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भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान

सूची भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान

भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), भारत सरकार के अन्तरिक्ष विभाग के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र के अंतर्गत एक प्रमुख प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान है। इसे सुदूर संवेदन, भू-सूचना एवं प्राकृतिक संसाधनों तथा आपदा प्रबंधन हेतु जीपीएस प्रौद्योगिकी में व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए विकसित किया गया है। संस्थान के प्रमुख कार्यों का क्षेत्र प्रयोक्ता समुदाय के बीच प्रौद्योगिकी अंतरण द्वारा क्षमता निर्माण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन हेतु सुदूर संवेदन एवं भूरूपाकृतिक तथा सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों में स्नातकोत्तर स्तर का शिक्षण तथा सुदूर संवेदन एवं भूरूपाकृतिक में किए गए अनुसंधानों का प्रचार-प्रसार है। इस संस्थान द्वारा प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, सुदूर संवेदन, जीआईएस तथा जीपीएस प्रौद्योगिकी में अधिमूल्य सेवाएं उपलब्ध करायी जाती है। .

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सामग्री की तालिका

  1. 5 संबंधों: भारत सरकार, भारतीय सर्वेक्षण विभाग, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र, सुदूर संवेदन, आपदा तत्परता

  2. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

भारत सरकार

भारत सरकार, जो आधिकारिक तौर से संघीय सरकार व आमतौर से केन्द्रीय सरकार के नाम से जाना जाता है, 29 राज्यों तथा सात केन्द्र शासित प्रदेशों के संघीय इकाई जो संयुक्त रूप से भारतीय गणराज्य कहलाता है, की नियंत्रक प्राधिकारी है। भारतीय संविधान द्वारा स्थापित भारत सरकार नई दिल्ली, दिल्ली से कार्य करती है। भारत के नागरिकों से संबंधित बुनियादी दीवानी और फौजदारी कानून जैसे नागरिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, आदि मुख्यतः संसद द्वारा बनाया जाता है। संघ और हरेक राज्य सरकार तीन अंगो कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका के अन्तर्गत काम करती है। संघीय और राज्य सरकारों पर लागू कानूनी प्रणाली मुख्यतः अंग्रेजी साझा और वैधानिक कानून (English Common and Statutory Law) पर आधारित है। भारत कुछ अपवादों के साथ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्याय अधिकारिता को स्वीकार करता है। स्थानीय स्तर पर पंचायती राज प्रणाली द्वारा शासन का विकेन्द्रीकरण किया गया है। भारत का संविधान भारत को एक सार्वभौमिक, समाजवादी गणराज्य की उपाधि देता है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली के संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है। इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं: न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका। .

देखें भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और भारत सरकार

भारतीय सर्वेक्षण विभाग

भारतीय सर्वेक्षण विभाग, भारत की नक्शे बनाने और सर्वेक्षण करने वाली केन्द्रीय एजेंसी है। इसका गठन १७६७ में ब्रिटिश इंडिया कम्पनी के क्षेत्रों को संगठित करने हेतु किया गया था। यह भारत सरकार के पुरातनतम अभियांत्रिक विभागों में से एक है। सर्वेक्षण विभाग की अद्भुत इतिहास रचना में व्याल/मैमथ महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण भी आते हैं। .

देखें भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और भारतीय सर्वेक्षण विभाग

राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र

राष्ट्रीय दूरसंवेदी केंद्र भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक प्रमुख केंद्र है। यह हैदराबाद में स्थित है। यहाँ दूरसंवेदी गतिविधियाँ होती हैं। यहाँ उपग्रह द्वारा लिए गए चित्रों को उपयोगकर्ताओं एवं जनसामान्य तक पहुँचाने का कार्य किया जाता है। नगरीय योजना, कृषि, खनन और मात्स्यिकी में इस केंद्र का योगदान उल्लेखनीय है। .

