लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

भोगला सोरेन

सूची भोगला सोरेन

भोगला सोरेन संताली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक राही रांवाक् काना के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमीपुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनकी प्रमुख कृतियां है- राही रांवाक काना (नाटक), सूडा साकोम (नाटक), राही चेतान ते (नाटक), खोबोर कागोज (नाटक), सोसनो: (नाटक), बिटलाहा (नाटक), मान दिसोम पोरान परायनी (नाटक), उपाल (उपन्यास), चापोय (उपन्यास) एवं संताली भाषा लिपि और साहित्य का विकास (लेख)। .

5 संबंधों: नाटक, भारतीय, भारतीय साहित्य अकादमी, राही रांवाक् काना, संथाली भाषा

नाटक

नाटक, काव्य का एक रूप है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है। .

नई!!: भोगला सोरेन और नाटक · और देखें »

भारतीय

भारत देश के निवासियों को भारतीय कहा जाता है। भारत को हिन्दुस्तान नाम से भी पुकारा जाता है और इसीलिये भारतीयों को हिन्दुस्तानी भी कहतें है।.

नई!!: भोगला सोरेन और भारतीय · और देखें »

भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

नई!!: भोगला सोरेन और भारतीय साहित्य अकादमी · और देखें »

राही रांवाक् काना

राही रांवाक् काना संताली भाषा के विख्यात साहित्यकार भोगला सोरेन द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में संताली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: भोगला सोरेन और राही रांवाक् काना · और देखें »

संथाली भाषा

संताली मुंडा भाषा परिवार की प्रमुख भाषा है। यह असम, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ, बिहार, त्रिपुरा तथा बंगाल में बोली जाती है। संथाली, हो और मुंडारी भाषाएँ आस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार में मुंडा शाखा में आती हैं। संताल भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में लगभग ६० लाख लोगों से बोली जाती है। उसकी अपनी पुरानी लिपि का नाम 'ओल चिकी' है। अंग्रेजी काल में संथाली रोमन में लिखी जाती थी। भारत के उत्तर झारखण्ड के कुछ हिस्सोँ मे संथाली लिखने के लिये देवनागरी लिपि का प्रयोग होता है। संतालों द्वारा बोली जानेवाली भाषा को संताली कहते हैं। .

नई!!: भोगला सोरेन और संथाली भाषा · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »