5 संबंधों: डेटाबेस, भौगोलिक सूचना तंत्र, भूमितिकी, भूसांख्यिकी, सुदूर संवेदन।
डेटाबेस
किसी कम्प्यूटर प्रणाली पर संचित आंकडे (डेटा) को कम्प्यूटर डेटाबेस कहते है। इन आंकडों को किसी विशेष पद्दति का अनुसरण करते हुए संग्रह किया जाता है। इन आंकडों के आधार एक किसी प्रश्न (जिज्ञासा) का समाधान शीघ्रता से प्राप्त किया जा सकता है। प्रश्न पूछने के लिये एक विशेष कम्प्यूटर भाषा का प्रयोग किया जाता है। जिज्ञासा के समाधान के रूप में प्राप्त आंकडे सम्यक निर्णय लेने में सहायक होते हैं। ऐसे कम्प्यूटर प्रोग्राम जो कम्प्यूटर पर आंकडों को संग्रह करने, उनका प्रबन्धन (आंकडे जोडना, परिवर्तित करना, परिवर्धित करना आदि) करने एवं आकडों पर आधारित प्रश्न पूछने के काम आते हैं, उन्हे डेटाबेस प्रबन्धन प्रणाली (डी बी एम एस) कहते है। जिज्ञासा (query) का एक उदाहरण: किसी संस्था के कर्मचारियों के डेटाबेस पर यह जिज्ञासा की जा सकती है कि कौन-कौन से कर्मचारी ३० वर्ष से कम उम्र के हैं तथा जिनकी आय ३ लाख रूपये वार्षिक से अधिक है। डेटाबेस की सबसे महत्वपूर्ण संकल्पना (कांसेप्ट) यह है कि डेटाबेस रिकॉर्डो (छोटी-छोटी सूचनाओं) का संग्रह है। .
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भौगोलिक सूचना तंत्र
डिजिटल एलिवेशन प्रतिरूप, मानचित्र और वेक्टर डाटा भौगोलिक सूचना तंत्र या भौगोलिक सूचना प्रणाली अथवा संक्षेप में जी॰आई॰एस॰, (अंग्रेज़ी Geographic information system (GIS)) कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को भौगोलिक सूचना के साथ एकीकृत कर इनके लिए आंकड़े एकत्रण, प्रबंधन, विश्लेषण, संरक्षण और निरूपण की व्यवस्था करता है।। हिन्दुस्तान लाइव। १० मार्च २०१० भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली को मुख्यत: तीन तरीकों से देखा जा सकता है।.
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भूमितिकी
भूमितिकी अथवा भूगणित विज्ञान की वह शाखा है जो भौगोलिक रूप से संदर्भित आंकड़ों के संग्रहण, समायोजन, परिरक्षण, विश्लेषण व्याख्या का कार्य करती है। यह मुख्यतः भूगोल, सर्वेक्षण और भू-सूचना विज्ञान जैसी शाखाओं के साथ अपनी विषय-वस्तु शेयर करने वाली शाखा है। .
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भूसांख्यिकी
भूसांख्यिकी भूगोल की वह परिवर्धित शाखा है, जो भौगोलिक प्रतिरूपों की सांख्यिकीय व्याख्या एक जी आई एस प्लेटफोर्म पर करती है। .
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सुदूर संवेदन
सुदूर संवेदन (अंग्रेज़ी: Remote Sensing) का सामान्य अर्थ है किसी वस्तु के सीधे संपर्क में आये बिना उसके बारे में आँकड़े संग्रह करना। लेकिन वर्तमान वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में सुदूर संवेदन का तात्पर्य आकाश में स्थित किसी प्लेटफार्म (जैसे हवाईजहाज, उपग्रह या गुब्बारे) से पृथ्वी के किसी भूभाग का चित्र लेना। यह एक ऐसी उन्नत विधा है जिसके माध्यम से ऊँचाई पर जाकर बिना किसी भौतिक सम्पर्क के पृथ्वी के धरातलीय रूपों और संसाधनों का अध्ययन वैज्ञानिक विधि से किया जाता हैं। सुदूर संवेदन की तकनीक को संवेदक (Sensor) की प्रकृति के आधार पर मुख्यतः दो प्रकारों में बाँटा जाता है एक्टिव और पैसिव। ज्यादातर पैसिव संवेदकों द्वारा सूर्य का परावर्तित प्रकाश संवेदित किया जाता है। एक्टिव संवेदक वे हैं जो खुद ही विद्युत चुंबकीय विकिरण उत्पन्न करके उसे पृथ्वी की ओर फेंकते हैं और परावर्तित किरणों को संवेदित (रिकार्ड) करते हैं। हवाई छायाचित्र और उपग्रह चित्र सुदूर संवेदन के दो प्रमुख उत्पाद हैं जिनका उपयोग वैज्ञानिक अध्ययनों से लेकर अन्य बहुत से कार्यों में हो रहा है। .
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