देखें भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र

सुदूर संवेदन

सुदूर संवेदन (अंग्रेज़ी: Remote Sensing) का सामान्य अर्थ है किसी वस्तु के सीधे संपर्क में आये बिना उसके बारे में आँकड़े संग्रह करना। लेकिन वर्तमान वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में सुदूर संवेदन का तात्पर्य आकाश में स्थित किसी प्लेटफार्म (जैसे हवाईजहाज, उपग्रह या गुब्बारे) से पृथ्वी के किसी भूभाग का चित्र लेना। यह एक ऐसी उन्नत विधा है जिसके माध्यम से ऊँचाई पर जाकर बिना किसी भौतिक सम्पर्क के पृथ्वी के धरातलीय रूपों और संसाधनों का अध्ययन वैज्ञानिक विधि से किया जाता हैं। सुदूर संवेदन की तकनीक को संवेदक (Sensor) की प्रकृति के आधार पर मुख्यतः दो प्रकारों में बाँटा जाता है एक्टिव और पैसिव। ज्यादातर पैसिव संवेदकों द्वारा सूर्य का परावर्तित प्रकाश संवेदित किया जाता है। एक्टिव संवेदक वे हैं जो खुद ही विद्युत चुंबकीय विकिरण उत्पन्न करके उसे पृथ्वी की ओर फेंकते हैं और परावर्तित किरणों को संवेदित (रिकार्ड) करते हैं। हवाई छायाचित्र और उपग्रह चित्र सुदूर संवेदन के दो प्रमुख उत्पाद हैं जिनका उपयोग वैज्ञानिक अध्ययनों से लेकर अन्य बहुत से कार्यों में हो रहा है। .

देखें भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और सुदूर संवेदन

आपदा तत्परता

आपातकालीन प्रबंधन एक अंतःविषयक क्षेत्र का सामान्य नाम है जो किसी संगठन की महत्वपूर्ण आस्तियों की आपदा या विपत्ति उत्पन्न करने वाले खतरनाक जोखिमों से रक्षा करने और सुनियोजित जीवनकाल में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए प्रयुक्त सामरिक संगठनात्मक प्रबंधन प्रक्रियाओं से संबंधित है। आस्तियां सजीव, निर्जीव, सांस्कृतिक या आर्थिक के रूप में वर्गीकृत हैं। खतरों को प्राकृतिक या मानव-निर्मित कारणों के द्वारा वर्गीकृत किया जाता है। प्रक्रियाओं की पहचान के उद्देश्य से संपूर्ण सामरिक प्रबंधन की प्रक्रिया को चार क्षेत्रों में बांटा गया है। ये चार क्षेत्र सामान्य रूप से जोखिम न्यूनीकरण, खतरे का सामना करने के लिए संसाधनों को तैयार करने, खतरे की वजह से हुए वास्तविक नुकसान का उत्तर देने और आगे के नुकसान को सीमित करने (जैसे आपातकालीन निकासी, संगरोध, जन परिशोधन आदि) और यथासंभव खतरे की घटना से यथापू्र्व स्थिति में लौटने से संबंधित हैं। क्षेत्र सार्वजनिक और निजी दोनों में होता है, प्रक्रिया एक सी सांझी होती है लेकिन ध्यान केंद्र विभिन्न होते हैं। आपातकालीन प्रबंधन प्रक्रिया एक नीतिगत प्रक्रिया न होकर एक रणनीतिक प्रक्रिया है अतः यह आमतौर पर संगठन में कार्यकारी स्तर तक ही सीमित रहती है। सामान्य रूप से इसकी कोई प्रत्यक्ष शक्ति नहीं है लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक संगठन के सभी भाग एक सांझे लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें, यह सलाहकार के रूप में या कार्यों के समन्वय के लिए कार्य करता है। प्रभावी आपात प्रबंधन संगठन के सभी स्तरों पर आपातकालीन योजनाओं के संपूर्ण एकीकरण और इस समझ पर निर्भर करता है कि संगठन के निम्नतम स्तर आपात स्थिति के प्रबंधन और ऊपरी स्तर से अतिरिक्त संसाधन और सहायता प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार हैं। कार्यक्रम का संचालन करने वाले संगठन के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति को सामान्य रूप से एक आपातकालीन प्रबंधक या क्षेत्र में प्रयुक्त शब्द से व्युत्पन्न पर आधारित (अर्थात् व्यापार निरंतरता प्रबंधक) कहा जाता है। इस परिभाषा के अंतर्गत शामिल क्षेत्र हैं.

देखें भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और आपदा तत्परता

यह भी देखें

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन