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मरोड़

सूची मरोड़

वर्गाकार अनुच्छेद वाली छड़ का मरोड़ ठोस यांत्रिकी के सन्दर्भ में, किसी वस्तु पर बलाघूर्ण लगाने से उसमें जो ऐंठन उत्पन्न होती है उसे मरोड़ या विमोटन (torsion) कहते हैं। इसकी ईकाई न्यूटन मीटर है। मरोड़ के कारण बलाघूर्ण के अक्ष के लम्बवत अनुच्छेदों में शीयर स्ट्रेस पैदा होता है जो त्रिज्या के लम्बवत होता है। एकसमान अनुप्रस्थ काट वाले शैफ्ट के लिये मरोड़ का मान निम्नलिखित है- जहाँ.

6 संबंधों: ठोस यांत्रिकी, प्रतिबल, बलाघूर्ण, बंकन (यांत्रिकी), रेडियन, क्षेत्रफल का द्वितीय आघूर्ण

ठोस यांत्रिकी

ठोस यांत्रिकी की एक समस्या ठोस यांत्रिकी (Solid mechanics) सातत्यक यांत्रिकी (continuum mechanics/कन्टिनुअम यांत्रिकी) की वह शाखा है जिसमें ठोस वस्तुओं के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। इसमें विशेषतः विभिन्न प्रकार के बल लगाने पर ठोसों की गति और इनमें होने वाली विरूपण (डिफॉर्मेशन) का अध्यन किया जाता है। बल के अलावा ताप परिवर्तन, प्रावस्था परिवर्तन (phase changes) तथा अन्य वाह्य तथा आन्तरिक कारकों के कारण उत्पन्न गति एवं विरूपण का भी अध्ययन किया जाता है। ठोस यांत्रिकी का अध्ययन सिविल इंजीनियरी, यांत्रिक इंजीनियरी, भूविज्ञान तथा पदार्थ विज्ञान आदि के क्षेत्र में बहुत महत्व रखता है। .

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प्रतिबल

विभिन्न प्रकार के प्रतिबल सतत यांत्रिकी में प्रतिबल (stress) से आशय ईकाई क्षेत्रफल पर आरोपित उस आन्तरिक बल से है जो दूसरे कणों द्वारा अपने पड़ोसी कणों पर लगाया जाता है। इसकी इकाई न्यूटन/वर्ग मीटर या पासकल या किलोग्राम/मीटर/वर्ग सेकेण्ड होता है। किसी बिन्दु के आसपास एक अत्यन्त छोटे से क्षेत्र \Delta A पर \Delta\vec F बल लगा हो तो कुल प्रतिबल \vec s निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया जाता है- कुल प्रतिबल को निम्नलिखित दो प्रतिबलों के सदिश योग के रूप में भी लिखा जा सकता है: जहाँ: तीन विमाओं में प्रतिबल के घटक .

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बलाघूर्ण

बल F, बलाघूर्ण τ, रेखीय संवेग p, तथा कोणीय संवेग L में संबन्ध; ध्यान दें कि यहाँ घूर्णन एक ही तल में सीमित है। right 'तौलना' वास्तव में दो बलों के आघूर्णों की समानता पर आधारित है। किसी बल द्वारा किसी वस्तु को किसी अक्ष के परितः घुमाने की प्रवृत्ति (tendency) को बलाघूर्ण (Torque, moment या moment of force) कहते हैं। पार्श्व चित्र में बल F का बिन्दु O के सापेक्ष बलाघूर्ण M है तो - जहां r बिन्दु O के सापेक्ष बल F की क्रियारेखा पर स्थित किसी बिन्दु का स्थिति सदिश (position vector) है। मोटे तौर पर बलाघूर्ण का अर्थ किसी वस्तु (बोल्ट या फ्लाईव्हील) पर लगने वाला 'घूर्नन बल' (घुमाने वाला बल) होता है। उदाहरण के लिये जब किसी पाने (रिंच) के हैंडिल को खींचते या धक्का देते हैं तो इससे एक बलाघूर्ण उत्पन्न होता है जो नट या बोल्ट को ढीला करता है या कसता है। .

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बंकन (यांत्रिकी)

आई-सेक्सन वाली एक बीम का बंकन (बेण्डिंग) यांत्रिकी में किसी लम्बे संरचनात्मक अवयव के लम्बवत दिशा में लगे बल के कारण उस अवयव के रूप में परिवर्तन को बंकन (bending या flexure) कहा जाता है। बंकन के कारण सीधे अवयव कुछ मुड़ जाते हैं और उनका आकार सरलरेखीय न होकर कुछ अलग (वक्र) हो जाता है। प्रायः बंकन से सम्बन्धित विश्लेषण में जिन अवयवों पर विचार किया जाता है उनका कोई एक वीमा (डाइमेंशन) अन्य दो बीमाओं से 1/10 या इससे भी छोटी होता है। जब किसी संरचनात्मक अवयव की लम्बाई उसकी चौड़ाई और मोटाई की तुलना में बहुत अधिक होती है तो उसे धरन (बीम / beam) कहा जाता है। बंकन के फलस्वरूप संरचनात्मक अवयवों के कुछ भागों में तनाव (टेन्साइल स्ट्रेस) उत्पन्न होता है जबकि अन्य भाग दब (कम्प्रेसिव स्ट्रेस) जाते हैं। बंकन का अध्ययन किसी संरचना के डिजाइन और स्थायित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अबंकित और बंकित बीम नेवियर का सूत्र यह सूत्र उस समय लागू होता है जब बीम पर केवल y-दिशा में बल लगा हो और डिफ्लेक्शन बहुत कम हो। .

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रेडियन

200px कुछ प्रमुख कोणों का रेडियन में मान रेडियन (radian) तलीय कोण के माप की मानक इकाई है। एक रेडियन वह कोण है, जो वृत्त की त्रिज्या के बराबर एक चाप, वृत्त के केन्द्र पर अन्तरित करता है। १ रेडियन कोण 57.3 डिग्री से थोड़ा कम होता है। .

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क्षेत्रफल का द्वितीय आघूर्ण

क्षेत्रफल का द्वितीय आघूर्ण (second moment of area) किसी क्षेत्र का एक ज्यामितीय गुण है जो यह दर्शाता है कि उस क्षेत्र के बिन्दु किसी अक्ष के सापेक्ष किस प्रकार की स्थिति में हैं। इसे प्रायः I या J से निरूपित करते हैं। इसकी विमा, L4 है। संरचना इंजीनियरी के क्षेत्र में क्षेत्रफल के द्वितीय आघूर्ण का बहुत उपयोग होता है। किसी धरन (बीम) के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का द्वितीय आघूर्ण उस धरन की एक महत्वपूर्ण गुण है जो लोड के कारण उस बीम के विक्षेप (deflection) के परिकलन में प्रयुक्त होता है। .

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