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मजलिस-ए-शूरा

सूची मजलिस-ए-शूरा

मजलिस-ए-शूरा (उर्दू) यानी पाकिस्तान की संसद पाकिस्तान में संघीय स्तर पर सर्वोच्च विधायी संस्था है। इस संस्थान में दो सदन हैं, निचले सदन या कौमी एसेंबली और ऊपरी सदन या सीनेट। पाकिस्तान का संविधान की धारा 50 के मुताबिक़ राष्ट्रपति भी मजलिस-ए-शूरा का हिस्सा हैं। इसकी दोनों सदनों में से निम्नसदन नैशनल असेम्बली एक अस्थाई इकाई है, और प्रती पाँचवे वर्ष, आम निर्वाचन द्वारा यह परिवर्तित होती रहती है, वहीं उच्चसदन सेनेट एक स्थाई इकाई है, जो कभी भंग नहीं होती है, परंतु भाग-दर-भाग इसके सदस्यों को बदल दिया जाता है। संसद की दोनों सदनों हेतु सभागृह इस्लामाबाद को पार्लिआमेंट हाउस में है। 1960 में संसद के आसन को कराँची से इस्लामाबाद लाया गया था। .

सामग्री की तालिका

  1. 46 संबंधों: द्विसदनीयता, नवाज़ शरीफ़, नेशनल पार्टी (पाकिस्तान), पाकिस्तान, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (शहीद भुट्टो), पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ), पाकिस्तान मुस्लिम लीग (जे), पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क़ाफ़, पाकिस्तान में चुनाव, पाकिस्तान आंदोलन, पाकिस्तान का संविधान, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा, पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष, पाकिस्तान की सेनेट, पाकिस्तान की सेनेट के अध्यक्ष, पाकिस्तान अधिराज्य, पख़्तूनख़्वा मिल्ली अवामी पार्टी, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध, भारत सरकार अधिनियम, १९३५, भारतीय संसद, मजलिस-ए-शूरा, मुत्ताहिदा क़ौमी मूवमेंट, मुसलमान, रज़ा रब्बानी, लोक सभा, सरदार अयाज़ सादिक़, संसदीय प्रणाली, संविधान, सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल, जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान, जमीयतुल उलेमा-ए-इस्लाम (ऍफ़), ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग, इस्लामाबाद, कराँची, अध्यक्षीय प्रणाली, अवामी नेशनल पार्टी, अवामी जम्हूरी इत्तेहाद पाकिस्तान, उद्देश्य संकल्प, उर्दू भाषा, १९५६ का पाकिस्तानी संविधान, १९६२ का पाकिस्तानी संविधान

  2. पाकिस्तान की संसद

द्विसदनीयता

सरकारी व्यवथाओं में द्विसदनीयता (bicameralism) उस विधि को कहते हैं जिसमें विधायिका (legislature) में दो सदन हों। उदाहरण के लिये भारतीय संसद में दो सदन हैं: लोक सभा और राज्य सभा। इसके विपरीत फ़िलिपीन्स जैसे कुछ देशों में एकसदनीय (unicameral) संसदें हैं। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और द्विसदनीयता

नवाज़ शरीफ़

मियां मोहम्मद नवाज़ शरीफ़ (उर्दू: میاں محمد نواز شریف) (जन्म लाहौर; 25 दिसम्बर 1949), पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल) के वरिष्ठ नेता है। वे दो बार पहले भी प्रधानमन्त्री रह चुके हैं – 1 नवम्बर 1990 से 18 जुलाई 1993 तक (12 वें प्रधानमंत्री) और 17 फ़रवरी 1997 से 12 अक्टूबर 1999 (14 वें प्रधानमंत्री)। शरीफ पाकिस्तान के पहले ऐसे नेता हैं, जो 5 जून 2013 काे तीसरी बार 27 वें प्रधानमंत्री बने हैं। 2016 मे पानमा पेपर लीक में नाम आने के बाद 2017 में सुप्रीम काेर्ट ने प्रधानमंत्री के पद के लिए अयोग करार दिया 28 जुलाई 2017 में नवाज़ शरीफ काे प्रधानमंत्री के पद से हटाना पड़ा, नवाज़ शरीफ को वर्ष 2000 में तत्कालीन सैन्य शासक मुशर्रफ़ ने निर्वासित कर दिया था, इसके पहले उनकी निर्वाचित सरकार को भी बर्खास्त कर दिया गया था। इस तख्तापलट के बाद पाकिस्तान की आतंक-विरोधी अदालत ने नवाज़ शरीफ़ को भ्रष्टाचार के अपराध में दोषी करार दिया था। सऊदी अरब की मध्यस्तता से शरीफ़ को जेल से बचाकर सऊदी अरब के जेद्दा नगर में निर्वासित किया गया। अगस्त 23, 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ़ को पाकिस्तान वापस आने की इजाज़त दी। सितम्बर 10, 2007 को शरीफ सात वर्षों के निर्वासन के बाद इस्लामाबाद वापस लौटे, पर उन्हें हवाई-अड्डे से ही तुरन्त जेद्दा वापस भेज दिया गया। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और नवाज़ शरीफ़

नेशनल पार्टी (पाकिस्तान)

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक पार्टी। श्रेणी:पाकिस्तान के राजनैतिक दल.

