की आस जनता को लगी है। विदर्भ राज्य की मांग जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री कार्य काल से की जा रही है। सभी आयोग व कमिटी की रिपोर्ट में पुष्टि की है। विदर्भवादी नेता जाम्बुवन्त राव धोटे का हाल ही निधन हुआ।कपास,तेंदू पत्ता,अरहर,सोयाबीन,गन्ना,कई फूल,फलों की फसलें यह कि प्रमुख है। सिंचाई सुविधा लगातार बढ़ रही है। डेहनी नामक सिंचाई योजना एशिया की प्रथम योजना है। .

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रत्नागिरि जिला

रत्नागिरि जिला (रत्नागिरी जिल्हा), भारत के राज्य महाराष्ट्र के पैंतीस जिलों में से एक है। रत्नागिरि जिले का मुख्यालय और प्रमुख शहर है। जिले का 11.33% हिस्सा शहरी है। जिले के पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में सिंधुदुर्ग जिला, उत्तर में रायगढ़ जिला और पूर्व में सतारा सांगली और कोल्हापुर जिले स्थित हैं। यह जिला कोंकण मंडल का भाग है। .

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रायगढ़ जिला

रायगड भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अलीबाग है। क्षेत्रफल - वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या - (2001 जनगणना) साक्षरता - एस॰टी॰डी॰ कोड - जिलाधिकारी - (सितम्बर 2006 में) समुद्र तल से उचाई - अक्षांश - उत्तर देशांतर - पूर्व औसत वर्षा - मि॰मी॰ .

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लातूर जिला

लातूर महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण जिला है। यह समुद्री तल से ६३६ मीटर की ऊँचाई पर बसा है। इसका मुख्यालय लातूर सहर में है। लातूर शहर के महाविद्यालय: 1.

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सतारा जिला

सतारा जिला (मराठी: सातारा जिल्हा), भारत के पश्चिम में स्थित राज्य महाराष्ट्र के पैंतीस जिलों में से एक है। यह महाराष्ट्र के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और इसका कुल क्षेत्रफल 10480 किमी² है। 2001 की जनगणना के अनुसार सतारा जिले की कुल जनसंख्या 2808994 है जिसमें से 14.17% आबादी शहरी है। जिले का मुख्यालय सतारा शहर है। जिले के अन्य प्रमुख स्थानों में वाई, कराड, कोयनानगर, रहमतपुर, फलटन, महाबलेश्वर और पंचगनी शामिल हैं। यह जिला पुणे मंडल के अंतर्गत आता है। इस जिले के उत्तर में पुणे जिला, पश्चिमोत्तर में रायगढ़ जिला, पूर्व में सोलापुर जिला, दक्षिण में सांगली जिला और पश्चिम में रत्नागिरि जिला स्थित है। .

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सांगली जिला

महाराष्ट्र का एक जिला सांगली। श्रेणी:महाराष्ट्र के जिले *.

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सिंधुदुर्ग जिला

सिन्धुदुर्ग महाराष्ट्र का एक जिला है। यह रत्नागिरि जिले से निकला जिला है। इसका मुख्यालय ओरस में है। सन २०११ के जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में यह सबसे कम जनसंख्या वाला जिल है। एक अन्य सर्वे के अनुसार यह भारत का सबसे स्वच्छ जिला है। .

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सोलापुर जिला

सोलापुर महाराष्ट्र का एक जिला है। सोलापुर महाराष्ट्र का एक जिला है मुंबई से पूरब की ओर 350 किलोमीटर के लगभग पड़ता है सोलापुर मध्य रेलवे के 5 डिवीजनों में से एक है सोलापुर डिवीजन मध्य रेलवे में आता है .

