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मध्य जावा

सूची मध्य जावा

मध्य जावा दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के जावा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। यह जावा का लगभग २५% क्षेत्रफल है। पश्चिम जावा और पूर्व जावा प्रांतों के बाद यह इण्डोनेशिया का तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाला प्रान्त है। सांस्कृतिक रूप से योग्यकार्ता भी इसी मध्य जावा क्षेत्र का भाग है लेकिन प्रशासनिक रूप से उसे इस प्रान्त से अलग प्रशासित किया जाता है। .

10 संबंधों: दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम जावा, पूर्व जावा, बोरोबुदुर, मेरु पर्वत, योग्यकार्ता, जावा (द्वीप), जावा भाषा, इंडोनेशिया, इंडोनेशिया के प्रांत

दक्षिण पूर्व एशिया

दक्षिण पूर्व एशिया या दक्षिण पूर्वी एशिया एशिया का एक उपभाग है, जिसके अंतर्गत भौगोलिक दृष्टि से चीन के दक्षिण, भारत के पूर्व, न्यू गिनी के पश्चिम और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर के देश आते हैं। यह क्षेत्र भूगर्भीय प्लेटों के चौराहे पर स्थित है, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में भारी भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियाँ होती हैं। दक्षिण पूर्व एशिया को दो भौगोलिक भागों में बांटा जा सकता है: मुख्यभूमि दक्षिण पूर्व एशिया, जिसे इंडोचायना भी कहते हैं, के अन्दर कंबोडिया, लाओस, बर्मा (म्यांमार), थाईलैंड, वियतनाम और प्रायद्वीपीय मलेशिया आते हैं और समुद्री दक्षिण पूर्व एशिया, जिसमें ब्रुनेई, पूर्व मलेशिया, पूर्वी तिमोर, इंडोनेशिया, फिलीपींस, क्रिसमस द्वीप और सिंगापुर शामिल हैं। श्रेणी:दक्षिण पूर्व एशिया श्रेणी:एशिया के क्षेत्र.

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पश्चिम जावा

पश्चिम जावा दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के जावा द्वीप के पश्चिमी भाग में स्थित एक प्रान्त है। .

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पूर्व जावा

पूर्व जावा दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के जावा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। मादूरा द्वीप भी इस प्रान्त का हिस्सा है। पश्चिम में इस प्रान्त की मध्य जावा के साथ भूमीय सरहद है और पूर्व में बाली जलसन्धि के पार बाली द्वीप है। .

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बोरोबुदुर

बोरोबुदुर विहार अथवा बरबुदुर इंडोनेशिया के मध्य जावा प्रान्त के मगेलांग नगर में स्थित 750-850 ईसवी के मध्य का महायान बौद्ध विहार है। यह आज भी संसार में सबसे बड़ा बौद्ध विहार है। छः वर्गाकार चबूतरों पर बना हुआ है जिसमें से तीन का उपरी भाग वृत्ताकार है। यह २,६७२ उच्चावचो और ५०४ बुद्ध प्रतिमाओं से सुसज्जित है। इसके केन्द्र में स्थित प्रमुख गुंबद के चारों और स्तूप वाली ७२ बुद्ध प्रतिमायें हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा और विश्व के महानतम बौद्ध मन्दिरों में से एक है। इसका निर्माण ९वीं सदी में शैलेन्द्र राजवंश के कार्यकाल में हुआ। विहार की बनावट जावाई बुद्ध स्थापत्यकला के अनुरूप है जो इंडोनेशियाई स्थानीय पंथ की पूर्वज पूजा और बौद्ध अवधारणा निर्वाण का मिश्रित रूप है। विहार में गुप्त कला का प्रभाव भी दिखाई देता है जो इसमें भारत के क्षेत्रिय प्रभाव को दर्शाता है मगर विहार में स्थानीय कला के दृश्य और तत्व पर्याप्त मात्रा में सम्मिलित हैं जो बोरोबुदुर को अद्वितीय रूप से इंडोनेशियाई निगमित करते हैं। स्मारक गौतम बुद्ध का एक पूजास्थल और बौद्ध तीर्थस्थल है। तीर्थस्थल की यात्रा इस स्मारक के नीचे से आरम्भ होती है और स्मारक के चारों ओर बौद्ध ब्रह्माडिकी के तीन प्रतीकात्मक स्तरों कामधातु (इच्छा की दुनिया), रूपध्यान (रूपों की दुनिया) और अरूपध्यान (निराकार दुनिया) से होते हुये शीर्ष पर पहुँचता है। स्मारक में सीढ़ियों की विस्तृत व्यवस्था और गलियारों के साथ १४६० कथा उच्चावचों और स्तम्भवेष्टनों से तीर्थयात्रियों का मार्गदर्शन होता है। बोरोबुदुर विश्व में बौद्ध कला का सबसे विशाल और पूर्ण स्थापत्य कलाओं में से एक है। साक्ष्यों के अनुसार बोरोबुदुर का निर्माण कार्य ९वीं सदी में आरम्भ हुआ और १४वीं सदी में जावा में हिन्दू राजवंश के पतन और जावाई लोगों द्वारा इस्लाम अपनाने के बाद इसका निर्माण कार्य बन्द हुआ। इसके अस्तित्व का विश्वस्तर पर ज्ञान १८१४ में सर थॉमस स्टैमफोर्ड रैफल्स द्वारा लाया गया और इसके इसके बाद जावा के ब्रितानी शासक ने इस कार्य को आगे बढ़ाया। बोरोबुदुर को उसके बाद कई बार मरम्मत करके संरक्षित रखा गया। इसकी सबसे अधिक मरम्मत, यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्द करने के बाद १९७५ से १९८२ के मध्य इंडोनेशिया सरकार और यूनेस्को द्वारा की गई। बोरोबुदुर अभी भी तिर्थयात्रियों के लिए खुला है और वर्ष में एक बार वैशाख पूर्णिमा के दिन इंडोनेशिया में बौद्ध धर्मावलम्बी स्मारक में उत्सव मनाते हैं। बोरोबुदुर इंडोनेशिया का सबसे अधिक दौरा किया जाने वाला पर्यटन स्थल है। .