देखें मजलिस-ए-शूरा और नेशनल पार्टी (पाकिस्तान)

पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़

पाकिस्तान पीपल्स पार्टी

पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Pakistan Peoples Party), जिसे पी॰पी॰पी॰ भी कहा जाता है, पाकिस्तान का एक प्रमुख राजनैतिक दल है। इसकी विचारधार गणतांत्रिक समाजवाद है। इसकी स्थापना ३० नवम्बर १९६७ में ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने नेतृत्व में हुई थी।, Sean Stewart Price, Heinemann-Raintree Library, 2009, ISBN 978-1-4329-3222-0,...

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (शहीद भुट्टो)

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (शहीद भुट्टो)

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ)

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ)

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (जे)

पाकिस्तान मुस्लिम लीग(जे), एक पाकिस्तानी राजनीतिक दाल थी, जिसे १९९३ में स्थापित किया गया था। २००४ में यह पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) में, सम्मिलित हो गयी। यह पाकिस्तान मुस्लिम लीग के मूल गोठों में से एक थी। इससे, एकमात्र मुस्लिम लीग के तौर पर १९९८ में बनाया गया था, जब, मुहम्मद खान जुनेजो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे। सितम्बर १९८८ में, इस पार्टी ने ग़ुलाम मुस्तफ़ा जतोई की नेशनल पीपल्स पार्टी और क़ाज़ी हुसैन अहमद की जमात-ए-इस्लामी के साथ मिल कर, इस्लामी जम्हूरी इत्तेहाद नामक एक रूढ़िवादी गठबंधन दाल बनाया था, इसे मूलतः, बेनज़ीर भुट्टो के पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के विरोध में बनायगया था। उस समय, नवाज़ शरीफ पीपीपी के बहार एक सबसे लोकप्रिय नेता बन कर उबरे थे, और अंत्यतः, १९९० में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। जब जुनेजो ने ज़िया-उल-हक़ को बर्खास्त कर दिया, तो, नवाज़ शरीफ ने पीएमएल(जे) से बहार निकल कर एक और दाल तैयार कर लिया, जिसका नाम रखा पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़), जोकि असल पाकिस्तान मुस्लिम लीग से भी अधिक रसूक्दार बाद कर उबरी। जुनिओ की मृत्यु के पश्चात, इस पार्टी को हामिद नासिर चट्ठा और इक़बाल अहमद खान जैसे अनुयायिओं ने इस पार्टी को पुनःस्थापित किया। पीएमएल(जुनेजो) में एक बंटवारे की स्थिति पैदा हो गयउ जब, मंज़ूर वट्टू ने अपने चचेरे भाई, हामिद चट्ठा से अलग हो कर, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (जिन्नाह) बना लिया। यह टकराव, पार्टी की अध्यक्षता को ले कर उत्पन्न हुई थी। ऐसा उस वर्ष ही हुआ था, जब, केंद्र और प्रान्त के बीच मतभेद के कारण वट्टू को पंजाब के मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया था। २००२ में इस पार्टी ने क़ौमी असेम्बली में दो २ आसान ग्रहण कर पाने में कामयाब हुई। २००४ में, यह पीएमएल(क्यू) के साथ मिट कर, संयुक्त पाकिस्तान मुस्लिम लीग का गठन किया। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (जे)

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक पार्टी। नवाज़ और क़ैद-ए-आजम इसकी दो विभक्तियाँ हैं। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क़ाफ़

पाकिस्तान मुस्लिम लीग क्यू या पाकिस्तान मुस्लिम लीग कायदे आजम, पाकिस्तान की एक प्रबुद्ध और उदारवादी पार्टी है। कि इस मुस्लिम लीग का एक धड़ा है जो पाकिस्तान की स्थापना संभव बनाया। (देखें: स्थापना पाकिस्तान, मुस्लिम लीग)। इस दल आम तौर पर एक प्रबुद्ध माना जाता है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) या क्यू लीग की स्थापना 2001 में उस समय हुई जब समय मुस्लिम लीग कई गुटों में बंट चुकी थी, जिनमें से क्यू लीग के लिए सबसे कम जन समर्थन प्राप्त था। राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ और मुस्लिम लीग (क्यू) को एक दूसरे की जबरदस्त समर्थन हासिल है। अब मूल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के कई सदस्यों क्यू लीग का हिस्सा बन चुके हैं कि राष्ट्रपति मुशर्रफ का समर्थन करते हैं। चौधरी शुजात हुसैन (बाएं) और मुशाहिद हुसैन (दाएं) भारत यात्रा के अवसर पर राष्ट्रपति मुशर्रफ ने 2006 में अपनी आत्मकथा 'इन द लाइन ऑफ फायर, ए मीमवायर' में खुलासा किया कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) का गठन उनके इशारे पर हुई थी। वह लिखते हैं कि नवाज शरीफ के निर्वासन के बाद उन्होंने सोचा कि इस देश में एक ऐसी पार्टी होनी चाहिए जो इन दो दलों (पीपुल्स पार्टी और पीएमएल एन) का मुकाबला कर सके और इस अवसर पर उनके प्रमुख सचिव तारिक़ अज़ीज़ ने चौधरी शुजात हुसैन के जनरल मुशर्रफ से मुलाकात की व्यवस्था की जिसके बाद यह पार्टी अस्तित्व में आई। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क़ाफ़

पाकिस्तान में चुनाव

राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान में शूरा के लिए नहीं चुना है। पाकिस्तान की संसद आम चुनाव द्वारा स्थापित किये गये निचले सदन जबकि प्रांतीय सदनों के सदस्यों द्वारा सदन के लिए नहीं चुना है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री निचले सदन में चुना जाता है जबकि राष्ट्रपति का चयन निर्वाचन कॉलेज द्वारा किया जाता है। प्रांतीय और राष्ट्रीय सदनों के अलावा पाकिस्तान में पांच हजार से अधिक चयनित नगर निगम सरकारें भी काम कर रही हैं। पाकिस्तान में कई राजनीतिक दल हैं। आमतौर पर कोई भी एक पार्टी बहुमत हासिल नहीं करती और आम चुनाव के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन का गठन जरूरी है। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान में चुनाव

पाकिस्तान आंदोलन

पाकिस्तान आन्दोलन या तहरीकए पाकिस्तान (تحریک پاکستان) २०वीं सदी के भारतीय उपमहाद्वीप में हुए एक राजनीतिक आंदोलन का नाम था, जिसने अंत्यतः भारतवर्ष को धार्मिक आधार पर विभाजित कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप उपमहाद्वीप के भारतीय ब्रिटिश साम्रराज्य के उत्तर पश्चिमी के चार प्रांतों व पूर्व में पूर्वी बंगाल की स्वतंत्रता संयोजन से स्थापना हुई पाकिस्तान नामक एक स्वतंत्र इस्लामिक गणरज्य की। यह आन्दोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समानांतर ही चला था। हालांकि, दोनो आंदोलनो का उद्देश्य एक ही था, परन्तु, पाकिस्तान आंदोलन का मुख्य उद्देश्य "भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों की धार्मिक पहचान और राजनीतिक हितों का संरक्षित व सुरक्षा था।" इस प्रसंग का पहला संगठित आंदोलन सैय्यद अहमद खान द्वारा अलीगढ़ में हुआ था, जिसे अलीगढ़ आंदोलन के रूप में जाना जाने लगा था। यह आन्दोलन पाकिस्तान आंदोलन का आधार था। १९०६ में, एक शैक्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया जो धीरे धीरे मुस्लिम सुधारकों के आंदोलन से राजनीतिक चरण में तब्दील हो गया। इस बीच में, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का गठन किया गया था। गुरुत्वपूर्ण मुसलिम नेताओं द्वारा इसके गठन के पीछे का मूल उद्देश्य ब्रिटिश भारत में मुसलमानों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना था। आंदोलन के प्रारंभिक दौर में मुस्लिम लीग के वार्षिक सत्रों ने अल्लामा इकबाल की दार्शनिक दृष्टिकोण व नेतृत्व में आंदोलन को आगे बढ़ाया। जिस्के पश्चात मुहम्मद अली जिन्ना के संवैधानिक प्रयासों ने आंदोलन के लिए जनसमर्थन बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उर्दू शायर इकबाल और फैज के साहित्य, कविता एवं भाषणों ने भी राजनीतिक चेतना के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनके अलावा बेगम राणा लियाकत अली खान और फातिमा जिन्नाह जैसी महिलाओं ने भी अपनी भूमिका निभाई थी। नौकरीपेशे वाले लोगों ने भी पाकिस्तान आंदोलन में भाग लिया था। बाद में, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७ पारित किया गया, जिसके अंतर्गत भारत अधिराज्य और पाकिस्तान अधिराज्य नामक दो स्वतंत्र स्वायत्य-उपनिवेश(डोमीनियन) की स्थापना की गई। पाकिस्तान आंदोलन कई माएनों में, सामाजिक, राजनैतिक एवं बौद्धिक प्रक्रिया का परिणाम था। इसके बाद पाकिस्तान के संस्थापकों ने एक मजबूत सरकार बनाने की प्रयास की जो की नवस्थापित देश के दोनों खंडों पर सफल नियंत्रण बनाए रख सके। १९५८ में बाद में, पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट हुआ और राजनीतिक एवं आर्थिक भेदभाव, एवं अन्य कई मसलों के परिणामस्वरूप बांग्लादेश १९७१ में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरा जो की उस समय तक पूर्वी पाकिस्तान था। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान आंदोलन