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हिंगोली जिला

हिंगोली भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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जलगाँव जिला

जलगाँव जिला (मराठी:जळगाव जिल्हा), भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है, जिसे पहले पूर्वी खानदेश जिला के नाम से जाना जाता था। इस जिले का मुख्यालय जलगाँव शहर है। यह जिला नासिक मंडल के अंतर्गत आता है। जिले का कुल क्षेत्रफल 11,765 किमी² और जनसंख्या 3,682,690 है (2001 जलगणना) जिसमें से 71.4% आबादी ग्रामीण है। जिले के उत्तर में मध्य प्रदेश, पूर्व में बुलढाणा जिला, दक्षिणपूर्व में जालना जिला, दक्षिण में औरंगाबाद जिला, दक्षिणपश्चिम में नासिक जिला और पश्चिम में धुले जिला स्थित है। .

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जालना जिला

जालना भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जालना जिला जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - ७,६१२ वर्ग कि.मी.

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वर्धा जिला

वर्धा, महाराष्ट्र का एक जिला है। श्रेणी:महाराष्ट्र के जिले.

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वाशीम जिला

महाराष्ट्र का एक जिला है जो वाकाटक कि राजधानि थी। वाकाटक राजाओने 200 साल राज किया वत्सगुल्म शाखा सर्वसेन तृतीय (330–355) विन्ध्यसेन (विन्ध्यशक्ति द्वितीय) (355–400) प्रवरसेन द्वितीय (400–415) अज्ञात (415–450) देवसेन (450–475) हरिसेन (475–500) वाकाटक वाकाटक शब्द का प्रयोग प्राचीन भारत के एक राजवंश के लिए किया जाता है जिसने तीसरी सदी के मध्य से छठी सदी तक शासन किया था। उस वंश को इस नाम से क्यों संबंधित किया गया, इस प्रश्न का सही उत्तर देना कठिन है। स्यात्‌ वकाट नाम का मध्यभारत में कोई स्थान रहा हो, जहाँ पर शासन करनेवाला वंश वाकाटक कहलाया। अतएव प्रथम राजा को अजंता लेख में "वाकाटक वंशकेतु:" कहा गया है। इस राजवंश का शासन मध्यप्रदेश के अधिक भूभाग तथा प्राचीन बरार (आंध्र प्रदेश) पर विस्तृत था, जिसके सर्वप्रथम शासक विन्ध्यशक्ति का नाम वायुपुराण तथा अजंतालेख मे मिलता है। संभवत: विंध्य पर्वतीय भाग पर शासन करने के कारण प्रथम राजा 'विंध्यशक्ति' की पदवी से विभूषित किया गया। इस नरेश का प्रामाणिक इतिवृत्त उपस्थित करना कठिन है, क्योंकि विंध्यशक्ति का कोई अभिलेख या सिक्का अभी तक उपलब्ध नहीं हो सका। तीसरी सदी के मध्य में सातवाहन राज्य की अवनति हो जाने से विंध्यशक्ति को अवसर मिल गया तो भी उसका यश स्थायी न रह सका। उसके पुत्र प्रथम प्रवरसेन ने वंश की प्रतिष्ठा को अमर बना दिया। अभिलेखों के अध्ययन से पता चलता है कि प्रथम प्रवरसेन ने दक्षिण में राज्यविस्तार के उपलक्ष में चार अश्वमेध किए और सम्राट् की पदवी धारण की। प्रवरसेन के समकालीन शक्तिशाली नरेश के अभाव में वाकाटक राज्य आंध्रप्रदेश तथा मध्यभारत में विस्तृत हो गया। बघेलखंड के अधीनस्थ शासक