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भीतरी (गाँव)

सूची भीतरी (गाँव)

भीतरी ग्राम का एक चित्र्। भीतरी, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सैदपुर से उत्तर-पूर्व की ओर लगभग पाँच मील की दूरी पर स्थित ग्राम है। ग्राम से बाहर चुनार के लाल पत्थर से निर्मित एक स्तंभ खड़ा है जिसपर गुप्त शासकों की यशस्वी परंपरा के गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त का अभिलेख उत्कीर्ण है। यद्यपि लेख ऋतुघृष्ट है, पत्थर यत्र तत्र टूट गया है तथा बाईं ओर ऊपर से नीचे तक एक दरार सी है तथापि संपूर्ण लेख मूल स्तंभ पर पूर्णतया स्पष्ट है तथा उसका ऐतिहासिक स्वरूप सुरक्षित सा है। लेख की भाषा संस्कृत है। छठीं पंक्ति के मध्य तक गद्य में है, शेष पद्य में। लेख पर कोई तिथि अकित नहीं है। इसका उद्देश्य शार्ग्ङिन विष्णु की प्रतिमा की स्थापना का अभिलेखन तथा उस ग्राम को, जिसमें स्तंभ खड़ा है, विष्णु को समर्पित करना है। लेख में इस ग्राम के नाम का उल्लेख नहीं है। भीतरी का स्तंभलेख ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उसमें गुप्त सम्राज्य पर पुष्पमित्रों तथा हूणों के बर्बर आक्रमण का संकेत है। लेख के अनुसार पुष्पमित्रों ने अपना कोष और अपनी सेना बहुत बढ़ा ली थी और सम्राट कुमारगुप्त की मरणासन्नावस्था में उन्होंने गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया। युवराज स्कंदगुप्त ने सेना का सफल नेतृत्व किया। उसने युद्धक्षेत्र में पृथ्वीतल पर शयन किया। पुष्पमित्रों को परास्त कर पिता कुमारगुप्त की मृत्यु के अनंतर स्कंदगुप्त ने अपनी विजय का संदेश साश्रुनेता माता को उसी प्रकार सुनाया जिस प्रकार कृष्ण ने शत्रुओं के मारकर देवकी को सुनाया था। हूणों की जिस बर्बरता ने रोमन साम्राज्य को चूर चूर कर दिया था वह एक बार यशस्वी स्कंदगुप्त की चोट से थम गई। स्कंदगुप्त की भुजाओं के हूणों के साथ समर में टकरा जाने से भयंकर आवर्त बन गया, धरा काँप गई। स्कंदगुप्त ने उन्हें पराजित किया। परंतु अनवरत हूण आक्रमणों से गुप्त साम्राज्य के जोड़ जोड़ हिल उठे और अंत में साम्राज्य की विशाल अट्टालिका अपनी ही विशालता के खंडहरों में खो गई। .

सामग्री की तालिका

  1. 11 संबंधों: चुनार, भीतर गाँव, रोमन साम्राज्य, संस्कृत भाषा, स्कन्दगुप्त, सैदपुर, गद्य, ग़ाज़ीपुर, काव्य, कुमारगुप्त, उत्तर प्रदेश

चुनार

चुनार भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त के मिर्जापुर जनपद का एक शहर है। इसका इतिहास बहुत पुराना है। यहाँ का किला प्रसिद्ध है। विंध्याचल पर्वत की गोद में बसे होने के कारण चुनार में पत्थर और पत्थर के इमारती सामान का प्रमुख उद्योग है। चुनार के मिट्टी के खिलौने, मूर्तियाँ और वरतन सस्ते, लाख की पालिश के कारण अत्यत चमकदार और सुंदर होते हैं। यहाँ चना, चावल, गेहूँ, तेलहन और जौ की मंडी है। वाराणसी से मिर्जापुर जानेवाली बसों के लिये यह अच्छा स्टेशन है। चुर्क सीमेंट फैक्टरी के लिये यहाँ से रेलवे लाइन जाती है। चुनार के पास अनेक रम्य और प्राकृतिक दृश्यों के स्थान हैं इनमे से एक जरगो बांध है जिसमे 27 नदी और 77 नालो का जल एकत्र किया जाता है जो मछली पालन और सिचाई के काम आता है। यहाँ सैर सपाटे के लिये लोग आते रहते हैं। .