पाकिस्तान का संविधान

पाकिस्तान का संविधान (آئین پاکستان;आईन(ए) पाकिस्तान) या दस्तूरे पाकिस्तान دستور پاکستان) को १९७३ का क़ानून भी कहते हैं। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च दस्तूर है। पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा १० अप्रैल १९७३ को पारित हुआ तथा 14 अगस्त 1973 से प्रभावी हुआ। इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया। ये पाकिस्तान का तीसरा दस्तूर है और इस में कई बार रद्दोबदल की जा चुकी है। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान का संविधान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री (وزیر اعظم پاکستان —) इस्लामी गणतंत्र पाकिस्तान की सरकार का मुखिया होता है। राष्ट्रीय विधानसभा के सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री का चयन किया जाता है। प्रधानमंत्री का ये पद पाँच वर्षके लिए होता है। प्रधानमंत्री अपनी सहायता के लिए मंत्रियों का चयन करता है। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा

पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा या क़ौमी असेम्ब्ली (قومی اسمبلی; National Assembly, नैशनल असेम्ब्ली) पाकिस्तान की द्वीसदनीय संसद(मजलिस-ए शूरा), जिसका उच्चसदन सेनेट है, का निम्नसदन है। उर्दू भाषा मैं इसे कौमी इस्म्ब्ली कहा जाता हैं। इसमें कुल 342 आसन हैं, जिन में से 242 चुनाव के जरये चुने जाते हैं और बाक़ी के 70 महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। क़ौमी इस्म्ब्ली पाकिस्तान की संधीय विधायिका की वह इकाई है, जिसे जनता द्वारा चुना जाता है(यह पाकिस्तान में लोकसभा की जोड़ीदार है)। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा

पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष, पाकिस्तान की संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक पद है, वे पाकिस्तान की नैशनल असेम्बली के सभापति एवं अधिष्ठाता हैं। अध्यक्ष राष्ट्रपति के उत्तराधिकार पंक्ति में पाकिस्तान की सेनेट के अध्यक्ष के पश्चात तीसरे स्थान पर हैं, यानी राष्ट्रपति के अभाव में वे राष्ट्रपतित्व का निर्वाह करते हैं, जबकि रुतबे के आधार पर वे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सेनेट के अध्यक्ष के बाद चौथे स्थान पर होता है। इसके अलावा अध्यक्ष विदेशों में भी निचले सदन के प्रवक्ता होता है। वे तटस्थ होता है। वह नेशनल असेंबली को भंग किए जाने के बाद अगले अध्यक्ष के चयन तक अध्यक्षता की जिम्मेदारियां निभाने है। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष

पाकिस्तान की सेनेट

सेनेट, (سینیٹ) या आइवान-ए बाला पाकिस्तान (ایوانِ بالا پاکستان) पाकिस्तान की द्वीसदनीय विधियिका का उच्चसदन है। इसके चुनाव त्रिवर्षीय अवधी पश्चात, आधे संख्या के सीटों के लिए आयोजित किए जाते है। यहाँ सदस्यों क कार्यकाल 6 वर्ष होता है। सीनेट के अध्यक्ष देश के राष्ट्रपति का अभिनय होते हैं। इसे 1973 में स्थापित किया गया था पाकिस्तान के संविधान में से नेट से संबंधित सारे प्रावधान अनुच्छेद 59 मैं दिए गए हैं। पाकिस्तान के संसद भवन में सेनेट का कक्ष पूर्वी भाग में है। सीनेट को ऐसे कई विशेष अधिकार दिये गए हैं, जो नैशनल असेम्ब्ली के पास नहीं है। इस संसदीय बिल बनाने के रूप में एक कानून के लिए मजबूर किया जा रहा की शक्तियों को भी शामिल है। सीनेट में हर तीन साल पर सीनेट की आधे सीटों के लिए चुनाव आयोजित की जाती हैं और प्रत्येक सीनेटर छह वर्ष की अवधि के लिये चुना जाता है। संविधान में सेनेट भंग करने का कोई भी प्रावधान नहीं दिया गया है, बल्की, इसमें इसे भंग करने पर मनाही है। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान की सेनेट