व्याघ्रराज का उल्लेख समुद्रगुप्त के स्तंभलेख में भी आया है। संभवत: प्रवरसेन ने चौथी सदी के प्रथम चरण में पूर्वदक्षिण भारत, मालवा, गुजरात, काठियावाड़ पर अधिकार कर लिया था परंतु इसकी पुष्टि के लिए सबल प्रमाण नहीं मिलते। यह तो निश्चित है कि प्रवरसेन का प्रभाव दक्षिण में तक फैल गया था। परंतु कितने भाग पर वह सीधा शासन करता रहा, यह स्पष्ट नहीं है। यह कहना सर्वथा उचित होगा कि वाकाटक राज्य को साम्राज्य के रूप में परिणत करना उसी का कार्य था। प्रथम प्रवरसेन ने वैदिक यज्ञों से इसकी पुष्टि की है। चौथी सदी के मध्य में उसका पौत्र प्रथम रुद्रसेन राज्य का उत्तराधिकारी हुआ, क्योंकि प्रवरसेन का ज्येष्ठ पुत्र गोतमीपुत्र पहले ही मर चुका था। मानसर में प्रवरसेन द्वितीय द्वारा निर्मित प्रवरेश्वर शिव मन्दिर के भग्नावशेष वाकाटक वंश के तीसरे शासक महाराज रुद्रसेन प्रथम का इतिहास अत्यंत विवादास्पद माना जाता है। प्रारंभ में वह आपत्तियों तथा निर्बलता के कारण अपनी स्थिति को सबल न बना सका। कुछ विद्वान्‌ यह मानते हैं कि उसके पितृव्य साम्राज्य को विभाजित कर शासन करना चाहते थे, किन्तु पितृव्य सर्वसेन के अतिरिक्त किसी का वृत्तांत प्राप्य नहीं है। वाकाटक राज्य के दक्षिण-पश्चिम भाग में सर्वसेन ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया था जहाँ (बरार तथा आंध्र प्रदेश का उत्तरी-पश्चिमी भूभाग) उसके वंशज पाँचवी सदी तक राज्य करते रहे। इस प्रसंग में यह मान लेना सही होगा कि उसके नाना भारशिव महाराज भवनाग ने रुद्रसेन प्रथम की विषम परिस्थिति में सहायता की, जिसके फलस्वरूप रुद्रसेन अपनी सत्ता को दृढ़ कर सका। (चंपक ताम्रपत्र का. इ., इ. भा. ३, पृ. २२६) इस वाकाटक राजा के विनाश के संबंध में कुछ लोगों की असत्य धारण बनी हुई है कि गुप्तवंश के उत्थान से रुद्रसेन प्रथम नष्ट हो गया। गुप्त सम्राट् समुद्रगुप्त ने कौशांबी के युद्ध में वाकाटक नरेश रुद्रसेन प्रथम को मार डाला (अ. भ. ओ. रि. इ., भा. ४, पृ. ३०-४०, अथवा उत्तरी भारत की दिग्विजय में उसे श्रीहत कर दिया। इस कथन की प्रामाणिकता समुद्रगुप्त की प्रयागप्रशस्ति में उल्लिखित पराजित नरेश रुद्रदेव से सिद्ध करते हैं। प्रशस्ति के विश्लेषण से यह समीकरण कदापि युक्तियुक्त नहीं है कि रुद्रदेव तथा वाकाटक महाराज प्रथम रुद्रसेन एक ही व्यक्ति थे। वाकाटकनरेश से समुद्रगुप्त का कहीं सामना न हो सका। अतएव पराजित या श्रीहत होने का प्रश्न ही नहीं उठता। इसके विपरीत यह कहना उचित होगा कि गुप्त सम्राट् ने वाकाटक वंश से मैत्री कर ली। वाकाटक अभिलेखों के आधार पर यह विचार व्यक्त करना सत्य है कि इस वंश की श्री कई पीढ़ियों तक अक्षुण्ण बनी रही। कोष, सेना तथा प्रतिष्ठा की अभिवृद्धि पिछले सौ वर्षों से होती रही (मानकोष दण्ड साधनसंतान पुत्र पौत्रिण: ए. इ., भा. ३, पृ. २६१) इसके पुत्र पृथ्वीषेण प्रथम ने कुंतल पर विजय कर दक्षिण भारत में वाकाटक वंश को शक्तिशाली बनाया। उसके महत्वपूर्ण स्थान के कारण ही गुप्त सम्राट् द्वितीय चंद्रगुप्त