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मर्यादा (पत्रिका)

सूची मर्यादा (पत्रिका)

मर्यादा पत्रिका का पहला अंक नवम्बर सन १९१० ई० में कृष्णकान्त मालवीय ने 'अभ्युदय' कार्यालय प्रयाग से इसे प्रकाशित हुआ था। इसके प्रथम अंक का प्रथम लेख 'मर्यादा' शीर्षक से पुरुषोत्तमदास टण्डन ने लिखा। १० वर्षों तक इस पत्रिका को प्रयाग से निकालने के बाद कृष्णकान्त मालवीय ने इसका प्रकाशन ज्ञानमण्डल काशी को सौंप दिया। सन १९२१ ई० से श्री शिवप्रसाद गुप्त कस संचालन में और सम्पूर्णानन्द जी के संपादकत्व में "मर्यादा" ज्ञानमण्डल से प्रकाशित हुई। असहयोग आन्दोलन में उनके जेल चले जाने पर धनपत राय प्रेमचन्द स्थानापन्न संपादक हुए। पत्रिका का वार्षिक मूल्य ५ रुपए तथा एक प्रति का २ आना था। इसका आकार १० * ७ था। मर्यादा अपने समय की सर्वश्रेष्ट मासिक पत्रिका थी। प्रेमचन्द की आरम्भिक कहानियाँ इसमें प्रकाशित हुईं। सन १९२३ ई० में यह पत्रिका अनिवार्य कारणों से बन्द हो गई। इसका अन्तिम अंक प्रवासी विशेषांक के रूप में बनारसीदास चतुर्वेदी के सम्पादन में निकला, जो अपनी विशिष्ट लेख सामग्री के कारण ऍतिहासिक महत्त्व रखता है। .

5 संबंधों: प्रेमचंद, बनारसीदास चतुर्वेदी, कृष्णकान्त मालवीय, १९१०, १९२३

प्रेमचंद

प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं। .

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बनारसीदास चतुर्वेदी

पण्डित बनारसीदास चतुर्वेदी (२४ दिसम्बर, १८९२ -- २ मई, १९८५) प्रसिद्ध हिन्दी लेखक एवं पत्रकार थे। वे राज्यसभा के सांसद भी रहे। उनके सम्पादकत्व में हिन्दी में कोलकाता से 'विशाल भारत' नामक हिन्दी मासिक निकला। पं॰ बनारसीदास चतुर्वेदी जैसे सुधी चिंतक ने ही साक्षात्कार की विधा को पुष्पित एवं पल्लवित करने के लिए सर्वप्रथम सार्थक कदम बढ़ाया था। उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। वे अपने समय का अग्रगण्य संपादक थे तथा अपनी विशिष्ट और स्वतंत्र वृत्ति के लिए जाने जाते हैं। उनके जैसा शहीदों की स्मृति का पुरस्कर्ता (सामने लाने वाला) और छायावाद का विरोधी समूचे हिंदी साहित्य में कोई और नहीं हुआ। उनकी स्मृति में बनारसीदास चतुर्वेदी सम्मान दिया जाता है। कहते हैं कि वे किसी भी नई सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक या राष्ट्रीय मुहिम से जुड़ने, नए काम में हाथ डालने या नई रचना में प्रवृत्त होने से पहले स्वयं से एक ही प्रश्न पूछते थे कि उससे देश, समाज, उसकी भाषाओं और साहित्यों, विशेषकर हिंदी का कुछ भला होगा या मानव जीवन के किसी भी क्षेत्र में उच्चतर मूल्यों की प्रतिष्ठा होगी या नहीं? .

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कृष्णकान्त मालवीय

कृष्णकान्त मालवीय (१८८३ ई० -- ३ जनवरी, १९४१ ई० दिल्ली) हिन्दी पत्रकार थे। वे महामना मदनमोहन मालवीय के बड़े भाई जयकृष्ण मालवीय के द्वितीय पुत्र थे। १९०४ ई० में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी०ए० किया। १९१० ई० में 'अभ्युदय' के संपादक हुए और १९११ ई० में मासिक 'मर्यादा' का भी संपादन शुरू किया जिसमें साहित्यक, राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर विचारपूर्ण लेख प्रकाशित होते थे। सन १९१६-१८ वर्ष की अवधि मे अभ्युदय के संपादक पद से अलग रहे पर १९१८ से १९३० ई० तक फिर 'अभ्युदय' के संपादक रहे। मर्यादा का संपादन १९२२ तक किया। सत्याग्रह आंदोलनों के संबंध में तीन बार जेल गए। लगभग १२ वर्ष तक केंद्रीय एसेंबली के सदस्य रहे। आपके विचारों पर लाला लाजपत राय और महात्मा गांधी का प्रभाव अधिक था। फलत: विधवा विवाह, अछूतोद्वार औरश् पैत्रिक संपति में लड़कियों को भी हिस्सा मिलने का समर्थन किया। पहले विश्व महायुद्ध के समय 'संसार संकट' स्तंभ के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय राजनीति का विश्लेषण हिंदी पत्रकारिता को आपकी विशेष देन थी। उर्दू शायरी के बड़े प्रेमी थे और स्वयं उर्दू कविता करते थे। भाषा सरल, स्पष्ट और उर्दू की पुट लिए रहती थी। लगभग आधे दर्जन बँगला और मराठी उपन्यासों के अनुवाद के अतिरिक्त चार मौलिक पुस्तकों की रचना की- श्रेणी:हिन्दी पत्रकार.

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१९१०

1910 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९२३

कोई विवरण नहीं।

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