पाकिस्तान की सेनेट के अध्यक्ष

पाकिस्तान की सिनेट के अध्यक्ष (उर्दू: ؛چیئرمین سينیٹ Chairman senate) या आमीर मजलिस आइवान बाला(امیر مجلس ایوان بالا پاکستان, आइवान बाला (सेनेट) के अध्यक्ष (आमिर मजलिस) पाकिस्तान की सिनेट का सभापति पद है। of the Chapter 2: Majlis-e-Shoora (Parliament) in Part III of the Constitution of Pakistan.

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान की सेनेट के अध्यक्ष

पाकिस्तान अधिराज्य

पाकिस्तानी अधिराज्य (ﻣﻤﻠﮑﺖِ ﭘﺎﮐﺴﺘﺎﻥ., मुम्लिक़ात्'ए पाकिस्तान; পাকিস্তান অধিরাজ্য, पाकिस्तान ओधिराज्जो) नवनिर्मित देश, पाकिस्तान की स्वायत्त्योपनिवेशिय अवस्था थी। इस शासनप्रणाली के तहत पाकिस्तान को भारत विभाजन के बाद, ब्रिटिश साम्राज्य का एक स्वशासित व स्वतंत्र इकाइ(अधिराज्य) के रूप मे स्थापित किया गया था। पाकिस्तानी अधिराज्य की स्थापना भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के तहत ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद तथाकथित तौर पर भारतिय उपमहाद्वीप की मुस्लिम आबादी के लिए हुआ था। एसकी कुल भूभाग मौजूदा इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान व बांग्लादेश के बराबर थी। 1956 में पाकिस्तान का पहला संविधान के लागू होने के साथ ही "पाकिस्तान अधिराज्य" की विस्थापना हो गई जब अधिराजकिय राजतांत्रिक व्यवस्था को इस्लामिक गणराज्य से बदल दिया गया। इस व्यवस्था के तहत पाकिस्तान ब्रिटिश हुक़ूमत से स्वतंत्र हो गया एवं ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का हिस्सा होने के नाते अन्य ब्रिटिश स्वायत्त्योपनिवेशों की ही तरह, ब्रिटेन के राजा(ततकालीन जार्ज षष्ठम) को पाकिस्तान के राजा का प्रभार भी सौंप दिया गया, हालांकी, (तथ्यस्वरूप) पाकिस्तान के राजा का लग-भग सारा संवैधानिक व कार्याधिकार पाकिस्तान में उनके प्रतिनिधी पाकिस्तान के महाराज्यपाल (गवर्नर-जनरल) के अधिकार में था। ऐसी व्यवस्था सारे ब्रिटिश-स्वायत्त्योपनिवेशों में रहती है। पाकिस्तान अधिराज्य कुल 9 सालों तक, १९४७ से १९५६ तक अस्तित्व में रहा था, जिस बीच 4 महाराज्यपालों की नियुक्ती हुई थी। भारत विभाजन व स्वतंत्रता के बाद संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटिश भारत की सदस्यता भारतीय अधिराज्य को दे दी गई जबकी पाकिस्तान ने नई सदस्यता प्राप्त की। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पाकिस्तान अधिराज्य

पख़्तूनख़्वा मिल्ली अवामी पार्टी

पख़्तूनख़्वा मिली अवामी पार्टी पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल है। मुहम्मद ख़ान अचकज़ई इस दल के मुखिया हैं। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और पख़्तूनख़्वा मिल्ली अवामी पार्टी

बलूचिस्तान नेशनल पार्टी

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक पार्टी। श्रेणी:पाकिस्तान के राजनैतिक दल.

देखें मजलिस-ए-शूरा और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी

बांग्लादेश मुक्ति युद्ध

बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम १९७१ में हुआ था, इसे 'मुक्ति संग्राम' भी कहते हैं। यह युद्ध वर्ष १९७१ में २५ मार्च से १६ दिसम्बर तक चला था। इस रक्तरंजित युद्ध के माध्यम सेे बांलादेश ने पाकिस्तान से स्वाधीनता प्राप्त की। 16 दिसम्बर सन् १९७१ को बांग्लादेश बना था। भारत की पाकिस्तान पर इस ऐतिहासिक जीत को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तान पर यह जीत कई मायनों में ऐतिहासिक थी। भारत ने ९३ हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। १९७१ के पहले बांलादेश, पाकिस्तान का एक प्रान्त था जिसका नाम 'पूर्वी पाकिस्तान' था जबकि वर्तमान पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान कहते थे। कई सालों के संघर्ष और पाकिस्तान की सेना के अत्याचार और बांग्लाभाषियों के दमन के विरोध में पूर्वी पाकिस्तान के लोग सड़कों पर उतर आए थे। १९७१ में आज़ादी के आंदोलन को कुचलने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के विद्रोह पर आमादा लोगों पर जमकर अत्याचार किए। लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और अनगिनत महिलाओं की आबरू लूट ली गई। भारत ने पड़ोसी के नाते इस जुल्म का विरोध किया और क्रांतिकारियों की मदद की। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी जंग हुई। इस लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिए। इसके साथ ही दक्षिण एशिया में एक नए देश का उदय हुआ। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध

भारत सरकार अधिनियम, १९३५

इस अधिनियम को मूलतः अगस्त 1935 में पारित किया गया था (25 और 26 जियो. 5 C. 42) और इसे उस समय के अधिनियमित संसद का सबसे लंबा (ब्रिटिश) अधिनियम कहा जाता था। इसकी लंबाई की वजह से, प्रतिक्रिया स्वरूप भारत सरकार (पुनःमुद्रित) द्वारा अधिनियम 1935 को (26 जियो.

देखें मजलिस-ए-शूरा और भारत सरकार अधिनियम, १९३५

भारतीय संसद

संसद भवन संसद (पार्लियामेंट) भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। यह द्विसदनीय व्यवस्था है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति तथा दो सदन- लोकसभा (लोगों का सदन) एवं राज्यसभा (राज्यों की परिषद) होते हैं। राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। भारतीय संसद का संचालन 'संसद भवन' में होता है। जो कि नई दिल्ली में स्थित है। लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या ५५२ है। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें सदस्य संख्या २५० है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन / मनोनयन ६ वर्ष के लिए होता है। जिसके १/३ सदस्य प्रत्येक २ वर्ष में सेवानिवृत्त होते है। .

देखें मजलिस-ए-शूरा और भारतीय संसद

मजलिस-ए-शूरा

मजलिस-ए-शूरा (उर्दू) यानी पाकिस्तान की संसद पाकिस्तान में संघीय स्तर पर सर्वोच्च विधायी संस्था है। इस संस्थान में दो सदन हैं, निचले सदन या कौमी एसेंबली और ऊपरी सदन या सीनेट। पाकिस्तान का संविधान की धारा 50 के मुताबिक़ राष्ट्रपति भी मजलिस-ए-शूरा का हिस्सा हैं। इसकी दोनों सदनों में से निम्नसदन नैशनल असेम्बली एक अस्थाई इकाई है, और प्रती पाँचवे वर्ष, आम निर्वाचन द्वारा यह परिवर्तित होती रहती है, वहीं उच्चसदन सेनेट एक स्थाई इकाई है, जो कभी भंग नहीं होती है, परंतु भाग-दर-भाग इसके सदस्यों को बदल दिया जाता है। संसद की दोनों सदनों हेतु सभागृह इस्लामाबाद को पार्लिआमेंट हाउस में है। 1960 में संसद के आसन को कराँची से इस्लामाबाद लाया गया था। .

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मुत्ताहिदा क़ौमी मूवमेंट

मुत्तहिदा क़ौमी मूवमेंट का ध्वज मुत्तहिदा क़ौमी मूवमेंट (एम क्यू एम; उर्दू: متحدہ قومی موومنٹ) पाकिस्तान का एक सेक्युलर राजनीतिक दल है। यह मुखयतः उर्दूभाषी मुजाहिरों (भारत से आये शरणार्थियों) का दल है। वर्तमान समय में यह दल सिन्ध प्रान्त का दूसरा सबसे बड़ा दल है जिसके पास १३० में से ५४ सीटें हैं। यह पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली में चौथी सबसे बड़ी पार्टी है। .

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मुसलमान

मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर। मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है । .

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रज़ा रब्बानी

रज़ा रब्बानी, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं, एवं पाकिस्तानी सेनेट के अध्यक्ष भी हैं। .

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लोक सभा

लोक सभा, भारतीय संसद का निचला सदन है। भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है। लोक सभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तक हो सकती है, जिसमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों का और 20 सदस्य तक केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। सदन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में भारत का राष्ट्रपति यदि चाहे तो आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो प्रतिनिधियों को लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकता है। लोकसभा की कार्यावधि 5 वर्ष है परंतु इसे समय से पूर्व भंग किया जा सकता है .

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सरदार अयाज़ सादिक़

सरदार अयाज़ सादिक पाकिस्तान के क़ौमी असेम्बली के वर्तमान सभापति हैं। वह पहली बार ३ जून २०१३ को फहमीदा मिर्जा के बाद क़ौमी असेम्बली के उन्नीसवीं सभापति बने, उनका पहला कार्यकाल 22 अगस्त 2015 को समाप्त हुआ। वह दूसरी बार, 9 नवंबर 2015 को पुनः इस पद पर काबिज़ हुए। लाहौर से नेशनल असेंबली के असेम्बली क्षेत्र १२२ से पंजाब (पाकिस्तान) के राष्ट्रीय विधानसभा अध्यक्ष अयाज सादिक २०१३ में ९३ हजार ३ से ८९ वोट लेकर सदस्य नेशनल असेंबली चुने गए थे। इस चुनाव को इमरान खान ने चुनाव न्यायाधिकरण में चयालनज किया था। चुनाव ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश काज़िम अली मलिक ने कथित धांधली के मामले में दायर याचिका पर क्षेत्र के चुनाव को निरस्त करते हुए दोबारा मतदान कराने का अगस्त २०१५ में आदेश दिया था। सरदार अयाज सादिक तीसरी बार इस क्षेत्र में २०१३ में चुने गए थे। .

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संसदीय प्रणाली

संसदीय प्रणाली (parliamentary system) लोकतांत्रिक शासन की वह प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिकता (संसद) से प्राप्त करती है तथा विधायिकता के प्रति उत्तरदायी होती है। इस प्रकार संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका परस्पर सम्बन्धित (जुड़े हुए) होते हैं। इस प्रणाली में राज्य का मुखिया तथा सरकार का मुखिया अलग-अलग व्यक्ति होते हैं। भारत में संसदीय शासन प्रणाली है। इसके विपरीत अध्यक्षीय प्रणाली (presidential system) में प्रायः राज्य का अध्यक्ष सरकार (कार्यपालिका) का भी अध्यक्ष होता है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि अध्यक्षीय प्रणाली में कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिका से नहीं प्राप्त करती। शासन प्रणालियाँ लाल: अध्यक्षीय प्रणाली नारंगी: संसदीय प्रणाली हरा: संसदीय गणतंत्र जहाँ अध्यक्ष का चुनाव संसद करती है। श्रेणी:राजनीति विज्ञान.

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संविधान

संविधान, मूल सिद्धान्तों या स्थापित नज़ीरों का एक समुच्चय है, जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। वह किसी संस्था को प्रचालित करने के लिये बनाया हुआ संहिता (दस्तावेज) है। यह प्रायः लिखित रूप में होता है। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार है; उसके चरित्र, संगठन, को निर्धारित करती है तथा उसके प्रयोग विधि को बताती है, यह राष्ट्र की परम विधि है तथा विशेष वैधानिक स्थिति का उपभोग करती है सभी प्रचलित कानूनों को अनिवार्य रूप से संविधान की भावना के अनुरूप होना चाहिए यदि वे इसका उल्लंघन करेंगे तो वे असंवैधानिक घोषित कर दिए जाते है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी सम्प्रभु देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है, जिसमें, उसके अंग्रेज़ी-भाषी संस्करण में १४६,३८५ शब्दों के साथ, २२ भागों में ४४४ अनुच्छेद, १२ अनुसूचियाँ और १०१ संशोधन हैं, जबकि मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें ९७ अनुच्छेदों के साथ १० अध्याय, और कुल ३,८१४ शब्द हैं। .

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सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल। .

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जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान

जमात ए इस्लामी पाकिस्तान की सबसे बड़ी और पुरानी सैद्धांतिक इस्लामी पुनरुद्धार आंदोलन है जिसका शुरुआत बीसवीं सदी के इस्लामी विचारक सैयद अहमद, जो समकालीन इस्लाम पुनर्जीवित संघर्ष के नायक माने जाते हैं ने पाकिस्तान की स्थापना से पहले 3 शाबान 1360 हिजरी (26 अगस्त 1941 ई।) को लाहौर में किया था। जमाते इस्लामी पाकिस्तान आधी सदी से अधिक समय से दुनिया भर में इस्लामी पुनरुद्धार के लिए शांतिपूर्ण रूप से प्रयासरत कुछ इस्लामी आंदोलनों में शुमार की जाती है। .

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जमीयतुल उलेमा-ए-इस्लाम (ऍफ़)

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल। .

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ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल। .