को (ई. स. ३८० के समीप) अपनी पुत्री का विवाह युवराज रुद्रसेन से करना पड़ा था। इस वैवाहिक संबंध के कारण गुप्त प्रभाव दक्षिण भारत में अत्यधिक हो गया। फलत: द्वितीय रुद्रसेन ने सिंहासनारूढ़ होने पर अपने श्वसुर का कठियावाड़ विजय के अभियान में साथ दिया था। द्वितीय रुद्रसेन की अकाल मृत्यु के कारण उसकी पत्नी प्रभावती गुप्ता अप्राप्तवयस्क पुत्रों की संरक्षिका के रूप में शासन करने लगी। वाकाटक शासन का शुभचिंतक बनकर द्वितीय चंद्रगुप्त ने सक्रिय सहयोग भी दिया। पाटलिपुत्र से सहकारी कर्मचारी नियुक्त किए गए। यही कारण था कि प्रभावती गुप्ता के पूनाताम्रपत्र में गुप्तवंशावली ही उल्लिखित हुई है। कालांतर में युवराज दामोदरसेन द्वितीय प्रवरसेन के नाम से सिंहासन पर बैठा, किंतु इस वंश के लेख यह बतलाते हैं कि प्रवरसेन से द्वितीय पृथ्वीषेण पर्यंत किसी प्रकार का रण अभियान न हो सका। पाँचवी सदी के अंत में राजसत्ता वेणीमशाखा (सर्वसेन के वंशज) के शासक हरिषेण के हाथ में गई, जिसे अजंता लेख में कुंतल, अवंति, लाट, कोशल, कलिंग तथा आंध्र देशों का विजेता कहा गया है (इंडियन कल्चर, भा. ७, पृ. ३७२) उसे उत्तराधिकारियों की निर्बलता के कारण वाकाटक वंश विनष्ट हो गया। अजन्ता गुफाओं में शैल को काटकर निर्मित बौद्ध बिहार एवं चैत्य वाकाटक साम्राज्य के वत्सगुल्म शाखा के राजाओं के संरक्षण में बने थे। अभिलेखों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि दक्षिण भारत में वाकाटक राज्य वैभवशाली, सबल तथा गौरवपूर्ण रहा है। सांस्कृतिक उत्थान में भी इस वंश ने हाथ बटाया था। प्राकृत काव्यों में "सेतुबंध" तथा "हरिविजय काव्य" क्रमश: प्रवरसेन द्वितीय और सर्वसेन की रचना माने जाते हैं। वैसे प्राकृत काव्य तथा सुभाषित को "वैदर्भी शैली" का नाम दिया गया है। वाकाटकनरेश वैदिक धर्म के अनुयायी थे, इसीलिए अनेक यज्ञों का विवरण लेखों में मिलता है। कला के क्षेत्र में भी इसका कार्य प्रशंसनीय रहा है। अजंता की चित्रकला को वाकाटक काल में अधिक प्रोत्साहन मिला, जो संसार में अद्वितीय भित्तिचित्र माना गया है। नाचना का मंदिर भी इसी युग में निर्मित हुआ और उसी वास्तुकला का अनुकरण कर उदयगिरि, देवगढ़ एवं अजंता में गुहानिर्माण हुआ था। समस्त विषयों के अनुशीलन से पता चलता है कि वाकाटक नरेशों ने राज्य की अपेक्षा सांस्कृतिक उत्थान में विशेष अनुराग प्रदर्शित किया। यही इस वश की विशेषता है। शासक विन्ध्यशक्ति (250-270) प्रवरसेन प्रथम (270-330) प्रवरपुर-नन्दिवर्धन शाखा रुद्रसेन प्रथम (330-355) पृथ्वीसेन प्रथम (355-380) रुद्रसेन द्वितीय (380-385) प्रभावतीगुप्ता (385-405) दिवाकरसेन (385–400) दामोदरसेन (प्रवरसेन द्वितीय) (400-440) नरेन्द्रसेन (440-460) पृथ्वीसेन द्वितीय (460-480) वत्सगुल्म शाखा वाशिम सर्वसेन तृतीय (330–355) विन्ध्यसेन (विन्ध्यशक्ति द्वितीय) (355–400) प्रवरसेन द्वितीय (400–415) अज्ञात (415–450) देवसेन (450–475) हरिसेन (475–500)श्रेणी:महाराष्ट्र के जिले Created by Washim.