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मेरु पर्वत

मेरु पर्वत पौराणिक भूगोल में शायद उत्तर मेरु के निकट स्थित एक पर्वत का नाम है। इसी को संभवत: 'सुमेरु' कहा गया है- 'भारतं प्रथमं वर्षं तत: किंपुरुषं स्मृतं हरिवर्षं तथैवान्यन्मेरोर्दक्षिणतो द्विज' इस पर्वत के चारों ओर नौसहस्र योजक तक इलावृत नामक महाद्वीप है- 'मेरो चतुर्दिशं तत्तुनवसाहस्रविस्तृतम्, इलावृतं महाभाग चत्वाराश्चात्र पर्वता:' विष्णु पुराण के अनुसार या तो यहाँ दिन ही या रात्रि ही रहती है- 'तस्माद्दिश्युत्तरस्यां वै दिवारात्रि: सदैव ह, सर्वेषां द्वीपवर्षाणां मेरुरुत्तरतो यत:' इसके आगे के श्लोक में मेरुप्रभा का वर्णन इस प्रकार है- 'प्रभा विवस्वतो रात्रावस्तं गच्छति भास्करे, विशत्यग्निमतो रात्रौवह्रिर्दूरात् प्रकाशते' अर्थात् "रात्रि के समय सूर्य के अस्त हो जाने पर उसका तेज अग्नि में प्रविष्ट हो जाता है और यह रात्रि में दूर से ही प्रकाशित होता है। वाल्मीकि रामायण में भी मेरु प्रदेश या उत्तर कुरु में होने वाले प्रकृति के इस विस्मयजनक व्यापार का वर्णन इस प्रकार है- 'तमतिक्रम्य शैलैंद्रमुत्तर: पयसां निधि:, तत्र सोमगिरिर्नाम मध्येहमेमयो महान्। स तु देशो विसूर्योपि तस्य भासा प्रकाशते, सूर्यलक्ष्याभिविज्ञेयस्तपतेव विवस्वता' महाभारत के वर्णन के अनुसार निषध पर्वत के उत्तर और मध्य में मेरु पर्वत की स्थिति है। मेरु के उत्तर में नील, श्वेत और श्रृंगवान पर्वत हैं, जो पूर्व और पश्चिम समुद्र तक फैले हुए हैं। मेरु को महामेरु नाम से भी अभिहित किया गया है- 'स ददर्श महामेरुं शिखराणां प्रभं महत्, तं कांचनमयं दिव्यं चतुर्वर्ण दुरासदम्, आयतं शतसाहस्रं योजनानां तु सुस्थितम्, ज्वलन्तंमचं मेरुं तेजोराशिमनुत्तमम्' महाभारत, सभापर्व 28, दाक्षिणापत्य पाठ। मेरु को सुवर्णमय पर्वत शायद मेरुप्रभा की दीप्ति ही के कारण कहा गया है। मेरु के प्रदेश को महाभारत, सभापर्व, दाक्षिणापत्य पाठ में इलावृत, कहा गया है- 'मेरोरिलावृतं वर्ष सर्वत: परिमंडलम्।' यह साइबेरिया का उत्तरी भाग हो सकता है। इसी प्रदेश के निकट उत्तर कुरु की स्थिति थी। वास्तव में प्राचीन संस्कृत साहित्य में मेरु का अदभुत वर्णन, जो होते हुए भी भौगोलिक तथ्यों से भरा हुआ है, सिद्ध करता है कि प्राचीन भारतीय, उस समय में भी जब यातायात के साधन नगण्य थे, पृथ्वी के दूरतम प्रदेशों तक जा पहुँचे थे। मत्स्यपुराण में सुमेरु या मेरु पर देवगणों का निवास बताया गया है। कुछ लोगों का मत है कि पामीर पर्वत को ही पुराणों में सुमेरु या मेरु कहा गया है। मेरु पर्वत पर्वत जिस पर ब्रह्मा और अन्य देवताओं का धाम है।.