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इस्लामाबाद

इस्लामाबाद की फैज़ल मस्जिद इस्लामाबाद पाकिस्तान की राजधानी है। भारत विभाजन के पश्चात पाकिस्तान को एक राजधानी नगर की आवश्यकता थी। ना तो लाहौर और न ही कराची जैसे नगर इस हेतु सही पाए गए अंतः एक नए नगर की स्थापना का निर्णय लिया गया जो पूरी तरह से नियोजित हो। इस कार्य हेतु फ़्रांसीसी नगर नियोजक तथा वास्तुकार ली कार्बूजियर की सेवा ली गई। इन्हीं महोदय ने भारत में चंडीगढ़ की स्थापना की योजना बनाई थी। इस कारण ये दोनों नगर देखने में एक जैसे लगते हैं। २००९ के अनुमान अनुसार इस नगर की जनसंख्या ६,७३,७६६ है। .

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कराँची

पाकिस्तान के सिंध प्रांत का एक जिला। श्रेणी:सिंध श्रेणी:पाकिस्तान के ज़िले sv:Lista över Pakistans administrativa distrikt.

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अध्यक्षीय प्रणाली

अध्यक्षीय प्रणाली या राष्ट्रपति प्रणाली एक ऐसी गणतांत्रिक शासनप्रणाली होती है, जिसमें राजप्रमुख(सरकार प्रमुख) और राष्ट्रप्रमुख(रष्ट्राध्यक्ष) एक ही व्यक्ती होता है। अध्यक्षीय गणतंत्र का एक उदाहरण है अमेरिका और लगभग सभी लैटिन अमेरिकी देश, वहीं फ्रांस में एक मिश्रित संसदीय और अध्रक्षीय व्यवस्था है। .

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अवामी नेशनल पार्टी

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल। .

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अवामी जम्हूरी इत्तेहाद पाकिस्तान

पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल। .

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उद्देश्य संकल्प

उद्देश्य संकल्प(Objectives Resolution, ऑब्जेक्टिव्स् रेज़ोल्यूशन्; قرارداد مقاصد, क़रारदाद मक़ासद) एक संकल्प था जिसे पाकिस्तान की संविधान सभा ने 12 मार्च सन 1949 को पारित कर दिया। इस संकल्प 7 मार्च सन 1949 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने क़ौमी असेम्ब्ली(पाकिस्तान की विधायिका) में पेश की। इसे पाकिस्तानी रियासत व हुकूमत के नीती निर्देशक के रूप में पारित किया गया था। इसके अनुसार भविष्य में पाकिस्तान संविधान संरचना यूरोपीय शैली का कतई नहीं होगा, लेकिन इसके आधार इस्लामी लोकतंत्र और सिद्धांतों पर होगी। कहा जाता है कि इस बारे में पाकिस्तानियों ने भारतीयों की पैरवी की थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत की संविधान सभा में 13 दिसंबर 1946 में संकल्प लक्ष्य रखा था, जिसे सर्वसम्मति के साथ 22 जनवरी 1947 में स्वीकार कर लिया गया। इसमें दिये गए संकल्प पाकिस्तान को "कुरान और सुन्नत में दिये गए लोकतांत्रिक के आदर्शों" पर विकसित व खड़ा करने का संकल्प लेते हैं। साथ ही इसमें पाकिस्तान में मुसलमानों को कुरान और सुन्नत में दिये गए नियमों के अनुसार जीवन व्यतीत करने का अवसर देने की एवं अल्पसंख्यकों के धार्मिक, सामाजिक व अन्य वैध अधिकारों की रक्षा की भी बात की गई है। इसे कई माएनों में पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ में मनाआ जाता है। साथ ही इसकी इस्लाम-प्रोत्साहक चरित्र के लिये, यह हमेशा से ही विवादास्पक भी रहा है और कई बार, गैर-मुसलमालों व कई बुद्धिजीवियों द्वारा इस्का विरोध होता रहा है। .

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उर्दू भाषा

उर्दू भाषा हिन्द आर्य भाषा है। उर्दू भाषा हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है। उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है, तथा पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। इस के अतिरिक्त भारत के राज्य तेलंगाना, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त शासकीय भाषा है। .

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१९५६ का पाकिस्तानी संविधान

1956 का संविधान पाकिस्तान में मार्च 1956 से अक्टूबर 1958 तक लागू पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता व संविधान थी, जिसे 1958 के तख्तापलट को बाद निलंबित कर दिया गया था। यह पाकिस्तान का पहला संविधान था। .

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१९६२ का पाकिस्तानी संविधान

1962 का पाकिस्तानी संविधान एक कानूनी दस्तावेज था, जिसे जून 1962 में लागू किया गया था। रह जून 1962 से मार्च 1969 तक पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता थी। 1956 के संविधान की तरह इसे 1969 में निलंबित कर दिया गया था। अंत्यतः इसे 1973 के संविधान से बदल दिया गया, जो अब भी लागू है। .

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यह भी देखें

पाकिस्तान की संसद

पाकिस्तान की संसद, पाकिस्तानी संसद के रूप में भी जाना जाता है।