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भीतर गाँव

भीतर गाँव, उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित है। यहाँ गुप्तकालीन एक मंदिर के अवशेष उपलब्ध है जो गुप्तकालीन वास्तुकला के सुंदर नमूनों में से एक है। ईटों का बना यह मंदिर अपनी सुरक्षित तथा उत्तम साँचे में ढली ईटों के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसकी एक-एक ईट सुंदर एवं आर्कषक आलेखनों से खचित थी। इसकी दो दो फुट लंबे चौड़े खानें अनेक सजीव एवं सुंदर उभरी हुई मूर्तियों से भरी थी। इसकी छत शिखरमयी है तथा बाहर की दीवारों के ताखों में मृण्मयी मूर्तियाँ दिखलाई पड़ती है। इस मंदिर की हजारों उत्खचित ईटें लखनऊ संग्रहालय में सुरक्षित हैं। .

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रोमन साम्राज्य

अपने महत्तम विस्तार पर 117 इस्वी में '''रोमन साम्राज्य''' रोमन साम्राज्य का उत्थान एवं पतन रोमन साम्राज्य (27 ई.पू.

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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स्कन्दगुप्त

स्कन्दगुप्तकालीन मुद्रा जिस पर स्कन्दगुप्त का चित्र अंकित है। स्कन्दगुप्त प्राचीन भारत में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले गुप्त राजवंश के आठवें राजा थे। इनकी राजधानी पाटलिपुत्र थी जो वर्तमान समय में पटना के रूप में बिहार की राजधानी है। स्कन्दगुप्त ने जितने वर्षों तक शासन किया उतने वर्षों तक युद्ध किया। भारत की बर्बर हूणों से रक्षा करने का श्रेय स्कन्दगुप्त को जाता है। हूण मध्य एशिया में निवास करने वाले बर्बर कबीलाई लोग थे। उन्होंने हिन्दु कुश पार कर गन्धार पर अधिकार कर लिया और फिर महान गुप्त साम्राज्य पर धावा बोला। परंतु वीर स्कन्दगुप्त ने उनका सफल प्रतिरोध कर उन्हें खदेड़ दिया। हूणों के अतिरिक्त उसने पुष्यमित्रों को भी विभिन्न संघर्षों में पराजित किया। पुष्यमित्रों को परास्त कर अपने नेतृत्व की योग्यता और शौर्य को सिद्ध कर स्कन्दगुप्त ने विक्रमादित्य कि उपाधि धारण की.

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सैदपुर

सैदपुर (सैयदपुर) (সৈয়দপুর) नीलफमरी जिले का एक नगर है। यह नगर आस पास के जिला मुख्यालयों के लिये एक महत्वपूर्ण सूचना केन्द्र है। यहाँ पर स्थित सैदपुर विमानक्षेत्र एक घरेलू विमानक्षेत्र है। १८७० में स्थापित सैदपुर रेलवे कारखाना बांग्लादेश का सबसे बड़ा कारखाना है। पुराने समय असम-बंगाल रेललाइन के लिये एक महत्वपूर्ण कारखाना था। .

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गद्य

सामान्यत: मनुष्य की बोलने या लिखने पढ़ने की छंदरहित साधारण व्यवहार की भाषा को गद्य (prose) कहा जाता है। इसमें केवल आंशिक सत्य है क्योंकि इसमें गद्यकार के रचनात्मक बोध की अवहेलना है। साधारण व्यवहार की भाषा भी गद्य तभी कही जा सकती है जब यह व्यवस्थित और स्पष्ट हो। रचनात्मक प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए गद्य को मनुष्य की साधारण किंतु व्यस्थित भाषा या उसकी विशिष्ट अभिव्यक्ति कहना अधिक समीचीन होगा। .