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योग्यकार्ता

योग्यकार्ता (जोग्जाकार्रता) जावा द्वीप का नगर जिसके पास बोरोबुदुर और प्रमबनन हैं। इसको कला और शिक्षा का केंद्र माना जाता है। The kraton's main pavilion Water palace श्रेणी:इण्डोनेशिया के आबाद स्थान श्रेणी:योग्यकार्ता विशेष क्षेत्र श्रेणी:इण्डोनेशिया की प्रान्तीय राजधानियाँ.

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जावा (द्वीप)

मेरबाबु पर्वत ज्वालामुखी जावा द्वीप इंडोनेशिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला द्वीप है। प्राचीन काल में इसका नाम यव द्वीप था और इसका वर्णन भारत के ग्रन्थों में बहुत आता है। यहां लगभग २००० वर्ष तक हिन्दू सभ्यता का प्रभुत्व रहा। अब भी यहां हिन्दुओं की बस्तियां कई स्थानों पर पाई जाती हैं। विशेषकर पूर्व जावा में मजापहित साम्राज्य के वंशज टेंगर लोग रहते हैं जो अब भी हिन्दू हैं। सुमेरू पर्वत और ब्रोमो पर्वत पूर्व जावा में यहां की और पूरे इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता (संस्कृत: जयकर्त) है। बोरोबुदुर और प्रमबनन मन्दिर यहां स्थित हैं। .

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जावा भाषा

कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में प्रयुक्त 'जावा' नामक भाषा के लिए देखें - जावा (प्रोग्रामिंग भाषा) ---- जावा भाषा (जावा भाषा में: ꦧꦱꦗꦮ बासा जावा; इण्डॉनेशियाई भाषा: बहासा जावा) इण्डोनेशिया के जावा द्वीप के पूर्वी एवं केन्द्रीय भाग के लोगों की भाषा है। पश्चिमी जावा के उत्तरी भाग में भी कुछ स्थानों पर यह भाषा बोली जाती है। जावा भाषा लगभग 7.55 करोड़ लोगों की मातृभाषा है जो इण्डोनेशिया के कुल जनसंख्या के लगभग ३०% हैं। मलेशिया, सिंगापुर तथा सूरीनाम में भी कुछ लोगों द्वारा यह भाषा बोली जाती है। जावा भाषा अपने पड़ोसी भाषाओं मलय, सुन्दनी (Sundanese), मदुरी (Madurese), बाली आदि से मिलती जुलती है। इसे वर्गीकृत करना कठिन है। इसे आस्ट्रेलियाई-एशियाई परिवार में रखा गया है। संस्कृत का इस पर अमिट प्रभाव है। पुरानी जावा-अंग्रेजी शब्दकोश में २५५००० प्रविष्टियाँ हैं जिनमें से १२६०० सम्स्कृत मूल के हैं। पुरानी जावा भाषा के साहित्यिक रचनाओं में २५% से अधिक शब्द संस्कृत के हैं। जावा के लोगों के नाम में भी संस्कृत की छाप देखी जा सकती है। संस्कृत शब्दों का आज भी खूब प्रयोग होता है। जावा भाषा पर डच और मलय भाषाओं का भी प्रभाव पड़ा है किन्तु संस्कृत जितना बिलकुल नहीं। जावाभाषा की लिपि जावा लिपि है जो ब्राह्मी से व्युत्पन्न है। जावाभाषी क्षेत्र .

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इंडोनेशिया

इंडोनेशिया गणराज्य (दीपान्तर गणराज्य) दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया में स्थित एक देश है। १७५०८ द्वीपों वाले इस देश की जनसंख्या लगभग 26 करोड़ है, यह दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी बौद्ध आबादी वाला देश है। देश की राजधानी जकार्ता है। देश की जमीनी सीमा पापुआ न्यू गिनी, पूर्वी तिमोर और मलेशिया के साथ मिलती है, जबकि अन्य पड़ोसी देशों सिंगापुर, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और भारत का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र शामिल है। .

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इंडोनेशिया के प्रांत

इंडोनेशिया देश ३४ प्रांतों में विभक्त है, जिन्हें इण्डोनेशियाई भाषा में प्रोविन्सी (provinsi) कहा जाता है। इनको सात विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में रखा जाता है - सुमात्रा, बाली और जावा द्वीप इनमें प्रमुख हैं। राष्ट्रीय राजधानी जकार्ता जावा में स्थित है। .

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