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विदर्भ

विदर्भ महाराष्ट्र प्रांत का एक उपक्षेत्र है। इस उपक्षेत्र में कुल 11 जिले है। महाराष्ट्र में कोयला खदान और मूल्यवान मँगणिज कि खदाने विदर्भ में हि बहुतायत में पाये जाते हैं। कोयला खदानो कि वजह से हि विदर्भ में चंद्रपूर,कोराडी, खापरखेडा, मौदा और तिरोडा में औष्णिक विद्युत निर्माण संयंत्र पाये जाते हैं जिससे संपुर्ण महाराष्ट्र विद्युत आपूर्ती में लाभान्वित होता है। इसके अलावा महाराष्ट्र कि ज्यादातर वनसंपदा विदर्भ क्षेत्र में हि मौजूद है। इसके व्यतिरिक्त चावल उत्पादन में तुमसर मंडी विदर्भ में हि है जो महाराष्ट्र में सबसे बड़ी कृषी उत्पाद कि मंडी का सम्मान पाती है। प्रसिद्ध बासमती चावल का उत्पादन भी इसी क्षेत्र में होता है। विदर्भ के हि चंद्रपूर जिले में महाराष्ट्र के कुल सिमेंट कारखानो में सर्वाधिक कारखाने अकेले चंद्रपूर जिले में है। विदर्भ में मराठी और हिन्दी बोली जाती हैं। श्रेणी:महाराष्ट्र का भूगोल.

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खानदेश

खानदेश खानदेश महाराष्ट्र के दक्षिणी पठार के उत्तरी-पश्चिमी कोने पर स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक क्षेत्र, जो मुंबई से लगभग ३००किमी उत्तरपश्चिम है। १८ वीं शताब्दी में यह भाग मराठा शासन में था तथा यहाँ अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएँ हुई थीं। उसके पूर्व यह अहमद नगर के सुल्तानों के अधिकार में था। १६०१ ई. में अकबर ने इसे अपने साम्राज्य में सम्मिलित किया। पूरे क्षेत्र का क्षेत्रफल ९,९१८ वर्गमील है। १९०६ ई. में इस क्षेत्र को दो जिलों में विभाजित कर दिया गया: .

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गढ़चिरौली जिला

गढ़चिरौली जिला (मराठी: गडचिरोली जिल्हा), भारत के राज्य महाराष्ट्र का एक प्रशासनिक जिला है। गढ़चिरौली शहर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। गढ़चिरौली जिले का गठन 26 अगस्त 1982 को चंद्रपुर जिले से गढ़चिरौली और सिरोंचा तहसीलों को अलग करके किया गया था। गढ़चिरौली जिला महाराष्ट्र के दक्षिणपूर्वी कोने में स्थित है। यह पश्चिम में चंद्रपुर जिला, उत्तर में गोंदिया जिला, पूर्व में छत्तीसगढ़ राज्य और दक्षिण और दक्षिण पश्चिम में आंध्र प्रदेश राज्य से घिरा है। .