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ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। इसकी स्थापना तुग़लक़ वंश के शासन काल में सैय्यद मसूद ग़ाज़ी द्वारा की गयी थी। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इस शहर का प्राचीन नाम गाधिपुर था जो कि सन् १३३० में ग़ाज़ीपुर कर दिया गया। ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक ग़ाज़ीपुर के कठउत पृथ्वीराज चौहान के वंशज राजा मांधाता का गढ़ था। राजा मांधाता दिल्ली सुल्तान की अधीनता को अस्वीकार कर स्वतंत्र रूप से शासन कर रहा था। दिल्ली के तुगलक वंश के सुल्तान को इस बात की सूचना दी गई जिसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक के सिपहसालार सैयद मसूद अल हुसैनी ने सेना की टुकड़ी के साथ राजा मांधाता के गढ़ पर हमला कर दिया। इस युद्ध में राजा मांधाता की पराजय हुई। जिसके बाद मृत राजा की संपत्ति का उत्तराधिकारी सैयद मसूद अल हुसैनी को बनादिया गया। इस जंग में जीत के बाद दिल्ली सुल्तान की ओर से सैयद मसूद अल हुसैनी को मलिक-अल-सादात गााजी की उपाधि से नवाजा गया। जिसके बाद सैयद मसूद गाजी ने कठउत के बगल में गौसुपर को अपना गढ़ बनाया। लेकिन कुछ समय बाद उसने गाजीपुर शहर की स्थापना की। जिसके बारे में कुछ इतिहासकारों का मत है कि उसने प्राचीन गाधिपुर का ही नया नामकरण गाजीपुर कर दिया। गाजीपुर, अंग्रेजों द्वारा १८२० में स्थापित, विश्व में सबसे बड़े अफीम के कारखाने के लिए प्रख्यात है। यहाँ हथकरघा तथा इत्र उद्योग भी हैं। ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लोर्ड कार्नवालिस की मृत्यु यहीं हुई थी तथा वे यहीं दफन हैं। शहर उत्तर प्रदेश - बिहार सीमा के बहुत नजदीक स्थित है। यहाँ की स्थानीय भाषा भोजपुरी एवं हिंदी है। यह पवित्र शहर बनारस के ७० की मी पूर्व में स्थित है। .

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काव्य

काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है। 'अर्थ की रमणीयता' के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं। पर 'अर्थ' की 'रमणीयता' कई प्रकार की हो सकती है। इससे यह लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं है। साहित्य दर्पणाकार विश्वनाथ का लक्षण ही सबसे ठीक जँचता है। उसके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है'। रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार की काव्य की आत्मा है। काव्यप्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र। ध्वनि वह है जिस, में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो। गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो। चित्र या अलंकार वह है जिसमें बिना ब्यंग्य के चमत्कार हो। इन तीनों को क्रमशः उत्तम, मध्यम और अधम भी कहते हैं। काव्यप्रकाशकार का जोर छिपे हुए भाव पर अधिक जान पड़ता है, रस के उद्रेक पर नहीं। काव्य के दो और भेद किए गए हैं, महाकाव्य और खंड काव्य। महाकाव्य सर्गबद्ध और उसका नायक कोई देवता, राजा या धीरोदात्त गुंण संपन्न क्षत्रिय होना चाहिए। उसमें शृंगार, वीर या शांत रसों में से कोई रस प्रधान होना चाहिए। बीच बीच में करुणा; हास्य इत्यादि और रस तथा और और लोगों के प्रसंग भी आने चाहिए। कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए। महाकाव्य में संध्या, सूर्य, चंद्र, रात्रि, प्रभात, मृगया, पर्वत, वन, ऋतु, सागर, संयोग, विप्रलम्भ, मुनि, पुर, यज्ञ, रणप्रयाण, विवाह आदि का यथास्थान सन्निवेश होना चाहिए। काव्य दो प्रकार का माना गया है, दृश्य और श्रव्य। दृश्य काव्य वह है जो अभिनय द्वारा दिखलाया जाय, जैसे, नाटक, प्रहसन, आदि जो पढ़ने और सुनेन योग्य हो, वह श्रव्य है। श्रव्य काव्य दो प्रकार का होता है, गद्य और पद्य। पद्य काव्य के महाकाव्य और खंडकाव्य दो भेद कहे जा चुके हैं। गद्य काव्य के भी दो भेद किए गए हैं- कथा और आख्यायिका। चंपू, विरुद और कारंभक तीन प्रकार के काव्य और माने गए है। .

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कुमारगुप्त

कुमारगुप्त नाम के गुप्त राजवंश के दो शासक थे:-.

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उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

देखें भीतरी (गाँव) और उत्तर प्रदेश