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गोंदिया जिला

गोंदिया भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय गोंदिया है। गोंदिया जिले को भंडारा जिला से अलग कर बनाया गया था। यह जिला महाराष्ट्र राज्य के उत्तर पुर्वी भाग में स्थित है। यह विदर्भ के एक प्रमुख जिलो में से एक है। इस जिले की पुर्वी सीमा पर छत्तीसगढ़ राज्य का राजनांदगांव जिला तथा उत्तरी सीमा पर मध्यप्रदेश राज्य का बालाघाट जिला है। इस जिले से लगे हुये महाराष्ट्र के अन्य जिले है, भंडारा, चन्द्रपुर और गड़चिरोली। यह जिला एक अविकसीत जिला है और इसकी भूमी का अधिकतर भाग वनो से आच्छादित है। धान इस जिले की मुख्य फसल है। अन्य फसलो में ज्वार, गेहुं, तुवर है। लोगो का मुख्य व्यवसाय कृषी है। इस जिले में उद्योगो की उपस्थिती नगण्य है जिससे यह जिला आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है। धान इस जिले की मुख्य फसल होने से इस जिले में अनेको चावल की मीले है। गोंदिया को राइस सीटी (RICE CITY) भी कहा जाता है। गोंदिया जिला को दो उपविभागो में बांटा गया है, जो कि गोंदिया और देवरी है। हर उपविभाग में ४ तालुका, ५५६ ग्राम पंचायत और ९५४ गांव है। इस जिले में नौ विधानसभा क्षेत्र है जो कि गोंदिया, तिरोड़ा, गोरेगांव, आमगांव, लाखान्दूर और साकोली है। इसमे से लाखांदूर और साकोली भंडारा और गोंदिया के क्षेत्रों को मीला कर बने हुये विधानसभा क्षेत्र है। गोंदिया और तिरोड़ा में नगर परिषद है।.

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औरंगाबाद

कोई विवरण नहीं।

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औरंगाबाद जिला

औरंगाबाद भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय औरंगाबाद है। क्षेत्रफल - 10,106 वर्ग कि.मी.

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कोल्हापुर जिला

कोल्हापुर जिला महाराष्ट्र में बसा एक शहर और जिला है। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार इसकी आबादी 38,76,001 है। जिसमें 33 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्र की है। इस जिले के जनसंख्या का घनत्व 504 प्रति वर्ग किलोमीटर है। यह 2001-2011 के मध्य 9.96% की दर से बढ़ी। यहाँ प्रति 1000 पुरुषों में 953 महिलाएं हैं। .

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कोंकण

कोंकण अथवा कोंकण तट, भारत के पश्चिमी तट का पर्वतीय अनुभाग हैं। यह ७२० कि.मी लंबा समुद्र तट है। कोंकण में महाराष्ट्र और गोवा के तटीय जिले आते है। प्राचीन काल का सप्त-कोंकण वर्तमान के कोंकण से ज्यादा बड़ा है; इसका उल्लेख सह्याद्री खंड में किया गया है जिसमें उसे परशुराम क्षेत्र कहा गया है। .

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कोंकण मंडल

महाराष्ट्र के मंडल यह महाराष्ट्र के मंडलों में से एक है। इस मंडल में छः जिले आते हैं। ये जिले इस प्रकार से हैं:-.

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अमरावती

अमरावती महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। यह इन्द्र देवता की नगरी के रूप में विख्यात है। जिस नगरी में देवता लोग रहते हैं। इसे इन्द्रपुरी भी कहते हैं। .

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अमरावती जिला

अमरावती, भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अमरावती है। क्षेत्रफल - 12,210 वर्ग कि.मी.

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अहमदनगर जिला

अहमदनगर भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अहमदनगर है। क्षेत्रफल - १७,४१३ वर्ग कि.मी.

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अकोला जिला

अकोला भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अकोला है। क्षेत्रफल - 5,431 वर्ग कि.मी.

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उस्मानाबाद जिला

उस्मानाबाद भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय उस्मानाबाद में स्थित है। महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र में स्थित उस्मानाबाद जिले को प्रारंभ में धाराशिव नाम से जाना जाता था। तुलजा भवानी मंदिर के कारण यह स्थान पूरे देश में लोकप्रिय है। 7550 वर्ग किलोमीटर में फैले इस नगर की जलवायु शुष्क है। भजन, कीर्तन और गोंधल यहां की लोकप्रिय लोक कलाएं हैं। पर्यटकों के देखने के लिए यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। नलदुर्ग किला, तुलजापुर, परांडा किला, कुंतल गिरी, जैन मंदिर, घाट शिला, गरीब बाबा मठ आदि यहां के लोकप्रिय और प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं। इन दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए यहां देश के अनेक हिस्सों से सैलानियों का आना लगा रहता है। एस॰टी॰डी॰ कोड - 02472 औसत वर्षा - ६६५ मि॰मी॰ .

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